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07. Sunny in Hindi

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516 Listens
AuthorRohit Verma Rimpu
The tale of a troubled kid dealing with his problem of stammering, but possessing abnormally superior brain power. Voiceover Artist : RJ Manish Author : Rohit Verma Author : Rohit Verma Rimpu Producer : Saransh Studios Voiceover Artist : Manish Singhal
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भाग सा । सनी बुजुर्ग कहते हैं कि इंसान को कभी भी अपनी कमजोरियां किसी को नहीं बतानी चाहिए क्योंकि सामने वाला आपकी कमजोरियों को आप ही के विरुद्ध एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है । भले ही आपने अपनी कमजोरी हो या समस्याओं पर विजय प्राप्त कर ली हो । ठीक इसी प्रकार का एक वाकया मेरे साथ भी हुआ । एक बार की बात है मुझको राखी के त्यौहार के सिलसिले में पुख्ता के साथ उसके घर जाना था तो हम दोनों मुक्ता के मायके जाने के लिए बस में बैठ गए । वहाँ मेरी मुलाकात अचानक से अपने बचपन के अधूरे प्यार यानी शिखा के साथ हो जाती है । वह भी उसी बस में मेरे पास वाली सीट में बैठी होती है । वो मैं तो शिखा को देखते ही पहचान जाता हूँ पर उस की तरफ देखता रहता हूँ । शिखा को उसकी ये हरकत पसंद नहीं आती है और वह मुझ को डांटने के लहजे में कहती है, क्या बात है आपको जो बार बार मुझे घोर करके देख रहे हैं? इसके जवाब में मैं थोडा समझ करा देता हूँ और मेरा मुस्कुराना शायद शिखा के गुस्से को और भी भडका देता है । मैं मुझे बुरा भला कहने लगती है । तभी पास बैठी मेरी पत्नी मुक्ता शिखा की बातों का विरोध कर रहे लगती है कि तभी मैं उसको रोक देता हूँ और शिखा को एक बात कहने लगता हूँ मैं उसे बोलता हूँ खडक सिंह के खडकने से खडे होती है खिडकियाँ खिडकियों के खाॅ मेरी यह बात मुक्ता को तो समझ में नहीं आती परंतु शिखा हैरानी से मेरी ओर देखती रहती है और मुझे पहचानने की कोशिश करती है । तभी मैं उसके हावभाव को पहचान जाता हूँ और थोडा मुस्कुराकर बचपन की एक दो बातें और कहने लगता हूँ ताकि शिखर मुझे आसानी से पहचान जाए । आखिरकार मुझे पहचान जाती है और चुपचाप हैरानी भरे भाव के साथ अब किसी पर बैठ जाती है । शिखा बार बार मेरी तरफ देखती रहती है । उसके बाद है पर पढ रहे हैरानी और दुविधा के बाल साफ नजर आ रहे थे । लगता यहाँ जब देख रही थी और उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है । मुक्त मुझसे शिखा के बारे में पूछने लगती है । पहले तो मैं कुछ नहीं बोलता है परंतु मुक्ता के बार बार कहने पर मैं शिखा के बारे में बताने लगता हूँ । यह मेरे पिताजी के दोस्त की बेटी है । मैं कभी इसे बहुत चाहता था पर इसके सामने अपने प्यार का इजहार भी किया था परन्तु इसने मेरे प्यार को ठुकरा दिया था । इसका कारण मेरी हकलाहट की समस्या और मेरा पतला सा शरीर था । यही नहीं इसमें मेरी हकलाहट का मजाक बनाने के लिए अपने भाई बहनों के सामने खडक सिंह के खडकने से खड दी है । खिडकियाँ और खिडकियों के खडकने से खडता है कडक सिंह वाली लाइन बोलने को कहा था जिसको मैं बोलने में असमर्थ था । मैं इस लाइन को बोलते समय हकलाने लग गया था जिस कारण मैंने सबके सामने बेइज्जती का सामना किया था । परन्तु आज मैंने अपनी इन दोनों समस्याओं पर विजय प्राप्त कर ली है । आज में सबके सामने सीना चौडा कर शान से घूम सकता हूँ जब कि पहले मैं ऐसा नहीं कर सकता था । हम दोनों अभी बातें कर ही रहे थे कि तभी बस रुक गई और शिखा बस में से । उधर मैं बस की खिडकी में से उसकी तरफ देख रहा था । शिखा तो पहले से ही मेरी तरफ देख रही थी तभी इतने में बस चल पडी और हम दोनों की नजरें एक दूसरे से दूर होने लगी । हम दोनों में भी छोडने का एहसास पहले जैसा था, पर तो इस बार मेरे चेहरे पर अपनी जीत की मुस्कुराहट थी और शिखा के चेहरे पर पछतावे और हिरानी के मिले चले भाव थे । उधर मुक्ता यह सब कुछ देख रही थी और जब मैं उसकी ओर देखता हूँ तो गुस्से के मारे मुंह फुलाकर बैठ जाती है और सारे रास्ते में मेरे साथ कोई बात नहीं करती । आखिरकार हम दोनों घर पहुंच जाते हैं । प्रमुख्ता मायके में सबको मेरे हकलाने की बात कह दे दी है और इतना ही रही है । साथ ही साथ सबको शिखा के बारे में भी बता देती है । उधर मुक्ता के मायके वाले तो जैसे इसी बात का इंतजार कर रहे थे की मेरी कोई बात उनको पता चले ताकि वह मेरे घर वालों को नीचा दिखा सके । मुक्ता की माँ मेरी बुआ जो कि उनके घर की कुछ पास ही रहती है, उसको बुलाती है और मेरी हकलाहट की समस्या और शिखा के बारे में बात करती है परंतु मेरी हुआ के सामने उनकी एक नहीं चलती । वह मुझ पर लगाए दोनों आरोपों को नकार देती है । बहुत रहती है शिखा उसके बचपन का प्यार हो सकती है परंतु बचपन के बाद वहाँ कभी भी उससे मिला नहीं है । यहाँ तक की उसकी तो अब शादी भी हो चुकी है और नहीं बात उसके हकलाने की, तो यह समस्यों से पहले थी, अब नहीं है । बचपन में तो कहीं कुछ होता रहता है तो इसका मतलब यह नहीं कि उसका खामियाजा आप जाकर चौबारी में भुगतना पडेगा और आपको तो चीजों पर फख्र होना चाहिए कि इसमें अपनी हकलाहट की समस्या पर काबू पाकर उस पर जीत हासिल की है और साथ में ध्यान रहे कि भविष्य में ऐसी बेतुकी बातें इनके शादीशुदा जीवन में दरार पैदा कर सकती है । एक अच्छे माता पिता होने के नाते इन सब बातों से परहेज करें । बुआ की ये बात सुनकर मुक्ता की बातचीत हो जाती है, परंतु मन ही मन मैं क्या खिचडी पका रही थी, इसके बारे में या तो मैं जाती थी या तो उसका भगवान जानता था । उस दिन के बाद मुक्ता और उसकी माँ की फोन पर बातें कुछ ज्यादा ही होने लगी, जिनसे हर समय मुझे किसी अनहोनी के होने की आशंका बनी रहती है । एक दिन मायके के उसको ने अपना कारनामा कर ही दिया । हुआ यूं कि फॅमिली बहुत ही उसके भाई के बनाई हुई थी । मौसी ने मुक्ता को मायके के फोन पर फोन करके उस से मिलने के लिए कहा । मुख्तार तुरंत इसके बारे में बच्चे का कि वह मौसी से मिलने मायके जाना चाहती है, परंतु मेरे मुक्ता को मायके जाकर मौसी से मिलने से मना कर दिया क्योंकि मुक्ता को मायके जाने से रोकने की दो बजह दी । एक तो डॉक्टर प्रमुखता को सफर करने से मना किया हुआ था क्योंकि वह दूसरी बार गर्भवती थी और दूसरा मुक्ता की मौसी बहुत उसके मायके बनाई हुई थी । मैं उसे उसकी मौसी से मिलने नहीं देना चाहता था क्योंकि मुझको शक ही रही । पक्का यकीन था कि जब भी मुक्ता की मुलाकात उसके मौसी से होती है तब ही मेरे घर में कोई न कोई कल है, कलेश होता है । पर तो लगता नहीं मानी और अपने मायके जाने की जिद करने लगे । मुक्ता किसी के आगे मेरी एक न चली और मेरे पिता के कहने पर हमें मायके जाना पडा । मैं मुक्ता को धीरे धीरे मोटर साइकिल चलाकर मैं चले गया क्योंकि मुक्ता की गर्भवती होने के कारण बस या किसी और जरिए से जाने से डॉक्टर ने मना किया था । हम वहाँ एक दिन रहे और अगले दिन मौसी और बाकी सब से मिलकर हम दोनों वापस आ गए और घर वापस आते ही जिस बात का डर था, मुक्ता वही बात करने लगी । मुक्ता को जैसे लडाई का पढाना चाहिए था तो अब मुझे शिखा के उस नहीं मुद्दे को लेकर झगडने लगी । अगर तुम्हारी जिंदगी में कोई और लडकी थी तो तुमने मुझे यह बात छिपाकर क्यों रखी? मुक्ता ने कहा, मैंने यह बात बताने वाली नहीं समझे क्योंकि यह बात मेरे लिए कोई मायने नहीं रखती थी क्योंकि शिखर फिरा पीता हुआ कल थी । बेशक वो मेरा पहला प्यार थी । पर अब तो उसने मुझे नफरत के सब कुछ नहीं दिया । मैंने कहा तुम तो को ही नफरत के काबिल तो जैसे कोई और उम्मीद घर भी कह सकते हैं । मुक्ता ने कहा क्यों वो मैंने क्या करना क्या है जो मैं सिर्फ नफरत के ही काबिल हो । मैंने कहा हूँ । गुनगुना यह तो पूछ रहे हो कि क्या गुनाह किया तो बहुत लाते थे और यही नहीं तो मुझे मिलने से पहले एक लडकी से प्यार करते थे और यह बात तुमने मुझे छिपाकर रखी । क्या यह काम है? मुक्ता ने कहा, मैंने कोई गुनाह नहीं किया । अगर मुझे ॅ की समस्या थी तो बहुत थी परंतु अब नहीं है तुम से मैंने पांच छह साल तक फोन पर बात की तो मैं आपकी हकलाहट की समस्या का अहसास तक नहीं होने दिया । और रही बात पहले प्यार की तो हाँ मैंने उससे कभी प्यार किया था तो हम तो बिहार को उसने खुद नफरत में बदल दिया था । जब मैं तुम से मिला था तब मैं उस से बहुत नफरत करता था । मैं तो बुखार होने का तब होता अगर मैं तुम्हारे साथ साथ रहते रहते भी उसे भी प्यार करता हूँ । मैंने कहा इसके बाद हमारी यह बहस बाजी तो लडाई में बदल ने लगी और वह मुझ को घर से अलग होने के लिए कहने लगी । इतना सुनकर बच्चे भी नहीं रहा गया और मैं उस को बुरा भला कहने लगा । बात तो तो मैं ऐसे लडाई झगडे की ओर पडने लगी और जल्द ही बात मेरे पिता तक पहुंच गई । हमारे झगडे को खत्म करने के लिए पिताजी ने मुक्ता को बहुत समझाया परंतु मैं अपने घर से अलग होने की जिद पर अडी रही । मैं मुक्ता की मौसी को इस लडाई झगडे की मुख्य वजह मानता था जिस वजह से बहनों से गालियां देने लगा । हम दोनों का लडाई झगडा बढता हुआ देख मेरे पिताजी ने दोनों को शांत करवाया और हम दोनों को घर से अलग हो जाने का फैसला कर दिया । और बात यह हुई कि जब तक हमारा अलग से घर में ही बन जाता तब तक हम दोनों अपने कमरे में ही अलग से रसोई बंद कर रहेंगे और अपना खाना अलग से बताएंगे । यानी कि मेरे एक ही घर में दो दो रसोई घर हो गए थे । परंतु इस फैसले के अलावा हमारे पास कोई और चारा भी नहीं था । आखिरकार मुक्ता मान गई और अपने ही कमरे में अपनी एक अलग रसोई करने की तैयारियाँ करने लग गए । मैं मुझे हुए मन से किसी ना किसी तरह यहाँ वहाँ से पैसे जुटाकर अपने अलग रसोई घर के लिए सामान इकट्ठा करना शुरू करने लगा । इसके लिए मुझको अपना नया नया खरीदा हुआ लेपटॉप भी काफी कम कीमत पर पहुँचना पडा और कुछ ही दिनों में मेरा नया रसोईघर हमारे कमरे में सेट हो गया । एक दिन हम से मिलने और हमारी नई रसोई को देखने मुक्ता का पूरा परिवार मेरे घर आया मुझको इस बात का पता तब लगा जब मैं रात को के रिक्से घर आया था । मैंने सोचा कि शायद अगर बहन मुक्ता के पिता से इस बारे में बात करें तो शायद बहन से कुछ समझाए और अपनी अलग से बनी रसोई किसी को खत्म कर दें । पार्वती से पहले की मैं उसके पिता को कुछ कहता । मुक्ता का पता उसकी इस नहीं रसोई की तारीफ करने लगा और इस सबके लिए मुझको शाबाशी देते हुए कहने लगा वो पिताजी बाकी तो सब कुछ ठीक ठाक है परंतु यहाँ खाना बनाते समय जो होता है यहाँ कुछ ठीक नहीं लग रहा है । तुमने अपने कमरे में रसोई तैयार की । महत्व ठीक है परंतु अगर यह तुम्हारे कमरे की जगह कहीं अलग बनी होती तो ठीक रहती मुझको उनकी बात सुनकर बहुत गुस्सा आता है परन्तु मैं कुछ कर भी नहीं सकता था । मैं मुक्ता के पिता उन्हें समझाने के लिए हादसे कहता हूँ पापा जी बुजुर्ग लोग कहते हैं कि घर में बाथरूम चाहे जितनी मर्जी हो पर तो रसोईघर एक ही होना चाहिए । आप हमारी अलग रसोई की तारीफ करने के बजाय अपनी बेटी को ऐसा नहीं करने के लिए समझा रहे । मुक्ता के पिता मेरी बात सुन कर कुछ नहीं बोले और शायद उनकी यही गलती थी । अगर चाहते हैं तो परिवार के मुख्य सदस्य होने के नाते मुक्ता को समझा सकते थे परन्तु उनका चुप रहना और भोक्ता को समझाने के बजाय उसकी हर बात का समर्थन करना उनकी कराया था या हमारे विरुद्ध चल रही एक बहुत बडी साजिश की निशानी हो सकती थी या फिर यहाँ हो सकता था कि उनकी, उनके परिवार और खासकर के मुक्ता की माँ के आगे कोई पेश का चलती होगा । हर बात जो भी हो जिसमें घर तो उनकी बेटी मुक्ता का ही टूट रहा था । दरअसल बात ये होती है कि लोग अपनी बेटियों कि शादी करके चिंता मुक्त हो जाते हैं और उन्हें अपने ससुराल पक्ष के माहौल में खुद को ढालने के लिए बेटी को सदा प्रेरित करते हैं और अपनी बेटी को सवाल पक्ष के सभी सदस्यों की सदैव इज्जत करने की शिक्षा देते हैं । अपने पति को परमेश्वर मानकर उसकी हर जाए इस बात को मानने के लिए कहते हैं और अपनी बेटी को यह समझाते हैं कि वह सब संभाल पक्ष के सभी सदस्यों को एकजुट करने में अपना अहम योगदान डाले । परंतु इसके विपरीत कुछ लोग अपनी बेटी को गलत शिक्षा देकर मैं कैसे से सवाल पैदा करते हैं । मैं अपनी बेटी को ससुराल के सभी सदस्य को एकजुट रखने के बजाय अपने पति को लेकर सभी सदस्यों से अलग कर रहे कि गलत शिक्षा देते हैं । उन काफी लडकी के ससुराल में अपनी लडकी के माध्यम से पूरा कंट्रोल होता है । अपने दामाद को तो मैं अपने घर से ही अपनी लडकी की सहायता से कठपुतली की तरह नहीं चलना चाहते हैं । इस तरह के लोगों का मानना शाहिद क्या होता है कि मैं अपनी लडकी और दामाद को उसके परिवार के सदस्यों से अलग करके अपनी बेटी का घर बता रहे हैं । मेरे केस में भी कुछ ऐसा ही होता है । शादी से पहले तो होता कुछ से मीठी मीठी बातें करती है । उसको अपने इस प्रकार के चाल चलन की भनक तक नहीं लगने देती । या शायद इसका कारण यह भी हो सकता था कि वह अपने मायके वालों के इशारों पर मुझको कठपुतली की तरह वहाँ चले जा रही हो । क्योंकि वैसे तो मुद्दा का व्यवहार मेरे और मेरे परिवार के बाकी सदस्यों के साथ बिल्कुल ठीक रहता । तुरंत जब कभी मुक्ता मायके से होकर आती थी, क्या उसके मायके से कोई फोन आ जाता । तभी से ही उसके व्यवहार में अचानक से तब भी लिया जाते हैं यानि की उसके बाद से ही पुख्ता किसी न किसी बहाने से मुझे लडने, झगडने रखती है या कुछ बातें इस बात की पुष्टि करती थी कि मेरे घर में मायके के मोबाइल फोन की वजह से होने वाली लडाई का कारण गुप्ता के मायके पक्ष के कुछ लोग खासकर मुक्ता के मायके की तरफ से उसकी औरत सदस्य थी । क्योंकि जब भी एशिया का संपर्क उसकी भाईया मौसी से होता तभी मुक्ता मुझे किसी ना किसी बात पर झगडा करने बैठ जाती है । अब कहानी को आगे बढा है मुक्ता मुझको मेरे परिवार से अलग करने में कामयाब हो गई थी परंतु कब तक कामयाब होती क्योंकि परिवार से अलग रहने की स्थित करना एक अलग बात है और परिवार से अलग रहकर जीवन व्यापन कर रहा दूसरी बात है परिवार से अलग रहने के कारण पुख्ता के लिए घर का काम काज बहुत पड गया । बहुत सारा दिन काम काज करके भर जाती थी । कुछ दिन के बाद मुक्ता को जल्दी ही महसूस हो गया कि सुख मिलना चाहिए परंतु दुख में अपना परिवार ही काम बनता है । मुख्तार घर तो बनती थी और वह अपने गर्भकाल के आखिरी दौर में गुजर रही थी । उसे अलग रहकर कामकाज करने में बहुत मुश्किलें पेश आ रही थी । मेरे परिवार से उसकी यह दशा देखी नहीं जा रही थी । तो मेरे पिता के समझाने के बाद फिर से हमारे परिवार में शामिल हो गए और मैंने कमरे में बनाई हुई अस्थायी रसोई का खेल खत्म कर दिया । जब कभी किसी पर बुरा वक्त आता है तो वह कुछ ना कुछ सिखा कर जाता है और यह बुरा वक्त अपनों में छिपे दुश्मनों का पता लगाने में मददगार साबित होता है । यह पूरा वक्त एक छन्नी की तरह काम करता है जो आपके अपनों में छिपे यारों को झान कर अलग कर देता है ताकि आप उन्हें पहचानकर अपनी जिंदगी से अलग कर सके । सनी से मेरी मुलाकात कुछ सालों पहले ही हुई थी । यह उन दिनों की बात है जब मैं अपने पिताजी के दोस्त की दवाइयों की दुकान पर काम करता था । सनी भी मेरे साथ ही काम करता था । कुछ ही समय में हम दोनों गहरे दोस्त बन गए । उसका कोई भाई नहीं था, सिर्फ एक बहन थी जिस वजह से मैं मुझको ही अपना बडा भाई मानता था । यही नहीं सनी के मेरे घर पर आना जाना भी बहुत बढ गया था । मैं अक्सर मेरी गैरहाजिरी में आया करता था । एक बार मैंने मुक्ता को सनी के साथ फोन पर कुछ बातचीत करते सुन लिया तो मैंने मुक्ता को इस बारे में थोडे शक के लहजे से पूछा क्या बात है? तुम सभी से यूज चोरी चोरी बात क्यों कर रही थी? मुक्ता ने कहा कोई खास बात नहीं है । सनी मेरी बडी मौसी की छोटी लडकी से प्यार करता है और दोनों एक दूसरे को पसंद भी करते हैं । मैं उससे शादी करना चाहता है और वह मुझे फोन पर बोल रहा था की भावी आप अपनी बडी मौसी को मेरे बारे में बोलो । सनी की शादी से कुछ थोडा बहुत ऐतराज था क्योंकि मैं मुक्ता की बडी मौसी को अच्छी तरह से जानता था । वह अभी मायके के फोन की एक सदस्य थी । मुक्ता और मेरी लडाई में थोडा बहुत खास उसका भी था । मुझको शक था कि मुक्ता ने जानबूझकर सनी को अपनी बडी मौसी की लडकी के बारे में बताया होगा क्योंकि सन्नी अपने परिवार का इकलौता बेटा था और बहुत ही अमीर परिवार से संबंध रखता था । मुक्ता को इस बात का बताया था कि जो कोई भी लडकी सनी से शादी करेगी उसे भविष्य में किसी भी बात की चिंता नहीं होगी । सन्नी कि बहुत समझाने पर भी मैंने मना कर दिया और कहा सनी अगर तेरी शादी मुक्ता की मौसी की लडकी के साथ हो जाए तो मुझे कोई ऐतराज नहीं होगा । बल्कि मुझे तो इस बात की खुशी होगी की उसका अजीज दोस्त अब उसका साडू भाई बन जाएगा । परन्तु बहस रिश्ते की बात पुख्ता की मौसी से सीधी नहीं करूंगा । क्यों भाई, क्या बात है तुम यहाँ बाद सीधे तौर पर क्यों नहीं करना चाहते? सनी में पूछा क्या समझा कर बात को तुम तो जानते ही हो कि मेरी उनसे बहुत ही संवेदनशील रिश्तेदारी है, भगवान ना करे । अगर उन्होंने इस रिश्ते से मना कर दिया तो मेरी यह रिश्तेदारी भी जाती रहेगी । मैंने कहा तो क्या आप इस बात का कोई हल नहीं है । क्या मेरी शादी तो भरी साली से कभी भी नहीं हो सकती? सनी ने कहा हो सकती है क्यों नहीं हो सकती? मैंने कहा तो कैसे? सनी ने पूछा एक तरीका है अगर तुम इसके बारे में अपने घर वालों से बात करूँ और अपने पिताजी, चाचा और दादा जी को लेकर पुख्ता की मौसी के घर रिश्ते की बात करने भेज दो और दूसरी तरफ में अपनी सात से इस बारे में बात करूँगा और उन्हें भी इस रिश्ते की बात करने उनके घर भेज होगा तब जाकर तुम्हारी बात कुछ बन सकती है । मैंने कहा डॉक्टर जमीन है, सही किया और अपने परिवार के मुख्य सदस्यों को लेकर मुक्ता की मौसी के घर रिश्ते की बात करने के लिए चला गया । परंतु संदीप तो पूरे परिवार को साथ लेकर मुक्ता की मौसी के घर रिश्ते की बात करने आ गया था और वे सब साडी के रिश्ते के लिए जोर देने लग पडे थे । पहले मुक्ता की मौसी ने उनकी एक न मानी परन्तु काफी बहस, बाजी और जद्दोजहद के बाद मैं इस रिश्ते के लिए मान गई । सदी के परिवार ने भी बिना देर किए मौके पर ही पंडित बुलाकर वहीं उसी समय बिना ज्यादा शोर शराबा किए । सन्नी कि शादी मुक्ता की मौसी की लडकी से करवाती । सनी की इस शादी में मेरा बहुत बडा योगदान रहा था । मेरे हस्तक्षेप के बिना सन्नी कि शादी असंभव थी । इस बीच मुक्ता मुझे कई बार झगडा करके पारी को साथ लेकर अपने मायके चली जाती थी और हर बार मेरे माता पिता उसके घर जाकर पारी की खातिर मुक्ता से माफी मांग कर उसे अपने घर लेकर आ जाते हैं । आसान शब्दों में अगर कहा जाए तो मुक्त अपनी ही बेटी को मेरे परिवार के प्रति, बिहार को उनकी ही वृद्ध एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही थी । उधर सन्नी कि शादी के बाद मैं अपनी पत्नी को साथ लेकर मेरे कर अक्सर आने जाने लगा । मेरा उसके साथ पहले ही बहुत लगाव था । अब हम दोनों की रिश्तेदारी होने की वजह से दोनों काफी घुल मिल गए थे । एक दिन की बात है मैं किसी बात पर गुप्ता के साथ झगडा कर रहा था की तभी मौके पर ही सन्नी हमारे घर आ गया और हम दोनों को झगडा करते हुए देख लिया । सनी वहाँ से तो तुरंत चला गया । बहन तो बात में वह मुझे फोन पर मेरे घर में मुक्ता के साथ हुई लडाई के कारण के बारे में पूछने लगा । मैं पहले तो उसे कुछ बता नहीं रहा था परंतु उसके बार बार पूछने पर मैं मुक्ता के बारे में सारी बात बताने लगा क्योंकि हम दोनों पहले से ही एक दूसरे को जानते थे और दोस्त थे और अब रिश्तेदार भी बन चुके थे । जिस वजह से मुझे पर्सनली से मुक्ता और उसके मायके के बारे में बात करने में किसी किस्म का कोई गुरेज नहीं था । मेरे बात करते हुए सनी भी अपना बुखार होने लगा क्योंकि सदी के सवाल की भी मेरे ससुराल जैसी कहानी थी । मतलब के सनी के घर में भी मायके के फोन ने कल अखिलेश डाला हुआ था तो फर्क सिर्फ इतना था कि सनी अपनी पत्नी की हर जायज और नाजायज बात को मान लेता था, चाहे उसे अपने परिवार वालों के साथ झगडा ही क्यों न करना पडेगा । उधर मेरी बातें सुनकर सनी भी मुझे अपने सुसराल के बारे में बहुत बातें करता है और धीरे धीरे इस तरह हम दोनों हमराज बन जाते हैं । परंतु साथ ही संदीप एरिया प्रमुखता के बीच लडाई की एक वजह भी बन जाता है क्योंकि सन्नी की पत्नी और मुक्ता दोनों मौसेरी बहन थी । जिस वजह से अब सनी अपनी पत्नी को अक्सर साथ लेकर मेरे घर आने लगा । कई बार तो वह मेरी गैरमौजूदगी में भी आता था और मुझे ना उन्हें ले जाकर अपने अलग कमरे में बैठ जाती थी जिसका मेरे परिवार वालों को बहुत बुरा लगता था । एक दिन मेरे पिताजी ने मुझे अपने पास बुलाया और कहा बेटा ये जो तुम्हारा दोस्त है सनी ये मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है । क्यों ताजी क्या हुआ? मैंने पिताजी से पूछा कुछ नहीं बेटा बहु की बहन से शादी के बाद इसका आना जाना कुछ ज्यादा ही बढ गया । फिर उसको होना है तो आए ये उसका ही कर रहे हैं परन्तु वह तुम्हारी गैरमौजूदगी में घर आता है । पिटा यह कुछ अच्छी बात नहीं है । पिताजी ने कहा ठीक है पिता जी, मैं सनी से इस बारे में बात करूंगा । मैंने कहा करन तसल्ली से बात करने से पहले मैंने मुक्ता से इस बारे में बात की और कहा होता देखो मुझे सनी का क्यों? मेरी गैरमौजूदगी में रहना अच्छा नहीं लगता है । माना कि वह मेरा दोस्त है और उससे पहले की मैं उसे इस बारे में बात करूँ । मैं अपनी बहन को कहते मुझे उसके आने जाने से कोई गुरेज नहीं है परन्तु मैं नहीं चाहता कि वह मेरी गैरमौजूदगी में घर आए परन्तु जानबूजकर लडाई झगडा करना तो जैसे मुक्ता की आदत सी बन गई थी । और अब जब भी सनी अपनी पत्नी के साथ उनके घर आता तो भुगता जानबूझ कर उन्हें अपने अलग कमरे में ले जाती और मैं उसे हर बार समझाता पर तो भुगता बार बार मुझे चलाने के लिए वही गलती बार बार दोहरा दी और मेरे इस बारे में कुछ कहने पर मुझे झगडा करने पर उतारू हो जाती । मेरा जीवन नर्क के समान बन गया था । मरता क्या करता है? कई बार में मुक्ता की इन हरकतों को अनदेखी कर देता है परंतु जब पानी सर के ऊपर हो जाता तो मैं उससे जमकर झगडा करता है । इसके बाद मायके का फोन अपना कमाल दिखाता और झगडे की सारी खबर मुक्ता के मायके पहुंचा देता । मुक्ता के मारे के वाले भी बहुत कमाल के थे । मैं चिराग में से निकले जिन से भी तेज प्रतिक्रिया करते और झट से उसे लेने आ जाते हैं । तो फिर मुक्ता का सामान तो हर वक्त तैयार ही रहता था । मैं भी उनके साथ जाने को देर नहीं लगती । उसके जाने के बाद हमारी तरफ से मुक्ता के परिवार वालों से माफी मांगने का दौर शुरू हो जाता है । इस बात पर कोई शक नहीं कि उसके जाने के बाद घर में कुछ दिन आराम से रहता था । मैं परन्तु अपनी बेटी परी के बिना दिल नहीं लगता था । जिस वजह से मजबूरी से मुक्ता के मायके जाकर उसे बनाकर और समझा बुझाकर वापस लाना पडता था । हमें इस सब की जैसे आदत सी हो गई थी । मेरे सभी रिश्तेदारों में मुक्ता के इस कारनामों की धूम थी और उसकी वजह से पढना हम सभी हो रहे थे क्योंकि समाज की नजरों में हम लडके वाले थे और मुक्ता के परिवार वाले कुछ इल्जाम लगाते । समाज और कानून बिना किसी तहकीकात के इल्जामों को मान लेगा और मुझे और मेरे परिवार को ही दोषी ठहराएगा । इस प्रकार के लोग अपनी बेटी का इस्तेमाल करके उसके ससुराल वालों को कठपुतली की तरह इस्तेमाल करते हैं । मुक्ता के मायके वालों के भी कारनामे के बहुत किस्से हैं जो यह दर्शाते हैं कि किस प्रकार वह अपनी बेटी का इस्तेमाल करके मुझे और मेरे परिवार को कठपुतली के जैसे इस्तेमाल करने की नाकाम कोशिश करने लगे थे । परंतु उनका एक किस्सा है जो आज भी मेरे दिलो दिमाग पर छाया हुआ है । हुआ यूं कि एक दिन में ट्रेनिंग से थका हारा घर वापस आया और आकर पिताजी के पास बैठ गया । मैंने पानी पीने के लिए मुक्ता को आवाज लगाई, परंतु बहन नहीं है । कुछ देर के बाद मेरी माँ मेरे लिए पानी लेकर आई । मैंने वहाँ से पानी का गिलास लिया । अमुक्ता के बारे में पूछने लगा । मैंने बताया कि मुक्ता को सिर दर्द की शिकायत है जिस वजह से वह अपने कमरे में लेटी हुई है । मैं मुक्ता से मिलने का मेरे में गया तो मैं सोई हुई थी । मैंने उसको जगह ठीक नहीं समझा और वहाँ से वापस पिताजी के पास जाकर बैठ गया । रोज की तरह में पिताजी और दादा जी के साथ बैठकर पैग लगाने लगा । मैं खाना वगैरह खा कर वापस अपने कमरे में जाने लगा था कि तभी मान्य मुझसे कहा बेटा मुक्ता को भी ले आओ । पहले शाम से अपने कमरे में लेटी हुई है । हमें कमरे में गया था, परंतु भुगतान कोई हुई थी तो मैंने उसको जगाना अपने पैर में कुल्हाडी मारने समझा । इसलिए मैंने उसे जगाया नहीं । वैसे भी मैं सोई हुई हो तो घर का माहौल कितना शांतिमय होता है । मैंने मजाकिया लहजे से कहा, चल चुप कर ऐसा नहीं कहते और जाकर मुक्ता को लेकर वह भी कुछ खा पी लें । मैंने कहा ठीक गया जैसी आपकी मर्जी मैंने कहा । इसके बाद में अपने कमरे में गया और मुक्ता को जगह नहीं लगा । कुछ समय के बाद गुप्ता उठी और मैंने उसे कहा क्या बात है? मैं कह रही थी कि सर में दर्द हो रहा है आपका मेरे सर में बहुत तेज दर्द हो रहा है । मुक्ता ने कहा, कुछ दवाई वगैरह खाइए किया । मैंने कहा मैंने दवाई खा ली थी और आपने सोना चाहती हूँ । मुझे परेशान मत करो । गुप्ता ने कहा, मैंने मन में सोचा कि मैं तुझे परेशान करके नई मुसीबत मोल नहीं लेना चाहता हूँ और मैंने मुक्ता से कहा चलो कोई बातें ही तो आराम से सो जाओ । अगर रात को किसी भी समय मेरी जरूरत पडे तो मुझे जगह देना ठीक है । मुक्ता ने कहा, इतना कहकर मुक्त हो गई और कुछ समय के बाद मैं हो गया । अचानक रात को मुक्ता की जोर जोर से रोने की आवाजें आने लगी । मैं नींद से जागा छोडकर कमरे की बत्ती जलाई । मैंने देखा के मुक्ता सिर में दर्द के कारण जोर जोर से हो रही है । मैंने तुरंत माँ को फोन करके सारी जानकारी दी । मेरे फोन बंद करते ही मेरी मान कमरे में आई और फौरन मुक्ता को अपने कंधे से लगा लिया । कुछ ही समय के बाद संध्या और मेरा छोटा भाई मेरे कमरे में आ गए । मेरी माँ मुक्ता का सिर्फ अपने कंधे पर रखकर धीरे धीरे दबा रही थी । परंतु मुक्ता सिर में दर्द के कारण जोर जोर से रो रही थी । मुक्ता का दर्द कम नहीं हो रहा था तो मैंने और मान्य मुक्ता को तुरंत अपने दोस्त विजय के अस्पताल में ले जाने का निर्णय लिया । कुछ समय के बाद डॉक्टर विजय आया और वह अमुक्ता का निरीक्षण करने लगा तो अच्छा मृतक मुक्ता का निरीक्षण करने के बाद उसने मुझे कहा अनिल जी पहली नजर में तो मुझे कुछ पता नहीं लग रहा हूँ । फिर भी मैं भाभी जी को क्लीन की दवाई दे देता हूँ । इससे भावी जी को नींद आ जाएगी और सुबह को हम इनका एमआई करवाकर देख लेंगे । उसके बाद उस एमआई की रिपोर्ट के अनुसार धामी जी का इलाज शुरू कर देंगे । ठीक है जैसा आप चाहे मैंने कहा डॉक्टर ने मुक्ता कोलीन की दवाई दे दी जिससे मुक्ता को नहीं आ गई । परन्तु सुबह चार पांच बजे के आस पास उसे सर में तेज दर्द फिर से शुरू हो जाता है । मैं और मेरी मां मुक्ता के पास ही होते हैं । कुछ ही समय में मुक्ता की मान और उसका भाई राहुल वहाँ अस्पताल में हो जाते हैं । उनके साथ मुक्ता की छोटी बहन वंदना भी होती है । मैं उन सबको अचानक से देखकर हैरान हो जाता हूँ क्योंकि मेरे लिए हैरानी वाली बात यह थी कि मेरे और मेरे परिवार में से किसी ने भी अभी तक मुक्ता के मायके वालों को फोन नहीं किया था तो फिर यह सब यहाँ कैसे आ गए? उनकी इस हरकत पर मुझे शक हो रहा था और मुझे किसी अनहोनी होने की आशंका थी, क्योंकि होना हो उनकी । यह अचानक से बिना खबर किए आना उन की किसी योजना का हिस्सा हो सकता था । गैर मैंने मुक्ता के मैं उसके सर के दर्द के बारे में बताया और कुछ समय के बाद ही हम मुक्ता को एमआई के लिए ले गए । मुक्ता का एमआरआई कराने के बाद में उसे वापस अस्पताल के कमरे में ले आया और रिपोर्ट आने का इंतजार करने लगा । कुछ ही समय में मुक्ता की रिपोर्ट आ जाती है । मैं उस रिपोर्ट को देखता हूँ । पर हम तो मुझे उसमें कोई ऐसी बात नहीं दिखती जिससे कि मुक्ता को सिर में दर्द की शिकायत हो सकती है । मैंने यह रिपोर्ट एकबार डॉक्टर को दिखाना भी सही समझा । मैं अकेला ही डॉक्टर के पास गया और मुक्ता कि एनआरआई की रिपोर्ट दिखाने लगा । मुक्ता की रिपोर्ट देकर डॉक्टर ने कहा, अनिल जी दादी की फॅमिली रिपोर्ट में तो मुझे ऐसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा है जिससे कि उनको इतनी तेज सर में दर्द की कोई शिकायत हो सकती है । जी डॉक्टर साहब मेरी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा हूँ । मैंने कहा क्या तुम भी तो डॉक्टर हो, तुम तो यह रिपोर्ट देख सकते हो । डॉक्टर लेता हूँ जी मैंने तो पहले ही पूछ देखनी है । मुझे पता है कि इसमें ऐसी कोई बात नहीं है । मैंने कहा तो के भावी छोड बोल रही है । मेरे कहने का मतलब है कि कहीं भाभी कोई बाहर तो नहीं बना रही । डॉक्टर ने मजाक ऐसे से कहा हो भी सकता है परंतु मैं क्या बात बोल कर कोई नई परेशानी खडी नहीं करना चाहता हूँ । मैंने कहा की है तो तुम्हारी बात सही है । डॉक्टर में कहा यार मैं तो ठीक है परंतु करना क्या है? मैंने कहा मैं कुछ समझा रही तुम कह रहे क्या चाहती हूँ । डॉक्टर ने कहा मेरा मतलब यह है कि मैं मुक्ता को जाकर क्या कहूँ कि तुम्हारी रिपोर्ट में कुछ नहीं और तुम बहाने बना रही हो । क्या ऐसा बोल सकता हूँ? मैंने कुछ नहीं होते हुए कहा यार तुम तो नाराज हो गए । मेरे कहने का मतलब यह नहीं था । मैं तो ऐसे ही मजाक कर रहा था । यह रिपोर्ट तुम खुद देख लो । इसमें ऐसा कुछ नहीं है जिसके कारण भावी के सर में दर्द हो सकता है । डॉक्टर ने कहा यार मैं भी तुम्हारी बात से सहमत हूँ । आखिरकार मैं अभी एक डॉक्टर हूँ और यह रिपोर्ट में आपसे पहले भी देख चुका हूँ । मुझे पता है की इस रिपोर्ट में कुछ नहीं है परंतु मुक्ता और उसके भाई के वालों की तसल्ली के लिए कुछ न कुछ तो बताना पडेगा । यानी अगर हम मुक्ता को बिना किसी इलाज सफाई के घर ले गए तो भुगतान के मायके वाले जो कि सुबह सुबह ही हमारी किसी जानकारी के पिनर आदम के हैं, उन्हें क्या जवाब दो । यह की आपकी बेटी झूठ बोल रही है । मैंने कहा यार तुम तो नाराज ही हो गए । मैंने कहा ऐसा कहा कि तुम उनको जाकर ऐसा बोल दो । देखो मैं डॉक्टर होने के साथ साथ तुम्हारा दोस्त हूँ । तुम्हारी परेशानियों से अवगत हो मैं तुम्हारी परेशानी समझ सकता हूँ । डॉक्टर ने कहा यार देखो अगर तुम मेरी परेशानियों के बारे में जानते ही हो तो तुम से क्या छिपा रहा है? मुझे मुक्ता के इस सर दर्द में उसकी किसी साजिश के होने की आशंका हो रही है । मेरा उस पर शक करने के दो बडे कारण है । पहला यह है कि उसकी हम आ रही रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं है जिससे कि उसे इतना तेज और लगातार सिर में दर्द होने की शिकायत हो सके और दूसरा यह कि रात को मुक्ता के सर में दर्द होता है और रात से ही मैं और मेरा पूरा परिवार उसके साथ है । मैंने और मेरे परिवार में से किसी ने भी मुक्ता के परिवार को इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं दी थी । परंतु इसके बावजूद भी मुक्ता के परिवार वाले इकट्ठा होकर सुबह सुबह आ गए हैं और अगर मैंने यह सब कुछ कह दिया कि मुक्ता की रिपोर्ट बिलकुल ठीक है या वो बहाना बना रही है तो मुझे शक ही नहीं बल्कि यकीन है कि मुक्ता की माँ या उसका भाई इस बात पर कोई बवाल खडा कर देगा । मैंने कहा यह तुम्हारी बात मैं समझ सकता हूँ परन्तु मेरी बात भी तो समझो । मैं भाभी की हमारा रिपोर्ट के बारे में झूठ नहीं बोल सकता क्योंकि इससे मैं किसी समस्या मैं कह सकता हूँ । हाँ, मेरे पास एक और रास्ता है जिस सब कुछ ठीक हो सकता है । डॉक्टर ने कहा बह गया । मैंने कहा तुम्हारी मां मुक्ता बहुत ही धार्मिक सद्भाव की है । डॉक्टर ने कहा ठीक है तो मैंने कहा तो हमें उन की मानसिकता का फायदा लेना चाहिए । मैं ऐसा करूंगा । मैं तुम्हारी और मुक्ता के परिवार वालों को भावी की हमारा ये रिपोर्ट के बारे में सब कुछ सच सच बता दूंगा । पर साथ में उन्हें भावी का किसी बाबा या पंडित के पास ले जाने के बारे में संकेत दे दूंगा । डॉक्टर ने कहा, बनवाया पंडित के पास ये तुम क्या कह रहे हो तो तो बताइए है कि मेरा इन चीजों में विश्वास नहीं है । मैंने कहा या तो मेरी बात नहीं समझे । मुक्ता भाभी के सर में दर्द है, परंतु उनकी हमारी रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं आया । यानी इसका सीधा मतलब यह नहीं हुआ कि भाभी छूट बोल रही है और अगर मैं छूट बोल रही है तब भी हमें यह साबित नहीं कर सकते कि उनके सर में दर्द नहीं हो रहा या बहन झूठ बोल रही तो इसका एक ही रास्ता है कि हूँ तो इसका एक ही रास्ता है । वह यह है कि उनका ध्यान किसी ओर तरफ लगा दिया जाए और बाद आया पंडित यहाँ रास्ता भी ठीक है । डॉक्टर ने कहा, नहीं डॉक्टर साहब, मैं ऐसा नहीं कर सकता । मैं मुक्ता को किसी बाबा या पंडित के पास ले कर रही जा सकता हूँ । मैंने कहा ठीक है फिर मेरी बात मत मानो और भाभी के परिवार वालों के शुरू होने जा रहे कार्यक्रम का हिस्सा बन जाऊँ । जिसमें बहस अब तुम्हारा और तुम्हारे परिवार वालों का मुक्ता भावी के इलाज के नाम पर चलता खर्चा करवाएंगे । पर अगर तुमने यह का खर्चा करने से मना किया तो वह तुम्हारी और तुम्हारे परिवार वालों की तुम्हारे सब रिश्तेदारों में जमकर पे साडी करेंगे । और फिर तमिल मजबूर होकर मुक्ता भावी के बहाने का यानी उनके हो रहे सर में दर्द का इलाज करवाना होगा । मेरी बात को समझौतों मैं कह रहा हूँ अपना तुम्हारा दोस्त होने के साथ साथ एक शादीशुदा इंसान हूँ और जिस रास्ते पर तुम्हारे सरसवाल पाले तो लेकर जाने वाले हैं । मैं उस रास्ते पर पहले से ही चल चुका हूँ । मेरे से सवाल वालों ने भी तो भरे से सवाल वालों की तरह मेरे साथ इस प्रकार का खेल खेला था क्योंकि मुझे बहुत महंगा पडा था और अंत में यह खेल मेरे एक पंडित तो उसने खत्म किया था । डॉक्टर ने कहा क्या बात कर रहे हो तो भरे साथ ऐसा पहले हो चुका है । मैंने हैरानी से पूछा एक लंबी कहानी है जिसके बारे में मैं फिर कभी बात करूंगा । फिलहाल तो मैं इतना बता दूँ कि मेरे सुसराल वालों ने मेरे साथ ही खेल खेला था, जिसमें मेरी पत्नी मुख्य रूप से शामिल थी । उसने भी इसी प्रकार का सर दर्द का बहाना बनाकर पूरे दो महीनों तक मुझे और मेरे परिवार को बेवकूफ बना रखा था । मैंने अपने पति के इलाज के लिए सब कुछ किया । यहाँ तक कि मैं कई डॉक्टरों के पास गया परन्तु सब जगह उसकी सब रिपोर्ट ठीक आ रही थी । यानी मेरी पत्नी की बीमारी डॉक्टरों की समझ में नहीं आ रही थी । उनके मुताबिक मेरी पत्नी बिल्कुल ठीक थी । उसे किसी प्रकार की कोई बीमारी हो ही नहीं सकती । मैं बहुत परेशान था और जब मेरी परेशानी के बारे में मेरे एक दोस्त को पता चला तो वह मेरे पास आया । तहत पंडित था । उसने मुझे मेरी पत्ती से मिलने की इच्छा जताई । उसने मेरी पत्नी से मिलकर उसे ऐसे ऐसे बहनों में डाला की मैं तुरंत ठीक हो गई । ठीक पाल को तो मुझे लगा जैसे यह कोई चमत्कार है परन्तु मेरे तो उसने मेरे सामने इसका खुलासा कर दिया कि वह क्या है । सब झूठ बोल रहा है । डॉक्टर ने कहा, यार, मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है तो अभी तुम ने जो बात कही है उसने मेरे पसीने जरूर छुडा दिये हैं । तो वो जो ठीक लगता है वहाँ करूँ तो मुझे इस आने वाली मुसीबत से छुटकारा दिला हूँ । मैंने कहा तो फिक्र ना करो तो भाभी के पास जाओ । अब देखो कि मैं क्या करता हूँ । डॉक्टर ने कहा इतना कहकर मैं वापस मुक्ता के पास जाने लगा सकता के बाद उसके परिवार वाले बैठे हुए थे । मैं दूर से देख रहा था । मुक्ता अपने कमरे में पहले तो आराम से बैठी हुई थी परंतु मुझे देखकर मैं घर से ले गई और मेरे आते ही मैं सिर दर्द की शिकायत करने लगी । मेरे कमरे में पहुंचते ही मुक्ता की मैंने मुझसे पूछा डॉक्टर नहीं रहता है । मुझे मुक्ता की एमआरआई की रिपोर्ट आ गई । तरह तो वह भी । उसके बाद मैं वहाँ उसके पास गया था । परंतु मैं अपने कमरे में नहीं था । मैंने उसे फोन किया है और बस कुछ ही समय में वो यहाँ आ रहा है । मैंने कहा लगभग आधे घंटे के बाद डॉक्टर हमारे कमरे में आए और आती है । मुक्ता की जांच करने लगे । उनके हाथ में मुक्ता की हमारा ही की रिपोर्ट थी । कुछ देर जांच करने के बाद उन्होंने मुक्ता की माँ का देखिए मुक्ता की एमआरआई की रिपोर्ट बिल्कुल ठीक आई है । मुझे इसमें ऐसी कोई बात नहीं लगती जिससे की इनके सर में दर्द हो । फिर भी मैं नहीं कुछ दवाइयाँ लिख देता हूँ । आप इन्हें या दवाइयां खिलाए और दो दिन के बाद फिर से मेरे पास लेकर आए । इसके बाद वहां वहां से चला जाता है और मैं हैरानी से उसकी ओर देखता रहता हूँ । कुछ दूर जाकर मेरी ओर देखकर मुस्कुराने लगता है । उस समय मुझे उस डॉक्टर पर बहुत गुस्सा आने लगता है की तभी एक नर्स वहाँ आती है और फिर से रिपोर्ट देखने का नाटक करने लगती है । बहन मेरी सांस यानी मुक्ता की माँ की ओर देख कर कहती है, माताजी रिपोर्ट तो कुछ नहीं आया है । खरीदने हुआ क्या था? पता नहीं बेटी हमें तो कुछ ही समय हुआ है । यहाँ आए हुए हैं और आते ही पता लगा कि पिछली रात को मेरी बेटी मुक्ता के सिर में काफी तेज दर्द हुआ था । डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने एमआरआई करवाने की सलाह उसमें भी कुछ नहीं आया । अब हमें लगता है कि हमें किसी बडे डॉक्टर के पास जाकर दिखाना चाहिए । मुक्ता की मैंने कहा अच्छा परन्तु अगर वहाँ भी कोई फर्क नहीं पडा तो आप किसके पास जाएंगे? मेरी महलो तो यहाँ डॉक्टरों के बस वाली बात नहीं है । नर्स ने कहा तुम कहना क्या जाती होगी थी मुक्ता की मैंने कहा देखिए आंटी जी आप तो जानते ही हैं कि आज के विज्ञान के युग में भी जादू, डॉलर और किए कराए का बोल बाला है । इस बात से हम इंकार तो नहीं कर सकते क्योंकि जिस चीज का नाम है उसका निशान भी तो है तो आंटी जी दीदी जी का यहाँ के तो मुझे भी जादू होने वाला ही लगता है । नर्स ने कहा कॉमेडी तुम्हारी बात तो सही है परंतु कोई मान्य तब ना मेरी बात तो कोई सुनता नहीं । मुक्ता की महीने का एनटीजी सबको मानना पडेगा मेरे जान पहचान के पंडित जी है । मैं पूजा पाठ के साथ साथ जादू टोने जबकि ये कराएगा भी इलाज करते हैं आप मेरी बात मानो तो एक बार तेजी को नहीं दिखा दो फिर देखो उन का कमाल । नर्स ने कहा मुझे तो कोई ऐतराज नहीं है परन्तु दामाजी से पूछ लो अगर उन्हें या उनके परिवार वालों को कोई ऐतराज नहीं लगता कि मैंने कहा, हमें कहते हो सकता है मैं भी तो यही चाहता हूँ कि मुक्ता ठीक हो जाएगा । अगर किसी पंडित के पास दिखाने से ठीक हो सकती है तो इसमें मुझे क्या हो सकता है । मैंने कहा ठीक है फिर आप ऐसा कीजिए । फिलहाल तो अपने घर जाइए । मैं पंडित जी से संपर्क करके आपको बता दूँ आप अपना कोई संपर्क नंबर देते । नर्स ने कहा, उसके बाद मुक्ता कि मैंने अपने नंबर उस नर्स को दे दिया और हम मुक्ता को लेकर घर वापस आ जाते हैं । मैं अपने डॉक्टर दोस्त की सारी योजना समझ चुका था कि उसने खुद आगे ना होकर अपनी नर्स को आगे कर दिया था तो फिर से ही यह सब कुछ कहलवाया था । हम अपने घर में बैठे हुए थे कि शाम को नर्स का फोन आता है और मैं बताती है कि उसने पंडित जी से बात कर ली है । रात को खुद आपके पास आ जाएंगे । कुछ समय के बाद हमारे घर के दरवाजे की घंटी बजती है । मैं जाकर दरवाजा खोलता हूँ और देखता हूँ कि पंडित जी आ गए हैं । मैं उन्हें आदर सत्कार सहित अपने घर में ले आता हूँ । कुछ समय इधर उधर की बातें करके वह अमुक्ता की ओर देखने लग जाते हैं । मैं उसके पास बैठी उसकी माँ से कहते हैं अच्छा तो ये है वह लडकी जिसके सर में दर्द हो रहा था । हाँ पंडित जी यही है वह कल रात से ही इसके सिर में तेज दर्द हो रहा है । कुत्ता की माने का कोई बातें ही मैं भी देखता हूँ । आप एक काम कीजिए, एक लोटा पानी का और एक साफ चम्मच ले आई । पंडित ने कहा मैं तुरंत जाकर रसोई से एक लोटा पानी का और एक चम्मच ले आया पढ लेता है । लोटा मुक्ता के आगे रखा और उसने चम्मच से धीरे धीरे इस पानी को गोल गोल घुमाने को कहा लगता । ऐसा ही करने लगी । कुछ देर ऐसा करते रहने के बाद उसने मुक्ता के सर पर हाथ रखा और आंखों को बंद कर कुछ बडबडाने लगा । मुक्ता चम्मच के छोटे से पानी को हिला रही थी । कुछ देर के बाद पंडित में आगे खोली वो प्रमुखता की । माँ से का पहन जी आपकी बेटी है खा पंडितजी मुक्ता की मैंने का मेरे कहने का मतलब है कि यह तुम्हारी बहुत नहीं है ना यह तुम्हारी बेटी है न । पंडित ने कहा आप अंडे चीज है, मेरी बेटी है ताकि मानेका बहन में यह इसलिए पूछ रहा हूँ क्योंकि जान सवालों के जवाब मैं जानना चाहता हूँ । उसका जवाब सिर्फ इसकी माँ ही दे सकती है । पंडित ने कहा, आप पंडित जी पूछिए क्या पूछना चाहते हैं ताकि माने का बहन क्या बताई कि आपने अपनी बेटी के जन्म पर कोई मन्नत वगैरह मांगी थी क्या? पंडित देखा मतलब मैं कुछ समझी नहीं तो ताकि महीने का देखो मेरे अनुसार आपकी बेटी के जन्म पर अपने आप की सास ने आपके कुलदेवता के मंदिर में मन्नत मांगी थी और बहन मन्नत आपकी बेटी के जन्म के बाद पूरी हो गई थी । परंतु आपकी सास ने अपने उस कूल देवता के मंदिर में प्रसाद नहीं चढाया था जिस वजह से अब इसे मुसीबत का सामना करना पड रहा है और हर एक बात और है । अब आपको यह बात पता लग गई है और आप ने अभी तक इसका उपाय नहीं किया तो यह आपके लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है । पंडित ने कहा, जी पंडित जी इसका उपाय क्या है वह भी बता दीजिए । लगता की मैंने कहा इसका एकमात्र उपाय यही है कि आप या आपके परिवार में से कोई आपके उस कूल देवता के मंदिर में जाए और वहाँ जाकर माधा रगडे । आपकी सास ने आपकी बेटी के जन्म पर एक बकरे की बलि देने की मन्नत मांगी थी । तब आपको यह मतलब पूरी करनी होगी । यानी अब आपको एक काले रंग का बकरा लेकर उस बकरे की बलि देकर और उस बाली दिए हुए बकरे के कटे हुए सिर को अपने माथे पर रखकर अपने कुल देवता के मंदिर में चला जाना होगा । पंडित ने कहा जी मैं कुछ समझी नहीं, अब कहना क्या जा रहे हैं ताकि महीने का बहन जी मैं कौन सा कोई विदेशी भाषा का इस्तेमाल कर रहा हूँ जो कि आपको समझ में नहीं आ रहा । पंडित जी ने कुछ गुस्से में आकर ठोक ताकि भागो का नहीं नहीं पंडित जी मेरे कहने का मतलब है कि अब सीधे सीधे लफ्जों में बताए कि आखिरकर मुझे करना क्या है? मुक्ता की महीने का तो देखिए पहले मेरी कुछ बातों का जवाब हरियाणा में दीजिए । पंडित जी ने कहा ठीक ऍम लोग, ताकि भरने का आप की पहली बेटी है और यह आपकी शादी के चार साल बाद हुई थी । हाँ जाना पंडित ने कहा था वह तक ही महीने का हालत की जहाँ की खादर आपके साथ अपने कुल देवता के मंदिर मन्नत मांगने गई थी जिसके तुरंत बाद ही आप गर्भवती हो गई थी या ना पंडित ने कहा था मुक्ता की माने का जवाब तीन महीने की गर्भवती थी तभी आपकी सास की मृत्यु हो गई थी हाई आना । पंडित ने कहा हाँ बिल्कुल सही मुत्ताकी । मैंने कहा आप के साथ में जो मन्नत मांगी थी वह उसकी मृत्यु के बाद पूरी नहीं हो सकी जिसके कारण आपकी बेटी को परेशानी का सामना करना पड रहा है और भविष्य में आपको कोई परेशानी ना हो इसलिए आपको अपनी सास की मांगी हुई मतलब अपने कुल देवता के मंदिर में जाकर पूरी करनी होगी जो कि एक काले बकरे की बलि देने और उसके कटे हुए सिर को अपने माथे से लगाकर मंदिर में चलाने से ही पूरी होगी । अब मुझे इजाजत दीजिए मेरे जाने का समय हो गया है । पंडित जी ने कहा इसके बाद पंडित अपने घर चला जाता है पर अपने पीछे मुक्ता और उसकी माँ को यह सोचने के लिए छोड जाता है कि अब क्या किया जाए क्योंकि इन की बनाई हुई सारी योजना टीम में मिल जाती है क्योंकि मैं जानता था कि पंडित का बताया हुआ उपाय इतना खतरनाक था के मुक्ता की माँ इसे बिल्कुल भी नहीं कर सकती थी और दूसरी तरफ मुक्ता अब सिर दर्द का वाहन अभी नहीं बना सकती थी क्योंकि वह और उसकी मां जानती है कि अब अंदर उसे सर में दर्द कभी होता है । तो मैं और मेरा परिवार मुक्ता के सर में दर्द होने के कारण पंडित की बताई गई बात को ही मानेंगे और उसे और उसके परिवार पर इस बात का जोर डालेंगे कि वह पंडित की कही हुई बात को पूरा करें । मेरी इस समस्या के हल के लिए मेरे डॉक्टर तो उसने बहुत मदद की । पंडित को मुक्ता की दादी की मदद वाली सारी बात मैंने उसके आने के कुछ घंटे पहले उन पर बता दी थी जो कि मुक्ता ने मुझे आज से सात आठ साल पहले जब हम फोन पर बातें करते थे तब बातों बातों में बता दी थी जो कि मेरे अब बहुत कम आ गयी । मुक्ता की मैं अगले ही दिन चली जाती है और जाते जाते हमें यह विश्वास दिला जाती है कि बहुत जल्द से जल्द पंडित द्वारा बताई गई बात को पूरा करेगी और उसके बाद मुक्ता ने कभी मुझे सर में दर्द होने की कभी शिकायत नहीं की ।

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Sound Engineer

The tale of a troubled kid dealing with his problem of stammering, but possessing abnormally superior brain power. Voiceover Artist : RJ Manish Author : Rohit Verma Author : Rohit Verma Rimpu Producer : Saransh Studios Voiceover Artist : Manish Singhal
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