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मदिरा निषेध घर आनंद झगडे बडे घटे सामाजिक मान तन मन का मस्तिष्क का दुश्मन मदिरा पान भावार्थ कभी कहता है कि मदिरापान करने से ग्रस्त में झगडे होने लगते हैं । समाज में मान सम्मान नहीं रहता । मजीरा, पान करना शरीर, आत्मा और मस्तिष्क तीनों का दुश्मन है । स्पष्टिकरण जिस घर में लोग मदिरापान के आदि हो जाते हैं, उस घर में दैनिक पति पत्नी के झगडे होते हैं, आर्थिक स्थिति बिगड जाती है, समाज में कोई सम्मान नहीं रहता । शराब के पीने से आत्मा, शरीर और मस्तिष्क तीनों ही मृतप्राय हो जाते हैं क्योंकि शराबी समाज की नजरों से तो गिरता है या स्वयं अपनी भी नजरों से गिर जाता है । लाभ उक्त लोगों को अपने जीवन में उतारकर मदिरापान के सेवन के दुष्परिणामों को ध्यान में रखकर इस बुरी आदत से बचा जा सकता है । सारा आज प्रत्येक मनुष्य को शराब तथा इस के समान नशों से बचना चाहिए तथा अन्य लोगों को भी बचाना चाहिए ।
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