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08 फ़ासले - शोक नहीं करना in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
"वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो के न याद हो|  ये जो फासले हैं, मिट जाएंगे, बस कुछ तुम बढ़ो, कुछ हम बढ़ें।"
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शोक नहीं करना । पति पत्नी का रिश्ता जन्मों का है । पहले तन जुडते हैं फिर मन इस तरह से जुडते हैं की जगह कोई कर नहीं सकता हूँ । समय तक दो टन और एक जन होते हैं । पूरी जिंदगी नौकझोंक मैं करती है फिर भी सुख एक साथ तो तुम भी एक साथ बैठते हैं । हौसला देते हर कदम हरदम सिर्फ एक दूसरे के लिए पचास वर्ष एक साथ रहने के पश्चात जान दाना खिला रहे । क्या चलता साथ छोड गई आवागमन प्रकृति का नियम है । जब आए हैं तो जाना भी है । जब पहले चली गई । जनता के जाने पर चंदन उदास हो गया । अंतिम संस्कार के बाद चौथे दिन बिरादरी का घोटाला हो गया । अभी तस्वीर पर हरिद्वार में अस्थि विसर्जन और सत्तर दिन ब्राह्मण करने का काम बाकी था । परिवार में चन्दन के दो बेटे बहू, पौत्र पौत्रियां और एक बेटी है । बेटी को परिवार समेत पैदा करते हुए चंदन ने कहा बेटियों का माँ के साथ संबंध अधिक गहरे होते हैं । मान नहीं रही लेकिन संबंध नहीं रहने चाहिए । मैं मिलने नियमित रूप से आना है । भाई और भाइयों के साथ संबंध मजबूत रखा हूँ । अब शोक नहीं रखना, समयानुसार रस्में पूरी करनी है । अपने दिनचर्या पहले जैसे रखूँ । फिर बेटों से कहा कि कल से अपने ऑफिस जाना शुरू करें । केवल रस्मों को पूरा करने के लिए ही छुट्टी है । चंदन टीवी क्या सिद्ध की पहले जैसी चलनी चाहिए । जनता के जाने का दुख है लेकिन शोकाकुल राइटर चंपा की आत्मा को दुख नहीं पहुंचाना ऍम थी सस्ती मुस्कुराती रहते थे हमें हंसते मुस्कराते से लेके बितानी है जनता को ये की बहुत पसंद था अक्सर गुनगुनाती रहती थी एक प्यार का नगमा है, मौजों की रवानी है सिद्दीकी आर कुछ नहीं तेरी मेरी कहानी गुनगुनाते हुए जनता अपने कमरे में चले गए और चलता की तस्वीर हाथों में लेकर यही की फिर सेकंड बनाने लगे । तिहत्तर वर्ष की उम्र में से अपने प्रति के बाद भी चंदन काम में जो भी रहते हैं, घर के काम करते हैं और फिर पार्ट टाइम काम करते हैं । बच्चे कहते कि आराम करो । अंतर चंद्र हमेशा कहते बुलाना मानना काम करने के पीछे तीन कारण हैं । पहला काम करता व्यक्ति पूरा नहीं होता हूँ । दूसरा हूँ शरीर चलता रहता है और उसमें संघ नहीं लगता । तीसरा काम करता व्यक्ति काम आता रहता है और बच्चों पर मोहताज नहीं रहता है । इसलिए बच्चों जब तक हाथ पैर सलामत है । काम करने से नहीं रोक तो काम करता । पूरा बच्चों पर बोझ नहीं बनता हूँ । चन्दन की सोच शत प्रतिशत सही है । खाली व्यक्ति निकम्मे का खिताब आता है और बच्चों की नजर में जाता है । काम में व्यस्त व्यक्ति का खर्च कुछ स्वाइन निकाल लेता है । अपने पोते पोतियों को जेब खर्च भी दे देता है ताकि पोते पोतियों से नजदीकियां बढती है । चंदन एक कान पर जाना जारी रहेगा । उसके साथ काम करने वाले जवान को रिटायर होकर आराम करने की सलाह देते हैं । चंदन मुस्कुराकर जवाब देते हैं, जिंदगी में कभी रिटायर नहीं होना । एक काम छोटा तो दूसरा कर लूँ अपने को किस तरह को सबको सलाह देते मस्त रहो हूँ । ॅ हूँ । शनिवार के दिन चंदन सुबह समाचारपत्र पढ रहे थे और साथ में एफएम रेडियो पर संकेत सुन रहे थे । चंदन का मनपसंद की बचने लगा अपने होटल की बंसी बनाने । मुझे चन्दन की तो रेडियो के साथ गुनगुनाने लगे । तभी उनके तो पुराने मित्र मिल गया हैं । उनको जमता की मृत्यु का समाचार कुछ दिन बाद मिला और आते ही हाथ जोडकर सांसद प्रकट की जनता की तुम बना रहे थे इसलिए हाथ के इशारे से सोफे पर बैठने को कहा । गीत समाप्त होने पर चंद्र ने रेडियो की आवाज कम की और समाचार पत्र को साइड टेबल पर रखा । चाय बनाने के लिए पुत्रवधू को कहा । जो रसोई में नाश्ते की तैयारी कर रही थी, उसने चाहे नौकर के हाथ भेजवाई चाय की चुस्कियों के बीच बात होने लगी । चंदन भाभी जी के देहांत की कोई खबर ही नहीं मिलेंगे । कल चंदों मिला । उसने बताया हाँ, कुछ लोगों को समय सूचित नहीं कर सके । हम समझ सकते हैं वो दिन थोडा कठिन होता है और समय भी नहीं मिलता । भागते परेशान हो जाता है । अंतिम संस्कार में हो गया । इस कारण तुम्हें भी सोचना नहीं दे सका । हुआ क्या था? हस्ते खेलते चली गई । तकलीफ ना तो मुझे भी और अभी तक लेह में नहीं नहीं । आज सुबह की तरह स्नान के बाद पूजा के लिए बैठे और प्रभु के ध्यान में प्रभु के पास चली गयी । क्या बात करते हो यार? तो मित्रों ने हैरानी से पूछा । जब काफी देर तक पूजा समाप्त नहीं हुई तब मैंने आवाज दी तो उसने कोई जवाब नहीं दिया । आप लगाया तब एक तरफ भडक गई । इससे अच्छा तो बहुत हो सकता है तो वो क्या डालना में प्रभु मिल ही नहीं रही । आप किस्मत वाले वो चंदन हो । हाँ ये तो पचास पर है । हफ्ते खेलते बिताये और अंत में बिना कुछ अखिलेश दिया चले गए तो मैं देख कर ऐसा लगता नहीं कि भाभी जी के जाने का कोई तुक मित्रों हूँ । जीवन साथी के चले जाने का दुख तो है आप अकेले जीवन का बाकी सफर, घटनाएं ऍम मुश्किल काम है । पचास वर्ष मिलजुलकर हसते हुए काटे तब होकर उसके आत्मा को के अन्दर लिखता हूँ । जिस तरह पचास वर्ष बनाए, उसी तरह शेष जीवन बिताना है । यही सोचकर होता नहीं । उसको याद खुशी से करता हूँ । दिन तो काम में भी जाता है । रात को नींद खुलती है और याद सताती है संगीत के प्रति चंपा की विशेष रुचि थी इसलिए संगीत सुनता हूँ और गुनगुनाता हूँ । जो चंपा को पसंद था वो करता हूँ । इसलिए उसकी पसंद का किये चल रेडियो पर बजा तो गुनगुनाने लगा मित्रों याद रहेगी पचास वर्ष बिस्तर । हम विचार एक साथ रहे हैं तो शोक उचित नहीं । हसते हुए जीवन बिताया और बाकी जीवन भी उसी तरह बिताना है । कुछ देर चंदन मित्रों के साथ बात करता रहा । विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई और घर में थी तो होते हैं । शाम के समय चंदन मोबाइल फोन में अपने और चंपा की पसंद के कि संत रहेगा । चंदन की पत्री सुहानी बजा कर बैठे हैं दादा जी मुझे अकाउंट में कुछ पूछना चंदन ऍफ का काम किया था और अभी कर रहे थे । चंदन चीफ अकाउंटेंट के पहुँच से रिटायर हुए थे । चंदन बच्चों को अकाउंट फॅस पढा दिया करते थे । हाँ बताओ क्या पूछना है । थोडी देर में सुहानी के दो और मैं आ गए और दादा जी के साथ तीन घंटे तक पढते रहे । चंदन हर उम्र के लोगों के साथ घुल मिल जाते थे । पंद्रह सोलह वर्ष के पौत्र पच्चीस तीस वर्षीय ऑफिस के सहपाठियों से लेकर हम उम्र दोस्तों के साथ खूब बनती थी और उन्हीं के पसंद के विषयों पर बातचीत पर चर्चा करते थे । रात को चंदन के लिए दो बजे खुल रही करवट बदलते आधा घंटा बीत गया । नहीं आई तो चंद्र मोबाइल फोन में की सुनने लगा । रात के सन्नाटे में आवाज पहुंचती है । दूसरे कमरे में सो रहे पुत्र की नींद संगीत की आवाज से खुल गई । पिता को गाने सुनते और साथ साथ कुछ बनाते देख पूछा तब तब तो ठीक है ना । हाँ तभी उसको ठीक है । नींद खुल गए और आ नहीं रही स्तर पर करवट बदलने से अच्छा है कि संगीत संध्या जाए किससे अंतर्मन की बच्चा नहीं दूर हो जाती है । मुस्कुराकर पुत्र अपने कमरे में चले गए । अगले सुबह घर में चर्चा का विषय था चन्दन का रात को उठकर रेडियो सुनना और लोगों को जगाना । चंदन हसते हुए कहने लगे देखो बच्चे और पूरे एक समान होते हैं । जैसे छोटे बच्चे रात को दो तीन बार उठकर माँ बाप को जगाते हैं, उसी तरह पूरे भी रात को दो तीन बार उठकर बच्चों को लगाते हैं । चंदन की व्याख्या सुनकर सब खिलखिलाकर हंस पडे हैं । थोडी देर बाद चंदन का मोबाइल फोन हाथ से छूटकर गिर गया और उसका स्क्रीन टूट गया । सुहानी मोबाइल फोन ठीक करवाना है । ठीक करने वाले की दुकान बताओ टाटा जी, आपका फोन पुराना हो गया । जितने रिपेयरिंग लग जाएंगे, उतने में तो नया फोन आ जाएगा । पैसे मालूम नहीं कि इस पुराने मॉर्डल के स्पेयरपार्ट्स पे मिलेंगे या नहीं । सुहानी ने अपने दादा जी का अच्छा तो नया मोबाइल फोन खरीद लेते हैं । स्मार्ट फोन का जमाना है दादा जी स्माॅल स्मार्टफोन ले लेंगे मेरे साथ चलो क्योंकि मुझे नहीं मालूम कौन सा फोन लेना चाहिए । दोपहर के खाने के बाद चंदन सुहानी के साथ फोन खरीदने जाते हैं और वापस आकर सुहानी से स्मार्ट फोन चलाना और इस्तेमाल करना सीखते हैं । रात को डाइनिंग टेबल पर चंदन ने कहा, आज राज्य किसी की नींद खराब नहीं होगी । सुहानी ने मुझे है फोन दिलवा दिया । आपने आराम से है । फोन में गीतों का आनंद उठाऊंगा । कहकर चंदा ने कानों में हेडफोन लगाया और गीत गुनगुनाते हुए अपने कमरे में चले गए । परिवार के सदस्य मुस्कुराने लगे ।

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"वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो के न याद हो|  ये जो फासले हैं, मिट जाएंगे, बस कुछ तुम बढ़ो, कुछ हम बढ़ें।"
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