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6 minsग्रामीण परिवेश में स्वच्छता मिशन एवम संचार, स्वच्छता व अच्छे स्वास्थ्य की हर व्यक्ति के जीवन में घर देशभर समाज में अहम भूमिका होती है । स्वच्छता की कमी अनेक रोगों को आमंत्रित करती है तथा रोगन और कमजोर जनशक्ति देश की प्रगति को बाधित करने में सहायक बन जाती है । भारत में अस्वच्छता की एक गंभीर समस्या है । शहर हो या गांव, रेलवे स्टेशन हो या बस स्टॉप सर के हो या पब्लिक बार हर जगह अस्वच्छता दिखाई देती है । डब्ल्यूएचओ का कहना है कि गंदगी के कारण हर वर्ष भारत के प्रत्येक नागरिक को गरीबन छह हजार पांच सौ रुपयों का अतिरिक्त नुकसान झेलना पडता है । महात्मा गांधी ने अपने आस पास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था । किसी संदेश को कार्यरूप दे रहे तो माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने दो अक्टूबर दो हजार चौदह से स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की है तथा दो अक्टूबर दो हजार उन्नीस में महात्मा गांधी की डेढ सौवीं जयंती तक उनके स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करने की बात कही है । इस लक्ष्य को प्राप्त करने में जान संचार माध्यम महत्ती भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि आज के युग में संचार प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं एवम संचार के लगभग सभी प्रकार के साधन जैसे प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया, ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच बना चुके हैं । स्वच्छ भारत अभियान के मुख्य उद्देश्य स्वच्छ भारत योजना का मुख्य लक्ष्य सन दो हजार उन्नीस तक हर शहर हर गांव को स्वच्छ बनाना, पीने के साफ पानी की व्यवस्था करना, पक्के शौचालयों का निर्माण करना और कचरा निपटाने की ठोस व्यवस्था करना है । इस योजना पर कुल एक दशमलव लाख करोड रुपये का अनुमान है । इसमें एक दशमलव चौंतीस करोड गांवों में ग्यारह करोड ग्यारह लाख पक्के शौचालय बनाने में खर्च होंगे तथा हजार करोड शहर में पांच दशमलव एक लाख पब्लिक शौचालय बनाने में खर्च होंगे । स्वच्छ भारत अभियान महत्व यह अभियान भारत सरकार द्वारा चार हजार जिलों में एक साथ चलाया जा रहा है । इस मिशन का कुल खर्च बासठ हजार नौ करोड रूपए है जिसमें से चौदह हजार छह सौ तेईस करोड रुपये केंद्र सरकार द्वारा दिया जा रहा है । दो अक्टूबर दो हजार उन्नीस तक हर गली मोहल्ले, सडक को स्वच्छ बनाना, भारत में सभी जगह पक्के शौचालय बनाना, स्वच्छ पीने के पानी की व्यवस्था तथा ठोस कचरे का पूर्ण निदान करना है । ग्रामीण क्षेत्रों के लिए स्वच्छ भारत मिशन भारत ग्राम प्रधान देश है । वर्ष दो हजार ग्यारह की जनगणना के आधार पर कुल एक सौ इक्कीस दशमलव पांच करोड जनसंख्या में दशमलव आठ प्रतिशत भाग यानी तो रियासी दशमलव पैंतीस करोड ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है । ग्रामीण जनसंख्या का अधिकांश भाग कृषि कार्यों में लगा हुआ है एवं गरीबी के अभिशाप से पीडित है । पीने के साफ पानी स्वच्छता से संबंधित जो सुविधाएँ शहरी क्षेत्रों में विद्यमान हैं वह ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं है । गांवों में साठ प्रतिशत से भी ज्यादा लोग आज भी खुले में शौचालय के लिए जा रहे हैं । ग्रामीणों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए लोगों की स्वच्छता संबंधी आदतों को बेहतर बनाने, सुबह सुविधाओं की मांग उत्पन्न करने के और स्वच्छता सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए निर्मल भारत अभियान कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा है । अभियान का उद्देश्य पांच वर्षो में भारत को खुला शौच से मुक्त देश बनाना है । अभियान के तहत देश में लगभग ग्यारह करोड ग्यारह लाख शौचालयों के निर्माण के लिए एक लाख चौंतीस हजार करोड रुपए खर्च किए जाएंगे । बडे पैमाने पर प्रौद्योगिकी का उपयोग कर ग्रामीण भारत में कचरे का इस्तेमाल उसे पूंजी का रूप देते हुए जैन और वरक और ऊर्जा के विभिन्न रूपों में परिवर्तित करने के लिए किया जाएगा । अभियान को युद्ध स्तर पर प्रारंभ कर ग्रामीण आबादी और स्कूल शिक्षकों और छात्रों के बडे वर्गों के अलावा प्रत्येक स्तर पर इस प्रयास में देशभर की ग्रामीण पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद को भी इससे जोडना है । अभियान के एक भाग के रूप में प्रत्येक पारिवारिक दिखाई के अंतर्गत व्यक्तिगत घरेलू शौचालय की इकाई लागत को दस हजार से बढाकर बारह हजार रुपये कर दिया गया है और इसमें हाथ धोने, शौचालय की सफाई को शामिल किया गया है । इस तरह के शौचालय के लिए केंद्र सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता नौ हजार रुपए और राज्य सरकार का योगदान तीन हजार रुपये होगा । मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन भी स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय अभियान आयोजित किया जा रहा है । इसके अंतर्गत कक्षा प्रयोगशाला, पुस्तकालय, पीने के पानी का क्षेत्र, शौचालयों, रसोई पर सामान, गृह, खेल के मैदान, बगीचों, भावनाओं की सफाई, रखरखाव के साथ साथ निबंध, वाद विवाद, चित्रकला, सफाई और स्वच्छता पर प्रतियोगिताओं का आयोजन करना सम्मिलित है । इसके अलावा फिल्म शो, स्वच्छता पर निबंध, पेंटिंग और अन्य प्रतियोगिताएं, नाटकों आदि के आयोजन द्वारा स्वच्छता एवं अच्छे स्वास्थ्य का संदेश प्रसारित करना है । संचार की भूमिका जल संचार वर्तमान समय में सबसे ताकतवर समकालीन संचार संसाधन है । इसमें संचार प्रक्रिया के सभी तत्व शामिल हैं । इस संसाधन में सोचना आएँ एक विशाल जनसमूह के लिए संप्रेषित की जाती है । जन संचार माध्यम के अंतर्गत प्रिंट श्रव्य दृश्य श्रव्य संसाधन सम्मिलित हैं । जन संचार साधनों, मुख्य रूप से रेडियो, दूरदर्शन, समाचारपत्रों, सकारात्मक रूप से प्रयोग करके लोगों को स्वच्छता संबंधी आचरन में परिवर्तन किया जा सकता है । निष्कर्ष इस मिशन की सफलता के लिए रेडियो दूरदर्शन का समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए जा रहे हैं, किंतु उनकी संख्या कम है । इस से संबंधित विज्ञापनों की संख्या या टम रेडियो पर पर दूरदर्शन के निजी चैनलों पर बढाई जानी चाहिए । दूरदर्शन पर छोटी छोटी डॉक्यूमेंट्री फिल्मों को देखा कर भी ग्रामीण लोगों को जागरूक किया जा सकता है । यह कामों में इंटरनेट की पहुंच हो जैसे ज्यादा से ज्यादा लोग सोशल मीडिया का उपयोग कर सकें ।
Sound Engineer
Voice Artist