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किसके लिए पांच सौ गज की आप कहते मंजिला कोठी जिसके आगे शानदार लॉन है और पीछे शानदार बनाता है उसको ठीके लोहन में आज उसके वर्ष के मालिक अनिल राय है । अकेले कुर्सी पर बैठे हैं । सामने सफेद रंग की गोलमेज है । मौसम नवंबर का है और शाम के साढे छह बजे । बल्कि गुलाबी ठंड में अनिल राय नेशनल छोड रखी है । पत्नी और बच्चे बाहर पार्टी में गए हैं और घर में सिर्फ अनिल राय और एक डॉक्टर दर्शन है । कुछ दिन से मिल रहे हैं, आसपास चल रहे हैं जिसकारण ऑफिस भी नहीं जा रहे हैं । तीन दिन अस्पताल में भी रहे । अब तीन दिन से घर पर आराम कर रहे हैं । बडा कारोबार है जिससे बच्चे देख रहे हैं । व्यापार की जनता रही हैं आज पर अचानक से एकांत घर में अनिल राय विचलित हो गए । पिछले चालीस वर्षों से अनिल राय कारोबार में व्यस्त रहे । तभी खालीपन का एहसास तो छोडो खाली समय से वास्ता ही नहीं पडा । कारोबार में डूबे रहने वाले अनिल राय आज लॉन में बैठे शाम को रात में परिवर्तित होते देख रहे हैं । आसमान काला सा हो गया है । अर्धचन्द्र उनकी आंखों के सामने आ गया है । कहीं कुछ तारे टिमटिमा रहे हैं । कहीं से कुछ बादल आए और कुछ पल के लिए जान को रख दिया । कुछ देर बाद बादल आगे चल दिए और चंद फिर खिलखिला दिया । प्रकृति के इस तरह को देखकर अनिल राय मुस्कुरा दी है । वर्षों बाद आज खुले में बैठने का अवसर मिला । पढना वर्षों तक ऑफिस के बंद कमरों में ही सारा दिन बीता । अनिल वायको अपना बचपन और कॉलेज के दिन याद आ गए हैं । कैसे वो खुले में पिछले किया करते थे । काम में उलझा मिलवाए प्रकृति में विचरण छोडकर बंद कमरों में समझ गए । आज चाहे नरम तबियत के चलते मजबूरी में खुले वातावरण में बैठना पडा लेकिन बहुत अच्छा लगा । तब आठ बजे अनिल राय थोडी थकान महसूस करने लगे । लॉन से उठकर कमरे में आ गए । थोडा खाना खाया तब आई थी और बिस्तर पर आंख मूंदकर लेट करें । थोडी देर में अनिल राय नींद के आगोश में थे । पत्नी और बच्चे जब देर रात आए तब अनिल राय सो रहे थे । सुबह जल्दी उठकर फिर से लाइन में बैठ गए । पत्नी और बच्चे देर से उठे तब तक अनिल राय स्नान करने के बाद नाश्ता करके ऑफिस के लिए रवाना हो गए । थोडी देर ऑफिस में काम देख कर और वरिष्ठ पहले जनों से मिलकर वापस कर आ गए । पत्नी क्या बात है, जल्दी घर आ गए । पति को जल्दी घर देखकर पत्नी विचलित हो रही है । अब बच्चे कारोबार संभाल रहे ऑफिस में दुख कर भी क्या करते हैं? अनिल राय कुर्सी पर बैठे हुए बोले मतलब कह कह रहेगा तो पहले करते थे वही करो और क्या मैं जो करती रही हूँ वही कर रही हूँ । पत्नी ने अनिल वैसे कहा तो किट्टी पार्टी में सारा समय बिताती हूँ । उसमें अब आराम करना चाहता हूँ । अनिर्वाय ने अपने दिल की बात पत्नी को गए । मतलब मुझे बहुत करोगे । पत्नी नहीं चाहती थी कि अनिल राय घर पर समय बिताया नहीं तो मैं पूरी आजादी है । कैसे रहना है, तुम रह सकती हूँ । मैं किसी के निजी जीवन में कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहा । ठीक है मैं जारी पार्टी में तुम आराम करो कहकर पत्नी में ड्राइवर को आवाज दी और कार में बैठकर पार्टी में सम्मिलित होने जल्दी अनिर्वाय । घर में अकेले परिस्थिति का अवलोकन करने लगे हैं । घर में या तो नौकर हैं । क्या आप इतनी बडी कोठिया निर्णायको कभी भी काटने नहीं दौडे, जो आज भी महसूस कर रहे हैं । पहले सारा दिन काम में व्यस्त रहते थे और घर सिर्फ एक तरह से सोने आते थे । अब सारा दिन घर की दीवारों को देखने लगे । दो चार दिन से कही सिलसिला चल रहा है । थोडी नरम, कभी अब के कारण कुछ आराम करते हैं या फिर सो जाते हैं । अब एक दिन छोडकर उतर जाते और लंच समय तक वापस घर आ जाते हैं । एक दिन दोपहर के समय पत्नी किट्टी पार्टी में नहीं गई । तब अनिल राय ने पूछा, चलो कहीं घूम कर आते हैं? मैंने रॉय ने अपने दिल की बात कही है, कहाँ चलना है? पत्नी सोच रही है । अनिल राय पहले की तरह किसी फाइव स्टार होटल ॅ की बात कर रहे होंगे । बस कुछ पुराने दिन याद करते हैं । वहीं चलते हैं जहाँ शादी के बाद चले थे अनिल राय के ख्वाहिश । पुराने दिन तो हराने की थी तुम संख्या गए हो । तब हमारी हैसियत नहीं थी कि पंचतारा होटल में किट्टी पार्टी करते हैं तो पास में बैठकर समय व्यतीत करते थे । लेकिन अब हम नहीं जा सकते हैं । हमारे स्टेटस है हम यही सडकों की धूल नहीं हो सकते हैं । पति बिगड गई हम भी किसी का क्या करना है । हमने अपनी खुशी और अच्छा देखनी है । अलग राय अपने पुराने दिन जब उस की शादी हुई थी वो दिन फिर से जीना चाह रहे थे । आप मेरे से ये काम नहीं होंगे । पत्नी ने साफ मना कर दिया । पत्नी के एकदम इंकार करने पर अनिल राय चुप हो गया । कुछ दिन तक चल रहा है । अपने बच्चों की दिनचर्या और व्यवहार पर गौर करने लगा । सब अपने में मस्त फॅमिली ऑफिस, क्लब और होटल में व्यस्त थे । कभी कभी उससे तबियत का पूछते और दो तीन मिनट मुश्किल से साथ बैठना होता है । रात का खाना भी एक साथ नहीं खाना होता होते । पोतियां भी अपनी पढाई और अपने दोस्तों में व्यस्त रहते हैं । अनिल राय ने इतना कभी नहीं सोचा था । बुढापे में तबियत नरम होने पर परिवार का कोई सदस्य उसके समीप नहीं होगा । उसके अर्धांगिनी भी शोभाराम में मस्त होती है तो भी अनिल राय के विचारों से सहमत नहीं थी । अनिल राय की देखभाल के लिए नौकर अवश्य तो समय समय पर खाना दबा दे जाते हैं । अनिल राय को सब का व्यवहार अच्छा नहीं लगा और सोच विचार अधिक करने लगे । एक दिन दोपहर के समय अनिल राय सोचते सोचते दो भाग में हो गए ऍम और दूसरा है अलोन आजकल बहुत सोच विचार कर रहा हूँ । इस उम्र में दिमाग पर अधिक बोझ मत डालो । कहना आसान है लेकिन करना मुश्किल है । कुछ भी मुश्किल नहीं होता । नहीं बता रहा है । मुश्किल होता है । बस संकल्प करना होता है । फिर क्या मुश्किल है ना ऐसे मुझे कुछ समझ नहीं आएगा । कुछ विस्तार से समझा कर करूँ । चलो मैं उदाहरण देकर अपनी बात स्पष्ट करता हूँ । फ्रांस ये ठीक रहेगा । जब तुम स्कूल कॉलेज में पढते थे, तब के इतने अमीर से जितना हो नहीं । तब साधारण मध्यमवर्गीय परिवार का एक मामूली बंदा था । क्या करते थे? तब स्कूल में पढाई कम और खेल कूद मस्ती होती थी । कॉलेज में भी यही सिलसिला रहा । खूब घूमना, कॉलेज के तोर संघ, पर्वत मैदान, समंदर और रेगिस्तान सब देखिए भारत देश का लगभग हर कोने में घूमना हुआ । तब घूमने से पहले कुछ सोचते थे । मस पिताजी से कुछ जेब खर्च मिल जाए तो मिलता और मैं घूमने के लिए उडान हो जाता है । अब तुम्हारे पास अनगिनत पैसे हैं, खुद के मालिक हो, किसी से जेब खर्च नहीं मानना । जब तुम खुद दूसरों को जेब खर्च देते हो तो किस लिए सोचते हूँ, निकल जाओ भारत भ्रमण पर कुछ पल पुराने सोचो और आज दिलखोलकर चाहूँ अपने साथ नहीं दे रही है उसको स्टेटस बता रहा है छोडो उसको एक बार खुदा के लिए निकलो अगली बार खुद वो हमारे साथ आएगी । विभाग के बाद तीन साल तक हम खुद को में उसके बाद व्यापार पडने लगा और उसमें डूब के रह गया । कोई बात नहीं जब जागो तभी सवेरा है उठो और कहीं घूम कर रहा हूँ ठीक है कोशिश करता हूँ कोशिश नहीं आवश्यक हूँ अनिल मुस्कुरा दिया खाना हो अब तक मुस्कुरा दिए तब चलता हूँ मुझे लगने लगा है कि तुम आवश्यक अपने पुराने जवानी के दिनों को फिर से जी हो गया डिस्ट्रॉय नहीं रोक सक ली और अनिल हो गए हैं । अगले दिन सुबह अनिल राय ने पत्नी से साथ चलने को कहा लेकिन उसने अनिल राय को बुड्डा घोषित कर दिया कि बुढापे में अनिल राय की बुद्धि सठिया गई ऍम सोचने लगा कि उसने इतना बडा व्यापार और सम्राज्य किसके लिए खडा किया । जब कोई उसका साथ नहीं दे रहा है तब वो दूसरों की चिंता क्यों करें? अब उसकी पत्नी भी साथ नहीं दे रही है । तब अनिल राय ने अंतिम निर्णय ले क्या के आराम से बेफिक्र होकर अपनी बाकी जिंदगी दिखाएगा । यही सोचकर उसने एक सूटकेस में अपनी दवाइयाँ कपडे रखे और दो दिन बाद सुबह छह बजे कि अजमेर शताब्दी से जयपुर रवाना हो ली है । आपका स्वागत है नहीं । अरे राय तो हाँ तो मैं अकेले एक नए सफर पर चाहते देख अति प्रसन्नता है । अब राय की राय तो माननी पडेगी । रेल मुस्कुरा दिया, तेल चल पडी और पानी की बोतल, समाचार पत्र और नींबू पानी अनिल को मिला । अनिल नहीं वो पानी पीना तुम्हारी सेहत के लिए अच्छा है । मेरा पीछा नहीं छोडो मैं तो तुम हो । पीछा करने का कोई मतलब ही नहीं तो हमारे अंदर समय हुआ हूँ तुम जहाँ मैं तक कहाँ निश्चित समय का इंतजार कर रहा था । अनिल समाचारपत्र पडने लगेंगे सफल उद्यमी अनिल राय सिर्फ हवाई यात्रा और वो भी बिजनेस क्लास में या फिर मर्सिडीज, ऑडी जैसी कारों में सफर करते थे और पंचतारा होटल रिजॉर्ट में रहते थे । आज जयपुर पहुंचकर एक साधारण होटल में रुके थे । कुछ देर आराम किया । शाम को जयपुर के बाजार खुलने निकल पडे । तीन दिन जयपुर के पर्यटक स्थल देखने के पश्चात अनिल राय अजमेर, पुष्कर राज उदयपुर नाम द्वारा जैसलमेर और जोधपुर घूमते हुए माउंट आबू पहुंचे । दिल्ली से निकले पंद्रह दिन हो गए । अलग राय का चाहते सामान्य रहने लगा । डॉक्टर से फोन पर बात की । डॉक्टर ने उन्हें किसी पहाड पर बाकी जीवन जीने की सलाह दी थी । अनिल राय खतम व्यापार की चिंताओं से मत पहाडों के बाकियों का लाॅक आधी बीमारी तो खुश रहने से ठीक हो जाएगी । बाकी आती बीमारियों को तब आइए नियंत्रन में रखेगी आप इस उम्र में कुछ ना कुछ तो छोटी मोटी बीमारी लगी रहेगी अनिल रहने अपनी यात्रा का । फिर फ्रेंड और फोटो फेसबुक पर डाली तो पत्नी ने अनिल राय को फोन किया कहाँ कहाँ इतनी अच्छी जगहों पर घूम रहा हूँ, मुझे लेकर नहीं जा सकते थे । पत्नी ने नाराजगी जाहिर की पडेगा । मुझे बता बोल रही थी और मना कर दिया था । अनिल रहने पत्नी को सुना दिया तो पत्तियों की भाषा आज तक नहीं समझे । अनाडी रहोगे सारी उम्र पत्नी ने ताना मार दिया । चल अगली बार चल देंगे । अब तो मैं वापस आ रहा हैं । अनिल रहने दो दिन बाद घर वापसी के लिए रेल की टिकट आरक्षित करवाएँ । कभी आटो में, कभी रोडवेज की बस में, तभी टैक्सी में, कभी रिक्शा में और कभी रेल में सफर करते हुए । अनिल राय ने लगभग एक महीना सफर किया । मशहूर पर्यटक स्थलों के साथ दूर दराज के क्षेत्र देखें । तमिल अब तुम खुश हो रहा है । मुझे आज पहली बार एहसास हुआ कि मैं अपने लिए जी रहा हूँ । पता नहीं मैं किसके लिए काम कर रहा था और क्यों? अनिल काम तो पहले भी अपने लिए ही कर रहे थे लेकिन पर कितना था के अपने से दूर हो गए थे और अब तक स्वाइन में समय होता है । तुम की कह रहे हूँ अपने मैं जमाने पर पत्नी भी लाइन पढा रही हैं । कह रही है कि अगली पर साथ लेकर चलना अच्छा मिल मैं चलता हूँ । अब कभी कभी मिलना होगा लेकिन क्यों अब तक ऍम से मिल दिया और मैं भी तुम और तुम भी हो । जब फिर स्वयं से जुडा होगे तब मिलने होगा । फायदा है आया नहीं । अनिल और राई एक हो गए अनिल रहा है ।
Producer
Sound Engineer