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34 - ग्रामीण युवाओं के बदलते हुये समाजिक व सांस्क्रतिक प्रतिमानो में संचार माध्यमों की भूमिका in Hindi

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Authorडॉ निर्मला सिंह और ऋषि गौतम
“कस्तूरबाग्राम रूरल इंस्टीट्यूट, कस्तूरबाग्राम, इंदौर” में 15-16 जनवरी, 2016 को “ग्रामीण समाज और संचार: बदलते आयाम” विषय पर संपन्न “राष्ट्रीय संगोष्ठी( national seminar)” के तहत प्रस्तुत विद्वता-पूर्ण शोध लेखों का संग्रहणीय संकलन है यह पुस्तक। जो निश्चित रूप से एक पुस्तक के रूप में मीडिया-जगत के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के साथ साथ विभिन्न विषयी अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। Voiceover Artist : RJ Manish Author : Dr. Nirmala Singh Author : Rishi Gautam Producer : Saransh Studios Voiceover Artist : Manish Singhal Author : Dr. Nirmala Singh & Rishi Gautam
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ग्रामीण युवाओं के बदलते हुए सामाजिक व सांस्कृतिक प्रतिमानों में संचार माध्यमों की भूमिका । वैश्वीकरण के पश्चात विकास की निरंतर बदलती दशा, निशाने ग्रामीण पर नगर ये समाज के हर वर्ग को प्रभावित किया है । इससे ग्रामीण मान अगर ये दोनों क्षेत्रों में विभिन्न जनमाध्यमों ने एक नवीन सूचना समाज का निर्माण किया है । हमारे प्राचीन काल में तंत्रमंत्र और अध्ययन मनन के बल पर संचार प्रक्रिया प्रारंभ हुई था । ऋषि महर्षि आपने मंत्र बाल पर जिससे चाहते उसे आसानी से संपर्क कर लेते थे । तब संचार का साधन देव ऋषि मुनि नारद वह आकाशवाणी थे । ठीक इसके उत्तरोतर संचार के विभिन्न प्रसाधन वर्तमान आधुनिक संदर्भ में ही उपलब्ध है । समस्त अमानवीय व्यवहार का आधार संचार ही है । इन माध्यमों से परस्पर व्यक्तियों या समूहों में विचारों, सूचनाओं, भावनाओं, संदेशों, मत तर्कों का आदान प्रदान हुआ । विचार संप्रेषण के माध्यमों की सर्वसुलभ था । बस संपर्क ने विभिन्न सामाजिक माॅक समूहों के पूर्ववत मानकों को प्रतिस्थापित भी किया है, जिसका प्रभाव वर्तमान आधुनिक ग्रामीण समाज में स्पष्टता हाथ दिखाई देता है । अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष एक शोध अध्ययन में सम्मिलित उत्तरदाता ग्रामीण युवाओं दशमलव तैंतीस प्रतिशत का परिवार नियोजन के प्रति दृष्टिकोण सकारात्मक था, जबकि अठारह दशमलव । सडसठ प्रतिशत उत्तरदाता ग्रामीण युवाओं का परिवार नियोजन के प्रति दृष्टिकोण नकारात्मक था । हूँ क्या तथ्य अध्ययन शोध उत कल्पना प्रथम प्रमाणित होने की पुष्टि करता है । आधुनिक संचार माध्यमों से जुडे ग्रामीण युवाओं की संख्या अधिक होने पर परिवार नियोजन के प्रति उनका दृष्टिकोण भी सकारात्मक होता है । टेस्ट सकारात्मकता को आधुनिक संचार क्रांति माध्यमों के प्रभाव संपर्क से वैचारिक सामाजिक प्रतिमान में हुआ मुख्य परिवर्तन माना जा सकता है । दो । शोध अध्ययन में सम्मिलित नवासी दशमलव तैंतीस प्रतिशत ग्रामीण युवाओं का महिला शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण सकारात्मक तथा दस दशमलव सडसठ प्रतिशत ग्रामीण युवाओं का महिला शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण इतने कार आत्मकथा शोध अध्ययन के आधार पर स्पष्टता, वृत्तीय शोध परिकल्पना प्रमाणित होती है । युवा ग्रामीणों का इंटरनेट व अन्य आधुनिक संचार माध्यमों से संपर्क स्तर बढने से वे वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षा की मेहता को समझाते हुए महिला शिक्षा को सामाजिक विकास का मुख्य घटक मानते हैं । यह ग्रामीण युवाओं में बदलते बहुत एक सामाजिक प्रतिमान का उदाहरण हैं । तीन । शोध अध्ययन में सम्मिलित चौंसठ दशमलव छियासठ प्रतिशत ग्रामीण युवाओं में संयुक्त परिवार की उपयुक्तता को वर्तमान संदर्भ में उचित नहीं माना जाता है जबकि पैंतीस दशमलव चौंतीस प्रतिशत ग्रामीण युवाओं ने संयुक्त परिवार को महत्व दिया है । शोध अध्ययन से स्पष्ट होता है कि आधुनिक संचार साधनों के संपर्क प्रभाव के कारण युवाओं में भोगविलास बहुत एक बाद हावी हो रहा है जिसके कारण पे अपने भावी दाम्पत्य जीवन में एकाकी परिवार व्यक्ति को उचित मानते हैं जो बदलते सामाजिक प्रतिमान को अभिव्यक्त करता है । चार शोध अध्ययन में सम्मिलित दशमलव छह प्रतिशत ग्रामीण चुनाव ने जीवन साथी का चयन परिवार की सहमती से आयोजित विवाह करने का मत अभिव्यक्त किया है जबकि इकतालीस दशमलव चौंतीस प्रतिशत ग्रामीण युवाओं ने जीवन साथी के चयन में परिवार की सलाह को महत्व ना देने और प्रेम विवाह करने का मत दिया है । यहाँ नृत्य परिकल्पना स्पष्टतः प्रमाणित हो रही है । युवा ग्रामीणों में आधुनिक संचार साधनों के संपर्क प्रभाव उससे उपजे बहुत बाद वैश्वीकरण अवधारणा के प्रभाव से प्रेम से वहाँ की नियुक्ति भी सुदृढ हो रही है तो बदलते सांस्कृतिक प्रतिमान का उदाहरण है । पांच शोध अध्ययन में सम्मिलित अधिकांश चौरानवे दशमलव छीन सकता प्रशाद ग्रामीण युवाओं ने आधुनिक पाश्चात्य पहनावे को परंपरागत ग्रामीण पहनावे को छोडकर वरीयता दी है । ग्रामीण युवा इंटरनेट जैसी संचार युक्ति को अपनाकर विश्वव्यापी युवा समुदायों के समकक्ष संपर्क में रहना चाहता है । इसलिए उसने पश्चात्य पहनावे को परंपरागत ग्रामीण पहनावे से बेहतर माना । यह तथ्य शोध अध्ययन की तृतीय परिकल्पना को प्रमाणित करता है । संचार साधनों के द्वारा ग्रामीण युवाओं पर पडने वाले प्रभावों में स्पष्टतः दृष्टिगोचर होने वाला है । एक प्रमुख बदलते हुए सांस्कृतिक प्रतिमान का उदाहरण हैं अध्ययन का महत्व । आधुनिक संचार, मैं सूचना प्रौद्योगिकी के कहाँ दुर्भाव के साथ ही विभिन्न सामाजिक मत, सांस्कृतिक प्रतिमानों के स्वरूप में परिवर्तन आया है । समाज के विभिन्न आयु समूहों को भी भिन्न भिन्न प्रकार से संचार साधनों के संपर्क ने प्रभावित किया है । युवाओं में परिवर्तनों को आत्मसात करने की क्षमता तो बडों की तुलना में अधिक होती है, क्योंकि उनमें पूर्वाग्रह कम होते हैं । युवा आधुनिकता को स्वीकारने में सबसे आगे होते हैं । युवावस्था का साहस युवा को नए जीवन शैली स्वीकारने के हिचकिचाहट से बचा लेता है । परिवर्तन इन्हें आकर्षित करते हैं । इसलिए आज बाजार का मुख्य लक्ष्य यही युवा वर्ग है, जिसकी बदौलत भारत में वैश्विक रन की परिस्थितियों से उत्पन्न संचार, सूचना प्रौद्योगिकी, बाजार फल फूल रहा है । यही बाजार इन परिवर्तनों के मूल में है, जिसने भारतीय सामाजिक व संस्कृति की धारा को बिल्कुल मोड दिया है । क्या भारत के लिए सबसे आवश्यक विषय है, पर दुर्भाग्य की बात है? इस पर सबसे कम ध्यान दिया जा रहा है । ग्रामीण भारत के परिप्रेक्ष्य में विभिन्न सामाजिक सांस्कृतिक प्रतिमानों का प्रचार आवश्यक है । हाँ,

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“कस्तूरबाग्राम रूरल इंस्टीट्यूट, कस्तूरबाग्राम, इंदौर” में 15-16 जनवरी, 2016 को “ग्रामीण समाज और संचार: बदलते आयाम” विषय पर संपन्न “राष्ट्रीय संगोष्ठी( national seminar)” के तहत प्रस्तुत विद्वता-पूर्ण शोध लेखों का संग्रहणीय संकलन है यह पुस्तक। जो निश्चित रूप से एक पुस्तक के रूप में मीडिया-जगत के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के साथ साथ विभिन्न विषयी अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। Voiceover Artist : RJ Manish Author : Dr. Nirmala Singh Author : Rishi Gautam Producer : Saransh Studios Voiceover Artist : Manish Singhal Author : Dr. Nirmala Singh & Rishi Gautam
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