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30- मुट्ठी भर धूप-वीर in Hindi

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152 Listens
AuthorSaransh Broadways
वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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वीर गुरुवार की दोपहार मैंने अपनी फॅमिली ट्रिप से बचाए गए कुछ सौ डॉलर निकालेंगे और उन्हें जल्दबाजी में फॅस में डाल दिया । हीथ्रो से न्यूयॉर्क के लिए पहली फ्लाइट दोपहर तीन बजे नहीं । मैं मेरे से कुछ ही घंटे बाद पहुंचूंगा । शुक्र था कि कुछ देर से ही सही लेकिन शाम होते होते मैंने टर्न पहुंचाऊंगा । सब अचानक हुआ । कविता के बात सवाल और बयान के बीच में ही रह गई । उसने मुझे मेरी ऍसे लिया । उसने जो कहा उसके लिए हमें साॅस, लेकिन आंखें नहीं ऍम अच्छा तुम्हारे साथ जा रही है । इस सारी बातें स्वाभाविक थी और मैंने इनके बारे में नहीं सोचा था । शादी को बताना होगा । अच्छा जी को भी इसमें शामिल करना होगा । नहीं, ये शाजिया नहीं जा सकेगी । ये क्रिएटिव मीटिंग है । वैसे भी नया बैंकिंग राइट है जिसे हमेशा की तरह फिल्म की जल्दबाजी है । मेरे फोन उठाया और शाजिया को मैसेज भेजा । मुझे तो जाना है वहाँ तक छोड होगी । ब्राइट चार घंटे बाद है इसलिए मुझे अभी निकलना होगा । तो मैं तीन दिन कहना कविता की पूछताछ जारी है और मैंने एक बार फिर महामहिम सर हिला दिया तो हमेशा से यही मानता हूँ की आपके जीवन का महज एक बता सकता है कि आप किस तरह इंसान है और जीवन भर किस तरह के रहेंगे । मैं विश्वासघाती, गैरभरोसेमंद और रिश्ता तोडने वाला इंसान था । मीरा के पास जाने के लिए कविता को धोखा दे रहा था लेकिन कोई अपराधबोध नहीं था । शायद उससे आगे जा चुका था । जैसे लोग सुधरने की सीमा कहते हैं तो इतना बिगड चुका था कि कुछ भी मायने नहीं रखता था तो फिर भी रा क्यों मायने रखती है जहाँ बहुत आसान हो मेरा इतना मतलब रखती थी कि उसके बाद कुछ भी मतलब नहीं रखता हूँ तो एक घंटे में क्या चल रहा है । मैं सिर्फ पढते वक्त शाजिया के चेहरे पर बहुत सिकोडने की कल्पना में कर सकता था, आ सकती हूँ अगर नहीं तो मैं कहाँ जा रहा हूँ इस बारे में छुट्टी साथ लेना । इसका जवाब देने में शादी को थोडा वक्त लगा और फिर जैसे उसे सब समझा गया था । लाभ वीरा तो तुम इस हद तक जा चुके हूँ, आ सकती हो या नहीं आ सकती हूँ ऍम मिलती हूँ सब कुछ ठीक है । कविता है जहाँ उससे पूछा हूँ क्यों? मैंने जहाँ तक संभव था सामान हम सही कहा कविता मेरे पास आई और मुझे कसकर पकड लिया, कुछ नहीं । जब हम जैसा चाहते थे वैसा हो गया । तब मुझे ठंड लगता है कि कहीं कुछ गडबड हो जाए । मैंने आंखे बंद कर ली और गहरी सांस लें । कौन? फ्रांसिस के एक पुराने कहने की लाइने मुझे याद आ गई । ऍम बडी स्पोर्ट यानी हर कोई किसी न किसी के हाथों ठगा जाता है । वो तो कहना चाहती हूँ कि न्यूयॉर्क में हमारा ऑनलाइन मुझे ये समझाने वाला है कि कविता दिल्ली ठीक नहीं है । मैंने अपनी सबसे अच्छी मुस्कान के साथ उसे छोडा । कविता ठाकरे लगाकर हंस पडी । मैं जानती हूँ बस उनकी बातें कर रही थी महिलाओं के अंतर्ज्ञान का भी । जब लाखों सालों से कपटी मर्दों ने उनके डीएनए में यह खतरनाक डॉक्टर पैदा कर दिया है जबकि गलत रास्ते पर जाता है । वो जान जाती हैं तो किस बात का है कि वो ये भी मान लेती हैं तो उसका आदमी दूसरों से अलग है । शाजिया पांच मिनट पहले ही आ गई । उसने मेरे लायक उठाकर कार में रखे । इसलिए नहीं कि वो मेरी मदद करना चाहती थी बल्कि कविता से किसी भी तरह की बातचीत से बचना चाहती थी । वो भी इस रहस्य की साझेदार और दोषी थी । तब से हूँ कविता के डीएनए में ऐसा उनकी ट्रैक्टर नहीं था जिसके बच्चन वर्ग के दोस्तों को पहचान सकेंगे । कविता नहीं मुझे चूमकर विदा किया मैंने उसे किस से अलग करने में थोडी ज्यादा ही जल्दी अगर कविता ने खौर कर भी लिया होता हूँ । उसने बताया नहीं नियुक्त जा रही हूँ मीरा के पास नहीं कर रहे हो ना! शाजिया ने मुझे नैतिकता का पाठ पढाने के लिए सडक तक पहुंचने का भी इंतजार नहीं किया । काम अपनी सफाई में मैंने इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा । साल का क्या मतलब हैं तो मुझे क्या करवाना चाहती हूँ? शादियाँ मैं गुस्से का जवाब अपनी चिडचिडाहट से दे रहा था । जहाँ तक नहीं जानती हूँ उस की शादी एक बहुत अच्छे इंसान से हुई है और तुम कविता को दूसरा मौका दे रहे हो । एकदम सही और अच्छा मौका । तो फिर इस विवाहेत्तर संबंध को सही कैसे ठहराया जा सकता है? पहली बार मैंने मीरा और अपने लिए विवाहेत्तर संबंध को सुनाता हूँ । सुनकर पडा अच्छा लगा नहीं छुट्टी हालत लगाते हैं । मेरे और मीरा के बीच जो कुछ भी था वहीं इस दुनिया की सच्ची चीज दुनिया का दूसरा कोई भी ऐसा वैसा रिश्ता अफेयर हो सकता है, हमारा नहीं । मीरा के पास जाना धोखा देना नहीं था । मेरा के बिना इस दुनिया में रहना धोखा था । समझता हूँ इस रंग रैली को कैसे सही ठहरा हो गए । शादियाँ सच में ऐसे और के रूप में आ गई थी जो मुझ पर सीधे और तीखे हमले कर रही थी । तो शादियाँ कोई अफेयर नहीं, कुछ भी नहीं है । मेरा न्यूयॉर्क में है और उस पर घर की कोई जिम्मेदारी नहीं है । जानती हूँ मुंबई में कई साल पहले हमारा रिश्ता कैसे खत्म हुआ था और फिर हमारी हाल की बातचीत तूफान खडा करने वाली रही है । शायद हम दोनों को थोडा पक सात को जाने की जरूरत है ताकि हम एक दूसरे के साथ बात कर सके, उसे एहसास को खत्म कर सके । जो कभी हम दोनों के बीच था । बस इतनी सी बात है तो मुझे सच में बिल्कुल समझ गया । अभी तो मुझे लगता है कि मैं शहर में किसी गाजर, मूली के ट्रक में भरकर पहुंच गई थी । वो तो में न्यूयॉर्क बुलाती है और तुम कितनी दूर सिर्फ बातचीत के लिए चल देते हूँ । ये अफेयर है और किसी भी तरह से सही नहीं है हूँ । ॅरियर शब्द राॅड की तरफ गया प्यार है । शाजिया अफेयर नहीं है, उससे प्यार कहते हैं और मैं उम्मीद करता हूँ कि एक दिन तुम्हें भी सबसे शक्तिशाली, सबसे ज्यादा हाफिज दर्द भरे प्यार मिले जिससे सहा नहीं जा सकते थे । कैसा प्यार छूट इतना मजबूर करते कि उसे अपने जीवन में बनाए रखने के लिए जो उसको भारत वर्ष में हो, उस सब करूँ । ऐसा क्या जिसकी उस नजर के लिए तुम झूठ बोलने और धोखा दे? साजिश रचने और योजना बनाने पर मजबूर हो जाए । इस नजर से कभी कुछ नहीं । तुम ने देखा ना ऐसा क्या जिस बात की परवाह नहीं करता कि समाज क्या कहता है, कानून क्या कहता है, ईश्वर क्या कहता है? ऐसा प्यार जो बदनामी झेलने और हजारों अपमान सहने के लिए तैयार रहता है उसे छोडने के, उसके मुँह अपना नाम उस तरह सुनने के लिए जैसा वो पहले कहा करती थी । अच्छा शाजिया जब तुम्हें तो प्यार मिल जाएगा ना तब तब उससे बात करना कि क्या सही है और क्या हालत है । तो तुम्हारे जैसे समाज की नैतिकता के स्वयंभू ठेकेदार तुम्हें अपना अहंकार छोडना होगा और तो बिना उद्देश्य बम करना होगा । परनाइक यहाँ तो भी चलाकर कर देगा । तुम जैसे लोगों के पास कुछ और नहीं बल्कि औसत जीवन और सद्भावनाएं और और सब प्यार होता है । अफेयर मेरी बला से फॅस टूटने लगी थी और अपने अचानक घट पडने से आंखों में आंसू आ गए थे और मैं थोडा शर्मिंदा था । शाजिया ने कोई जवाब नहीं दिया । नहीं प्यार पर विरोध में कुछ कहा उसके आगे पीछे लगाई थी । मैंने तो भावुक कर दिया था या फिर चोट पहुंचाई थी । शायद मैं बहुत ज्यादा बोल गया था । हो रही है । पता नहीं अपने मन में कहाँ है । मैं दिल से माफी मांगी, उसे स्वीकार कर लिया और कुछ भी नहीं कहा । खास तौर पर दोस्तों में ही देखने को मिलता है जो आपके सामाजिक तौर पर अस्वीकार्य व्यवहार पर भी ऐसी सहमती जता देते हैं । कुछ आपको गलत ठहराएंगे और आपको छोड जाएंगे जबकि दूसरे को डाटेंगे और आपके साथ रहेंगे । मैं सोच रहा था कि शाजिया की श्रेणी मानती है । मुझे लग रहा था जल्दी ही जान जाऊंगा । अच्छा दिया कार से मेरे बैग उतारने के लिए नीचे नहीं उतरी । नहीं मुझे गुडबाय कहने के लिए कलेश लगाया नहीं । मैंने माफी मांगने को लेकर ज्यादा फिक्र की । मैंने जो कहा था उसपर कायम था कि कडवा था लेकिन इतना निर्दयी नहीं तक । शाजिया का प्रेमियों को नैतिक आचरण के बोल से बांधकर सामाजिक थोडे लगा रहा था । शुरू बढना चाहूँगा तो मैंने सोचा मैंने अपना फोन पॉकेट से निकाला और मीरा को एक मैसेज इस उम्मीद के साथ भेजा की वो अब तक नहीं आॅकलैंड कर चुकी होगी । रास्ते में हूँ एक घंटे बाद ऍफ कर रहा था तो उसका जवाब आया ऍम ।

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वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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