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क्यूरे वृद्ध महिला और आधे वेतन वाला ऍम हमारे कस्बे में पालिका सहायक यानी क्यूरे मनमोहक देखने वाला और मोहन और बहुत तेजी वाला आदमी था । इतना ज्यादा कि उसके गांव में आने के बाद कस्बे की आधी से ज्यादा युक्तियां धार्मिक प्रवृत्ति की हो गई और शेष आधी औरतें उसके प्रेम में पड गई । हमारे पेरिस चर्च में रविवार को इसके पहले कभी भी इतनी ज्यादा संख्या में औरतें नहीं देखी गई थी और मिस्टर टॉमकिन्स इस बार के पास जो बगल वाली सीटें थी, उस पर इतनी ज्यादा कभी भक्ति विभोर इस क्रिया नहीं देखी गई थी । दो । हमारे गांव में पहली बार आया तो केवल पच्चीस वर्ष का था और सारे गांव के निवासियों को उसने अपनी उपस् थिति से चौंका दिया था । वो अपनी पहली मांग बीस से कहाँ था? जैसे किलो में ना की तरह और बाइबिल का पाठ करते समय अपने बाएं हाथ की चौथी उंगली से पवित्र जल को अपने गाल पर लगता था । उसकी आपास बहुत गंभीर और गहरी थी । समझदार माताएं उसको अपने घर में आने के लिए असंख्य बार आमंत्रित करते थे और उनको कभी वह निराश नहीं करता था । यदि चर्च में मंच पर उसका व्यवहार बहुत शालीन था तो मिलने जुलने का उसका व्यवहार उससे भी दस गुना जिया था । अच्छा था बाइबिल पांच की ॅ के पास जो बैठने की सीटें थीं, उनकी मांग अचानक बढ गई थी । उसके आस पास की सीटें किसी भी मूल्य या प्रेम के लिए नहीं पाई जा सकती थी । और कुछ लोग तो यहाँ तक के तीन मिस ब्राउन बहने जिनकी सीटें चर्च वार्डन के सीट के पीछे थीं, देख रविवार को चर्च में बैठे थे जिससे कि जब वह सहायक पुजारी क्यूरेट वहाँ से गुजरेगा तो वह उसे देख लेंगे । वो बिना पूर्व तैयारी किए ही भाषण देने लग गया और लोग भी उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाए । एक बार उसने साढे बारह बजे रात में उठकर धोवन के बच्चे की मदद की । इससे ग्रामवासियों के उसके प्रति आभार की कोई सीमा नहीं रही । इसके बाद चर्च बॉर्डर भी उसके प्रति बहुत उदार हो गए और उन्होंने गांव वालों से कहा कि वह मोबाइल केबिन के बनने में आर्थिक सहायता करें । जैसे वो इसलिए बनवा रहा था ताकि खराब बरसात के मौसम में वो लोगों की अंतिम क्रिया करवा सके । उसने एक गरीब औरत को जिसके चार छोटे छोटे बच्चे थे, उसको काफी मात्रा में दलिया और चाय की पत्ती भेजवाई । इस तरह से उस गरीब और आपको एक छोटी मोटी रकम घर का खर्च चलाने के लिए मिल गई । उसने बहुत उत्साह से गोट एंड बूट्स मीटिंग में गुलामी की प्रथा के खिलाफ बोला । उसने जो बहुमूल्य सेवाएं उन गांववासियों को दी थी, उससे खुश होकर लोगों ने उसे एक तस्तरी देने का इरादा बनाया । इसके लिए लोगों ने आगे बढ चढकर चंदा दिया बल्कि लोगों में ये होती कि कौन सबसे ज्यादा बडा चंदा देता है । जब चंदा इकट्ठा हो गया तो लोगों ने उसे चांदी का पाॅइंट स्टार्ट भेंट किया और उस पर उसका नाम लिखकर उसी गोल्ड और वोट मीटिंग में नाश्ते के लिए बुलाकर उसे सम्मानित किया । मिस्टर केबिन पूर्व चर्च के वो दाल ने ऐसा भावपूर्ण भाषण दिया के लोग बहुत ही द्रवीभूत हो गए और कई लोगों की आंखों में आंसू आ गए । इतनी लोकप्रिय था और लोकसेवा के पश्चात लोगों ने सोचा कि वह लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच जाएगा । पर अफसोस ऐसे कोई बात नहीं हुई । क्यूरेट को खांसी आने लगी । एक दिन सुबह की सर्विस लेटे नहीं और फिसल के बीच चार बार खांसी का दौरा पडा और शाम को सर्विस में उसे फिर पांच बार खांसी का दौरा पडा । अब लोगों को पता चल गया कि उसे चाय रोग है । ये कैसे दिलचस्प उदासी है । यदि इससे पहले जवान और तेरे सुख पूर्ति से भरी हुई थी तो अब उनकी सहानुभूति और चिंता की कोई सीमा नहीं थी । ये कैसे हो सकता है कि इतना प्रेमी आज नहीं उसे तपेदिक हो जाए । ये बहुत ज्यादा था । उसके पास कई गुमनाम लोगों से किशमिश, मुनक्के, इलास्टिक स्कोर और गर्म मुझसे और गर्म बनियान आने लगे जब इस तरह से वो जाने के कपडों से बिल्कुल फिट फाट हो गया जैसे कि वो नॉर्थ पोल जा रहा हूँ । उसके स्वास्थ्य के बारे में भी दिन में कम से कम छह बार मौखिक सूचना सारे गांव में जारी की जाती थी । इस समय के आसपास के हमारे गांव की आत्मा में एक परिवर्तन आया, एक बहुत शांत, आदरणीय भौंकता । समृद्ध आदमी जो बारह साल ऍफ चीज में काम कर रहा था, एक सुबह मर गया और इस बात का किसी को कोई नोटिस नहीं मिला । उसका जो उत्तराधिकारी आया वो बहुत ही दुबला पतला और कहा जाए तो सिर्फ एक हड्डियों का ढांचा ही था । उस की बडी बडी काली आंखें और लम्बे लम्बे उलझे हुए बाल जिन्हें वो पीछे किए रहता था । उसकी ड्रेस बडी ढीलीढाली और अव्यवस्थित थी तथा वह कामकाज करने में भी बहुत हुआ था । एक तरह से वो क्यूरेट का हर तरह से विपरीत था । हमारे गांव की स्त्रियां उसको सुनने के लिए आई क्योंकि वो इतना विषम और अलग दिखता था । वो अच्छी व्याख्या करता था और अच्छा वक्ता भी था । सब लोग ये सोचते थे कि उसमें कुछ ऐसा ही था जिसका वर्णन करना बहुत मुश्किल था पर इन सब चीजों के बावजूद उसमें कुछ भी नयापन नहीं था जैसा कि उस पुरानी पादरी में था । ऐसा कहा जाए कि जनता की राय कभी स्थाई नहीं होती और धीरे धीरे भीड छट्टी गई । पुजारी की खासी बढती गई और उसका चेहरा काला पडता गया । वो बहुत मुश्किल से सांस ले पा रहा था और अब उसके प्रति लोगों के दिल में इतनी ज्यादा सहानुभूति भी नहीं जा पा रही थी । अब फिर से एक बार हमारे कस्बे के चर्च में किसी भी सीट पर बैठा जा सकता था और ऍम इसका अब विस्तार किया जाना था क्यों कि रविवार को वहाँ बहुत ज्यादा भीड हो जाती थी । हमारे गांव में सबसे ज्यादा जानी मानी और आधार मिली है । एक वृद्ध महिला थी । वो वहाँ हमारे जान से काफी पहले से रह रही थी । हमारा दस बार सब यानि आधा शहरी है और ये लेडी शहर के सबसे अच्छे, हवादार और खुश नमा इलाके में रहती थी । ये घर उसका अपना खुद का था और वृद्ध महिला को छोडकर जो अब दस साल पहले से ज्यादा उम्रदराज लगती थी । घर में सारे चीजें वैसे ही थी जैसी दस साल पहले और तब उस घर का मालिक भी जिन्दा था । घर के सामने वाले कमरे में यह सीटें रूम में कमरे में कालीन बिछा था । बहुत साफ सुथरा और वेल सेटल्ड था । जितनी भी अपेक्षा फ्रेंड थे और जो कांच का सामान था वह पीले रंग की मलमल के कपडे से ढका हुआ था । बीज पर से टेबल कवर तभी हटाया जाता था जब उसे कॉलेज किया जाना होता था । उस पर मोम की पॉलिश की जाती थी और ये काम हर सुबह नौ बजे किया जाता था । कंपनी में जो छोटी मोटी चीजें थी वह भी बिलकुल ठीक उसी प्रकार से रखी जाती थी जैसे पहले रखी हुई थी । इससे ज्यादातर चीजें उन छोटी छोटी लडकियों के माता पिता द्वारा दिए गए उपहार थे जो उस लाइन में रहते थे । पर इसमें कुछ चीजें जैसे दो पुराने जमाने की घडियां जिसमें एक हमेशा पंद्रह मिनट धीमी चलती थी और दूसरी पंद्रह मिनट तीस चलती थी और राजकुमार लियू कोर्ट की छोटी सी तस्वीर जैसे कि रॉयल बॉक्स ड्रीलिंग थियेटर में थी और ऐसी अन्य चीजें उसके पास काफी पहले समय से थी । यहीं पर वो वृद्ध महिला चश्मा लगाकर गर्मियों के मौसम में खिडकी के पास बैठकर कढाई का काम किया करती थी और यदि यहाँ से वो किसी को अपने घर में आते हुए देखती और अगर वह व्यक्ति उसकी जांच पहचान का होता तो उसको बिना दरवाजा खटखटाए उठकर मुख्यद्वार को खोल देती थी और चूकी आप गर्मी के मौसम में चलकर आने से था । कह गए होंगे वो आपको दो ग्लास चेरी ब्लेयर की पिलाई की और इसके पहले की वह बातचीत शुरू करें और यदि आप शाम के समय आए तो वो आपको ज्यादा गंभीर देखेगी और उस वक्त उनकी सीवी का यानी सारा उन्हें माइकल से कोई अध्याय पढकर सुनाती होती थी । इस वृद्ध महिला के पास कभी कभार ही कोई मिलने के लिए आता था । केवल उन छोटी लडकियों को छोडकर जो उनके पडोस में रहा करती थी । उन लडकियों के आने के दिन ते थे और वह उन्हें चाय पिलाने के लिए आमंत्रित किया करती थी और ये लडकियों के लिए एक दावत के समान होता था । बस स्वयं कभी ही किसी के यहाँ जाती थी वो और बस इतना ही चलकर जो उनके दायें क्या बाय पडोसी थे । इसके लिए उसके सेबी का यह परिचारिका पहले से ही उनके घर जाकर दरवाजा खटखटा आती थी जिससे कि उन्हें बाहर देर तक खडे ना रहना पडे और कहीं दुकान ना हो जाए । इन छोटे मोटे मेहमानों को अपने घर बुलाने के लिए दो बहुत ही सावधानी बरती थी और तमाम छोटी मोटी बातों का खास ख्याल रखती थी । मिलने के लिए वो और सारा मिलकर टीपॉट और कप प्लेट वहाँ अच्छी तरह साफ कर लें । उसके घर में मेहमानों को भी किसी खास मेहमानों की तरह यानी राजसी मेहमानों की तरह ड्रॉइंग रूम में रिसीव करके बैठा दिया जाता था । उसका एक बेटा हिंदुस्तान में था जिसको वो एक सुंदर जेंटलमैन बताती थी जो कि बहुत कुछ अपने पिता की तरह था जिसका फोटो उन्होंने साइनबोर्ड पर सजा रखा था । पर वो बहुत उदासी के साथ बताती थी कि उस को पाल पोसकर बडा करना एक कठिन काम था और एक बार तो उसने उसका दिल ही तोड दिया था । वो इस विषय पर बात करना पसंद नहीं करती थी । उसके पास बडी संख्या में पेंशनर थे तथा शनिवार को जब मार्केट से लौटकर आती थी तो कई वृद्ध महिलाएं और पुरुष उससे अपनी हफ्ता वाली राशि पाने के लिए उसके घर के रास्ते में खडे रहते थे । किसी भी तरह का सहायता आठ दान देने के लिए उसका नाम सबसे आगे रहता था और जाने की विंटर कोल सूप वितरण सोसाइटी के लिए भी वो सबसे खोले दिन से वह धन देती थी । हमारे कस्बे के चर्च में एक वाघरे अंतर लगाने के लिए उसने बीस स्पोर्ट की राशि दी थी और जब पहले रविवार को बच्चों ने उस बाजे के साथ गाया तो उसको इतनी खुशी हुई कि चर्च में सभी कर्मचारियों को उठाकर बाहर ले जाना पडा । रविवार को जब वो चर्च में आती थी तो वहाँ बैठे लोग खासकर गरीब तबके के लोगों में हडकंप मच जाता था । वो लोग उठकर उसे सलाम करते थे और फिर वो अपनी सीट पर बैठ जाती थी । पीयू अब डर उनको सलाम करके फिर वापस चला जाता था और फिर पीछे से दरवाजा बंद कर देता था । ये प्रक्रिया फिर से चर्च सर्विस खत्म होने पर दोहराई जाती थी । फिर जब वह सर्विस से घर वापस लौट थी तब अपने बगल वाले पडोसियों के साथ सारे समय उपदेश के बारे में बातचीत करती थी और इसकी शुरूआत बस ऐसे ही हो जाती थी सबसे छोटे बच्चे से पूछ कर कि पादरी कहाँ से पढा रहे थे । इस तरह से साल में केवल एक बार इस बात को छोडकर की वो किसी जगह समुद्र तट पर घूमने जाती थी । उसकी जिंदगी साल दर साल दान पूर्ण के कार्य करते हुए लोगों की मदद करते हुए गुजर रही थी और बिना किसी चिंता या भय के शांति के साथ वो अपने अंत का इंतजार कर रही थी । हमारे कस्बे में एक बहुत ही अलग दसवीं का एक व्यक्ति उस वृद्ध महिला का पडोसी था । दो एक पुराना सैनिक अधिकारी जो आजकल आधी तन्खा पर काम कर रहा था । उसका ये भी लॉस व्यवहार और बातचीत करने का तरीका उसके पडोसी याने बुजुर्ग महिला के जीवन में काफी खलल डालता था । पहली बात तो ये कि वो उसके सामने वाले लोन में अक्सर बैठकर सिगार क्या करता था और जब उसका कुछ ड्रिंक करने का मन होता था तो वो उसका दरवाजा खटखटाकर उससे एक मदिरा की मांग करता था जो कि अब उसके लिए एक आम से बात हो गई थी और उससे उसके घर की आर्थिक व्यवस्था थोडी गडबड आ गई थी । इसके अलावा वो थोडा थोडा हर चीज की जानकारी रखता था । यहाँ नहीं जाॅन ट्रेडर्स का हरफरमौला एक तरह का ॅ क्रूसो और वो लीडी की प्रॉपर्टी पर तरह तरह के प्रयोग करता रहता था । एक दिन सुबह जल्दी उठकर उसने उस महिला के सामने वाले लॉन में गेंदे के फूल के तीन चार पौधे लगा दी और जब उसने सुबह उठकर नॉन की ओर देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा कि राहत भर में ये पौधे कैसे उगाए । एक बार वो आठ दिन की चाबी वाली घडी को उठाकर बाहर लॉन में ले आया और उसे पूरी तरह से खोल कर रख दिया । पूर्व से पुर्जे अलग करके उनको जोड भी दिया पर्पस हुआ कुछ यूं कि उसकी बडी सोच छोटी सी हुई के ऊपर आकर हमेशा ट्रिप कर जाती थी । फिर उसने सिल्क के कपडों का प्रचलन शुरू किया । उनमें से कुछ क्यों को वो उस महिला के घर कागज के बक्से में रख कर ले आता था जिसमें से कुछ कीडे हर बार उसके घर में गिर जाते थे । इसके फलस्वरूप एक दिन देखा गया कि कुछ हष्ट पुष्ट कीडे सीढियों से चढकर ऊपर जा रहे थे । शायद अपने दोस्त का हाल चाल जानने के लिए क्योंकि थोडी देर बाद देखा गया कि कुछ कीडे ऊपर भी विचरण कर रहे थे । इससे निराश हताश होकर फिर वृद्ध महिला समुद्र तट पर चली गई । क्या आठ दिन में उसकी गैर हाजिरी में उसके दरवाजे पर लगी नेम प्लेट को पॉलिश करने के चक्कर में उसका नाम ही उस पर से मिटा दिया था । पर इस सबसे उनका जनजीवन में जो विद्रोही व्यापार था उसका कोई लेना देना नहीं था । चर्च के मीटिंग हॉल में जितनी मीटिंग भी होती थी वो उनमें बिना न गाती है ज्यादा था । पर उसके अधिकारी लोग जो भी प्रस्ताव लाते थे उन का वह विरोध करता था तथा चर्च वॉर्डन की हठधर्मिता का भ्रष्ट सुना करता था । वहाँ के क्लर्क के कानूनी बिंदुओं पर विवाद किया जाता था । कर अधिकारी जो कि उसके घर बार बार कर लेने के लिए आता था, उन्हें यु ही लौटा देता था । फिर एक दिन स्वयं भी जाकर सारा कर जमा कर के आ जाता था । रविवार के दिन प्रवचन होते थे उसमें वो तृतिया निकालता था । हाँ, संयंत्र बचाने वालों को बोलता था कि उन्हें इस तरह से बाजा बजाने पर शर्म आनी चाहिए और कहता था कि वह सब बच्चों से अच्छा प्रभु ईसा मसीह गीत गा सकता था और ये सब काम बहुत शोर शराबे के साथ करता था । इस सब में सबसे बुरी बात ये थी कि उस बुजुर्ग महिला को जिसका वह बहुत आदर करता था, उसे अपने विचारों से धारणाओं में परिवर्तित करना चाहता था । वो जब तक अखबार लेने उस महिला के घर में आ जाता था और जोर शोर से राजनीति पर बातचीत करता था पर अंदर ही अंदर वो एक खोले दिल का उधर मानव व्यक्ति था । यह थी वो बुजुर्ग महिला को अक्सर नाराज कर देता था पर मुख्य मुद्दों पर वो अक्सर सहमत रहते थे और वो उसके हर कारनामे पर बाद में खूब हसती थी जैसे कि किसी को हटना चाहिए हूँ ।
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