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वर्ष सवा सौ जी भोजन आधा पेट कर दुगना पानी पी तिगुना श्रम चौगुनी हसी वर्ष सवा जो जी भगवान था । कभी कहता है कि जितनी भूख हो उससे आधा भोजन करने वाला, दोगुना पानी पीने वाला, मेहनत तीन गुना करने वाला और चार गुना हंसने वाला व्यक्ति सवा सौ साल तक जीवन जी सकता है । स्पष्टीकरण जितनी भूख हो, उससे कम भोजन करें । बिना भूख के भोजन कदापि न करें । पानी खूब है किंतु भोजन के बीच में अथवा भोजन के तुरंत बाद पानी नहीं है । यथा योग्य वह यथोचित श्रम करना चाहिए । प्रत्येक दशा में मन को प्रसन्न रखना चाहिए । लाभ काम भोजन करने से पाचन तंत्र प्रभावी रूप से काम करता है, जिससे किसी प्रकार के उधर रोक नहीं होते । पानी अधिक पीने से शरीर के उत्सर्जन अंदर ठीक से कार्य करते हैं और विजातीय तत्व शरीर से बाहर निकल जाते हैं । सब करने से शरीर पुष्ट होता है, रक्त संचार ठीक से होता है और अंगों में लचीला बनाता है । सदैव खुश रहने से मन प्रसन्न रहता है । इस प्रकार तन और मन का तालमेल होने से हमें शतायु तक ले जाता है तथा इन बातों का ध्यान रखने से गठिया, मधुमेह, वह यकृत, आधी रोक नहीं होते । सारा अल्पाहारी रहकर खूब पानी पीने वाले, खूब मेहनत करने, वह सदैव हस्ते मुस्कुराते रहने वाले व्यक्ति सदैव लंबा वो सुखी जीवन जीते हैं ।
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