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32-मुट्ठी भर धूप -वीर in Hindi

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146 Listens
AuthorSaransh Broadways
वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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भी शुक्रवार की सुबह मुझे याद नहीं कि एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले । हमें जब तीन रही तब क्या हो रहा था मेरा मैं जिस पर उस कमरे में दाखिल हुए थे । ऐसा लग रहा था मानो हमने दुनिया के लिए दरवाजे बंद कर दिए नहीं और समय के पार जा चुके थे । हम उस जगह पर नहीं थी जहाँ पूरी दुनिया सच कहूँ तो हम किसी भी धरती जैसी जगह पर थे ही नहीं । ऐसा था मानो हम समय और जगह के बीच झूल रहे थे । मेरी नींद खुली, वैसा लगा जैसे हत्या के संबंध होते लगा रहा हूँ । एक कभी वैसा महसूस नहीं किया हूँ । उस एहसास को बताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है । टाॅक यही मानना है कि हम दोबारा जाते हैं । पहले जब शरीर जाता है और फिर शरीर से टकराती हुई चेतना चाहती है । हमारे रिश्तेदार, हमारी उम्मीदें और हमारे पछतावे सब उसे बाल में हमारे साथ चाहते हैं, उस खुशी के साथ जाता था । अगर ये रंग होता तो किसी इंद्रधनुष के साथ जागने जैसा था । और फिर मैंने जब उसका चेहरा देखा तो मैं जान गया हूँ क्यों? मैं उस तरह जाता था मेरी तरफ देख रही थी । उसकी आपके नाम और होठों पर एक हल्की मुस्कान खेल रही है । पानी भी उसने फुसफुसाते हुए कहा है कुछ नहीं हो रहा था तब हूँ । मेरी रक्षा कर रही थी । मैंने उसे छेडते हुए पूछा तो उस कराई और फिर अपना चेहरा किसी छोटी लडकी की तरह इनकार मैं चला गया नहीं मैं तुम्हारे चेहरे पर खेलती हल्की रोशनी को देख रही हूँ और सोच रही ऍम मैंने अपनी मुट्ठी भर तो हो गया हूँ । मैं उसके दर्द को और उसके दर्द में आपने दर्ज को महसूस कर रहा था । छोडो ना अब हम यहाँ है चुप पीट गया उसके बारे में नहीं सोचना चाहिए उसे हम तुम जानती हूँ । बुरी यादव को भूलने का एक ही रास्ता है कि कुछ नहीं ही आधे बनाई जाए तो हूँ एक अच्छे ऍम थोडा सा साजिशकर्ता हूँ हूँ मुस्कराया और उसकी उलझनों से खेलने लगा । जो समझ है उसकी आंखों की चमक को ठक रही थी आप छह बार मैं बताऊँ वो साजिश क्या है? बताओ ना, वो भी मुस्कराने लगी मैं होटल में और तुम ॅ होगी तो खूबसूरत यादे नहीं बन सकती हैं मेरी उंगलियां उसकी लग तो आ रही थी । ऐसा करना बडा अच्छा लग रहा था हूँ पर तुमने योजना बनाने में तेज कर देगी । मैंने पहले उसे कैंसिल कर दिया है । मेरे मैनेजर जाकर भारतीय मसालों के बारे में चल चलते हैं । मेरे हाथ में धूप और वैसे जाने नहीं । मुझ से इतना प्यार करती है जितना मैं उससे करता हूँ । उसके आगे समझ गई कि मैं क्या सोच रहा था क्योंकि उम्मीद जादू टिमटिमाहट दियो ठंडी सुबह मैंने ऐसा प्रश्न का जिसे दुनिया के सबसे खुबसूरत प्रश्न के तौर पर याद होगा । ये तो कोई बहुत मशहूर घटना है और नहीं तो छोटी ना । फोरन री क्या उत्तरी प्रशांत की देर नहीं ऍम बल्कि उस स्त्री का सिंदर कह रहा है तो मच्छी प्यार करते हैं । इससे ज्यादा अच्छा कुछ नहीं सकता । जब किस तरह जो आपको प्यार करती है, बहुत प्यार से आप की तरफ देख रही हो । चीन सार्थक हो जाता है । इसके लिए मरना भी चाहिए । हमने तय कर लिया होता है कि हम यादव को बनाने के लिए क्या करने वाले हैं । मैंने पूछा उसने शरारत भरी मुस्कान के साथ हॅूं मैं तुम्हारे लिए छोड ऍम और ऍम पास क्या है इस विकेट पर अब सिर्फ मैं ऍम साथ नहीं खूबसूरत कुछ भी नहीं । आप लोग ऍम कैसे कर सकता हूँ । यहाँ बैठे और ब्रेकफास्ट नहीं । मैंने लेग प्राॅफिट, सूरत मिरर ले क्लॉस को देखते हुए कहा नियोग के उत्तरी हिस्सों पर पहले ही पड चुकी थी और पुरानी अमेरिकी शैली में लकडी के खंबों से बने बाहरी जिससे वाला शांत ऍम किसी परियों की कहानी का हिस्सा जैसा लग रहा था । ऍम उन लोगों के लिए था जो जानते हैं कि बिहार किया है और निश्चित तौर पर हम उसमें सबसे आगे थे । भीतर आरामदायक गलीचे से कवर किया गया एक हॉल था । जांचने जगह पर बच्चे लोग की पंडिया मुझे लग रहा था कि अभी ही प्रोवाइड और सात पौने मेरे सामने आ जाएंगे । मीरा ने हमारे लिए सोच किया था । इसके पडती से बर्फ से ढकी खूबसूरत हरयाली दिखाई देती थी कि हम दो लोगों के लिए कुछ ज्यादा ही बडा था लेकिन मैं जानता था कि वो क्या करना चाहती थी तो हमारे लिए नहीं दुनिया बनाना चाहती थी तो सच्ची दुनिया से दूर हूँ । जहाँ लोग और दुनिया के झमेले हमें परेशान ना करें । वो हम दोनों के लिए ट्वीट बनाना चाहती थी और चुनाव उस चला देना चाहती थी जिससे हम वहाँ तक पहुंचेंगे । ऍम वर्मा आप तो नहीं है ना हम जब आपने सोचके अकेले बनना है तो मैंने ट्रॅफी नकल मीरा हफ्ते रहेगा । ठीक है हमारी छोटी सी दुनिया में सब यही है ना मान गया कुछ करा दिया वो भी मुझे कहने लगी भी यहाँ दुनिया को बता नहीं । अखिल और कविता और सारे फाइले तो हमने दूसरे लोगों से किए और हमारी जिम्मेदारियां हम पीछे छोड देते हैं । तुम्हारे साथ ना तो नहीं लगता है और मैं तो खा लेना इतना बुरा हूँ नहीं । ध्यान देना चाहती हूँ कि जी एक सपना है और जब हमारे वापस जाने का वक्त आएगा तब हम चाहेंगे । लेकिन तब तक हम जैसे हैं जैसे की रहेगी जिसे हम सपने में होगा ना कि हम क्या सपने देखें इसकी भी जिम्मेदारी हम पर हूँ । मैं उसकी आंखों में दर्द देख सकता हूँ । सब जो मेरे साथ होने के लिए उस कह रही थी । मैं करीब गया । उसके चेहरे को प् रहा तो मिली नहीं । ऍम ऍम सपना है उसका मुझे पकडा ही हूँ । डाॅ । पगडंडी चारों तरफ जाती थी । उसने पैसे झील को घेर रखा था और पेडों के बीच में से देखा जा सकता था तो अच्छी तेजी से जमने के संकेत दे रही थी । हम उस पगडंडी पर हाथों में हाथ थामे चल रहे थे । काम थोडी थोडी पर हम पर पड रही थी उस पेड जब की पत्तियों को अब भी छोडना नहीं चाहते थे उन्हें उनके सुलझते लाल और नारंगी रंगों के हो जाने को देखना पड रहा था । जबकि जिन पेड उन्होंने फिर जाने दिया था तो नंगे लेकिन हमेशा की तरह साहसिक फॅमिली जिन्होंने आपकी पत्तियाँ नहीं छोडी नहीं हूँ नाम का रंग और उन पर किल पर बेहतरीन लग रही नहीं जंगल की जमीन है लाल और हरे रंगों के चित्रकारी से सचिव सच्ची दिख रही थी । मीरा मैं खामोशी चलते जा रहे थे हमारे जूतों के सभी पडने से खाल की ली और मुराती से आवाज आ रही थी और बॉडी की क्या खबर है? किराने पूछा और थोडे लंडन आने के बाद उस से बात नहीं हो पाई है । मुझे मुंबई में एजेंसी से पता चला कि मेरे जाने के बाद तो ज्यादा दिनों तक नहीं रहा । मुझे बताया गया है कि वह कोलकाता लौट गया । मुझे अब भी उसके दिवाली की ग्रिटिंग ईमेल मिल जाती हैं लेकिन फेसबुक पर नहीं आना चाहता हूँ इसलिए उसका पीछा करने का वो रास्ता नहीं है तो लोग भी किस तरह अपने जीवन में अपना रोल अदा करते हैं और फिर उनका काम खत्म हो जाता है तो वह गायब हो जाते हैं । मेरा आपने साल तक हमारे सफर पर नजर रख रही थी । तुम्हारी सहेली नाॅन मीरा से पूछा की स्वाभाविक रूप से ब्रॉडी के सवाल को आगे बढाने का तरीका नताशा ऐसा की शादी पर या छः लडके से हुई है । शैली नाम आज का मुझे लगता उसका श्रीराम शैलेश हैं । सिंधी में रहता है । उनकी दो बेटियाँ है अपनी और आरती अच्छा प्रशाल परिवार है । मीरा को नताशा और उसके खुशहाल परिवार से लगभग एशिया सी हो गयी नहीं होगा । क्यों? हंस रहे तो उसने पूछा हूँ । मैंने कहा अच्छा खुशहाल परिवार । ऐसा होना अच्छी बात नहीं है तो भी हसते लगी ऍम ऐसा नहीं है तो समझ नहीं पाती कि कुछ लोग बिना उद्देश्य की जी कैसे सकते हैं? नताशा एक मां और एक पत्नी बढकर खुश है पर कुछ नहीं करती है । ये जीवन की बर्बादी नहीं है । निर्भर करता है कि जिंदगी से आपको क्या चाहिए । मैंने लगभग रहस्यमय ढंग से कहा क्या कहना चाहती हूँ? मीरा ने पूछा था उसने छोटे से नाले को पार की और मैंने उसका हाथ पकडता था । मेरा उद्देश्य अलग किस्म का क्यों नहीं हो सकता? हम जब महत्वकांक्षा की बात करते हैं, तब हमारा मतलब हमेशा काम में, शोहरत में, ताकत में सबसे आगे निकलने से होता है । लेकिन ग्यारह खुद देश क्यों नहीं हो सकता है? सबसे अच्छी हाउसवाइफ के सबसे चीमां बनने की महत्वाकांक्षा क्यों नहीं हो सकती है? मेरा नहीं पाल के लिए कुछ नहीं कहा और फिर ई में से हामी भरती थी । कह रहे है जिंदगी को देखने का ये भी एक अच्छा नजरिया है । इस बारे में मैंने कभी सोचा ही नहीं था । मैं देख कर मुझे करने लगा । लेकिन तो मैं बता दूँ, नताशा की उतनी भी आकांक्षा नहीं है । मेरठ ठाकरे लगाकर हंस पडी और मुझे भी हथियार क्या है? मेरा उद्देश्य ही महत्वाकांक्षी होना नहीं है । मैं मजाक में कहा हाँ, ये बिल्कुल सही है । उसके हंसने का तरीका अब बदल गया था । एक समय था जब खुलकर ऐसा करती थी । अब वैसे हस्ती है जिसको से डर हो कि वो दोबारा नहीं हो सकेगी । पता नहीं जिस उसका मेरी आंखें क्यों चला जाएगा । शायद ही जानकारी की जब आपने बहुत ज्यादातर देखा हो तब आपका खुशी से विश्वास उठने लग जाता है ।

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वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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