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28 : बृह्म मुहर्त जागना in Hindi

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AuthorHarish Darshan Sharma
लोक कहावतों में शतायु जीवन के सूत्र - दैनिक जीवन के लिए उपयोगी युक्तियाँ| writer: मुमताज खान Producer : KUKU FM Voiceover Artist : Harish Darshan Sharma Author : Mumtaz Khan Voiceover Artist : Harish Darshan Sharma
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ब्रह्म महूरत जागना ब्रह्म मुहूर्त छोडे खाड नंगे पैर अन घूमे घास आयु हो चाहे सौ साल नए जोध हुए हरास ब्रह्म मुहूर्त जाग के भूमे नंगे पैर नये जोत कायम रखे हरी घास की सैर भावार्थ कभी कहता है कि ब्रह्ममुहूर्त में खाट चारपाई यह बिस्तर को छोड देने वाले वह हरी घास पर प्राध् अकाल घूमने वाले व्यक्ति की आंखों की रोशनी कम नहीं होती, चाहे उसकी आयु सौ वर्ष हो जाए । दूसरी लोकोक्ति में भी इसी प्रकार के अनुभव से अवगत कराया गया है । स्पष्टीकरण ब्रह्म मुहूर्त कालमें बिस्तर को छोडने वाले यानी नींद से जागकर नंगे पैरों से ओस वाली हरी घास पर सैर करने वाले व्यक्ति को दृष्टि दोष नहीं होता हूँ । ऐसी कभी की अनुभूति है क्योंकि प्रातःकालीन नंगे पैर हरी घास पर सैर करने से मन को शांति प्राप्त होती है । हरी घास पर पडी ओस की बूंदे तलवों को शीतलता पहुंचाती है तथा मस्तिष्क को शीतल करती है । घास पर नंगे पैर चलने से पैर के तलवों की मालिश होती है जिससे मानसिक तनाव व अवसाद जैसे रोग नहीं पडते हैं । ब्रह्म मुहूरत से सूर्योदय तक वायुमंडल में जीवन वायु यानी ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा रहती है जिससे फेफडे के रोग जैसे खांसी, दमा आदि से बचा जा सकता है । लाभ प्रातः नंगे पैर हरी घास पर घूमने से नए ज्योति में कमी नहीं होती तथा प्राथना वायुमंडल में ऑक्सीजन प्रचुर मात्रा में होने से हमारे फेफडे मजबूत होते हैं । सारा नियमित रूप से सूर्योदय से पूर्व बिस्तर छोडकर हरी घास पर नंगे पैर सैर करनी चाहिए ।

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लोक कहावतों में शतायु जीवन के सूत्र - दैनिक जीवन के लिए उपयोगी युक्तियाँ| writer: मुमताज खान Producer : KUKU FM Voiceover Artist : Harish Darshan Sharma Author : Mumtaz Khan Voiceover Artist : Harish Darshan Sharma
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