Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
33 -भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में संचार की भूमिका in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

33 -भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में संचार की भूमिका in Hindi

Share Kukufm
223 Listens
Authorडॉ निर्मला सिंह और ऋषि गौतम
“कस्तूरबाग्राम रूरल इंस्टीट्यूट, कस्तूरबाग्राम, इंदौर” में 15-16 जनवरी, 2016 को “ग्रामीण समाज और संचार: बदलते आयाम” विषय पर संपन्न “राष्ट्रीय संगोष्ठी( national seminar)” के तहत प्रस्तुत विद्वता-पूर्ण शोध लेखों का संग्रहणीय संकलन है यह पुस्तक। जो निश्चित रूप से एक पुस्तक के रूप में मीडिया-जगत के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के साथ साथ विभिन्न विषयी अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। Voiceover Artist : RJ Manish Author : Dr. Nirmala Singh Author : Rishi Gautam Producer : Saransh Studios Voiceover Artist : Manish Singhal Author : Dr. Nirmala Singh & Rishi Gautam
Read More
Transcript
View transcript

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में संचार की भूमिका इक्कीसवीं शताब्दी में संचार की भूमिका अहम हो गए हैं । कुछ वर्ष पहले तक हमारे देश में जो कुछ सोचा भी नहीं जा सकता था, मैं सब कुछ अब संभव हो गया है । मोबाइल क्रांति के आगमन से विश्व का दायरा संकुचित हो गया है । आज हमारे देश के नागरिक अपनी जेब में मोबाइल के रूप में चलता फिरता एसटीडी तथा आईएसटी लेकर घूमते हैं और जब चाहे अपने मित्रों, परिजनों से संपर्क स्थापित कर सकते हैं । इधर पिछले कुछ वर्षों में वो मोबाइल सेवा की दरों में भी बहुत कमी आई है और इसकी उपलब्धता में आशातीत विस्तार हुआ है । आजीवन प्रीपेड सेवा, स्थानीय तथा एसटीडी के लिए एक पैसा, सकेंड प्रति कॉल और यहाँ तक कि आधा पैसा सेकेंड प्रति कॉल्टर होने मोबाइल सेवा को बहुत उपयोगी और लोकप्रिय बना दिया है । कहीं भी आप हूँ आपकी स्थिति आपके परिवार वाले जान सकते हैं । इतिहास में ऐसी अवधारणाएं कम ही सामने आई हैं, जो इतनी तेजी से फैली हूँ, जितनी तेजी से सूचना के अभाव यानी डिजिटल डिवाइड की धारणा को विस्तार मिला है । इसके साथ ही यह धारणा भी बलवती हुई है कि उपेक्षित क्षेत्रों में विकास को बढावा देने के लिए आधुनिक सूचना संचार प्रौद्योगिकी का अच्छा उपयोग हो सकती है । सरकारें इस उम्मीद से अरबों रुपए खर्च कर रही है कि विकासशील देशों में जो देश सबसे निर्धन है, उनकी निर्धनता, निरक्षरता, कुपोषण, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे पारंपरिक समस्याओं के निराकरण में आईसीटी मददगार साबित हो सकती है । टू जी टू जी द्वितीय पीढी फाॅर्स टेलीफोन प्रौद्योगिकी का संक्षिप्त रूप है वित्तीय पीढी मोबाइल दूर संचार नेटवर्कों का व्यवसायिक स्तर पर प्रयोग पहली बार बर्ष उन्नीस सौ सत्तर में इंग्लैंड की रेडियो निंजा कंपनी ने जीएसएम मानक पर किया था । पिछले नेटवर्कों की तुलना में टू जी के निम्नलिखित तीन सौ स्पष्ट लाभ है उन संवादों की अंक की है, कोडिंग की जाती है और रिकॉर्डर के बिना नहीं समझा नहीं जा सकता है । अंकित अकोर्डिंग से उतनी ही बैन चौडाई में अमित कॉल को पकडा जा सकता है । स्पेक्ट्रम पर तू जी तंत्र कहीं अधिक दक्ष होते हैं, उनसे अधिक मोबाइल पहुंच स्तर प्राप्त किया जा सकता है । ऐसे मेस संदेशों से प्रारंभ कर तू जी द्वारा मोबाइल में डेटा सेवा का समावेश किया गया है । थे । जी अंतरराष्ट्रीय मोबाइल तो संचार दो हजार आईएमटी दो हजार को थ्री जी अथवा तीसरी पीढी के मोबाइल फोन तथा मोबाइल दूर संचार सेवाओं का नाम दिया गया है, जो अंतरराष्ट्रीय दूर संचार संघ के निर्देशों के अनुरूप है । अनुषंगी उपकरणों की अधिक लागत तथा लाइसेंस शुल्क अधिक होने के कारण थ्री जी सेवाएं महंगी है । थ्री जी उपकरणों में उपलब्ध बैंड चौडाई और स्थान की जानकारी उपलब्ध होने से ऐसे कई सेवाएँ उपलब्ध हो गई हैं, जो मोबाइल उपभोक्ताओं को पहले उपलब्ध नहीं थी । कुछ अनुप्रयोग इस प्रकार हैं मोबाइल टीवी अर्थात किसी भी टीवी चैनल को उप्भोक्ता के फोन से संयोजित करके उस चैनल का कार्यक्रम देखा जा सकता है । वीडियोकाॅॅॅन आधार सेवादाता किसी चलचित्र को प्रयोक्ता के फोन पर भेज सकता है । विडियो कॉन्फ्रेंसिंग अर्था प्रयोक्ता परस्पर देख और बात कर सकते हैं । टेलीमेडिसिन था चिकित्सा प्रयोक्ता के दूरस्थ होने पर सौ से चिकित्सकीय मॉनिटर उपलब्ध करवाकर अन्यथा अन्यत्र चिकित्सीय परामर्श उपलब्ध करवाया जा सकता है । स्थान निर्धारक सेवा अर्थात सेवादाता किसी स्थान से संबंधित मौसम तथा यातायात की जानकारी फोन पर भेज सकता है तो उनके द्वारा प्रयोक्ता निकटस्थ व्यवसाय तथा अपने मित्र का भी पता लगा सकता है । पुराने टू जी अथवा टू पॉइंट फाइव जी मानकों की तुलना तीन जी के द्वारा कम से कम दो सौ के पर सेकेंड की दर से शीर्ष आंकडा डर उपलब्ध करवाई जाती है । थ्री जी के कारण आज मोबाइल परिवेश में विस्तृत क्षेत्र ऍन, मोबाइल ऍम तथा वीडियो कॉल्स आते उपलब्ध है । ये चौहान इसकी स्थापना जून दो हजार में आईटीसी के कृषि व्यवसाय प्रभाग देखी थी । इसकी रूपरेखा छोटे छोटे खेतों, कमजोर बुनियादी ढांचों और बिचौलियों की भागीदारी के लक्षणों से युक्त भारतीय कृषि की अनूठी विशेषताओं से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए विशेष रूप से तैयार की गई थी । परियोजना से आठ राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में फैली अपनी छह हजार पांच सौ गुमटियों के माध्यम से चालीस हजार से भी अधिक गांवों के चालीस लाख से अधिक किसानों ने सुझाव उठाया है की चौपाल को अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं जैसे अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल चुकी है । ज्ञान, दूध, ज्ञान, दूध की शुरुआत जनवरी दो हजार में मध्यप्रदेश के धार जिले में की गई थी । यह सरकार द्वारा नागरिकों को दी जाने वाली सेवा जीटूसी इंटरनेट आधारित पोर्टल है । ज्ञान दूध का उद्देश्य सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को ग्रामीण लोगों तक पहुंचाने के लिए एक किफायती प्रतिकृति तैयार कर रहे हो गया । आर्थिक रूप से निर्भर और वित्तीय रूप से व्यावहारिक प्रादर्श तैयार करना है । उनके आंदोलन नागरिकों के अपनी विवरण भी रखता है और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की सूची जैसी सेवाएं भी प्रदान करता है । यह उपभोक्ताओं को हिंदी भाषा में ऑनलाइन शिक्षा भी प्रदान करता है । लोग पानी लोग पानी की परिकल्पना सितंबर दो हजार चार में सीतापुर के जिला कलक्टर ने की थी । यह सरकारी और निजी क्षेत्र की भागीदारी में शुरू किया गया कार्यक्रम है और इसको उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में अट्ठासी प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या और उनतालीस प्रतिशत साक्षरता दर चलाया जा रहा है । ऍम शिकायत निवारण सेवा अब तक की सबसे लोकप्रिय सेवा रही है । जून दो हजार आठ तक इसे एक लाख सत्रह हजार एक सौ उन्यासी शिकायतें मिली हैं जिनमें से एक लाख तेरह हजार सात सौ तिरानवे यानी सत्यानी प्रतिशत शिकायतों का निपटारा किया जा चुका है । जनमत जनमित्र की शुरुआत मार्च दो हजार में की गई थी । यह एक समेकित ऍम है जिसको राजस्थान के झालावाड जिले में क्रियान्वित किया जा रहा है । उत्तराखंड में भी इसकी प्रतिकृति अपना ही गई है । कलेक्टर रेट के सभी विभागों और अनुभागों को लोकल एरिया नेटवर्क के जरिए जोडा गया है । जनमित्र का मुख्य उद्देश्य सरकारी कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए लोगों को एकल खिडकी सुविधा प्रदान करना है । स्वास्थ्य संकट एवं अन्य दुष्परिणाम मोबाइल सेवाओं की सहज सोलह डाल और बेहद सुनते हो जाने के कारण मोबाइल का प्रयोग अनावश्यक भी होने लगा है जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पडने की पूरी पूरी संभावना है तो न प्रौद्योगिकी उपलब्ध होने से साइबर अपराधों में वृद्धि हुई है । मोबाइल के प्रयोग से क्या सामाजिक तत्वों को अपराधों को अंजाम देने में सहायता मिलती है? यह ठीक है कि मोबाइल के पकडे जाने पर पुलिस मोबाइल रिकॉर्डों के माध्यम से अपराधियों को पकडने लेती है । मोबाइल टॉवरों से निकलने वाले विकिरण स्वास्थ्य के लिए गंभीर संकट है । वर्तमान में आईसीटी का उपयोग स्थानीय स्तर पर विशेष कहा स्थानीय निकायों और नगर पालिकाओं में खुला बंद पारदर्शिता और प्रभाविता लाने वाले साधन के रूप में किया जा रहा है । सिर्फ यदि राज्य और केंद्रीय सरकारें घाटी, जिले और विकासखंडों में इसे लागू करने पर जोर दें तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए आईसीटी का पूरा लाभ उठाया जा सकता है ।

Details

Sound Engineer

“कस्तूरबाग्राम रूरल इंस्टीट्यूट, कस्तूरबाग्राम, इंदौर” में 15-16 जनवरी, 2016 को “ग्रामीण समाज और संचार: बदलते आयाम” विषय पर संपन्न “राष्ट्रीय संगोष्ठी( national seminar)” के तहत प्रस्तुत विद्वता-पूर्ण शोध लेखों का संग्रहणीय संकलन है यह पुस्तक। जो निश्चित रूप से एक पुस्तक के रूप में मीडिया-जगत के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के साथ साथ विभिन्न विषयी अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। Voiceover Artist : RJ Manish Author : Dr. Nirmala Singh Author : Rishi Gautam Producer : Saransh Studios Voiceover Artist : Manish Singhal Author : Dr. Nirmala Singh & Rishi Gautam
share-icon

00:00
00:00