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मेरा रविवार की शाम मुझे साहब सब कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था । मैंने सचिन पासों को रोक रखा था । अब उनकी वजह से मुझे सब कुछ धुंधला देख रहा था । मैं होटल के बॉडी को में आपने शॉफर का इंतजार कर रही थी कि वो कहाँ लेकर आए । एकदम चमकती दमकती नई ऑडी उसे कुछ मीटर पूरा कर रहे हैं और एक दूसरे के शहर में डूबा एक कपल उससे उतरा । उनकी आंखें एक दूसरे पर टिकी थी । दोनों हाथों में हाथ डाले चल रहे थे । कुछ दिन पहले की ही तो बात थी, जब भी और मैं उनकी तरह थे । कबीर को याद है कि वो यही होता है जहाँ अपनी पहली डेट पर आए थे । मैं सोच रही थी कि उसे नताशा की पार्टी के बाद की रात क्या आप भी क्या नहीं ऍसे पूछ नहीं सकती । खास तौर पर जब मैंने दरवाजा खुद से बंद कर दिया था, मेरी बाहर आने में नचाने इतना वक्त पूछ रही थी । बिल निपटाकर वीर बाहर आता ही होगा । मैं आसपास देखकर भगवान से मना कर रही थी तो भगवान जी तीस मैं जब तक चली न जाऊँ तब तक को बाहर मत देना । मैं सब दोबारा नहीं मिलना चाहती और अभी तो बिलकुल भी नहीं । दिल निपटाने में थोडी और देर लग जाएगा । ऐसा लगा जैसे मेरे सीने पर बहुत बडा बोझ था और मेरी गले में कुछ अटक गया था । मैंने ही क्या कर दिया ये सब क्या कैसे मैंने अपनी जिंदगी के प्यार को छोड दिया था तो उस शख्स को कितना बजे खुश रखने के लिए सब कुछ । मैं अपने मन से उस तस्वीर को फटा नहीं पा रही थी । वीर कर जाएगा जो कुछ ही मिनट पहले कॉफी शॉप में देखा था जो अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश कर रहा था तो वो मुझे कह रहा था कि मैं ऐसा नहीं हूँ । हमें अलग न होने दो । सिक्योरिटी की जांच उस महिला की आंखे कुछ देर तक मुझे पढ ही रहे हैं । तो मुझे देख रही थी कि मैं कितनी थोडी सी और बीमा दिख रही थी । मैं अब हो उसने मुझे वाजिब चिंता के साथ अच्छा मुझे भी होश नहीं था कि मेरे आंसू दिन भूके रहती चले जा रहे थे । मैं सो के बीच में करेंगे और इशारा किया की मैं ठीक हूँ । फॅमिली हाँ मैं ठीक हूँ बस अपनी कार्यक्रम देख कर रही हैं । हाँ उसमें के बीच मुस्कुराने की कोशिश करती हुई नजर बडी तारिनी स्थिति में दिख रही हूँ उसी की नहीं । शायद मैंने कोई ऐसा संकेत दे दिया था की मैं गिरने वाली हूँ क्योंकि उसने हडबडाहट के साथ मेरा हाथ पकड लिया था । इंसानों के लिए इंसानों का स्पर्श तब बडा खतरनाक हो सकता है जब वो किसी गहरी मानवीय भावना के शिकंजे से बचना चाह रहे हैं । अच्छा नहीं मैंने शिखर जी वाली महिला के कंधे पर सर रख दिया तो फुटकर होने लगे हैं उस होटल के पोर्टिको मेरी जिंदगी अचानक हमसे गई थी कैसे? और वहाँ खडे मेहमान एक पागल लडकी को एक महिला सिक्योरिटी गार्ड को पकडकर रोते हूँ । कुछ सबूत सी बातें बडबडाते देख रहे थे । तीन जी ठीक जी करोड के बीच में बस इतना ही नहीं पा रही थी हूँ । ऍम ऍम सिक्योरिटी वाली महिला मुझे नहीं जानती थी लेकिन उसे शायद इतनी समझती दिल के टूटे टुकडे इस तरह के होते हैं और उसने मुझे ऍसे माँ अपने बच्चे को पकडते हैं और उन्होंने हाँ जैसे मेरी पीठ को सहलाने लगे । मैं दर्ज के संबंध को ही नहीं सकते और उसने दिलासा भविष्य तो मुझे उस लाने की कोशिश भी नहीं है । ठीक उसी समय में राॅयल्टी वाली महिला ने तब तक मेरा हाथ नहीं छोडा जब तक कि मैं अपनी कार अच्छी तरह बैठ नहीं । मैं जब जाने लगी उसकी आंखों में आंसू देखिए बिचारे दिनेश ऑफर में पिछले कुछ दिनों में इतना रोना दोनों देख लिया था ऍम लेकिन मुझे उस हाल में देखकर फूफी चलता था । मैं जब अपने आंसुओं को आपने की कोशिश में थी तब उसने रियरव्यू मिरर नहीं मुझे देखा । उसने मुझे पूछा भी नहीं कि मुझे कहाँ जाना है क्योंकि उसे अंदाजा था कि मैं घर ही चाहेंगे । लेकिन मैंने उससे कहा की वो मुझे नताशा के घर ले चलेंगे । उसने वैसा ही किया । मैं नहीं चाहती थी कि मॉम डैड किसी भी हाल में मुझे उसका ॅ और पिथरासर देखें हैं । नताशा सीधे मुझे अपने रूम में ले गए तो नहीं चाहती थी कि उसकी फैमिली मुझे सुकून दिलाने के लिए ऐसी बातें करें तो मुझे और बेसब्र करते हैं । अगर खुशी के दिन होते हैं तो मैं भावनाओं को समझने के लिए नताशा की तारीफ भी करती है । लेकिन आज मैं भीड के सिवाय किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकते थे । नताशा के बेडरूम की फिरकी से बाहर शहर की झिलमिलाती रोशनी मुझे उस शाम की याद दिला रही थी जब मैं पहली बार मिले थे । मुझे एक पाक अपने मन में बिठा लेनी चाहिए । आज के बाद सब कुछ वीर की याद दिलाने वाले थे । प्रकाशन पसंदीदा वनीला मोमबत्तियां जला दी । मुझे अपने बिस्तर पर सुला दिया और पत्तियाँ पक जाती ऍफ को बता दिया की मैं उसके घर पर हूँ और आज रात घर नहीं होंगे । उसने मेरे पीठ पर बिहार से हाथ रखा और मैं दूसरी तरफ पलट कर बाकी आने वाली तीन आपको देखने अपने सेलफोन पर मैं चेक कर रही थी और आवास मुझे सुनाई दे रही थी । वो वहाँ रहकर भी कुछ दूर रहने की कोशिश कर रही थी । अच्छा लगता है कि मुझे उसकी जैसी दोस्त मिली थी । मैंने अपनी आंखे बंद कर दिया । बीस और मैं स्विट्जरलैंड के ठन्डे पार्टनर एक दूसरे को प्यार कर रहे थे । में बीते कल की उन तस्वीरों पर हस रही थी । मैं अपने आने वाले कल के अंधेरे पर और भी रोज ऑफिस आखिरकार सामान्य स्थिति की तरफ लौट रहा था । अक्षय की मौत के पंद्रह दिन भी चुके थे । डाॅॅ पूरे दो हफ्ते तक काम पर नहीं गए थे लेकिन शोक पीछा छोडने के बजाय आदत की शक्ल अख्तियार कर ली और अब उन्हें उसकी आदत पडने लगी थी । मैंने उन्हें अपना फैसला बता दिया की अक्षय की बजाय अब मैं सिंगापुर ऑफिस चला होंगे । वो भावुक हो गए । उन्हें भी मेरी क्षमता पर यकीन नहीं था कि जो अक्षय कर सकता था भेज नहीं कर सकूँ । लेकिन जीवन से मुकाबला करने की कोशिश से वो संग्रह है । मैं ऑफिस में कुछ कानूनी कागजात को पढते हुए कॉफी पी रही थी कि तभी डेट आ गए । मैंने उनकी तरफ देखा और मुस्करा दिया । जवाब दें मुस्कुराने की उनकी कोशिश मूड बनाने पर आकर खत्म हो गई । मैं अक्षय पर एक और बात चीत नहीं खेल सकती थी इसलिए अपने सामने पडे कागजात में सिर्फ को कराने का नाटक किया । लेकिन वो तब से बस नहीं हुए । मेरी फॅमिली तरफ रखी कुर्सी पर बैठ गए और ऍसे खेलने लगे । वो बातचीत अब कल नहीं सकती थी । मैंने नजर उठाकर उनकी तरफ देखते हैं । फॅस मेरी कोशिश थी कि मेरी बात सामान्य से लाएगा नहीं ऍम मैं अक्षय के जाने से पहले तुमने अपनी जिंदगी को लेकर कुछ है ही । जैसे मेरे सर में तो मैं जोर से कहना चाहती थी । हाँ ऍम तो दो दिन की ही बात कि जब आपको जीवन के प्यार से मिलवाने वाली थी और हमने साथ साथ जिंदगी बिताने का फैसला कर लिया था । इसके बजाय तो कुछ कह सकती हूँ । बडी मुश्किल से ही सुनाई पडा नहीं ऍम इंकार कर दिया । मेरी आंखें भर आई और अंशु लगा दे गए । मेरे ठोस इरादे वाले हाथ से उन्हें ऍम हो गई । मुझे नहीं मेरे सपने को सच करने के लिए तुम आपने किसी कंपनी का गला नहीं घोंट रही हूँ हूँ । अगर ऐसा हुआ तो मैं कभी चैन सच्ची नहीं सकूंगा । हर किसी का ख्याल रखने के लिए ही मैं डेट की इतनी इज्जत करती थी क्या होकर सु चुकी और लाल हो चुकी आंखों ने बडी आसानी से नहीं एक सौ तीस दे दिया था । मैंने इनकार किया और ऍम कुछ सोचे ही जिंदगी बिताती चली जा रही थी । अब आपके लिए और उससे भी कहीं ज्यादा पक्षी के इस सब करना ही मेरा पहला और आखिरी प्लान होगा । कसम से उन्होंने गम्भीरता से पूछा था भगवान हाँ ऍम अब आपकी मुसलमान जैसी बातें करने लगे । मैंने अपने हाथों को दिखाने की हावभाव के लिए उठाए और तब उस त्रासदी के बाद पहली बार मैंने डैड को हसते देखा मैं हूँ देर रात की फ्लाइट थी और मैंने माॅस् के लिए राजी कर लिया कि वो मेरे साथ गिर उठना । नताशा ने कहा था कि वो मुझे छोड देगी । मैं अपना सामान तय कर रही थी कि सिंगापुर में न जाने कब तक रुकना पडेगा । तब मेरी आके बार बार प्रस्तर के किनारे रखे टेबल पडे सर फोन पर जा रही है । अब तक भीड का कोई भी फोन या मैसेज नहीं आया था । मैंने उसके और हम दोनों के साथ किया । उसके चलते उसे मुझसे नफरत हो गई होगी । अगर मैं भी की जगह होती तो तो मैं भी नफरत करती । बिहार के साथ मुश्किल ये होती है कि आपको पता ही नहीं चलता है कि आप जैसे चाहते हैं उसकी तरह कब चीन शुरू कर देते हैं । आप उनके काम पर जाने के वक्त पता होता है और आप अपनी जिनके रोटी और सुबह की फोन कॉल कवर उसी मुताबिक तय कर लेते हैं । लंच पे मीटिंग के बीच थोडी, थोडी देर के फुर्सत, विकेट के प्लानिंग और उससे पहले की आप इसे जाने । आपका जीवन किसी और जीवन की लाइन में जा चुका होता है । मेरे जीवन से बोला जाता है । फिर भी मैं काल्पनिक रूटीन में जी रही थी के बीच शायद वैसे ही जी रहा होगा । जरूर तो कॉफी पी रहा होगा । अब घर लौट रहा होगा और मुझे लगता था कि उस दौरान मुझे को मैसेज या कॉल कर सकता हूँ । लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ । अच्छी बात ये थी कि वीर बार बार होने वाली बातचीत को टाल कर मुझे उस तरफ से बचा रहा था । अचानक फोन बज था । मेरे दिल की धडकनें जैसे हो गई । मैं आशा करता हूँ मुझे करने के लिए बाहर खडी थी, वो तो नहीं । नताशा की आवाज में हैरानी और सदमा दोनों की था । मैंने अपने पासपोर्ट से नजर उठाई । देखो की फीस तेरी फॅमिली पर खडा था । प्रकाशक की कार के सामने ही से मैंने देखा उसका पतला दुबला शरीर उस तेज पीले साइंस चमक रहा था, जिस पर लिखा था सिंगापुर ऍम । एक पल में सारी पाक मेरी समझ में आती । वीर ने मुझे कॉल या मैसेज करने के बजाय आखिरी बार देखने का फैसला किया था । कुछ था कि मौजूदा हालात में माँ और डेट के सामने उस से मिलने की कोशिश करना अच्छा नहीं होगा । एयरपोर्ट पर ही उसे एक मौका मिल सकता था । फिर भी उसे पता कैसे चला ऍम रही थीं । नाॅक की तरफ कुमार मान करनी चाहिए । मैं हमारे बैच का ध्यान होंगी । उसने कहा मैं मान गई और फिर ऐसे कहा क्यों और वीर की तरफ बढ गयी । वो उदास और थका हुआ दिख रहा था । लेकिन उसने लडको जैसे मुस्कान खेलती है । मैं भी मुझे रहना चाहती थी लेकिन उसका नहीं । पूरी पूरी जिंदगी मुझे मुस्कान के लिए इतनी कोशिश नहीं करनी पडी होगी । नहीं हो ट्राय करने नहीं आया हूँ । उसने सीधे बातचीत शुरू करते हैं । उसके ऍम मैंने बस आधा अधूरा किस दिया है मुझे कहने नहीं तो मत चाहूँ तो कहने आया हूं हमें मत जाने दो । नजदीक रही थी कि उसके आॅफ दबानी लगी थी और उसके तकलीफ के पूछता नहीं । उसका नाम तो और फिर से ये सब नहीं कर सकते । इतने दिन से प्रार्थना करती हूँ मेरा तो तब चल रही हो तो चुनने की जरूरत नहीं है तो अपने परिवार के लिए तो कुछ जरूर करना चाहिए । उसके रास्ते में नहीं आ रहा हूँ । मैं अक्षय की जगह लेने से नहीं रोक रहा हूँ । इतना कह रहा हूँ कितना कितना समझो कि मैं इस मुश्किल का हिस्सा नहीं । मैं उसके हल्का हिस्सा हूँ । हमारे पास जो को खास है है तो हम खास है और ये खास तो बारह नहीं होगा । मैं भावना उसके आवास को रन्स पे देख रही थी और पीछे लगा मानो मेरा दिल एक बार फिर हजारों टुकडों में बिखर जाएगा । चाहती थी उसकी तरफ बढो और से कसकर चक्कर हो । बता दूँ कि सब कुछ ठीक हो जाएगा लेकिन इसकी बजाये मैंने कहा तीस मैं फिर सब की वजह नहीं बता सकती है । यहाँ सिर्फ तो ही विकल्प क्या? तो तो मुझे समझो या गलत समझे हूँ । फिर कभी तुम्हें उस तरह प्यार नहीं कर सकू में क्या है फॅार चल रही है और शायद मेरे लिए एक साल होना होगी । उस ने कटौती होती है वो लडकी नहीं हूँ । मैं हमेशा के लिए तुम्हारी वाली नहीं होर लडकी है जो तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ । मैं सिर्फ एक खून हूँ । मैं इस बात की परवाह नहीं कर रही थी कि आप कह रहे हैं क्या नहीं मैं उसे छोड सकती थी लेकिन ये ठीक नहीं कर सकती थी इसका कोई फर्क नहीं पडता तो अब ऍम कर रही हूँ आपने बगैर एक्सन की मुझे बीच रही हूँ बीस निकली उडाई ऍम हाँ मुझे छोडकर बच्चा हूँ तो हमारे बिना मेरी जिंदगी में कुछ भी नहीं रह जाएगा । उसकी आवाज में जल्दबाजी है तो पूरी जिंदगी मेरे बिना रहे हूँ । मैं बस कोई हुई तो कुछ महीनों के लिए आई थी तो मुझे होंगे । मैं वहाँ से जाने लगी क्योंकि रूकती तो वहीं गिरकर होती रह जाती । मेरठ है वो लोग जो बीस न मुझे और खुद को समझाने की कोशिश । ये हमारी जिंदगी कि सबसे टी दो मिनट है । हमारी प्रेम कहानी में कोई बाहरी विलेन नहीं । यहाँ तो प्रेमियों से और दुनिया में किसी भी चीज के मुकाबले उनके फैसलों से डर लगता है । पूरी जिंदगी अपने फैसलों का भुक्तभोगी बनकर होगा । प्यार को चुनौती रहा की इस हर सचिन के साथ और भी मुश्किल होता जा रहा था । मैंने पलट कर देखा तो पाया की नताशा तेरी तरह पढ रहे थे । मेरे फॅमिली को लेकर आ रहे थे तो मेरी तरह गहरी चिंता के साथ देख रही थी । वीर मुझे खडा खडा खोल रहा था । एक शरारती बच्चे ने आधी ऍफ पोर्ट बना लिया । उसके आवास विचित्र प्रकार का शोर कर रही थी । वो पूरी दुनिया बेफिक्र से आगे बढ रही थी । उस समय जैसी नई चीज के बारे में सोचने की फुर्सत नहीं थी । मैंने अपने आपसे और मीर का धूप न खिला चेहरा देखा तो कह रहा हूँ तो मैं भी ठीक हूँ । ऍफ को देखा जो पानी में गिर ऍम पडे । फॅमिली भी मैं पश्चिमी मुद्दे भरता हूँ ना, भरपूर नब्बे हिसाब ना हर जगह बस मुट्ठी पाए और मुठ्ठीभर यादव नहीं चाहता हूँ । बीर स्तर खडा रहा हूँ । उसमें कोई जवाब नहीं दिया । उसके आंखें मेरे चेहरे पर कोई ढूंढ रही थी । मानव मेरे भीतर कहीं भी रह चुकी हैं । किसी को ढूंढ नहीं पा रहा था । आखिरकार भी आंखों से पांच सुबह निकले । मैंने उनसे पूछ लिया और फिर मैंने भी बाहर उसे देखा । फट चली गई तथा शाम से थोडी दूर खडी थी । हमें थोडी प्राइवेसी देने के लिए उसके करीब गई है और अपनी फॅमिली को ले लिया । मैं अपने पीछे भीड की नजरों को महसूस कर रही थी । सब कुछ खत्म हो गया । नताशा ने फुसफुसाते हुए पूछा मुझे लगता है मैंने जीना शुरू करने से पहले ही चीना छोड दिया है । मैंने बिना कुछ सोचे समझे कह दिया । तब मैं नहीं जान सकती थी कि मेरी बातें कितनी सही होने वाली थी ।
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