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22-मुट्ठी भर धूप -वीर in Hindi

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175 Listens
AuthorSaransh Broadways
वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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वी शनिवार की शाम हूँ । मैं फुटपाथ पर खडा था जो सोहो स्क्वायर से होकर गुजरता । सूरज क्या सोने में भी काफी देर थी लेकिन बादल धुंधले नारंगी रंग के हो चुके थे जिन्हें उदासी भरा भूरा रंग भी था । मैं दो लडकों को झगडता देख रहा था किस साइकिल की सवारी करने की अब इस की बारी है । मैं जानता हूँ जो ताकत और होगा वही जीत जाएगा तो क्योंकि अक्सर ऐसा ही होता है । मैंने आंखे बंद की और एक लंबी स्वास्थ भर ले । मुझे निश्चित तौर पर तय करना था कि मुझे क्या करना है । मैंने लंबे समय तक कविता को अपने और निर्णय और टालमटोल का शिकार बनाया था । इस बार अगर उसके पास गया तो मुझे सोच लेना होगा की मुझे क्या कहना है । इस बार या तो सब कुछ हासिल हो जाएगा जब फिर हमेशा के लिए हो जाएगा । शायद मीरा के साथ मुलाकात किसी कारण से ही हुई थी । ये वास्तविकता की अलौकिक जांच थी । मैं भाग्य पर विश्वास करने वाला मुझे बिल्कुल नहीं लेकिन भाग्य को वर्ष में रखने वाली है । यदि कोई स्त्री होती है तो वो मुझे कह रही थी की जांच हो और कॉफी की महक ले भी रह जा चुकी थी । उस की शादी हो गई थी और अब वो वापस नहीं आने वाली चाहिए । मैंने इस बात को महसूस किया । पूरी जिंदगी मैं वादा करने से डर जा रहा है क्योंकि मैं हमेशा मीरा के लौट आने का इंतजार करता रहा । क्या पता हूँ मीरा उस लाक्षणिक दरवाजे की घंटी को बजा दी और इस बार एक और और सूनेपन को भर्ती दिख जाए । क्या मैं उसे फिर से लौट कर चाहते देखूंगा और इन सब के बावजूद मुझे उस घर से बाहर निकलना होगा । मेरा भी शादी से खुश थी और मुझसे नफरत करती थी । मुझे अब से भूल जाना चाहिए । मैं कविता को छत से वर्ष तक की ऊंची लडकियों से देख रहा था जिससे किसी भी आने जाने वाले को उसका आपको अच्छी तरह देखने का अवसर भी जाता था । जिन्हें उसने अपनी गैलरी में दिखा रखा था तो बहुत खूबसूरत दिख रही थी । उसके लंबे बाल प्रतिक्रि से उसके सफेद साटन के ब्लाउस पर गिर रहे थे । वो आप सूत्री उंगली से एक कलाकृति को दिखा रही थी लेकिन एक बुजुर्ग अंग्रेज दंपत्ति उसका लाख की बजाय स्वयं उससे ज्यादा प्रभावित दिख रहा था । मैं उनकी जगह होता है तो मैं भी प्रभावित हो जाता है । फिर मैंने अपनी तरफ देखा हूँ । पहले वो समझ नहीं पाई कि मैं हूँ । फिर निश्चित होने के लिए दोबारा देखा कि मैं ही हूँ या कोई और उतनी दूरी से । और हम दोनों के बीच उस शीशे के बावजूद मैंने देख लिया था कि उस बुजुर्ग दंपत्ति और पेंटिंग में उसकी दिलचस्पी खत्म हो चुकी थी । आधे घंटे बाद हम सो होम थिएटर के करीब एक कॉफी शॉप में थे । कविता निश्चित तौर पर अपनी कैलरी में मुझे देखकर हैरान थे क्योंकि हमने जब डेटिंग शुरू की उसके बाद से मैंने कभी ऐसा नहीं किया था । उसने मुझे कैमरे में बुलाया । मैंने कहा ये मैं जो कहना चाहता हूँ, उसके लिए किसी एकांत वाली जगह की जरूरत है भी । अब किस बारे में बात करनी है? उसने अपनी पौष अंग्रेजी जुबान में कहा तो सच में बहुत बडा कमीना हो । कविता हाँ, तुम हो आवाज में किसी दल की के बिना वो भी मान गई । मैं जानता हूँ कि मैं से मेरा मतलब तुम, मैं और हमारे रिश्ते को एक प्रकार की अनिश्चितता में रखता ऍम सबको खत्म कर इसे एक सही मौका देना चाहूंगा । अगर तुम भी चाहता हूँ मुझे काम नहीं आता था । मतलब तोडने और टूटे दिल के साथ रहने में ही अच्छा था । पता नहीं पर भरोसा करना बहुत मुश्किल है । मैं कविता के आवाज में दर्द को महसूस कर रहा था और मुझे खुद से नफरत हो रही थी । वो टूटे दिलवालों से प्यार करने का खतरा ये होता है कि वह भावना तक रूप से दूसरों को कष्ट पहुंचाने की हद तक निर्दयी होते हैं । उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं । कविता मैं तुम्हारी नफरत का हकदार हूँ । मेरा रवैया पूरी तरह से स्वार्थ बना रहा लेकिन तुम मुझे सच में प्यार करते हो । क्या तुम किसी से भी प्यार करते हो? कविता ने सीधे मेरी तरफ देखते हुए पूछा मैं बहुत हो गया क्योंकि यही एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब मुझे देना था । इससे पहले की मैं उन सारे सवालों को से पूछ सकते हैं जो मैं सोच कराया था । मैंने गहरी सांस क्योंकि सच्चाई ये थी कि मैं उससे प्यार नहीं करता था । लेकिन एक सच और भी था । मैं उस से प्यार करना चाहता था । मीरा के साथ रहने पर जो ऐसा होता था उसका इंतजार करना पागलपन था तो दोबारा नहीं हो सकता था । उस पहले प्यार के अहसास का इंतजार करना किसी जादूगर की ओर से हैरत में डाल दिए जाने के इंतजार जैसा था । जब आप जानते हो कि वह अपनी ट्रिक को कैसे करता है कि संभव नहीं था मैंने एक राहर में धीरे से सिलसिला मैं करता हूँ मैं तुमसे प्यार करता हूँ । कविता करता हूँ नहीं तो मैं क्यों आता? कविता ने बहुत देर तक मेरी आंखों में देखा तो वो हैरान थी कि उसे मुझ पर भरोसा करना चाहिए या नहीं । फिर वो दूसरी तरफ देखने लगेंगे । मैं नहीं जानती हूँ मुझे थोडा वक्त चाहिए । प्लीज बहुत कुछ हो चुका है । मैं मान गया है क्योंकि एक तरह से मैं खुश था कि उसने वह मांगा है । मैंने कहा की फॅमिली तक छोड देता हूँ जिसे उसने आधे अधूरे मन से स्वीकार किया । वो अब भी मेरे अचानक हृदय परिवर्तन के बारे में सोच रही थी । शाम अब पूरी तरह से साफ सुथरी रात में बदल चुकी थी । सुतारी पूरी ताकत सॅान्ग रहे थे और शायद हम एक और से देखते रहे थे । हवा में ठंडक खुल गई नहीं । कविता ने अपने हाथों को वोट कर अपने करीब पांच किया था ताकि खुद को गर्म रख सके तो मैं तो मैं पीछे तो मैंने उससे पूछा उस से इंकार कर दिया । फिर अचानक रुक गई और मेरी तरफ एकता हूँ । नई सी गहराई के साथ देखने लगे । तुम जानते हो रही मेरी तरह की सारी महिलाएं शादी क्यों करना चाहते है? इसलिए नहीं कि हम शादी में तुमसे ज्यादा यकीन करती हैं बल्कि इसलिए कि हमें डर लगता है कि न जाने कब इस दुनिया के वीर आधे रास्ते नहीं अपना मन बदल लेंगे और हमें भावनात्मक रूप से तबाही के पीछे छोड जाए । मुझे तुमसे शादी नहीं करने हुए मैं नहीं चाहती कि तुम मेरे माँ बाप से मिलूँ । मैं लगातार सिर्फ ही देखना चाहती थी कि हम दोनों के प्रति तुम कितने समर्थक हूँ और फिर से उसी हालत में नहीं जाना चाहती हूँ । ये लगाने और तोड देने वाला होता है कि मुझे मार डालता है तो मैं चाहती हूँ तुम्हारे साथ रहना चाहती और खुश रहना चाहती हूँ । लेकिन मैं अनिश्चित काम तो के साथ नहीं जीना चाहिए । सडक की नारंगी रोशनी से नहाए सुबह के फुटपाथ पर खडे कविता कितनी असहाय दिख रही थी । ग्यारह का एक चक्कर कितना दुःख बडा होता है । मसूद रहा था कि काश काश भावनाओं के लिए एक यूएसवी ड्राइव होती है । ऍम और ईमानदारी पलक झपकते उसमें ट्रांस्फर कर देता हूँ । मैं बस इतना कह सकता हूँ कि मैं तुम्हारे अपार्टमेंट तक जाना चाहता हूँ । उन सारे बॉक्स इसको तुम मेरे घर से ले गई थी । वापस अपने अपार्टमेंट तक बिना किसी मोबइल कंपनी की मदद के लाना चाहता हूँ । मेरी और संवेदनशीलता का शायद यही प्रायश्चित होगा । मैंने ऐसी मुस्कान बिखेरी की वो हथियार डालने पर मजबूर हो जाए । मुझे उम्मीद थी कि मैं अपने सच्चे इरादों का एहसास उसे करा सकूंगा । कविता भावुक हो गए और कहाँ लगाकर खास पडी और स्ट्रीट लाइट के नीचे हमने एक दूसरे को क्या जिसके गवाह टिमटिमाते सितारे भी थे, ठंड दे देगी । ये लडकी भी ना बहुत बडी शर्त रख देती है । ऍम मैंने अभिनय के अंदाज में कहा हम फसने लगेंगे कि हम फ्लाइट लें और फिर ऍफ करते हुए जाएं । बाद में उसी रात बिस्तर पर लेटे हुए मैंने कविता से पूछा सबकी फ्लाइट नहीं संडे तो बस आ ही गया । हम जब तक वहां पहुंचेंगे तब तक वापस लौटने का समय हो जाएगा । मेरा मतलब है सोमवार या मंगलवार को अगर तुम गैलरी से कुछ दिनों की छुट्टी ले लो । ॅ की खुली पीठ पर सब फॅमिली करते हुए कहा हो गया मंगलवार हम सीरियस हो भी रॉय के बिना इस विज्ञापन की दुनिया का क्या होगा? कविता को मेरे से बेहतर रूप के चलते हैं । यकीन करना थोडा मुश्किल हो रहा हूँ । मैंने शाजिया को फोन किया और बता दिया कि नशे में धुत होकर मैंने मीरा से क्या क्या कहा है । शाजिया नाराज हो गई । किसी क्लाइंट्स इस तरह का बर्ताव सही नहीं था लेकिन उसे मेरी मंशा सही लगी । उस समझ रही थी कि मैं नहीं चाहता की कंपनी को मेरे उलझे अपील के चलते हैं । एक अच्छे मौके को गंवाना पडे । लो हमेशा की तरह हमारी नहीं ठीक है । लेकिन उसे लागू करने में तुम ने सब कुछ गडबड कर दिया । उसने कहा था, शाजिया ने वादा किया कि वह चुनाव को समझा लेगी । लेकिन वो जानती थी कि जब तक ऑरलैंड रह के हाथ में मौका है तब तक उसे परवाह नहीं थी कि क्रिएटिव डायरेक्टर कौन है । मैंने बता दिया कि मैं बीमार होने का बहाना बनाने वाला हूँ और छुट्टियों पर बाहर निकल जाऊंगा । कुछ ब्रेक की जरूरत है । मुझे लगता है मुझे तो भी फिर पागल बना देने वाले शहर से कुछ दिनों के लिए दूर चले जाना चाहिए अगर भरी कैलरी का नुकसान हो । मैंने कविता से पूछा था ऍम मुझे लगता है मेरे फॅमिली तक सब कुछ संभाल लेगी और भगवान के लिए मुझे बताओ तुम्हें क्या हुआ है? वीर क्या किसी भूत प्रेत का असर हो गया है तो तब यही मान लो ऍम मुस्कान के साथ कहा । सोमवार की सुबह मैंने बीमारी का बहाना बनाया तो और दोपहर में शाजिया का फोन आ गया ऍम रहा है चाहे तो कितने ही बीमार क्यों ना हो । उस समय से कहा अगर जरूरत पडे तो फॅमिली कराया था । शाजिया की आवाज में काफी दहशत दिया क्या हो गया? मैं खुद भी दहशत में आने लगा था । तो मुझे लगता है तो इंडियन फूड कंपनी वाले स्टेंट काम नहीं आॅखो तो जानते ही हो । ज्यादा कुछ बताता नहीं । लेकिन इतना कह सकती हूँ कि वह बहुत नाराज दिख रहा था । अगर मीरा ने शराबियों वाली मेरी हरकत की शिकायत कर दी है तो ऍम मेरा करियर खत्म हुआ है । कोई भी कंपनी एक शराबी और बत्तमीज व्यक्ति को नौकरी नहीं देगी । घंटे भर में आता हूँ । मैंने फोन काट दिया और सोच रहा था की मेरी जिंदगी में क्या है यहाँ बन कर रह गया है । प्यार के टूट जाने से पूरा कुछ भी नहीं हो सकता है ।

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वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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