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23. Rajdroha Ka Arop in Hindi

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AuthorNitin
क्रन्तिकारी सुभाष Author:- शंकर सुल्तानपुरी Author : शंकर सुल्तानपुरी Voiceover Artist : Raj Shrivastava Producer : KUKU FM
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राजद्रोह का आरोप सुभाष की तूफानी कार्यक्रमों ने सरकार का तख्ता हिला रखा था । ब्रिटिश सरकार की शीर्षस्थ शक्तियां उनसे बुरी तरह आतंकी थी । सरकार उनको खतरे की घंटी समझने लगी थी । सुभाष को खतरनाक व्यक्ति सिद्ध करने का प्रयास कर रही थी किंतु न्यायिक रूप से सुभाष को अपराधी करार कर बंदी बना लेने का उनके पास कोई कारण नहीं रहा । सुभाष की बढती हुई लोकप्रियता और सफलता की ओर अग्रसित उनकी ग्रान्धी चरण इस बात के दिनों तक थे कि वह समय दूर नहीं है जब सुभाष देश की क्रांति का एक छत्र अधिनायक तो ग्रहण कर लेंगे । इस आतंक से ब्रिटिश सरकार प्रकंपित थी । परिणामस्वरूप उसने देश के क्रांतिकारियों का दमन करने के लिए कुटील नीति, अपना सुभाष और उनके साथियों पर राजद्रोह का झूठा लांछन न्यायालय द्वारा सिद्ध कर उन्हें नौ महीने का कुछ ओर कारावास दंड सुना दिया गया । हाईकोर्ट ने इस संबंध में नाक की भूमिका निभाई । उसने शर्त के साथ सुभाष को रिहा करने की सहानुभूति दिखाई कि सुभाष और उनके साथ जमानत पर छोड दिए जाएंगे । परिंटन नौ महा तक में किसी भी राजनैतिक कार्यकलाप में भाग नहीं ले सकेंगे । इस निर्णय पर सुभाष ने कहा, मेरे लिए ये शर्त वैसे ही है । जैसे किसी व्यक्ति को जीने की छूट दी जाए, लेकिन सांस लेने की नहीं । मैं किसी भी राजनीतिक कार्यक्रम में भाग नहीं लूंगा । शर्त को मैं भी दस साल की सजा भी होती तो भी ठुकरा देता । सुभाष ने बडी निर्मिता से ऐसी ऊंची शर्त को छोडकर मार दी । कितना लोमहर्षक दृश्य था जब वे और उनके साथ ही जेल यात्रा के लिए प्रस्ताव कर रहे थे । इन्कलाब जिंदाबाद, क्रांतिवीर चिरंजीवी हो तथा नेता जी अमर रहेगा आदि के गगनभेदी जोशीले नारों से धरती आकाश पूछ रहा था । हजारों लोग अपने प्रिय नेता की जलयात्रा पर शुभकामनाएं और हर्षनाथ के रहे । नेताजी को वकीलों की ओर से पुष्प मालाएं पहनाई गई । इस संदर्भ में सभापति पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा बंगाल ने रास्ता दिखा दिया है । हमें बराबर आगे बढते जाना चाहिए । श्री सेनगुप्ता ने गद्गद कंठ से अपने हिंदी रोजगार व्यक्त की । सरकार हमारे शरीर को कैद कर सकती है, आत्मा को नहीं । जेल में सुभाष तथा उनके साथियों के साथ जो दुर्व्यवहार किए गए उसे जेल की दीवार भी कम होती । उन्होंने अलीपुर जेल में मछुआ बाजार के इसके कैदी भी गिरफ्तार थे । पुलिस अधिकारियों ने अकारण ही उन कैदियों को पीटना शुरू कर दिया । सुभाष ये निर्दयता देखी नहीं गई और उन्होंने इसका विरोध किया । पुलिस अधिकारियों ने फिर भी अपना अत्याचार बंद नहीं किया । सुभाष और उनके मित्रों का मूड बन करने के लिए उन्होंने उन्हीं पर प्रहार करना हम कर दिया । सुभाष को इस बेरहमी के साथ भेजा गया की जब तक बेहोश ना हो गए तब तक उन पर प्रहार होता रहा । वे तीन घंटे में हो रहे जीवन में पहला अवसर था जब सुभाष चंद्र बोस जैसे महान लोकनायक को इतनी क्रूर यातना दी गई । इस पैशाचिक दृश्य को देखकर कितने दुर्बल हृदय कैदी बेहोश हो गए जब नेताजी की चेतना लौटी, उन्होंने अपने सारे शरीर में घावर पीडा की गहरी अनुभूति कि वे कई दिनों तक जोर ग्रस्त रहे और उनका जो हर काम होने की बचाये पडता क्या जेल में उनके साथ वैसा ही साधारण कैदी सा व्यवहार होता रहा जैसा कि दुर्दांत अपराधी वर्ग कि कैदियों के साथ किया जाता है । सुभाष के लिए ये स्थिति अत्याधिक असंतोषजनक कष्टदायक थी और संतोष को उन्होंने अपने साथियों सहित आमरण अनशन के रूप में प्रकट किया । इस बर्बरतापूर्ण घटना की सूचना जेल की चारदीवारियों से बाहर जब जनसाधारण में पहुंची तो समग्र देश में विद्रोह के शोले भडक उठी । बंगाल काउंसिल में संबंध में प्रश्न पूछे गए और कहा गया कि एक सार्वजनिक जांच कमेटी बनाकर इस घटना की अघोषित जांच करानी जानी चाहिए । केंद्र इस प्रस्ताव को ये कहकर डाल दिया गया की जेल में सुभाष तथा उनके साथियों ने अनुशासन भंग किया था । अतः जांच की कोई आवश्यकता नहीं । सुभाष की अवस्था दिनोंदिन बिगड रही थी और उनका शरीर जीर्णशीर्ण हो रहा था । अत्यधिक दयनीय स्थिति में और है । कुछ दिनों पश्चात जेल से बिना किसी शर्त के मुक्त कर दिया गया । शुभचिंतको द्वारा सुभाष धर लाए गए जेल से छूटने के पूर्व ही सुभाष कलकत्ता कॉर्पोरेशन के मेयर निर्वाचित कर लिए । घर आने पर अवस्था की स्थिति होते हुए भी उन्होंने कलकत्ता कॉर्पोरेशन की बागडोर संभाली । मेयर के रूप में सुभाष निकल कर तक ऑपरेशन में जो महत्वपूर्ण भूमिका अदा की अविस्मरणीय जिसे राष्ट्रीय झंडे के संबंध में सत्याग्रह के दिनों अनेक योद्धाओं ने प्राणों की आहुति दे डाली । उस राष्ट्रीय झंडे को सर्वप्रथम सुभाष बाबू ने कलकत्ता कॉर्पोरेशन के भवन परपंरा प्लाइट्स पुलिस भाजपा के इस साहस पर चौक पर केंद्र वह कर भी क्या सकती थी, कॉरपोरेशन पर जो स्वराज पार्टी का राज था

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क्रन्तिकारी सुभाष Author:- शंकर सुल्तानपुरी Author : शंकर सुल्तानपुरी Voiceover Artist : Raj Shrivastava Producer : KUKU FM
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