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26 - संचार के संसाधनो का विकास, प्रकार एवं प्रभाव in Hindi

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Authorडॉ निर्मला सिंह और ऋषि गौतम
“कस्तूरबाग्राम रूरल इंस्टीट्यूट, कस्तूरबाग्राम, इंदौर” में 15-16 जनवरी, 2016 को “ग्रामीण समाज और संचार: बदलते आयाम” विषय पर संपन्न “राष्ट्रीय संगोष्ठी( national seminar)” के तहत प्रस्तुत विद्वता-पूर्ण शोध लेखों का संग्रहणीय संकलन है यह पुस्तक। जो निश्चित रूप से एक पुस्तक के रूप में मीडिया-जगत के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के साथ साथ विभिन्न विषयी अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। Voiceover Artist : RJ Manish Author : Dr. Nirmala Singh Author : Rishi Gautam Producer : Saransh Studios Voiceover Artist : Manish Singhal Author : Dr. Nirmala Singh & Rishi Gautam
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संचार के संसाधनों का विकास प्रकार प्रभाव, संचार एक सहज और मनुष्य की बोल को प्रवृत्ति हैं व्यक्ति और समाज । तभी अस्तित्व पान है यदि उनके पास संचार का साधन है । एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्तियों के बीच अपने भावों, विचारों, इच्छाओं, कल्पनाओं को बांटने की प्रक्रिया है । संचार है । व्यापक दृष्टि से देखने पर संचार एक व्यावहारिक विज्ञान के तौर पर परिलक्षित होता है । वैश्वीकरण के इस योग में संचार एक आवश्यकता बन चुका है । लाॅस मानते हैं, संचार व्यवस्था है जो मानव संबंधों में धुरी का कार्य करती है । संचार मानवीय संबंधों पर क्रियाकलापों की एक ऐसी जीवन प्रणाली है जिसके बिना देश, काल और समाज की कल्पना भी संभव नहीं है । संचार का संबंध मानव के आदिमकाल से ही हो रहा है । आदि मानव भी किसी न किसी रूप में संचार से जुडे थे । भाषा रुपये कोई सशक्त माध्यम न होने के कारण उनके लिए संचार केवल भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम था । विज्ञान एवं तकनीकी के विकास के साथ संचार साधन भी विकसित होते गए । मिट्टी, लकडी, पत्थरों के बाद भोजपत्र भी संचार का माध्यम बने । पशुपक्षी फिर संचार का माध्यम बने । छपाई मशीन का आविष्कार संचार प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन था । मुद्रित संदेशों, अभिलेखों एवं समाचारपत्रों का आगमन अभूतपूर्व संचार साधन भरेंगे । रेडियो टेलीफोन और अब टेलीविजन का आविष्कार संचार के उच्चतम आविष्कार है । संचार का प्रभाव, संचार के भाषिक स्वरूप केबल जरूर ही फॅस कृतियों तथा सभ्यताओं का जन्म हुआ । संचार में मुख्य रूप से सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक विकास पर प्रभाव डाला । जनसंचार संसाधन के संप्रेषित समूह की रूचियों मान्यताओं को बदलने, बढाने अथवा घटाने में अग्रणी भूमिका होती है । भूमंडलीकरण के फलस्वरूप वर्तमान संचार प्रणाली ने बाजारवाद उपभोक्तावाद को संरक्षण दिया है । इसके फलस्वरूप मानवीय सामाजिक मूल्य संकट में है । मानव विज्ञान और तकनीकी के सहारे ग्रहनक्षत्र तक पहुंच चुका है, लेकिन अपने पडोसी के दुःख दर्द से अनभिज्ञ है । कम श्रम कम लागत एवं कम निवेश के जरिए आसमान को छू लेने की इच्छा रखता है, पर तकनीकी हकीकतों से बहुत कोई वास्ता नहीं रखना चाहता । अति धनार्जन की तमन्ना, परस्पर प्रतिस्पर्धा, एक दूसरे को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति समाज के हर भाग में तीव्र हो गई है । नई तौर पर जनसंचार के समस्त संसाधन, उच्च मूल्य, उच्च आदर्शों को समाज में प्रचारित प्रसारित करने में सहायक होते हैं, लेकिन जनसंचार के कई सकारात्मक गुण भी है । इन साधनों ने जिस तरह व्यक्ति समाज को प्रभावित किया है, वह बहुत है निष्कर्ष संचार संसाधन ठीक डाइनामाइट की तरह है । ये है हमारे ही हाथ में है कि इन का सकारात्मक उपयोग करें । यह नकारात्मक आवश्यकता इस बात की है कि मीडिया या जनसंचार के पास क्या कोई ऐसा विकल्प है जो समाज में भाईचारा ला सकें । मानव को सर्वशक्तिमान बनाने की सोच से बचा सके । ग्रीन हाउस प्रभाव तथा धारा के निरंतर पडते थे । आप को नियंत्रित कर सके । जनसंचार की रणनीति ऐसी होगी । नई सुविधाएं तो आएँ जिनसे बोलियों का उत्कर्ष हो, जनसंचार से सामूहिक इसका प्रचार प्रसार हो तथा प्रतिस्पर्धा की कला कार्ड भावना को दूर करने में सक्षम हो । विचारों की अभिव्यक्ति भाई हो ।

Details

Sound Engineer

“कस्तूरबाग्राम रूरल इंस्टीट्यूट, कस्तूरबाग्राम, इंदौर” में 15-16 जनवरी, 2016 को “ग्रामीण समाज और संचार: बदलते आयाम” विषय पर संपन्न “राष्ट्रीय संगोष्ठी( national seminar)” के तहत प्रस्तुत विद्वता-पूर्ण शोध लेखों का संग्रहणीय संकलन है यह पुस्तक। जो निश्चित रूप से एक पुस्तक के रूप में मीडिया-जगत के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के साथ साथ विभिन्न विषयी अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। Voiceover Artist : RJ Manish Author : Dr. Nirmala Singh Author : Rishi Gautam Producer : Saransh Studios Voiceover Artist : Manish Singhal Author : Dr. Nirmala Singh & Rishi Gautam
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