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29 - ग्रामीण समाज में संचार की भूमिका in Hindi

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Authorडॉ निर्मला सिंह और ऋषि गौतम
“कस्तूरबाग्राम रूरल इंस्टीट्यूट, कस्तूरबाग्राम, इंदौर” में 15-16 जनवरी, 2016 को “ग्रामीण समाज और संचार: बदलते आयाम” विषय पर संपन्न “राष्ट्रीय संगोष्ठी( national seminar)” के तहत प्रस्तुत विद्वता-पूर्ण शोध लेखों का संग्रहणीय संकलन है यह पुस्तक। जो निश्चित रूप से एक पुस्तक के रूप में मीडिया-जगत के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के साथ साथ विभिन्न विषयी अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। Voiceover Artist : RJ Manish Author : Dr. Nirmala Singh Author : Rishi Gautam Producer : Saransh Studios Voiceover Artist : Manish Singhal Author : Dr. Nirmala Singh & Rishi Gautam
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ग्रामीण समाज में संचार की भूमिका ग्रामीण भारत अपने आप में एक अनूठी संस्कृति है । यहाँ हरे भरे खेत खलिहान और शांत वातावरण का एक मिला जुला संगम देखने को मिलता है । एक ऐसा समाज जहां हर कोई एक है और हर किसी के अंदर कुछ कर दिखाने की ललक है । लेकिन इस समाज में पाल रहे इन अनगिनत सपनों का साकार होना कोई आजकल की प्रक्रिया नहीं हो सकती कि हजारे सपने तभी पूरे हो सकते हैं जब ग्रामीण क्षेत्र का हर कोना सूचना और संचार के द्वारा जागरूक हो और ये काम बिना किसी क्रांति की नहीं हो सकता है । लेकिन पिछले कुछ दशक से एक बदलाव आया है जिसने कहती ही क्रांति को लाने का वादा किया है । इस बदलाव का कारण है संचार । जनसंचार के युग में आई नई तकनीकी वृद्धि ने सूचना पाने के कई ऐसे संसाधनों को जन्म दिया है, जिन्होंने ग्रामीण समाज के विकास में अहम भूमिका निभाई, संचार में इंटरनेट और पहुंच कास जैसी तकनीक शामिल है, जिसने की संचार की दुनिया को एक अभूतपूर्व स्वतंत्रता खुलापन प्रदान किया । संचार जनसंचार के क्षेत्र कि ऐसी उपज है जिसमें ज्ञान का प्रवाह दोनों दिशाओं में होता है । मतलब कि हम किसी को ज्ञान दे सकते हैं । ठीक उसी समय उस व्यक्ति से ज्ञान ले ले सकते हैं । इसलिए से जनसंचार के योग का इंटरएक्टिव माध्यम भी कहा जाता है । इंटरनेट संचार कि रीड की हड्डी है और इसके आने के बाद जनसंचार जगत में कई ऐसे आविष्कार हुए जिसकी वजह से संचार दुनिया भर में हावी हो गया और आज काम भी हाथ के विकास में अपनी भूमिका निभा रहा है । वहीं दूसरी ओर पहुंच कास्ट जैसी तकनीक के द्वारा दूर दराज के लोग किसी सभी विषय के ऊपर ऑॅल सकते हैं । ये ज्ञान के क्षेत्र में क्रांति ही तो है कि ग्रामीण क्षेत्र में बसे नागरिक अब देश विदेश के विद्यालयों में हो रहे लेक्चर को अपने घर पर पॉडकास्ट की मदद से सुन सकते हैं । बस जरूरत है कि इंटरनेट कनेक्शन की, जिसकी उपलब्धि के लिए सरकार सोच और से काम कर रही है और लगभग हाॅकी टावर पहुंच गए हैं । इसी संचार के कारण कई देशों के क्रेन समाज में विकास की नहीं लहराता थी । भारत के ग्रामीण विकास को चार भागों में बांटा जाए तो हम देखेंगे कि संचार लगभग हर भाग में अपना अमूल्य योगदान दिया है । विकास के चार भाग नहीं है एक मानसिक विकास, दो दार्शनिक विकास तीन । आर्थिक विकास, चौथा राजनैतिक विकास ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट, ऑनलाइन लेक्चर, मोबाइल और पॉडकास्ट जैसी तकनीकों के आने के बाद सबसे पहले मानसिक विकास ने । अपनी जगह हम देखते हैं कि क्योंकि इस तरह संचार के माध्यम एक स्वतंत्र मुक्त विचारधारा को प्रेरित करते हैं, इसलिए इनके पास आने पर ग्रामीण विकास में भी एक ऐसी ही विचारधारा का प्रवाह होना शुरू हो गया । किसी मानसिक विकास ने ग्रामीण इलाकों में दार्शनिक विकास को जन्म दिया । देखा गया है कि जिन ग्रामीण इलाकों में संचार का प्रयोग होने लगा है, वहाँ के लोगों में चीजों को देखने और समझने का नजरिया ही बदल गया है । ग्रामीण समझने संचार कि भारत से खेती और उस से ताल्लुक रखने वाले और सभी कामों में अभूतपूर्व उन्नति दिखाई है । ठीक इसी तरह पर भारत में भी किसान और आदि ग्रामीण अब संचार के सहारे उन्नति और विकास के पथ पर अग्रसर होता है । मौसम की स्थिति और कृषि से सम्बंधित सभी जानकारी भी घर बैठे अपने ऍम मोबाइल पर पा लेते हैं । इससे उनके धन और समय दोनों की बचत होती है, जिससे भी किसी और उत्पादक काम पर खर्च कर सकते हैं । नहीं सारी चीजों से उनकी आर्थिक स्थिति में भी बदलाव आता है । कई लाते ने अमेरिकी और उत्तर अमरीकी देशों के किसान और ग्रामीण जनता ने किसी संचार की बदौलत खेती और हॉर्टिकल्चर में अपार उन्नति की है जिससे उन की ग्रामीण अर्थव्यवस्था सशक्त हुई है । भारत में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला है । अब किसान और उसका बेटा दोनों ही इस जनसंचार के माध्यम से जुडकर अपना अपना विकास कर रहे हैं जो आगे जाकर उनके आर्थिक विकास को जन्म देता है । चीन और उसमें भी संचार ने जो योगदान दिया है, खुसी का मॉडल आज भारत अपनाना चाह रहा है और इस बात में कोई संदेह नहीं कि स्कोर हम बडी तेजी से अग्रसर हैं । आज किसी इंटरनेट के द्वारा कहाँ पर पडने वाला विद्यार्थी कम्प्यूटर के एक क्लिक से पता लगा सकता है कि अमेरिका या सीरिया में क्या चल रहा है । अगले क्लिक से वो अपने विषय संबंधित किसी ऑॅटो डाउनलोड करके अपने पांच को समझ सकता है । दूसरी ओर किसान अपने मोबाइल के द्वारा भी इंटरनेट तक पहुंच सकता है और वहाँ से अपनी खेती बाडी संबन्धित सूचनाएं प्राप्त कर सकता है । जो काम पहले ग्रामीण समाज के लिए कठिन एवं दुर्गम हुआ करते थे । आज भी सारे काम संचार की बदौलत आसान और काफी मजेदार हो गए हैं । इंटरनेट बैंकिंग और रेलवे टिकेट की सुविधा को देखकर भी कुछ ऐसा ही लगता है । संचार ने आगे आकर सोशल संचार को भी सशक्त किया है जिसके द्वारा ग्रामीण विकास के राजनीतिक पहलू को काफी जोर मिला है । सोशल संचार जैसे कि ट्विटर या फेसबुक के जरिए गांव का नागरिक ना केवल जानकारी पा सकता है बल्कि अपने आप को देश से जुडा हुआ भी महसूस कर सकता है । इंटरनेट और तकनीक का विस्तार प्रस्तावित सभी दिशाओं में तेजी से हुआ है । आधुनिक तकनीक और टेडा प्रबंधन ने सरकार और नागरिकों के बीच के अंतर को पाटा है । इसका सीधा असर नागरिक सहभागिता और जनजागरूकता पर पडा है जैसे लोकतंत्र दृढ होता है । इससे ग्रामीण जीवन शैली के सभी क्षेत्रों, विशेष रूप से सामाजिक रहन सहन, स्थानीय व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग, ई गवर्नेंस आधी में बडे बदलाव देखने को मिलेंगे । इसके अलावा रोजमर्रा की जरूरतों जैसे जमीनों के लक्ष्य और उसके स्वामित्व या टैक्स संबंधी सोचना, रेलवे टिकट बुकिंग, अस्पतालों की ओपीडी सुविधाओं तक पहुंचने जैसी कई सुविधाएं सरल और सहज रूप में उपलब्ध होने लगी हैं । संचार के राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है । सूचनाओं का आदान प्रदान करने में जान संचार माध्यम सजग प्रहरी का कार्य करते हैं । विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है । समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन को विकास की संज्ञा दी जाती है । विकास और संचार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । भारत एक कृषि प्रधान राष्ट्र है और लगभग अस्सी प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्र में निवास करते हैं । ग्रामीण क्षेत्रों की सूचना संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति केवल आधुनिक संचार पर निर्भर रहकर नहीं की जा सकती । उन्होंने कहा कि जब तक ग्रामीण समुदाय को विकास में भागीदार नहीं बनाया जाएगा तब तक राष्ट्र का सही मायनों में विकास संभव नहीं है हूँ ।

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Sound Engineer

“कस्तूरबाग्राम रूरल इंस्टीट्यूट, कस्तूरबाग्राम, इंदौर” में 15-16 जनवरी, 2016 को “ग्रामीण समाज और संचार: बदलते आयाम” विषय पर संपन्न “राष्ट्रीय संगोष्ठी( national seminar)” के तहत प्रस्तुत विद्वता-पूर्ण शोध लेखों का संग्रहणीय संकलन है यह पुस्तक। जो निश्चित रूप से एक पुस्तक के रूप में मीडिया-जगत के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के साथ साथ विभिन्न विषयी अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। Voiceover Artist : RJ Manish Author : Dr. Nirmala Singh Author : Rishi Gautam Producer : Saransh Studios Voiceover Artist : Manish Singhal Author : Dr. Nirmala Singh & Rishi Gautam
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