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17-मुट्ठी भर धूप -वीर in Hindi

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177 Listens
AuthorSaransh Broadways
वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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भी शनिवार की रात क्यू की घटनाएं किसी पत्थर के जैसी होती हैं । निशांत बडे तालाब में बिना सोचे समझे फेंक दिया जाता है । पत्थर पानी में जहाँ गिरता है वहाँ होने वाली छोटी से हलचल किनारे तक आते आते एक लहर बन जाती है । उस तेईस कार में कुछ बिगडे और नशे में धुत रईसजादों को इतना ही करना था कि रेड लाइट को जंप करेंगे और उस एक करतूत की लहरों ने मेरे सारे सपनों को तो दिया और हमेशा के लिए । उन्हें तो भूतिया बडे होने के बाद से मैंने अपनी ज्यादातर जिंदगी अकेले ही बताई थी । लेकिन उस उस राज्य मीरा चली गई । तब ने सिर्फ अकेला नहीं था । मैं असहाय हो चुका था । मैं बिस्तर पर लेटर लेटर्स टेलिंग बहन को खुलता देख रहा था और सोच रहा था ये मेरे समय का हिसाब रख रहा है तो साथ चक्कर और नीरा ऍम फ्लाइट में होगी । तीन हजार चक्कर है और फिर मैं उसे चोट पहुंचाने के अलग अलग तरीके सुन रहा था तो हजार और फिर मैं किसी बच्चे की तरह सुबक रहा था । कुछ और सकता हूँ और मुझे लगा जैसे में सांस नहीं ले पाऊंगा । ये चलता ही जा रहा था तो उनका देरी भावनाओं से भयानक तालमेल बिठाकर खुलता जा रहा था । सुबह की तो आधी हटे पडने से झांक रही थी और पंखे की परछाई छत पर दिखाई दे रही थी । अपनी परछाई के साथ घूमता पंखा मेरे दस अगस्त माह के लिए पडता से पहले मैंने अपना चेहरा कुमार लिया । मेरे सेलफोन का अलार्म बज उठा जिसने मेरे भयानक विचारों को बीच में ही तोड दिया । क्लाइंट्स के साथ मीटिंग ठीक दस बजे मैं ये भी भूल गया था की मैं पैसे कमाने के लिए क्या काम करता हूँ । पौडी में मुझे एक बार देखा और समझ गया की तबाही मच चुकी है । अक्सर पूछताछ करने वाला पौडी उस दिन की तस्वीर बना हुआ था । उसने बडे प्यार से मेरी पीठ को तो दबाया और फिर कहा ऍम! कोलकाता में एक लडकी रहती है जिससे मेरे दर्द की कोई परवाह नहीं है । खराब सिंगापुर में एक है तो तुम्हारे दर्द से बेपरवाह । इससे पहले कभी फॅमिली के बारे में इतना खुलकर नहीं बताया था । फॅमिली है तुम जानती हूँ फॅमिली के साथ मुश्किल क्या ऍम ही अपने रंग में आ चुका हूँ । कुछ देर पहले हमें कंपनी के मार्केटिंग हेड के साथ बैठक के लिए बेटिंग घूमे थे । कंपनी ने अभी भी टूथपेस्ट बनाना शुरू किया था और सही मायने में कॉम्पिटिशन का सफाया कर देना चाहता था । क्या मुश्किल ही है? मैंने पूछा वैसे भी मुझे पता कर ही दम लेगा । प्यार कभी हमेशा नहीं बना रहता है बल्कि प्रेमियों में हमेशा के लिए जरूरत पैदा कर देता है । प्यार के पूरे खेल में ही एक झमेला है । ट्रॉली ने दम पढते हुए कहा हूँ, बात तो उसकी ठीक है, लेकिन सब रही थी । वैसे भी मैं हमेशा के लिए चाहता था जबकि नहीं मेरा नहीं चाहती थी कि प्यार को दोषी नहीं ठहरा सकते थे । मीटिंग थोडी नहीं निपटाएंगे जब की मैं बाहर शहर को देखता रहा । कुछ याद है वो गाना जो मेरे पापा अक्सर सुना करते थे । ऍम पहले ही शुरू हो चुका था । बस उसकी आदत डालनी थी । उसने मुझे पहले से रोज ही हुए कुछ सिगरेट दिए और अगले दिन कोटा मनाने की बात कहकर धन डरने को कहा । मुझे इससे बचना नहीं था । पिछले पांच नहीं था । लेकिन अब मुझे समझ आ गया था कि आप जब अपनी जिंदगी नहीं जी पाते हैं और जब बहुत भी दिक्कत नहीं रहता है तो जीते जी मर जाने का रास्ता ढूंढना पडता है । घर लौटा हूँ और मैंने चिलम को चला लिया । पंद्रह मिनट ऍम से सुन हो चुका था । आधे घंटे बाद मुझे लगा की पटना जा रहा है । शब्द की व्युत्पत्ति बडी हो चक है । मैं जैसे चाहता हूँ से घूम सकता हूँ, चाहे कितनी ही देर और नीरा की याद मुझे नहीं सकता हूँ । आप के बाद इस समय ऍम फॅमिली जो कुछ रखा मिला, सब कुछ हो गया तो फिर मैं किसी तरह दिन आएंगे । विचित्र रूप से अपने काम को लेकर में धीरे धीरे खतरनाक होता जा रहा हूँ । मैं सबसे पहले ऑफिस पहुंचने और आखिर में घर जाने वालों में से एक था । मैं अपना और ऍम और उस हर किसी का काम क्या करता था जो मेरे कहने पर अपना काम मुझे दे दिया करता हूँ । मीरा के जाने के महज एक हफ्ते के भीतर मैंने अपनी कंपनी को तीन बडे सौदे किस कंपनी, एक बहुत बडी फुटबाॅल और एक लॉन्जरी ब्रांड के तौर पर दिला दिए थे । फॅमिली के लिए मैं विज्ञापन मिल जाता है । लंडन ऑफिस में बैठे जिम ऍम और हफ्ते के अंत में मुझे ईमेल भेजकर लंडन ऑफिस जॉइन करने का खुला न्यौता दिया हूँ जिससे मैं जब चाहे को भूल कर सकता था । उसके जैसे आदमी के लिए ऐसा करना एक अनोखी बात । मैं अब बच निकलने में भी एक्सपर्ट हो गया था । काम के नशे में डूबे रहने की आदत है । ध्यान हूँ जीवन के दर्द से बचने के लिए मैं इन सभी का सहारा लेता हूँ । ये सभी दर्द निवारक थे, लेकिन मेरे लिए सिर्फ काम ही ठीक था । नहीं, काम किया एक और काम करता है । कुछ एक की आपके आत्म सम्मान को झूठ झूठ कर देता है । आपका प्यार चाहता है क्या? प्रेमिका के पीछे भागे उससे मिलना तय करेगी । वो आपके जीवन में लौट आए जब की आपका आत्म सम्मान आपको फटकारता है । कहता है कि इतना मत हो, सिर उठाकर चलो, जरूरतमंद बढना छोड दो तो प्यार किया गया । आत्मसम्मान दिखता नहीं है । प्यार आपका आपको सम्मान भी छीन लेता है और उसके टुकडे टुकडे कर देता है । हर दिन संघर्ष से हो जाता हूँ और प्यार की चीज हो जाती थी । मैंने मॅन नंबर पर एक मैसेज भेजा, लेकिन वो नंबर सिंगापुर जाने के बाद से ही इस्तेमाल में नहीं था । मेरे हर दूसरे दिन उसे इसमें लेकिन कोई जवाब नहीं । उसने अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट कर दिया था । मेरे लिए मीरा बिल्कुल गायब हो गई थी मैं उसकी आवाज उसकी हम ऐतिहासि उसकी सोचा को छोडने के लिए तरह रहा था । होता जा रहा था । ट्रॉफी के शब्दों में बस एक बर्बाद इंसान हो चुका था वो रविवार की रात मैंने पथराई आंखों से घूरते हुए सप्ताहंत पिता था । पता नहीं सकता की जो मैंने चीज मैं नहीं अपना सलमान उठाया और नाम भाषा के समुद्र के सामने वाले फॅमिली के लिए कान से निकल गया । चौकीदार मुझे लिफ्ट तक जाने नहीं दे रहा था । अच्छा है चौकीदार होता तो मैं खुद को लिस्ट जारी नहीं देता है । उसने ऍम पर बात की और उसे मेरे आने के बारे में बताया है । फिर मेरी नजर वक्त पर आधी रात से ज्यादा का हो चुका था । हालांकि मुझे इसकी कोई परवाह नहीं थी । इससे फर्क नहीं पडता था की नताशा मेरे बारे में क्या सोचेंगे? चौकीदार नहीं । नताशा को मुझे आने देने की बात कहते सुना तो करा रहे हैं । उसकी आंखें खुली की खुली रह गई । मुझे ये बडा मजेदार लगा । मैं ढाका लगाकर हंस पडा । पैसे वाले अपार्टमेंट चौकीदार शक्तिशाली निवासियों से कहीं ज्यादा ताकत के नशे में डूबा देखना ऍम था । ऍफ को अपने घर के बाहर खराब है । उसके घर का दरवाजा खुला हूँ हूँ की वो मुझे अंदर नहीं बुलाना चाहती थी और जल्द से जल्द मुझे लौटा देना चाहती थी । मैं जरूर बहुत दयनीय हालत में था । तभी नशा के हावभाव किसी शराबी से निपटने के बजाय अपने सामने खडे किसी तीन ही लडके का सामना करने के अंदाज में पदक हूँ । भाई तो मुझे सच में माफ कर देना । मैंने समय नहीं देखा था । मैं परेशान नहीं करना चाहता था । मैं खुद से भी ईमानदारी बरत रहा था । कोई बात नहीं फिर भी अंदर बुलाने के लिए किनारे नहीं जा रही थी । प्रकाश मेरे से बात करने की कोशिश कर रहा हूँ लेकिन उसने तो फोन नंबर बदल दिया हूँ । फेसबुक पर भी नहीं और ऍम वापस आ जा रहे हैं । मैं जानता हूँ कि तुम्हारे पास उसकी कांटेक्ट डिटेल्स जरूर होगी । मुझे तो कुछ भी देखो । मैं बस एक बार उससे बात करना चाहता हूँ । मुझे लगा जैसे मेरी नजर ही हो रही है । शायद आंखों में आंसू आ गए थे नाॅक मुझे लग रहा था कि उसके पास कॉन्टेक्ट है लेकिन मुझे भी जानती थी कि मेरा भी मेरा है जो मुझे देने पर उसे अच्छा चला जाएगा । भी चाहिए । मुझे और भाई पहुँच गई फिर मैं आपको बता दूँ कि मैंने तुम्हें मजबूर किया । मैं मुश्किल में नहीं पहुँच । मैं सच में बता रहा था सिंगापुर में इस वक्त काफी रात हो चुकी होगी मैं सुबह मैं उससे बात कर लुंगी और अगर वो कहती है तो मैं तुम्हें कॉल कर उसका नंबर थ्री धूम ठीक है । मुझे लगा की नताशा उस लक्ष्मण रेखा को पार कर मुझे करने लगा लेना चाहती थी और मुझे यकीन था ऐसा कहा था पैसा ही करेगी । मैं मान गया हूँ हूँ और इस तरह खुश आने के लिए फिर सही बात है । मैं समझ सकती हूँ पता चलता है मुस्कराया और पीछे बोलते ही लेफ्ट का बटन दबा दिया । मैंने सुना फॅमिली से घर का दरवाजा बंद कर दिया था । सोमवार पागल कर देने वाला था मीटिंग प्लाइंट्स डेडलाइन पूरी नहीं हो सकी थी और मैं बस अपनी फॅमिली को घूमता जा रहा था । मैं बस यही सोच रहा था सिंगापुर में अब दो दिन काफी आगे निकल गया होगा । अब तक नताशा जरूर फट गई होगी । अतुल लंच के टाइम भी निकल गया । इसी तरह में लगातार मनी बन पाते करता जा रहा था । दिन लगभग गुजर चुका था और मैं इंतजार नहीं कर सकता था । मैंने फोन उठाया और हताशा का नंबर लगा दिया । उसने एक रिंग में ही फोन उठा लिया । मुझे लगता है वो किसी का इंतजार कर रही थी । वही आशा मुझसे सवाल भी नहीं पूछना पडा । पहले से ही तय का दोनों के बीच की बातचीत हो रही है । बीस हूँ अब मेरी मेरे से बात हुई है । अंधेरी सारे । उसने कहा कि उसका नंबर तुम्हें देना ठीक नहीं होगा । ऐसा नहीं है । लेकिन हम जानते हो मैं कुछ नहीं कर सकती । मेरा मेरा दोस्त है । मैं समझ सकती हूँ कि तुम्हें कैसा लग रहा होगा । लेकिन कोई बात नहीं हो तो ये सारी होने की जरूरत नहीं है । अच्छा लगती तुमने कोशिश मुझे उस बेचारी को इस मुश्किल से निकालना था । उसे फिर से शुक्रिया कहने के बाद मैंने वो काट दिया । उसे भी इस मुश्किल से बचने पर राहत महसूस हुआ । तुमने कभी और के बारे में सुना है । अचानक बॉडी की आवाज सुनकर मैं हैरान रह गया । मैंने पैसों से बात करने के लिए चुपके से खाली कॉन्फ्रेंस रूम में आया था और बॉडी को पीछे छिपकर आती नहीं सुन सकता था । मैंने इंकार कर दिया । वो पांच आयामी एलियन जाती के होते हैं और कई लोगों को उनसे अपने जवाब मिलेंगे । हम जानते हो हम से वो किस मायने में बेहतर है । पांचवें आयाम में समय का कोई आया नहीं होता । वो आगे और पीछे जा सकते हैं । जैसे ये वक्त के बीच कार की सवारी भर हो । लेकिन हम हम समय में फंस कर रह जाते हैं । मेरे दोस्त हैं और समय बहुत आगे निकल जाता है । इसके लिए अगर तुम टूरिजम होते तो समझ जाते हैं कि मीडिया दो हफ्ते पहले जा चुकी है और अपने काम को आगे बढा देते हैं । वो तो पीछे कराएगा रही और अगर तुमने फैसला कर भी लिया कि वक्त के बीच स्तर रहोगे तो वो मीरा के बिना ही रहेगा । मीरा के साथ दिक्कत ये है कि वो अपने ही दर्द हो चुकी है कि तुम्हारे दर्द का एहसास होता ही नहीं है । यही इस मामले का कडवा सच है मेरे क्या उसमें मैं बॉडी को खुल रहा था जो भावनाओं का एक था मिला था । मैं छुट नाराज, पूरी तरह चोटिल और बेबसी पर सपा था । सबके बीच ब्रॉडी एक बात कही थी तो मेरी समझ में आती थी मीरा आपने दर्द मैं खोई है कि दूसरे के तहत को महसूस नहीं कर सकते हैं । इसे एक व्यक्ति का करवा सकते । मुझे समझ आ रहा था, मान गया, कुछ कह नहीं पाए और ऍम रूम से बाहर निकल गया । मैंने रोनिका को अपनी तरफ से एक खास मुस्कान साथ आते देखा । मैं भी मुस्कुराये है वीर । उसने मुझे लेते हुए कहा हमने से कुछ लोग कल रात पार्टी करने वाले हैं । ये वीक नाइट है इसलिए थोडा चलती शुरू हो जाएगी । आना चाहो तो आ जाना कश लगातार मजबूत हो जाना और कुछ शानदार म्यूजिक भी होगा हूँ । मुझे अच्छा लगेगा मैंने कह दिया ।

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Sound Engineer

Voice Artist

वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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