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11 minsग्रामीण समाज तक संचार माध्यमों की पहुंच । माना जाता है कि जब समाज में संचार माध्यमों का जितना अधिक उपयोग होता है, बहुत समाज बौद्धिक रूप से उतना श्रेष्ठ माना जाता है । नगरीय और ग्रामीण समाज को संचार माध्यम पूरी तरह से प्रभावित कर रहे हैं । संचार माध्यम समाज के सापेक्ष अपने को रखने के लिए उन्हीं के अनुकूल अपने को डालते हैं । किसी से नगरीय और ग्रामीण समाज के संचार माध्यमों का प्रकाशन और प्रसारण तय होता है । भारत में ग्रामीण समाज के संचार माध्यम बहुत कम समय में अपने परिष्कार की ओर अग्रसर हैं । उन्हें अभी अमेरिका, रूस, फ्रांस और प्रतिन जैसे देशों के स्तर को प्राप्त करने के लिए आवश्यक ही कुछ और समय लगेगा । लेकिन जिस गति से वो आगे बढ रहे हैं, उसे संभावनाएं यही है कि वह यथाशीघ्र स्तर को प्राप्त करेगा । यह केवल हमारी अवधारणा नहीं है बल्कि वैश्विक संचार माध्यमों के प्रबंधकों की भी अवधारणा है । यही कारण है कि विश्व मीडिया का रुझान भी भारत के ग्रामीण समाज के और पडता जा रहा है और मैं अपने प्रकाशन और प्रसारण यहाँ से प्रारंभ करने की तैयारी में जुटा है । समय और मांग के अनुरूप संचार माध्यमों के स्वरूप में भी सुधार होता जा रहा है । किसी से पता चलता है कि संचार माध्यम ग्रामीण समाज को जागरूक करने में महती भूमिका निभा रहे हैं । ग्रामीण समाज में भरता प्रभाव कुछ दशक पूर्व तक ग्रामीण समाज में संचार माध्यमों की उपस्तिथि बहुत कम थे । वर्ष दो हजार आते आते उसने गति पकडने प्रारंभ करती हैं और वहाँ से लेकर आज तक का विकास क्रम अपने आप में विशेष उल्लेखनीय है । इस समयावधि में हमें गांवों, कस्बों के घरों और दुकानों पर दैनिक समाचारपत्रों से लेकर मानसिक समाचारपत्रों तक की उपलब्धता दिखाई थी । पत्र पत्रिकाओं का प्रसार भी निरंतर व्यापक होता चला गया । यह जाग्रति, संचार से जुडी संचेतना, सामाजिक को में अन्य क्षेत्र की जानकारी के लिए आग्रह, अन्य समस्त व्यवस्थाओं को समझने की मनोवृत्ति, अपने को दूसरों के साथ जोडकर देखने का भाव एवं अपने कार्य और व्यवसाय के संबंध में तत्संबंधी जानकारियों तक पहुंचने की इच्छा ऐसे ही पक्ष है जो इस क्षेत्र के लोगों को संचार माध्यम के साथ जोडते हैं । लोग इन से जुडाव के बाद अपने को अद्यतन कर पाने में सफल हो रहे हैं । इसका लाभ भी उन्हें मिल रहा है । पूर्व में जहाँ क्षेत्र विशेष तक सीमित थे, आज व्यापक क्षेत्रों के साथ अपने को रख कर देख रहे हैं । प्रतिस्पर्धात्मक का विकास हो रहा है, मूल्यों का विकास हो रहा है, सामाजिक स्तरों के विकास की संभावनाएं बढ रही हैं । तारीकरण में परिवर्तन आ रहा है । सामाजिक सोच में विकास की प्रक्रिया आई है । अभिवृत्ति के विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है । लोगों में संचार माध्यमों के द्वारा एक नवीन उत्साह की उद्भावना दिखने लगी है । समाचार पत्र पत्र का उनके बीच इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम के सभी प्रारूप भी ग्रामीण समाज में सफलतापूर्वक अपना विकास करने में समर्थ है । जैसे दूरदर्शन के चल आकाशवाणी के प्रसारण केंद्र, इंटरनेट मोबाइल आदि का प्रयोग अब होता जा रहा है । इससे विदित होता है कि शहरों और कस्बों में दिनों दिन संचार माध्यमों की भूमिका प्रभावी हो चुकी हैं । लोग इन संचार माध्यमों के द्वारा सीधे आधुनिक जनसंचार प्रौद्योगिकी के साथ अपने साक्षात्कार पा रहे हैं । आने वाले समय में इसके और अधिक विकास के सभी मार्ग प्रशस्त देखते हैं । इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों का सबसे प्रभावी माध्यम विभिन्न टीवी न्यूज चैनल है । चौबीस घंटे के न्यूज चैनलों का प्रसारण वर्ष दो हजार के बाद ही शुरू हुआ । इनमें नेत्रालय परिवर्तन उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास कर रहे हैं । ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पन्न होती जागरूकता हिंदी भाषा, संचार माध्यमों को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में भारी उत्साह देखा गया है । आज लगभग पचास प्रतिशत घरों में बहुत सारे दैनिक समाचारपत्र पहुंच रहे हैं । साथ ही पत्रिकाएं भी पहुंच रही हैं । इससे ग्रामीण क्षेत्रों में उपजी जागरूकता का पता चल रहा है । आज मजदूर और कृषक सभी दैनिक अखबारों को रुचिपूर्वक पडते हैं और उस पर होने वाले खर्च को सहज भाव से स्वीकार करते हैं । कई घर तो ऐसे हैं जहां एक अधिक अखबारों के संस्करण खरीदे जाते हैं जो जिस संदर्भ को देखना चाहता है मैं उसको खरीदता है । यदि कोई संदर्भ दैनिक जागरण में है और पाठक की रुचि के अनुरूप है तो मैं उसको खरीदता है । ऐसा ही अमर उजाला हिंदुस्तान नवभारत टाइम्स के साथ भी है । कई बार देखने में आता है कि ग्रामीण व्यक्ति किसी एक अखबार से संतुष्ट नहीं होता तो वह अपनी संतुष्टि के लिए एक अधिक अखबारों को हरिता यहाँ पडता है । मैं अपने अखबार का संस्करण पडने के बाद पडोसी के पास उपलब्ध दूसरे संस्करण को पडता है और अपने अखबार के संस्करण को पडोसी के लिए उपलब्ध करा देता है । ऐसे में परस्पर सहयोग से दो तीन घर मिलकर कई संस्करणों का पठन पाठन करते हैं । इससे उनकी बौद्धिक मांग का संज्ञान हमें होता है । आज काम भी इतने ही स्तरीय विचारक है जितने की महानगरों में रहने वाले अभी जाते भर के लोग । इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम की भी यही स्थिति है । ग्रामीण क्षेत्र का निवासी अपने लिए, परिवार के लिए और भविष्य को ध्यान में रखते हुए इन माध्यमों का यथा सम्भव उपयोग करने में लगा है । जो सुविधा हम शहरों और कस्बों में ले रहे हैं, बेस अब यहाँ भी अपना विस्तार प्राप्त कर रहे हैं । इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों में दूरदर्शन चैनल, रेडियो प्रसारण, इंटरनेट, मोबाइल आदि उपयोग हो रहे हैं । शायद ही कोई ऐसा घर मिलेगा जहाँ पर टीवी नहीं देखा जाता है और रेडियो नहीं सुना जाता । ये दोनों माध्यम तो ग्रामीणों की मूलभूत आवश्यकताओं में आ चुके हैं । कई बार तो देखा गया है कि एक घर में कई कई टीवी ऍम मिलते हैं । इसका अभिप्राय क्या है कि पारिवारिक इकाई से उठते हुए इन प्रसारणों का महत्व व्यक्तिगत स्तर तक पडा है । आने वाले समय में यह गतिविधि निश्चित रूप से बढेगी । ग्रामीण क्षेत्रों में भी एक अभी जाते वार का निर्माण हुआ है । जो बडे जमींदार और उच्च नौकरीपेशा वर्ग के लोग हैं । उनके ग्रामीण निवास पर समस्त प्रकार की चल संचार माध्यम की उपलब्ध है । यह भी देखने में आता है कि केवल एक ही व्यक्ति संचार माध्यम के कई कई प्रारूपों का उपयोग करता है, जैसे दूरदर्शन चैनल के विभिन्न चैनल आधुनिक मोबाइल उपकरण पर आकाशवाणी की सर्विस लेना । ऍफ के माध्यम से इंटरनेट की सर्विस लेना । कई बार यह भी सामने आता है कि एक ही व्यक्ति के पास कई प्रकार के मोबाइल, टेबलेट आदि उपलब्ध रहते हैं और वह एक साथ कई का उपयोग करता है । एक आधुनिक जनसंचार माध्यमिक ई के अधिकतम उप्भोक्ता स्वरूप है जिससे ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी उपयोग में ला रहे हैं । ठीक महानगरीय संस्कृति की तरह है इसके विश्वनाथ कुछ इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों का वर्णन यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है । एक फॅमिली इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों में सबसे प्रभावशाली टेलीविजन को माना जाता है । टेलीविजन पर आने वाले चैनलों के जरिए लोगों को दृश्य और श्रव्य दोनों ही प्रकार के प्रसारण देखने को मिल जाते हैं । इसी कारण टीवी चैनलों की लोकप्रियता किसी भी दूसरे माध्यमों से कहीं ज्यादा है । पहले केवल दूरदर्शन के कार्यक्रम ही लोगों के लिए सुलभ हो पाते थे । केबल चैनल के प्रसारण के साथ ही नए नए टीवी चैनलों का प्रसारण शुरू हुआ । इनमें बडी संख्या समाचार चैनलों की भी रही । अब डायरेक्ट हूँ यानी दी तो एच के जरिए तो टीवी चैनलों के प्रसारण की गति बहुत ही तीव्र हो गई है । तो रेडियो इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों में टीवी चैनल के साथ ही रेडियो भी बहुत लोकप्रिय है । लोकप्रियता के मायने में किसी भी तरह से रेडियो का ग्राफ निरंतर बढोतरी की ओर अग्रसर है । लोगों को टीवी चैनलों के साथ ही रेडियो भी आसानी से सुलभ है । एक ही समय में लोगों के पास टेलीविजन के साथ साथ रेडियो भी मिलेगा । काम करते समय लोग रेडियो पर आने वाले कार्यक्रमों से आसानी से रूबरू हो सकते हैं । किसी कारण टेलीविजन की लोकप्रियता बढने के बाद भी रेडियो के आगे बढते कदम रुके नहीं बल्कि रेडियो के विस्तार में तेजी आदि जा रही है । नई नई एफएम चैनलों और कम्युनिटी रेडियो के प्रसारण से रेडियो संचार का तेजी से विस्तार करने वाला माध्यम बन गया है । तीन ऍम एक शताब्दी के संचार माध्यमों में इंटरनेट की भूमिका सबसे अधिक हो गई है । इंटरनेट की एक क्लिक के जरिए पलक झपकते ही संचार माध्यमों के सारे प्रकार कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखाई देने लगते हैं । लोगों को संचार माध्यमों का यह प्रकार सबसे आसान दिखाई दे रहा है । किसी कारण इसकी लोकप्रियता सबसे तीव्र गति से बढती जा रही है । अब तो लोगों को इंटरनेट पर ही समाचार पत्र और पत्रिकाओं के ई संस्करण पडने को मिल रहे हैं । साथ ही टीवी चैनलों के लाइव प्रसारण भी इंटरनेट पर लोग देख और सुन रहे हैं इंटरनेट के जरिये क्योंकि विभिन्न एफएम चैनलों पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम सुनी जा सकते हैं । चार मोबाइल मोबाइल नहीं, इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों की दुनिया को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है । एक छोटी से आधुनिक यंत्र ने संचार माध्यमों की पूरी दुनिया को अपनी मुट्ठी में कर लिया है । इंटरनेट की बदौलत मोबाइल पर ही समाचारपत्रों के ई संस्करण, टीवी चैनलों के लाइफ कार्यक्रम, रेडियो के एफ । एम चैनलों के प्रसारण देखे और सुने जा सकते हैं । इसी कारण मोबाइल तेजी से युवाओं के बीच लोकप्रिय होता जा रहा है । मोबाइल के साथ फॅमिली इंटरनेट की सहायता से पूरी दुनिया को छोटा कर दिया है । संचार माध्यमों का बढता सर्वहारा वर्ग हिंदीभाषी संचार माध्यमों का सर्वहारा वर्ग में विस्तार हो रहा है । ऐसा कोई फर्क नहीं है जो इन माध्यमों की पकड से दूर हो । उच्च आय वर्ग से लेकर गरीबी रेखा तक सभी स्तर पर संचार माध्यमों ने बहुत भारी सफलता अर्जित की है, जो शिक्षित है । बहन मुद्रित संचार माध्यम के साथ निश्चित रूप से किसी ना किसी रूप में जुड जाता है । जो अशिक्षित है वह मुद्र संचार माध्यमों से तो नहीं जुडे पाता, लेकिन अन्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों के साथ उसका सीधा संबंध रहता है । इसमें हम उच्च नौकरीपेशा वर्ग को ले सकते हैं । बहस संपूर्ण संचार माध्यमों का अधिकतम उप्भोक्ता है और इस माध्यम पर बडी मात्रा में प्यार करने की स्थिति में रहता है । उसके लिए संचार माध्यमों के सभी स्वरूप रही है । वह उन का निरंतर उपयोग करता है । इसके बाद उच्च मध्यवर्ग भी इन संपूर्ण संचार माध्यमों का उप्भोक्ता है । पारिवारिक इकाई से लेकर व्यैक्तिक इकाई तक महत्वपूर्ण माध्यमों के संपूर्ण प्रारूपों को उपयोग दिलाता है । मुझे भी और इलेक्ट्रॉनिक भी । उसके पास इस तंत्र को उपयोग करने का संपूर्ण अवकाश और तर्क उपस् थित होता है । जितनी आवश्यकताओं के संदर्भ इनसे ग्रहण करता है और अन्य वर्ग उससे प्रेरित होते हैं । मध्य मध्यमवर्ग भी ठीक उच्च मध्यवर्ग की तरह संपूर्ण संचार माध्यमों का उप्भोक्ता रहा है ।
Sound Engineer
Voice Artist