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10 फ़ासले - सहारा in Hindi

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52 Listens
AuthorSaransh Broadways
"वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो के न याद हो|  ये जो फासले हैं, मिट जाएंगे, बस कुछ तुम बढ़ो, कुछ हम बढ़ें।"
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सहारा थोडे दिनों से सरला को आंखों के तकलीफ होने लगे । देखना कुछ काम हो गया तब चश्मा लगा लिया । चश्मा लगाने से काफी आराम मिला हूँ । उम्र बचपन की हो गई और बच्चों का विवाह हो गया । घर में तो पुत्रवधुएं होने के बावजूद करके सभी काम सप्लाई कर दी है । आज कल सभी लडकियाँ पढाई के बाद चार नौकरी करती है और रसोई है तो ही रहती है । वो पुराना समय कुछ और था बी ए की पढाई के पश्चात तुरंत हो जाता था तो उस समय करके काम काज में लडकी का दक्ष होना अभियानी वाले होता था । मतलब पढाई में अव्वल थी और घर के कार्यों में भी । विवाह के बाद उसने पति को कभी रसोई में घुसने नहीं दिया । आजकल के समय की मांग नौकरी करने वाली लडकी क्या कमाओ लडकी सबको पुत्रवधुओं के रूप में चाहिए । उसके दोनों पुत्रों की पसंद ही नौकरी करने वाली लडकी रही । सुबह छह बजे से सलाह रसोई संभालती है । पति पुत्रों पर पुत्रवधुओं का नाश्ता और लंच के टिफिन उसको बोझ नहीं लगता है । बुक करता है । समझ बिना नागा सप्ताह के सातों दिन सबकी खुशियों का ध्यान रखती है । फॅमिली के जाने के लिए बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर रही थी । महिला को बस के नंबर पढी नहीं जा रहे थे । चश्मे के साथ भी दिक्कत हुई । सामने से दो बजे निकलते हैं और सपना को पता नहीं चला । एक प्राइवेट बस के कंडक्टर ने आवाज लगाई साकेत साकेत । तब उसे एहसास हुआ कि बस के बडे बडे नंबर भी उसे नजर नहीं आ रहे हैं । निकला नहीं आपको प्रति सुभाष इस विषय में बात की चला । डॉक्टर से चेकअप करवाते हैं । शनिवार को चलते हैं । सही नंबर का चश्मा होगा तो कोई दिक्कत नहीं आएगी । सुभाष को लगा कि सब ला के चश्मे का नंबर बदल गया होगा । शनिवार वाडा की आंखों की जांच के लिए आंखों के डॉक्टर के पास कर जांच के पश्चात मालूम हुआ कि सपना की दोनों आंखों में मोतियाबिंद आॅपरेशन करवाना होगा । पहले एक आंख का ऑपरेशन होगा जिसमें मोतियाबिंद अधिक । अगले महीने दूसरे यहाँ का ऑपरेशन होगा । घर पर बच्चों को सपना की आंखों के ऑपरेशन के बारे में बताया । आंख के ऑपरेशन के बाद कुछ दिन सपना को आराम चाहिए । रसोई से दूर रहना होगा इसलिए दोनों पुत्रवधुओं से बारी बारी रसोई संभालने को कहा तो दोनों पुत्रवधुओं ने एकदम मना कर दिया कि वो ऑफिस से छुट्टी नहीं ले सकती है और रसोई का झंझट उनके बस का नहीं है । इस संसद लाके आंखों में आंसू आ गए । सुभाष कुछ खुद एक हो गया । अपने पुत्रों पुत्रवधुओं पर बस गए । कुछ तो शर्म करूँ । सारा कॅश की तरह होती रहती है और दो चार दिन रोटी नहीं खिला सकते हूँ । मैं ऑफिस से छुट्टी लेने की नहीं हूँ । सब समय निकालकर सहयोग करने के लिए गया हूँ । मैं ऑफिस में काम करता हूँ । ऑफिस के तौर तरीके सब जानता हूँ ना तो मैं पुत्रवधू नहीं पुत्री समझती है और तुम सौतेला बर्ताव कर रहा हूँ । सुबह सबसे पहले उठती और एक एक के हाथ में दे देती है । तुम सपने साला को नौकरानी बना दिया है । ऐसी तुम लोगों से नहीं । पिता की बात और डांट सुनकर भी दोनों पुत्रों ने पुत्रवधुओं का समर्थन किया अपनाकर रखने की सलाह ही । इससे पहले सुभाष कुछ कहते हैं सब लाने, सुभाष का हाथ पकडकर शांत रहने को कहा । ऑपरेशन के दिन सरला की आंखें आंसुओं से भर गए । घर के काम करना तो दूर एक दिन के सांकेतिक छठे करके अस्पताल तक भी नहीं देखा है । ना कोई पुत्र साथ में आया और वहाँ पे पत्र हूँ । सभी ने जरूरी मीटिंग का बहाना बना दिया । सुभाष ने सरला को गले लगाकर प्यार किया । अगले रोना नहीं है मैं तेरे साथ होना बस तुम्हारा ही तो सहारा है ।

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"वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो के न याद हो|  ये जो फासले हैं, मिट जाएंगे, बस कुछ तुम बढ़ो, कुछ हम बढ़ें।"
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