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9 minsक्या ग्रामीण समाज में संचार की भूमिका मानव सभ्यता के इतिहास में ग्रामीण समाज का इतिहास सबसे अधिक प्राचीन है । ग्राम या ग्रामीण समुदाय बहन क्षेत्र है जहां कृषि की प्रधानता, प्रकृति से निकलता, प्राथमिक संबंधों की बहुलता, जनसंख्या की कमी, सामाजिक एकरूपता, गतिशीलता का आभाव, दृष्टिकोण एवं किताब बहारों में सामान्य सहमती आदि विशेषताएं पाई जाती है । ग्राम भारतीय संस्कृति के मूल स्रोत है ग्रामीण समाज का परिवेश । पर्यावरण शहरी समाज से भिन्न है । ग्रामीण समाज में हम यह स्पष्ट राह देखते हैं कि वहाँ का जीवन यापन प्रकृति पर निर्भर अधिक रहता है । कृषि यहाँ का मुख्य व्यवसाय है । उसकी अपनी पहचान के कुछ आधार ऐसे हैं जो शहरी वातावरण से उसे अलग करते हैं । बोलते हैं कहाँ हूँ एक इकाई है । हमारे देश की पहचान गांवों से हैं, क्योंकि भारत कृषि प्रधान देश था, आज भी है और आगे भी रहेगा । मानव जीवन के सामाजिक जीवन की यात्रा में अनेक परिवर्तन, समय, परिस्थिति जन्म हुआ किन्तु भारत में परिवर्तन की गति तीसरे रही । स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात समाज की संरचना और संस्कृति में सामाजिक परिवर्तन का प्रारंभ आंतरिक और बाह्य स्रोतों द्वारा होता रहा है । वैसे भी संरचना में स्थिरता नहीं रहती । वहाँ बदलाव ही सामाजिक परिवर्तन है । अब यह भी देखते हैं की परंपरा पुरातनता और निरन्तरता का समानांतर अस्तित्व भी मिलता रहा है । आधुनिकीकरन की प्रक्रिया किसी एक ही दिशा या क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन को प्रकट नहीं करती । हमारा ये है बहुत शब्द बहुआयामी होती है । नगरीकरण की प्रक्रिया में ग्रामीण लोग गांव से शहर की ओर पलायन करने लगे लेकिन सामरिक दौर में यह भी की ग्रामीण समाज में जीवन के हर पहलू में परिवर्तन की बयार में पुरातन आयामों को बदला है । उसका हर क्षेत्र ग्रामीण परंपराओं से भी प्रभावित है, परंतु साथ ही आधुनिकता के लाभ भी से उठाना चाहते हैं । वैसे भी मानव में से ही रहमान ओ प्रति है की एक और अतीत का आकर्षण और दूसरी और प्रगति की अनिवार्यता । आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विस्मयकारी गति से विकास जीवन के हर पहलू में दृष्टिगोचर हो रहे हैं । आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी से आज कोई भी अछूता नहीं रहा है । चाहे शहरी क्षेत्र हूँ या ग्रामीण क्षेत्र, वैश्विक चेतना, संचार संसाधन, संपर्क के नाॅलेज, रेडियो समाचारपत्र, दूरदर्शन, सिनेमा, कंप्यूटर, मोबाइल, ॅ आदि ने समूचे विश्व पालक को नित नवीन सौगात दी है । संचार एक प्रक्रिया है तथा एक प्रयास है जिसके माध्यम से एक व्यक्ति दूसरे के विचारों को समझता है, सहभागी होता है तथा आपसी समझदारी को बढाता है । यह संदेश देने प्राप्त करने वाले को एक मंच पर उपस् थित करता है । संचार माध्यम मानव जीवन के ज्ञान में वृद्धि करने के साथ साथ जागरूक बनाकर विकास की गति को गति देता है । जब किसी यांत्रिक प्रणाली के प्रयोग से संदेश को कई गुना बढा दिया जाता है तो बहस संदेश बडी संख्या में लोगों तक प्रेषित हो जाता है तो उसे जनसंचार नाम दिया जाता है । जन संचार के आधुनिक माध्यम विधायक, जनसंचार के भारत प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल दिया है । प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए सूचना प्रौद्योगिकी ने विश्व को एक प्रकार की क्रांति से प्रभावित किया है जिससे वैश्विक चेतना की महत्वपूर्ण कडी कहा जाएगा तो कोई अत्युक्ति नहीं । वास्तव में संचार क्रांति ने दुनिया को एक सामान्य धरातल पर प्रतिष्ठित कर दिया है । जब विश्वग्राम में बदल दिया है भारत विश्व पालक को प्राचीन काल से ही संस्कृति की उदात्तता के फलस्वरूप विश्वगुरु के रूप में आपने आलोक से आलोकित करता रहा । आज भले ही वैश्वीकरण शब्द का उपयोग कर जैसे पांच चाहते है, दिन अधिकांश राष्ट्र मान रहे हैं, लेकिन यहाँ भेजा जाएगा कि भारतीय संस्कृति की वसुधैवकुटुम्बकम के उदास भावना ने धरती ही हमारा परिवार है का जीवंत संदेश दिया । वर्तमान दौर की बदलती संस्कृति में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वितरित नई इजाद में संचार के विविध माध्यमों के रूप में ऊंचाइयों का संस्पर्श क्या है? हालांकि विकासशील देशों, महानगरीय शहरों के छोटे से छोटे क्षेत्र भी ऐसे वंचित नहीं रहेगा । संचार के कारण सामाजिक व्यवहार में आर्थिक और राजनीतिक कारणों से बडे परिवर्तन आए हैं । समाज का परंपरागत स्वरूप बदलकर नई जीवन शैली में ढल रहा है जहाँ सामाजिक एवं मानव हेल्थ का पक्ष भी जुडा है क्योंकि कोई भी संचार माध्यम सामाजिक सरोकार से अलग नहीं हो सकता । संचार संसाधन माध्यमों का उद्देश्य असंख्य श्रोता एवं दर्शक वर्ग तक पहुंचना होता है । इसमें शिक्षित, अशिक्षित, बाल, वृद्ध, बालिकाएं, महिलाएं, ग्रामीण, शहरी सभी लोग । हालांकि सभी का स्तर ना तो एक सा होता है नहीं सोच सभी की प्रकृति में भिन्नता मिलती है और इन्हीं भिन्न प्रकृति के लोगों की आवश्यकता की पूर्ति संचार संसाधन के विभिन्न माध्यमों से होती है । भाषा पर यदि हम दृष्टिपात करते हैं तो निश्चित ही है पाते हैं की भाषा अभिव्यक्ति का सब बाल सुलभ सशक्त माध्यम है । जनसंचार के लिए जस्ट भाषा का उपयोग किया जाता है । बहुत जनजीवन की जान भाषा होती है, जो सामान्य व्यवहार की भाषा है । भाषा भी संचरण है, जिन माध्यम का संचार एक सहज और मनुष्य की मूलभूत प्रवृत्ति है । मानव का आदिम अवस्था से ही संचार का संबंध रहा है । गुफाओं और कंदराओं में जीवन यापन करने वाले आदिम युग के मानव भी किसी किसी रोकने, संचार प्रक्रिया से संबद्ध रहे हैं । श नेशन है । वैज्ञानिक चेतना एवं तकनीकी ज्ञान के विकास से आज उसका परिवर्तन एवं विकसित करो । स्पष्ट होता गया जनसंचार माध्यम एक सारगर्भित तो असीमित व्यापक तक रहन क्या हुआ शब्द युग्म हैं । जन का अर्थ आम जनता या जनसाधारण से तथा संचार का अर्थ तालाब, प्रसारण जब पहुंच आदि के रूप में है । मानव जनसमूह में आज के भूमंडलीकरण के सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभावों के फलस्वरूप वर्तमान संचार प्रणाली ने बाजारवादी या उपभोक्तावादी बना वृद्धि को संरक्षण दिया है, जिसके कारण मानवीय एवं सामाजिक जीवन मूल्यों, नैतिक मूल्यों, मानवीय मूल्यों का संकट दिनों दिन गहराता जा रहा है । आज आदमी की पहुंच नक्षत्रों तक हो गई है, लेकिन बहन अपने पडोसी के दुःख दर्द से अनुभव किया है । हालांकि नई तकनीक और संचार क्रांति नेचर स्तर है । हमारे समय को प्रभावित किया है । वह अद्भुत है । हमारे आचार विचार, व्यवहार, सपनी की चीजें देखी जा सकती है । यहाँ तक कि वर्तमान संचार संसाधन ने धरती और आकाश का भेद मिटा दिया है । ग्रामीण परिवेश के वर्तमान आधुनिक वस्तुस्थिति को संवाद में लाने से पूर्व हम पांच में झांककर पूर्व के वास्तविक ग्रामीण परिदृश्य की कल्पना करें तो खास स्पोर्ट्स की झोपडियां कपडे लोगों से पढाई मिट्टी के मकान गोवा से लेते घर आंगन में बंदे पशु अंधेरे में जलती लालटेन आगे पहले गांव में कोई भी नई वस्तु आती तो उसका लाभ पूरा काम लेना चाहता था या था ॅ, रेडियो, टीवी आदि शाम होते ही पूरा गांव चौपाल पर एकत्रित हो जाता है, जिसकी यहाँ ये नई साधन होते थे । सभी मिलकर उसका आनंद लेते रहे । बहन भी प्रेम, सौहार्द, समन्वय के साथ आज परिस्थितियां बदल गई हैं । ग्रामीणों का रहन सहन का स्तर किसी नगरीय नागरिकता से कम नहीं है । के दौर था जब गांव शहर की ओर पलायन करता था आज भी कर रहा है परन्तु अब शहर गांव की ओर भी आ रहे हैं क्योंकि आज गांव में सभी प्रकार के साधन उपलब्ध हो गए हैं या हो रहे हैं । संचार माध्यमों की बढती गति में ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिकता की झलक दिखाई दे रही है । शहरी नगरों की बढती महंगाई, आवासीय समस्या आदि के कारण नगरवासी ग्रामों में अपना ठिकाना बना रहे हैं । आज ग्राम वासियों के व्यवहार में परिवर्तन दिखाई दे रहा है । आधुनिकता से प्रभावित अधिकांशतः ग्रामीण भी टीवी, कंप्यूटर, मोबाइल आदि के प्रयोग में प्रवीन हो गए हैं । अपना नाम शुद्ध रूप से हिंदी में नहीं लग सकते, लेकिन तो मोबाइल के मैसेज पढ लेते हैं, इतनी कुशलता उनमें आ गई है । टीवी पर प्रसारित सभी चैनलों की जानकारी, कंप्यूटर, मोबाइल, लैपटॉप आदि का उपभोग एवं उपयोग बहुत वाईफाई, फेसबुक आदि पर वहाँ अपने से दूर बैठे लोगों के संपर्क में है । इन संसाधनों ने ग्रामीण परिवेश को परिष्कृत एवं समृद्ध संपन्न किया है । आज के वैश्विक दौर में मैं कहीं भी अनभिज्ञ नहीं है । संचार माध्यमों ने एक और सामाजिक सरोकारों को एक लगभग समाप्त ऐसा कर दिया है । तथापि यह तो निश्चित है कि संचार संसाधनों ने ग्रामीण समाज को एक नई दिशा दी है । आज आवश्यकता तो इस बात की है कि संचार जगत में विकास के क्षेत्र में हमें उन्नति के आयाम स्थापित करने के साथ ही मानव जीवन की सुरक्षा एवं प्रकृति के संरक्षण के प्रति सजगता रखना भी खुद नहीं अहम होगा । हमें सकारात्मक दिशा की ओर उन्मुख होना होगा,
Sound Engineer
Voice Artist