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20-मुट्ठी भर धूप -वीर in Hindi

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172 Listens
AuthorSaransh Broadways
वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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भी शुक्रवार की शाम और तुमने कभी उससे संपर्क करने की कोशिश नहीं की । शाजिया ने पूछा, दोपहर अब धुंधली शाम में बदल चुकी थी । बाहर की नीली रोशनी एक तरफ थी तो दूसरी तरफ अब के अंदर ऍम पीली रोशनी चमकने लगी थी । मैंने इंकार कर दिया । आठ साल बीत गए पर लगा जैसे कल की ही बात है वो तार । अब भी ताजा यादें अब तक कितनी साफ थी और फुटबाल पर घडी मीरा को छोडकर मेरे जाने की तस्वीर । मन में अब भी बची हुई ये मेरी बहुत पूरे सपनों में से था । मैं नहीं जानती कि क्या बहुत भी तुम दोनों के साथ जो हुआ वो सच में बहुत दुखद है । इतना होता है और फिर इतना डर? शाजिया को मेरे अंदर की बात पता चल गई थी कि वह जितना सोचती थी तब दे रहा नहीं था और भावनात्मक रूप से कंजूस तो बिल्कुल भी नहीं । मुझे प्यार करने और देने का अहसास था तो हमेशा से संबंधों और वायदों को लेकर तक जरा सा नहीं रहता था । जैसा हो सोचती हूँ कितने साल बाद पी जी उसने तो मैं बात नहीं किया है । शाजिया मुझ से पूछने के बजाय बस सारी बातों को सोच रही थी । इतनी साहब बनी थी । उसने तो चोट पहुंचाने के लिए इतना लम्बा चौडा प्लान बनाया ऍम मेरे कंधे उसका लिए जिसे जिंदगी में मैं जी चुका था उसके लिए कुछ भी विचित्र नहीं था और जब आप फॅस की आधी बॉटल कुछ में मिला देंगे तो आपको पूरी तरह मुझे वीर की हकीकत पता चल जाएगी । मैं हिलता डुलता उठा टैब देना चाहिए । मैं अपनी करता हूँ तो ठीक से खडे भी नहीं हो पा रहा है । चलो मैं घर तक छोड दूँ । शांति जिद करने लगी । अरे नहीं रहने दो तुम भी कोई होश में नहीं हूँ । लडखडाते तथा बाहर निकलते हुए मैंने कहा फॅार शराबियों को उनके घर तक छोडने में एक्सपर्ट था । बिना चेहरे पर घटना या आवाज में बल्कि दिखाए । उसने मुझसे पूछा कि मुझे कहाँ जाना है? कहाँ रहता था ये सोचते में मुझे थोडा वक्त लग गया । मैंने पता बताया । फिर चलती ऍम सीट पर पीठ दिखाई तो दुनिया नाश्ते नजर आने लगी । पांच मिनट बाद मैंने अपना इरादा बदला । मैंने ॅ पूछा कि क्या वह मुझे ऍफ ले जा सकता है । मुझे इंडियन फूट कंपनी का ऑफिस में किसी से मिलना था । ऍम तो ऑफिस के बिल्डिंग ऍम सामने था । मशीन में पूरी तरह धुत इंसान के लिए ऍसे बडी मुश्किल खडी कर देते हैं । लेकिन मैं भी ठान चुका था मैंने दरवाजे को कूल घूमते देखा और ऍम सही कर लेंगे । लेकिन इसपे न जाने कितना लगता है दरवाजों के पास जाने की मशक्कत देखो कुछ पूरी तरह ठहरा दिया था । मैं सेकंड के टेबल से लगभग टकरा नहीं वाला था । मैं मिसेस वर्मा से मिलना चाहता हूँ, ॅ नहीं लिया है । मैंने महिला सिक्योरिटी गार्ड से लडखडाती आवाज में कहा मुझे देखती रह गई । उस अच्छा नहीं लगता है की पी करते होने का वक्त नहीं था और ये ऐसी जगह बिल्कुल नहीं थी कि कोई नशे में चलता है । माफ कीजिये सर पर आप ने कहा कि आपके पास ऍम नहीं । उसने पूछा नहीं मेरा तो हाँ । मैंने यही कहा आपको उनसे मिलने के लिए ॅ होगा । उसके कडे स्वर्ग कहा है । मैं यहाँ का इंतजार कर लूंगा और जब निकलेंगे तो मैं लूंगा । मैंने पलट कर कहा समाप्त कीजिए लेकिन मैं आपको यहाँ इंतजार करने नहीं दे सकती है । जी नियम के खिलाफ है तो फिर आप पुलिस क्यों नहीं बना लेती है? मेरे अचानक विरोध से महिला सुरक्षा कर दी ऍम फॅार्म आपसे पूछे कि जो उनका दोस्त जेल में है तो आप उन्हें अपनी रूलबुक पढकर सुना देना आपको लगता है ये अच्छा आइडिया है । मैंने उसके होश उडा दिए थे । उसकी आंखें अब थोडा इधर उधर देखने लगी थी । आपका नाम कैसा? वो मान गई भी वीर फ्रॉड ये थोडा समय दीजिए बीस उसने किसी से बात की है । उसने किसी दूसरे सवाल और पूरे पांच मिनट बार सिक्योरिटी ऑफिसर ना चाहते हुए भी मुझे सिर्फ तक लेगी । ऍम वहाँ मुझे रिसीव करने के लिए खडे थे । मैं देख रहा था की वो हमेशा की तरह अपने विनी भाव में नहीं थे । जरूर उन्हें बता दिया था की बॉटल नहीं हूँ । मैंने जो थोडा बहुत ऍम पर चलाया था वो भी चूर चूर हो चुका था । सच कहूँ तो उस समय मुझे इन बातों की रत्ती भर भी परवाह नहीं थी तो मुझे वेटिंग रूम तक लेकर आए और कहा आपकी मिसिस वर्मा कुछ देर वहीं आएगी । मैं देख रहा था की कमरे से जाते हुए वो अपनी नाक सिकोड रहे थे । मैंने सोचा नशे में धुत्त लोगों से ज्यादा प्रेम भाव इस महानुभाव की बजाय उस ऍम भगवान लंदन के कैब ड्राइवरों का भला करें । मीरा ऍम चाबियों के गुच्छे के साथ बाहर आ रही थी जरूर मुझे निकलने वाली होगी । तभी उसे बताया गया होगा कि उसका आवारा अपनी उसका इंतजार कर रहा है । आप नहीं उसने मुझे कुछ के साथ ऍम कर दिया । मुझे नहीं पता दोबारा व्यवहार दूसरे क्लाइंट्स के साथ कैसा रहता है । लेकिन मैं बिल्कुल भी अलग ही मिला । मैंने कहा मेरे शब्दों में हमारे आस पास के हर चीज को जमा किया उसके शब्दों से लेकर खुद समझता हूँ । मैं प्यार करने से आप को नहीं रोक सका । एक दिन ऐसा नहीं कुछ ना जब मैंने तुम्हारे बारे में नहीं सोचता हूँ अपनी बाहों मैं तुम्हें समेटने के तट का तो पालों को सुंगरी की तुम्हारी हसी को सुनने की तो मैं छोडने की इच्छा ना हुई होगी । नहीं नहीं कितनी खामोश रास्तों में मैंने तो अपना नाम पुकारते सुना है मैंने सडक दोष बार से तो मैं अपनी तरफ देखकर मुस्कराते देखा है तो मैं अपने साथ लेते था । मैंने तो मैं नानी के बाद आपने पाल को सुखाते देखा । मैंने डिनर पर चलती मोमबत्तियों की रौशनी थी तो मुस्कुराते मैं मैंने तुम्हें दिल्ली खाना बनाते देखा । मैं तो मैं देखा कि तुम दो ऍम चुनने की उलझन में बडी हूँ । मैंने मन में तुम्हें अपने सामने जीते । देखा मनु साथ साथ एक और दुनिया चल रही थी । एक ऐसी जिंदगी इसमें मीरा और मैं अब भी साथ साथ मीरा को या तो बहुत ज्यादा एहसास हो रहा था क्या बिल्कुल भी नहीं पता ॅ क्योंकि उसके चेहरे के भाव से कुछ पता ही नहीं चल रहा था और फिर भी मैं ये जानकर जीता रहा कि तुम जा चुकी हूँ और वो मीरा कभी मेरी नहीं हो सकेगी । मैंने अपने दिल की बातों को झेलना जारी रखा । मुझे पता ही नहीं था कि मेरे शब्द कहाँ से आ रहे थे । मुझे लगता है कि मैंने लंबे समय से उन्हें बोतल में बंद कर रखा था पर आपको खुलकर सामने आ रहे थे । उधर पहचानता हम लौटा हूँ तो मैं जीवन भर तुम्हारा इंतजार करता हूँ । फिर मुझे लगा कि तुम मुझसे मिलना तक नहीं चाहती । मुझे तुम्हारी बातों पर यकीन नहीं करना चाहिए था । जब तुमने मुझे छोडने की बातें कहीं थी उस की बजाय मुझे हम दोनों के प्यार पर यकीन करना चाहिए था । मैंने ये मानकर अपने प्यार को नाकाम होने दिया तो मुझे ऍम और कभी मेरे पास नहीं हूँ । मुझे तो हारे जल्दबाजी नॅान ज्यादा हम दोनों के बीच के प्यार पर जबकि करना चाहिए ये समझ लेना चाहिए था तो हरी बेवकूफी से कहीं ज्यादा सात तक हमारे बिहार में थी । मैंने हमारे प्यार को नीचा दिखाते हैं । अच्छा दिखा दिया हूँ । ऐसा करना है । मुझे तो सच में दुख है । मैंने मीरा को एक कदम पीछे हट देखा । अच्छा तो बहुत सुन चुकी थी और वहाँ से जाने ही वाली थी । मुझे देखकर सच में सुधार आ रही होगी । मुझे इस बात की जल्दी थी इससे पहले की वह चली जाये । उस सब कुछ चल से जल्द कहते जो मैं कहने आया था । मीरा हो मुझे तुमसे सब कहने का कोई इरादा नहीं था । मैं तुम से ये सब कहने नहीं आया था तो ऍम मैंने पूछा उसकी आवाज अब हूँ मेरी कमियों की सजा मेरी ऍम तो मैं जानता हूँ मेरा बनाया विज्ञापन शानदार था और मैं जानता हूँ तो वो अच्छा लगा लेकिन मैं ये भी जानता हूँ कि तुम मेरे साथ काम नहीं करना चाहिए इसलिए मैं खुद को से अलग कर लेता हूँ ही । फॅमिली के साथ काम तो तुम्हारे लिए अच्छा चैंपियन तैयार करेंगे । मैं उनसे कहूंगा हूँ मेरी जगह वो किसी और को इसमें लगाए फायदा करता हूँ । मैं शिकायत कोई मौका नहीं मिलेगा । नीरा बहुत देर तक भावशून्य होकर मुझे देखते रहे हैं । उसमें मुझे कुछ नहीं कहा । मेरे पास भी कहने को और कुछ नहीं था । मैं वहाँ से जाने लगा । उसे कुछ डाइट कहा और लिफ्ट की तरफ बढ गया । मैंने जब लिफ्ट के बटन को दबाया तब सोशल लगा कि बिक मैं था तो आज भी अतीक की धुंध में खुद को देख रहा था और एक मीरा थी जिसके लिए अपनी का शायद अस्तित्व भी नहीं । सब हूँ । इन सब से बाहर निकल चुके हैं । मैं नहीं जानता ही इस समय के साथ मीरा ऐसी हो गई थी जो जितना साहिर करती थी उससे कहीं ज्यादा महसूस करते हैं । कुछ ज्यादा ही

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वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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