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है? मीरा ऍम मैं बिलकुल भी नहीं सुनाई थी और ट्राई करना सही नहीं था तो मैंने शादी अखिल को थमा दी । रविवार की सुबह ऍम मोटरवे ज्यादा बीजी नहीं था और हमें अपनी कार को अलकतरे पर पूरी जब पार से दौडाने और अपने खयालों में खो जाने का भरपूर मौका था । मैं नहीं जानती थी कि अखिल की खामोशी की वजह क्या तो मेरे मन में बहुत कुछ चल रहा था । डिनर पर जो कुछ हुआ और फिर भी किस्मत रात को सुधारों को देखना किसी सच्चे लेकिन जैसा था । अच्छा लग रहा था जिससे मैं दो समूहों में एक साथ ही रही थी अपने अतीत में, जहाँ मुझे वीर के लिए अपने दिल की गहराई का अहसास हो रहा था और वर्तमान में तो मुझे ऐसा करने से रोक रहा था । बीस में अपनी भावनाओं को साफ कर दिया था, लेकिन उसके लिए अपनी भावनाओं पर अब तक सोच रही थी । मन में सबसे पहला ख्याल यही था, क्या कर सकती? क्या करते हैं क्या बेंच पर अंधेरे आसमान के नीचे से बैठे देखकर मेरी भावनाएं और बढ गई थी । ज्ञान उसे पकडना । उसे कहना चाहती थी कि मुझे कैसा लग रहा था तो कल रात तुम कमरे से कहीं चली गई थी । अखिल ने मेरे खयालों के सिलसिले को ऐसे सवाल से थोडा जो नुकसान पहुंचाने वाला नहीं लग रहा था तो मैं सोच रही थी क्या सच में ऐसा था? हाँ मैं सो नहीं पा रही थी और शायद ये ठंडी लगेगी । इसलिए ब्रांडी और कॉफी शॉप से गर्म पानी नहीं निकली थी । अच्छा तो मुझे लगा देती है । अचानक अखिल की चिंता बढ गई और तुम क्या करते? मुस्कुराते पूछा हमारे साथ रहता है । उससे प्यार दिखाते हुए कहा मैंने हाथ खडाकर उसके गालों को हल्के से छोड दिया लेकिन मन मन में एक अचानक से तूफान उठ खडा हुआ । मुझे लगा कि मुझे बता देना चाहिए कि मैं बीच से मिली थी तथा देना चाहिए कि सुधारों को देखते हुए हमने क्या क्या बातें की । कुछ था जिसमें मुझे ये भी कहा कि ये ठीक नहीं होगा । शायद इसका खून मतलब ही नहीं होगा और इससे भी कहीं ज्यादा ये कुछ नहीं था । लेकिन मेरे मन में भी से हुई मुलाकात का मतलब देखने लगा था । और आपने मामला बेहद खतरनाक मोड ले रहा था । तो हूँ आपने एक से इस तरह मिलकर कैसा लगता है । मतलब मैं भाषा की रहे कि उसने हमें साथ बैठ के देख लिया था । अखिल मेरी तरफ सवालिया नजरों से देख रहा था और फिर मुझे एहसास हुआ कि वो हमारी पिछली मुलाकात की पांच कर रहा था तो अच्छा कुछ भी नहीं लगता । वैसे मुझे ऐसी गर्लफ्रेंड अच्छी लगी थी । सकता है । वीर लकी रहा हूँ । थोडी कोशिश के बाद ईमानदारी से हट सके । जवाब में अखिल भी मुस्कुराने लगा । कुछ मील तक चुप्पी फिर अच्छा गई थी । खेलने से कुछ ज्यादा ही जोर शोर से थोडा तुम्हारी मम्मी मुझे पिछले एक महीने से कॉल कर रही हैं । मीरा और बातचीत हर बार एक ही बात पर आकर रुक जाती है । तुम जानती हूँ मेरा क्या मतलब है बच्चे माँ को नादिया नाथन की अचानक जरूरत के बारे में अंदाजा लगाने में मुझे ज्यादा देर नहीं लगी है । लेकिन मुझे ये भी अच्छा नहीं लगा कि वह इस बारे में अखिल से बात कर रही हैं । मुझे उन पर गुस्सा आने लगा । हाँ, ऊपर कुछ समझ तुम मीरा वो जानती है कि तुम अपनी प्राइवेसी को प्रोटेक्ट करने की जरूरत है और तुम से इतनी दूर से वह कोई विवाद भी नहीं करना चाहती है हूँ । ये भारतीय मानसिकता भी क्या चीज है कि बच्चे पैदा करना इतना भी जरूरी है । ऐसे लगता है कि बच्चे नहीं हुए तो शादी खत्म हो जाएगी । जी जहाँ फोन उठाओ, रुपए मासिक छडा करूँ । मेरा तो बस उम्मीद लगाए बैठे हैं । सब नहीं कर रहे हैं तो मुझे उनकी उम्मीद नहीं छीन सकती है । अखिल को आपने अच्छी तरह से मुझे शांत कराना बहुत अच्छी तरह है । शायद नहीं छीनना चाहिए । मैंने स्वीकार कर लिया है । अखिल हल्की मुस्कान के साथ दूसरी तरफ देखने लगा । इससे मुझे लग रहा था की बातचीत अभी खत्म नहीं हुई है । और तो हरी उम्मीद क्या है? खेल मैंने सोचा अगर बात होनी है तो इसे अंजाम तक क्यों नहीं ले जाए । जिसकी उम्मीद तुम करती हूँ, मेरी भी वही है । अखिल ने सीधे सडक की ओर देखते हुए कहा उसने सवाल को टाल दिया था । ये कोई जवाब नहीं हुआ । खेल मैंने जोर देकर कहा है कि वैसा जवाब नहीं हो सकता है तुम चाहती हो लेकिन तुम्हारे सवाल का यही जवाब है । सच में तो तुम्हें कुछ फर्क नहीं पडता है । बच्चे हों ना हो तो कोई मतलब नहीं । पता नहीं मैं क्यों तू दे रही थी नहीं नौबत यहां तक आ गई । अखिल मैं अपनी आवाज में गुस्से को काबू करने की पूरी कोशिश कर रही थी । अखिल ढाकरे लगाकर हस पडा मीरा तो यकीन क्यों नहीं होता कि जो तुम चाहती हो वही मैं भी चाहता हूँ क्या जरूरी है कि हर मामले में मेरी राय तुम्हारे खिलाफ हो । हम शादीशुदा हैं, खेलते हैं और हमें एक परिवार चाहिए या नहीं इसपर तुम्हारी कुल राय ही नहीं है तो मजाक कर रहे हो । हीरा तो भी मेरा परिवार हो । जैसे मैं चाहता हूँ कि जिसकी मुझे हमेशा जरूरत पडेगी । मैं समझ रही थी कि अखिल बहुत बडी बातें नहीं कहना चाहता था । उसे सच में लगता था तो उसे बस मेरी जरूरत है । बस इसी साफ सुथरी बातों के चलते मुझे अखिल के अपना पति होने पर बहुत कर पता था । मैं शांत हो गई और ड्राइव का मजा लेने लगे । अखिल भी खामोश हो गया । ऍफ से मिलना चाहते हैं और आपको फिल्म दिखाना चाहते हैं । उनका कहना वो पूरी हो गई और दिखाए जाने के लिए पूरी तैयार है । फॅसने अपने सभी और पेशेवर अंदाज में बताया अगर उसका दिमाग में अब भी बीर के नशे की हालत में ऑफिस की लॉबी में आने की अन्य चाहिए । आदित् ताजा थी तो भी उसने उन्हें जाहिर नहीं होने दिया तो मैं कब का समय दे दूँ । उसने आग्रह करते हुए पूछा, बुधवार की सुबह ऑफिस पहुंची तो आसमान बादलों से ढका था, सूरत काले और नीचे तक उठा रहे बादलों के पीछे छिपा था और पुरानी चिरपरिचित धूम ऍप्स परछाई थी । मैंने ऍम को देखा और एक अच्छा सा एहसास हुआ । इससे मेरी सुबह पता लग गया हूँ वीर से होने वाली मुलाकात नहीं, बडे च्चतम से सीधे कॉर्पोरेट अंदाज को खडा कर दिया कि सच है कि मन ही मन में वीर से हमेशा ही मिलती रहती थी । लीड्स के ड्रिप के बाद कुछ ज्यादा ही ड्राइव करूंगी और वो मेरे साथ पैसेंजर सीट पर बैठा होगा । म्यूजिक की मेरी पसंद और मुँह बनाएगा या फिर स्टार बॉक्स में मेरे पीछे कतार में खडा होगा और मुझसे कहेगा कि कॉफी शॉप में होने की कल्पना करूँ तो हर तरफ हम चाहे आप की उम्र कितनी भी क्यों ना हो जाए । जब बात आपके पहले प्यार की आती है तो आप फिर से टीम बन जाते हैं । मुझे शक होता है कि क्या इंसान के दम आपको हिस्सा ऐसा हो जो पहले प्यार का अनुभव होने के बाद विकसित होना बंद कर देता है और आदि से हम तब उसी तरह रहता है । कुछ जानना चाहते थे कि क्या आज शाम सकते हैं फॅसे कहा जैसे कुछ फर्क नहीं पडता हूँ । मुझे फर्क पडता था । इस तरह वक्त कैसे हो सकता है वो । मैं सबसे अच्छी नहीं दिख रही थी । सबसे अच्छे कपडे नहीं पहने थे और और चांस भी नहीं लगाया था । शहर कौनसा समय ठीक होगा । मैंने पूछा साफ था कि मैं दो मीरा की कहानी के बीच फंसी हुई थी । शाम चार बजे का वक्त ठीक रहेगा । मिसेस वर्मा साफ तौर पर ॅ पहले ही तय कर लिया था । शो के साथ चाय और उसके ठीक रहेंगे । शायद उन्होंने पूछा मैंने हाँ कह दिया । ऍम जितनी शांति से आए थे, उतने ही शांति से चले गए । लेकिन मेरा दिमाग रविवार के डिज्नीलैंड जैसी स्थिति में था । उधर अस्पताल में में बाथरूम की तरफ भागी और खुद को सबसे पहले आने में देखा था । मैंने अपने आप में से कुछ नहीं देखा जो फील्ड को देखता हूँ और उस दिन भी कुछ अलग नहीं हुआ । अब भी कुछ घंटे बाकी थे । इस बीच मैंने खुद को काम में व्यस्त रखने की कोशिश की । ठीक शाम के चार बजे इंटरकॉम बज उठा भी रह गया था । अचानक मेरे मुँह से होने लगा है और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब ऐसा क्यों हो रहा था । शादीशुदा आपकी और किसी और की थी भी रखा था और यहाँ यहाँ तो सिर्फ बिजनेस की बातें होनी थी । मेरे दिल में इसका जवाब पडे, आसान चल भाग यहां से से दिया । वीर मेरे ऑफिस में दाखिल हुआ तो लगभग शर्मिला सा था । उसकी दाढी पूरी बेफिक्री से बडी हुई थी । उसने अपनी पसंदीदा शॅार्ट और अपने आकर्षण को बढाने के लिए पूरी तरह से पुरानी पड चुकी चीज पहनी थी । राष्ट्र बाहों में भरना चाहती थी । एक बार फॅमिली लू नहीं इतना भयंकर होगा हूँ । हमने पेस्ट दिखाने की बातें की । बैठने के दौरान शरीर की सामान्य गतिविधियां होती रही । वीर विज्ञापन के बारे में बताया अच्छा दिख रहा है लेकिन फैसला तो बहुत को करना है । उसने मोहक अंदाज में कहा तो चलो देख लेते हैं । मैंने मुस्कुराते हुए कहा ऍफ लेकर आया था । उसमें हैड फोन निकाला और कुछ ही मिनट में मेरे लिए होम थिएटर का इंतजाम कर दिया । फिल्म सच में बहुत अच्छी थी । वो तीस ऍम ऍफ थी । शाम बार काम किया गया था । लेकिन विडंबना ये थी कि मैं कंपनी को लेकर चित्र खुश थी उससे कहीं ज्यादा मुझे उस पर घर हो रहा था । बहुत है शुरू कर दिया हूँ । मैंने उसकी आंखों में झांकते हुए कहा तो मुस्कराया और जवाब में मैंने कुछ नहीं कहा । हम चुपचाप वहाँ बैठे रहे । कहने को कितना कुछ था और कुछ नहीं भी था । वो तो मुझे चलना चाहिए । बहुत काफी व्यस्त होंगी । वीर में दर्द भरी मुस्कान के साथ कहा, मैंने कह दिया । फिर उसकी मुस्कान धीरे धीरे गायब हो गई और मैंने उसके चेहरे पर दर्द की जानी पहचानी लकीरों को देखा । मेरा मेरे पास तुमसे दोबारा मिलने का कोई पहना नहीं है । मेरा मन कह रहा है की तो बहुत देर तक बहुत देर तक और लगातार देखता रहूँ । अपने साथ जिंदगी भर के लिए इतनी मीरा लेता हूँ कि मैं अपने दिमाग के मक्कडजाल भरे दिमाग में तो भरी तस्वीर लगा सकूं । इसके मेरे दिल तोड दिया । ऐसा मेरी आंखें भर आई और बदलता नहीं । उसके बाद मैंने जो किया हूँ क्यों किया? मैंने उसे कसकर तमाचा जड दिया ।
Producer
Sound Engineer
Voice Artist