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हाँ वो भाग ॅ आया । हम काफी ऐसे के बाद एक दूसरे को मिल रहे थे । ऍम डर तो शादी करने के बाद गर्मी हो गया । हमें तो बोल लिया । मनप्रीत ने कहा हूँ नहीं ऐसी कोई बात नहीं है । बस अपनी शादीशुदा जिंदगी में इतना व्यस्त हूँ कि किसी से मिलने के लिए समय नहीं निकाल पा रहा हूँ । मैंने कहा यार ये भी कोई बात फॅार और तो कुछ उदास भी लग रहा है क्या बात है? मनप्रीत ने कहा कुछ नहीं ऍसे मैंने कहा नहीं यार, कोई बात तो है । मनप्रीत ने कहा हूँ क्या बताओ है शादी करके फंस गया हूँ । मैंने कहा या शादी करते है तो सब फस रही है । तुम कौन सा नहीं हूँ तो मैं तो ये सब नहीं करना चाहिए क्योंकि तुमने तो अपनी मर्जी से शादी की थी ना । मनप्रीत ने कहा हूँ । यहीं पर तो गलती कर गया कि मैंने घरवालों की मर्जी के बगैर शादी की । मैंने कहा हूँ और तो क्या बात कर रहे थे खुल के बताएं ऍफ पढाई की मेरी और रोकता के प्यार की कहानी आज से लगभग छह साढे छह साल पहले शुरू हुई थी और इसका शुरू करने वाले भी हमारे माता पिता ही है । पहले प्रमुखता से बात करने को भी राजी नहीं था क्योंकि मैं देखा की जुदाई के गम में डूबा हुआ था । मुझे पहली मुलाकात हुई, अच्छी लगती थी तो मैं यही सोच कर के चाहे दिया कि कहीं भी शिखर जैसे मुझे झगडा करना चली जाये तो घर घर वालों ने हमारे रिश्ते पर अपनी मुहर लगा दी है । मैं भी यही सोच प्रमुखता के करीब आने लगा । शायद से मैं देखा कि जुलाई का काम पूछता हूँ तो काटने को खाते से निकाला जा सकता है और फिर कुछ दिनों में हम एक दूसरे के करीब आने लगे । मैं देखा के बारे में खुलकर मुक्ता के बारे में सोचने लग गया हूँ । उसके बाद मोबाइल फोन पर बात करने का सिलसिला शुरू हो गयी जबकि लगभग पांच साल तक चला है फॅमिली पर इसमें समस्या गया यार ये तो था । मनप्रीत ने कहा कि आप वही तो बता रहा हूँ कि मैंने पांच साल तक उस से फोन पर बातचीत और पांच साल तक हम दोनों का परिवार एक दूसरे के संपर्क में रहा तो शादी के तुरंत बहुत मुक्ता और उसके परिवार का रवैया सिक्के के दूसरे पहलू के जैसे छत से बदल गया । शादी के बाद मुझे पहले जैसे मुकदा और उसका परिवार दिखाई नहीं जो कि आजकल मैंने कहा मैं नहीं मानता तेरी बात करुँ क्योंकि मैं खुद मुक्ताबाई समझ चुके हो । उनका स्वभाव तो बहुत ही आॅफ हो रखा गया तो बताए मेरी पहली लडाई उसके साथ कब हुई थी मिलेगा नहीं तो फॅमिली से पूछा हम लडने की बात कर रहे हमारी तो हाथापाई तक नौबत आ गई है और तुम्हें या जानकर हैरानी होगी कि मेरी और मुक्ता की पहली लडकी है । हमारी सुहागरात वाली रात को हुई थी हूँ हूँ क्या बात कर रहा हूँ ऍम हूँ हमारी पहली बार लडाई सुहागरात वाली रात को हुई थी और एक छोटी सी अंगूठी वजह से फॅमिली से पूछा । इसके बाद मैंने मनप्रीत को शादी से लेकर आपका की हुई सारी बातें बता दी तो सच मुझको बहुत बुरी तरह से फंस गया । मांॅ ऍम उनका मतलब कोई ऐसी तरकीब जैसे कि मेरी समस्या का कोई हल निकल सकें । ॅ एक उपाय है मेरे पास तो मनप्रीत ने कहा हूँ पूछता हूँ क्या? देख तो ये तो मानता या ना कि मुक्ता भाभी का रवैया शादी से पहले ठीक था । माॅस् तो अचानक ऐसी क्या बात हुई होगी कि उसका रवैया अचानक से बदल गया हूँ तो ये सोचा मांॅग नहीं फॅसने का मौका ही कर दिया । मैंने कहा क्या होता पता है क्या लडकी वालों के घर शादी के दिन बहुत से मेहमान आए हुए होते हैं और उन सब मेहमानों में था जैसे मैं मान भी होते हैं जिनका कम लडकी को उल्टी पट्टी पढाकर उसके बसने वाले घर को तबाह करना होता है और मुक्ता भाभी के साथ भी ऐसा ही हुआ हूँ । तो मुझे सिर्फ एक काम करना उस मंत्रा के रूप मैच पे उसका रिश्तेदार को ढूंढना है जिसके इशारे पर वो कठपुतली की तरह नाच रही है और साथ मैं तो सबको भी बचा है । मनप्रीत देखा हूँ तुम कह रहे हो बिलकुल ठीक है तो उस मंथ के रूप में चेंज उसके रिश्तेदार को ढूंढूंगा कैसे हो? मैंने कहा कोई मुश्किल काम नहीं है । जब तुम कर जाते हो तो लगता था अभी तुम्हारा मोबाइल फोन इस्तेमाल करती है ना । मनप्रीत ने कहा बिल्कुल कर दिया मैंने कहा हूँ क्या तुमने कभी ये सोचा है कि वो किस से और क्या बात कर दिया? मनप्रीत लिखा अगर यह बात तुम का पता चल जाए कि मैं किससे और क्या बात कर रही है तो मैं उस मन था के रूप में छपे उस रिश्तेदार को ढूंढने में ज्यादा देर नहीं लगेगी । इसके लिए तो मैं बस एक और करेगा तो बाजार से एक ऐसा मोबाइल खरीद है जिसमें की कॉल रिकॉर्डिंग सॉफ्टवेयर आता हूँ । इससे तो मुक्ता और उसके परिवार के बीच हो रही बातचीत को रिकॉर्ड कर के बाद में सुन सकते हूँ । एक कॉल रिकॉर्डिंग सॉफ्टवेयर तो मैं उस मंत्रा के रूप में तो उसका रिश्तेदार को ढूंढने में तुम्हारे लिए मददगार साबित होगा बचपन । इसने कहा मंत्री का कहना बिल्कुल सही । मुक्ता रोज घंटों बैठ कर मेरा मोबाइल फोन इस्तेमाल करती थी और इस दौरान वह लगातार अपने कुछ रिश्तेदार खासकर अपनी मौसी और मान के संपर्क में रहती थी । मैं उनसे घंटों बैठ कर बातें करती थी, पर अब तो मैं क्या गाते करती थी इस बारे में मुझे कुछ पता नहीं था । इस बात का पता लगाने के लिए मैंने मनप्रीत के कहने के अनुसार अपने मोबाइल फोन में कॉल रिकॉर्डिंग नाम का सॉफ्टवेयर डाल दिया हूँ । इसका फायदा यह हुआ कि जब मुक्ता मेरे मोबाइल से किसी से फोन पर बात कर दी तो यह कॉल रिकॉर्डिंग हम का सॉफ्टवेयर उस की सारी बातें रिकॉर्ड करके अपने आपके मोबाइल में सुरक्षित रख लेता हूँ और उधर को इस बात की भनक तक नहीं लगती थी कि उस की सारी बातें मेरे मोबाइल में रिकॉर्ड हो रही है । वहाँ बिंदास होकर पहले की तरह ही अपने भाई के में सबसे बाते करती रहती थी । मैं अपने मोबाइल फोन में कॉल रिकॉर्डिंग सॉफ्टवेयर की मदद से दुखता की संभालते सुन लेता था । जिस वजह से धीरे धीरे मेरे सामने सारी तस्वीर साफ होने लगी । मुझे अपनी रोज रोज की लडाई झगडे का कारण मिल गया । हमारे इस रोज रोज के लडाई झगडे का कारण मेरी सांस ऑफ मेरी मौसी साथ यानी मुक्ता की माँ और उसकी एक मौसी थी । हमारे घर में जब भी ऊंच नीच जैसी कोई बात होती तो मुक्त मेरे मोबाइल फोन से अपनी माँ या फिर मौसी को बता रही थी और मैं दोनों मुक्ता को समझाने के बजाये उसे गलत ही सलाह दे देती हैं । उनकी बातें हम दोनों के इस रोज रोज के लडाई झगडे में आग बैंक ही का काम करती हूँ । मैं कभी सपने में भी नहीं हो सकता था कि हमारे घर में चल रही लडाई का कारण मेरी सास और मुँह से तो एक दिन मेरा कॉल रिकॉर्डिंग वाला खेल खत्म हो गया । हुआ कुछ यूं कि मेरे ससुराल वालों को यह पता नहीं चल रहा था की बुक ताकि उन से फोन पर की गई बातें उसको कैसे पता चल जाती थी और बहस अब इस बात को लेकर परेशान रहते थे । एक दिन में अपने ससुराल गया हुआ था कि मेरे साले और उसके एक दोस्त ने मुझसे मेरा मोबाइल फोन महंगा और मेरे साले के दोस्त ने मेरे मोबाइल से कॉल रिकॉर्डिंग वाला सॉफ्टवेयर ढूंढ लिया और उन सब के सामने मुक्ता के द्वारा कही गई बातों के रिकॉर्डिंग को चलाकर सबको सुना दिया । शर्म और डर की मिलीजुली प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा था और किसी न किसी तरह मैं बहाने बनाकर इस पर स्थिति को संभालता हूँ । उस दिन के बाद मुक्ता ने मेरे मोबाइल फोन से फोन करना बंद कर दिया और मुझे अपने लिए एक अलग कौन रखने की मांग करने लगी । मैं एक बात जाता था कि अगर मैंने उसको फोन अलग से लाकर दे दिया तो उसके और उसके मायके वालों की आपस में सीधी बात होने लगेगी, जिसका सीधा मतलब दिया था कि मुक्ता मुझको अग्रीमा और मौसी के कहने पर टोकरी की तरह रचना जाएगी । मैं यहाँ सब नहीं होने देना चाहता था, जिस वजह से मैं मुक्ता की फोन की बात को बार बार ठुकरा रहा था । परंतु मुक्ता के मायके वाले भी किसी से कम नहीं है । मुक्ता का जन्मदिन आने वाला था । शादी के बाद यह उसका पहला जन्मदिन था । परिवार में खुशी का माहौल था । शाम को मुक्ता के परिवार वाले उसका जन्मदिन मनाने के लिए घर आए हुए थे और बहन मुक्ता को उसके जन्मदिन पर एक नया मोबाइल फोन तोहफे के रूप में दे गए । फॅमिली इस मोबाइल को देख कर मैं जहाँ हैरान और और आस्था वहीं मुक्ता इस मोबाइल को लेकर बहुत हो जाती है और बहन अपनी खुशी का इजहार मेरी और बार बार देख कर मुस्कुराते हुए कर रही थी और मैं कुछ न कर पाने की व्यवस्था के कारण मान बाहर कर बैठ गया था । मैं मुक्ता को मोबाइल देने से मना नहीं कर सकता था क्योंकि एक तो उसे यह मोबाइल उसके जन्मदिन में तो फिर के रूप में मिला है वो और दूसरा मैं पहले ही पुख्ता के मायके से आये दहेज के पालन पर शराब के नशे में गलती लगी ठोकर का खामियाजा भुगत चुका था । अब मेरी क्या मजाल थी कि मैं मायके से आए हुए तो फेको मुक्ता को रखने से इंकार करते हैं । यही मायके के मोबाइल फोन ने मेरे और मुक्ता के रिश्ता के बीच की दीवार के लिए कीटों का काम किया । एक दिन मैं मुक्ता के साथ उसके भाई के गया हुआ था । वहाँ उसकी बहन अलकाबी आई हुई थी । घर के सभी सदस्य किसी काम से बाहर गए हुए थे । घर में मैं होता और उसकी बहन अलका थी । अभी अलका को मेरी सास का फोन आया । उसने कहा लेवल का कहाँ पर हो तो मुझे मैं तो आपके घर पर ही हूँ । तो क्या बात हो गई । माल करने का कुछ नहीं । वो गुरु जी की तरफ से फोन आया था । उनके एक शिष्य हमारे शहर आए हुए हैं और मैं घर पर आना चाहते हैं ताकि मैंने कहा तो पहले तो हम ने कौनसा उनको रोक रखा है । हल्का ने कहा मेरा कहने का मतलब है वहाँ तो सेवाभाव से उनकी सरकार करना । हम भी जल्दी वापस आ रहे हैं तो ताकि मैं देखा हूँ । ठीक है जी अल्का निकले दुखता की माँ दस करो जी के बारे में बात कर रही थी । उनका गुरु तो होते ईश्वरलाल है । मुक्ता के मायके के सभी सदस्यों ने उन्ही से नाम दीक्षा ग्रहण की है, वैसा उन्हीं के रंग में रंगे हैं । मेरे लिए आश्चर्य की बात यह थी कि भगवान की भक्ति छोड दिन रात उस करोडों देशभर लाल की पूजा करते थे की भक्ति से घर का माहौल कुछ अजीब सा हो गया था कि कुछ आप भी जल्दी से नहीं कर तैयार हो जाए और उसी के शीशे घर पर आ रहे हैं । हल्का ने मुझसे कहा हूँ क्यों दीदी, अभी यहाँ कौन है? मैंने हल्का से पूछा तो बहन के बारे में कुछ नहीं पता हूँ, कल करने का नहीं कौन रहेंगे? मैंने पूछा ये हमारे करो जी के परम शिष्य है । ये बहुत ही पहुंचे हुए संत है । इनको किसी भी मनुष्य के अगले और पिछले जन्म के बारे में पता है यानी है सब जानते हैं । लडका ने कहा सब जानते हैं क्या जानते हैं पहले हैरानी से पूछा । मेरा कहने का मतलब है कि यह किसी भी व्यक्ति के भविष्य के बारे में जानते हैं । हल्का ने कहा छोडो दीदी, आप भी क्या बात कर रही हूँ । मैं इन बातों में विश्वास नहीं करता हूँ । मैंने कहा पहले होती थी कि ऐसा बातें इनकी समझ में नहीं आएंगी । बताने हल्का से कहा तो मैं इन सब बातों में यकीन नहीं करता हूँ । फॅमिली का बात मुक्ता से काॅफी आप इन सब बातों पर यकीन क्यों नहीं करते? अलका ने कहा, दीदी, मैं इस विषय पर ज्यादा नहीं बोलना चाहता हूँ क्योंकि इससे आपकी आस्था को ठेस पहुंच सकती है । मैं बस इतना ही कहूंगा कि कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के आने वाले समय के बारे में ऐसे बता सकता है । मैंने कहा ऐसा हो सकता है क्योंकि बहुत करो जी का बेहद प्रिय शिष्य और गुरु जी का उसे खास आशीर्वाद प्राप्त हैं । फॅमिली चलो ठीक हूँ, मैं आप से और ज्यादा बहस नहीं करना चाहते हैं । अगर आप सच बोल रहे हैं तो आपके गुरुजी की परीक्षा लेना चाहता हूँ । अगर आपके गुरुजी मेरी इस परीक्षा में पास हो गए तो मैं उनसे नाम दीक्षा ले लूंगा । बनाकर नहीं हुए तो जैसा मैं चाहूंगा तो वैसा आपको करना पडेगा । मैंने कहा हूँ ठीक है जैसी तुम्हारी मासी परन्तु तो बल्कि परीक्षा कैसे लोग हैं । हल्का ने पूछा है कोई ज्यादा मुश्किल काम नहीं है । आपके वो गुरु जी के शिष्य मेरे बारे में नहीं जानते हैं और ना ही उन्हें मेरे बारे में कुछ जानकारी है । तो करना यह है कि आपको मेरी मुलाकात उनसे करवानी है परन्तु मेरे बारे में उनके सामने कुछ नहीं बोल रहा है । मैं उनसे अपने बारे में कुछ सम्भाल करूंगा जिनका उत्तर केवल मैं क्या आप जानते हैं? तो अगर आपके गुरु जी के शिष्य ने मेरे बारे में सही सही बता दिया तो मैं यह मानना होगा कि सच में उनके पास कोई रूहानी ताकत है तो मैंने कहा ठीक है, हमें मंजूर है क्योंकि हमें उन पर पूरा विश्वास है तो वह हमारे विश्वास पर खरा उतरेंगे । अलका ने कहा, उसके बाद अलका मुझे उस गुरु जी के शीर्षक के पास ले गए और उन से मेरा परिचय करवाने लगी । उसने कहा, गुरुजी यह मेरे दोस्त हैं । इनका नाम अनिल है और यह आपसे कुछ पूछना चाहते हैं, उसको रोके । शिष्य ने मेरी तरफ देखा और उसने मुझसे पूछा बोलो बेटा, क्या समस्या है तुम्हारी? जी मेरा नाम जी को है तरह? यह मेरी समस्या नहीं है । मेरी समस्या यह है कि मैं अपने भविष्य को लेकर कुछ चिंतित रहता हूँ । क्या आप मेरा कुछ हमारे दर्शन करेंगे? मैंने कहा आप बिल्कुल करेंगे, हम तुम्हारी मदद जरूर करेंगे । बताऊँ तुम अपने भविष्य के बारे में क्या जानना चाहती हूँ? कुछ है यहाँ पे तो बहुत है तो सबसे पहले मैं आपकी पढाई और व्यवसाय को लेकर परेशानी की । आप इस बारे में बिना कुछ मार्गदर्शन करेंगे । मैंने पूछा मेरे सवाल पूछने के बाद बहन मेरी और देखने लगा और मेरे सर पर हाथ रखकर बैठ गया । उसे कुछ मंत्र पढे ना बोलने लगा हूँ और कुछ देर बाद उसने कहा बेटा हूँ मैं अपनी फॅमिली से या देख रहा हूँ कि तुम पढाई में तो कमजोर रहोगे परंतु तुम्हारा व्यवसाय तुम्हारी जन्मभूमि में नहीं चलेगा । हाँ अगर उनके देश जाना चाहो तो जा सकते हो क्योंकि तुम्हारी किस्मत में विदेश जाने का योग है । मंद मंद मुस्कुराते हुए अलका की ओर देखने लगा । उसके बाद मैंने करो जी से कहा गुरुजी मेरे में वहाँ संबंधी कुछ बताएं क्योंकि इस बारे में मेरे परिवार वाले बेहद चिंतित रहते हैं । वहां तुम्हारा तीस साल की उम्र के बाद ही होगा । अभी तो भरे मस्तक पर वहाँ का कोई योग नहीं दिखा दूँ । गुरु के शिष्य ने कहा गुरूजी मेरी होने वाली पत्नी के बारे में कुछ पता है कि वह कैसी होगी और उसकी सभाओं कैसा होगा । मैंने मजाकिया लहजे से पूछा बेटा जी तुम्हारी मस्तक की रेखाएं बता रही थी कि तुम्हारी होने वाली पत्नी सुंदर और शांतचित्त मन की होगी । वह तुम्हारे परिवार के सभी सदस्यों का बहुत ही आदर सत्कार करेगी तो में है और तुम्हारे परिवार को साथ लेकर तुम्हारे अभी अभी की ओर हो जाएगी । गुरु के शिष्य ने कहा उस के इतना कहते ही मैं अपनी हसी को रोकना सका और जोर जोर से हंसने लगा । मुझे इस प्रकार हस्ता देख अलका भी हसते लगी । तभी उस गुरु के शिष्य ने मुझसे मेरे इस प्रकार हंसने का कारण पूछा तो मैंने कहा गुरु जी, आपको पता भी है कि मैं कौन हूँ । मेरा नाम चीज को है और मैं डॉक्टर हूं । यह साथ में जो बैठी हुई है यह मेरी पत्नी है यानी मैं घर का दामाद हूँ । मेरी बात सुनते ही उस गुरु के शिष्य को पता लग गया कि जो भी उसने मेरे बारे में बताया था । ऐसा भी झूठ था जिस वजह से उसकी हमारे सामने बहुत बेईज्जती हुई है । अपनी बेइज्जती को छिपाने के लिए बहुत गुस्से का दिखावा करते हुए हमें कह रहे हैं तो मैं एक सन्यासी के साथ मजाक करके अच्छा नहीं किया तो उसका फल भुगतना होगा । मैं तो मैं शराब देता हूँ । कितने मैं कुछ कहता कि मेरे कहने से पहले ही होता, उससे माफी मांगने लगती है । उसका इस प्रकार से माफी मांगना मुझे अच्छा नहीं लगा और मैं उस गुरु के चेहरों के सामने एक नाटक खेलने लगता हूँ और उसे कहता हूँ तो मुझे आप शायद मुझे नहीं जानते हैं । मैं डॉक्टर होने के साथ साथ एक जादू करती हूँ । आप मुझे क्या शराब देंगे? उस से पहले मैं आपको अपनी जादू की शक्ति से आपको हार्ट अटैक देकर अब की जान ले सकता हूँ और यह करने में मुझे सिर्फ कुछ ही मिनट का समय लगेगा । मेरा इतना कहते ही मैं कुछ डर जाता है परंतु हल्का मुक्ता मेरी और है । हरी से देखने लगती है । अभी बहन को रोका चला कहता है तो छूट बोल रहे हो क्योंकि ऐसा करना नामुमकिन है क्योंकि जादू वगैरह नाम की कोई चीज नहीं होती है तो मैं ये कैसे कह दिया की जादू नाम की कोई चीज नहीं होती । जबकि तुम खुद एक ऐसे गुरु के चले हो जो किसी का भी भविष्य बताने और उसके भविष्य बदलने का दावा करता है । और रही बात मेरी जादू की शक्ति की जब आपको हार्ट अटैक आएगा और अब सीधा उस भगवान के चरणों में लेट हो जाओगे । तो आपको मेरे जादू पर विश्वास हो जाएगा । मैंने कहा नहीं तो ऐसा नहीं कर सकते हैं क्योंकि अगर तो ऐसा करोगे तो तो जेल भी हो सकती है । और इस उम्र में तुम जेल नहीं जाना चाहोगे । उससे डरते हुए कहा । उसकी बातों में डर साफ झलक रहा था । मैंने भी उसके इसी धर का फायदा उठाया और झट से उसके सीने पर हाथ रख दिया । उसके बाद मैं आंखे बंद करने का नाटक करते हुए उन्होंने कुछ पढ पढाने लगा में ऐसा करते ही वह झट से मुझे पीछा छुडाकर भाग गया । उसके भागते ही मैं खडा होकर सोर्स जोर से हंसने लगा देख लिया दीदी यह है तुम्हारे बाबा का चेला जो सिर्फ झूठ और पाखंड का खेल खेलकर आप जैसे भोले लोगों को बेवकूफ बनाकर अपनी दुकान चला सकते हैं । लोगों की मानसिकता का फायदा उठाते हैं क्योंकि तो मंदिर भी जाता है तो मस्जिद पे जाता है वो नहीं आज भी चलता है । वो प्रसाद भी खिलाडी है । वो वाहेगुरु भी कहता है वो राम नाम भी जानता है वो चर्च में मोमबत्ती भी चलता है, बंदरगाहों में दिया भी चलता है वो से भी रख पाता है वह भी डलवाना है । वह कब आलिया भी सुनता है । वह अर्थियां भी लगता है तो जागरण भी करवाता है । वो अखंडपाठ पे रखवाता है तो ताबीज बांधता है । वो टोनेटोटके भी करवाता है क्योंकि दुखी और परेशान व्यक्ति का दोस्तों कोई डर नहीं होता । कुछ ही समय के बाद मेरे साथ ससुर भी वापस आ जाते हैं और उस गुरु के चेले के बारे में पूछने लग जाते हैं । अल्का और मुक्ता उनको अभी अभी हुआ सब वृतान्त सुना देते हैं । जब उनको यह पता चलता है कि कैसे मैंने उनके घर आए उनके गुरु जी के चेले को डराकर भगा दिया तो वह बहुत गुस्सा होते हैं और मुझे लडने झगडने लगते हैं । हमारा झगडा इतना बढ जाता है की बात मेरे माता पिता तक पहुंच जाती है । मेरी माँ भी मेरी सांस की तरह धार्मिक सद्भाव की होने के कारण मुझे ही दोषी ठहराती है । मेरी और मुक्ता की शादी को हुए एक साल के लगभग का समय हो गया था परंतु अभी तक हमें औलाद का सुख प्राप्त नहीं हो रहा था । हम दोनों ने हालत पाने के लिए कई जगह से इलाज करवाया परंतु सब व्यर्थ साबित हुआ । हमने डॉक्टरी इलाज से लेकर बालाओं और कई पंडितों से अपना इलाज करवाया पर तो हालत का तो खोलना या ना हो ना तो इंसान के हाथ में नहीं कुदरत के हाथ में होता है । जब मेरी समझ ने मेरी माँ को उनके गुरु रोते ईश्वरलाल के बारे में बताया कि उनके यहाँ जाकर उनके पास माथा टेकने वाले दंपति को औलाद का सुख जरूर प्राप्त होता है । और खास बात ये है कि हम लाद के रूप में लडका ही होता है तब मेरी माँ उस करोडों देशभर लाल के पास जाने की जिद करने लगती है । परन्तु मुझ को पहले ही इन सब में विश्वास नहीं होता क्योंकि बचपन में मैं बाबा भी शाह के कारनामें देख चुका होता हूँ । जिस वजह से मैं अपने परिवार में उस गुरु रोहदे ईश्वरलाल के पास माथा टेकने से ही हालत का सुख प्राप्त होने वाली बात को सिरे से खारिज कर देता हूँ । यानि कि मैं उस बाबा के पास जाने से मना कर देता हूँ परन्तु कहते हैं कि औरत और भगवान की मर्जी के आगे आती और शैतान की एक नहीं चलती । आखिरकार मुझको माँ और मुक्ता के कहने पर उस गुरु के पास मारता देखने जाना पडता है मेरे साथ मेरे साथ यानी मुक्ता की मैं भी साथ में होती है मैं उस बाबा के बनाए हुए मंदिर लम्बा जगह का नजारा देखकर बहुत हैरान होता हूँ । बाहर उस बाबा के भक्त हजारों की संख्या में माथा देखने आए हुए थे, जिनमें से ज्यादातर हालत की कामना लेकर आए थे । कुछ लोग बाहर ढोल बाजे के साथ माता देखने आ रहे थे । मैं ये सब देख रहा था । तभी मुक्ता के मैंने कहा उन देखा बेटा कितने पहुंचे हुए गुरु है यह रोते ईश्वरलाल लोग इनके पास ढोल बजाते हुए आ रहे हैं की उमर धूल में जा कर क्या रहे हैं? मैंने पूछा वैसे तो मुझे भी पता होता है कि बहन लोग ढोल बजाकर क्यों आ रहे हैं? परन्तु फिर भी मैं एक बार मुक्ता कि बहुत से इस बारे में सुनना चाहता था । बेटा जिन लोगों की मनोकामना पूरी हो जाती है वह लोग इस प्रकार से ढोल बजा कराते हैं और जब हमारी मनोकामना पूरी हो जाएगी तब हम भी ढोल बजा कराएंगे ताकि मैंने कहा कौनसे मनोकामना माजी । मैंने जानबूझ कर अनजान बनते हुए कहा तो हमारे घर में एक लाल का जन्म हो, यही हमारी मनोकामना है और यही लाल तो हम करोडों देशभर लाल से मांगना है । मुक्ता की माँ ने कहा अच्छा आप समझा । यानी जिन लोगों ने यहाँ मन्नत मांगी होगी कि अगर उनके घर बच्चा पैदा होगा और उनकी मतलब पूरी हो जाएगी तो वह ढोल बजाकर यहाँ माथा टेकने रहेंगे । मैंने कहा हाँ बिल्कुल मुक्ता की मैंने कहा परन्तु बाजी एक बात बताओ जिन लोगों ने यहाँ मन्नत मांगी और उनकी मन्नत पूरी हो गयी, बहतु ढोल बजाकर यहाँ आएंगे । परंतु जिन लोगों ने मन्नत मांगी और वह पूरी नहीं हुई तब वह क्या बजाते हुए आएंगे? मैंने कहा मेरी बात का मुक्ता की माँ के पास कोई जवाब नहीं होता और मुझसे तहत दूरी बना लेती है परंतु मेरी यहाँ जब बात मेरी माँ चल रही होती है और बहन मेरी बात के जवाब में कहती है बेटा जिनके कर्मों में हालत का होना लिखा होता है, उन्हीं को ही औलाद का सुख प्राप्त होता है । बिना कर्मों के किसी को कुछ नहीं मिलता । माँ अगर हालात का होना या न होना मेरे कर्मों के ऊपर निर्भर हैं तो छोडो इस गुरु होते ईश्वरलाल का चक्कर और चलो अपने घर चलते हैं । अगर हमारे कर्मों में हालत का सुख होगा तो वह हमें जरूर प्राप्त होगा । मैंने कहा मेरी बात का माल के पास कोई जवाब दूध आ रही पर दस करोड देशभर लाल में अंधश्रद्धा के कारण मुझे और मेरी पत्नी को वहाँ उनके गुरु के पास माथा देखना पडा परन्तु दूसरी तरफ मैं ऑनलाइन प्राप्ति के लिए अपने किसी जान पहचान के डॉक्टर से संपर्क करता हूँ । उस डॉक्टर के तीन चार महीने के कोर्स के बाद कुत्ता फिर से गर्भवती हो जाती है । मुक्ता के दूसरी बार गर्भवती होने पर मैं उसे प्यार से और डांट कर दोनों तरीको से समझाता हूँ कि अगर इस बार उसने मायके की मोबाइल की बात मानकर कुछ भी उल्टा सीधा कदम उठाया तो इससे बुरा कोई नहीं होगा । मुक्ता दूसरी बार गर्भवती हुई थी । मेरे और मुक्ता के परिवार वाले इसका श्रेय गुरु रोज देशभर लाल को देते थे । तुरंत तो मैं जानता था कि मुक्ता के गर्भवती होने के पीछे का कारण उनके गुरु के पास जाकर मन्नत मांगना नहीं बल्कि उसकी डॉक्टरी इलाज है । परन्तु मैं किसी से इस बारे में ये बात नहीं करता । मैं खुशी और चिंता के दौर से गुजर रहा था और मैं मुक्ता की हर जायज और नाजायज मांग को किसी न किसी तरह है पूरा कर रहा था ताकि वह कोई समस्या ना खडी करते क्योंकि मुझे और मेरे परिवार वालों को लगता था कि भत्ता को एक बच्चा हो जाने के बाद उसकी नादानियां और बार बार होने वाला लडाई झगडा कम हो जाएगा क्योंकि उसका सारा ध्यान बच्चे के लालन पालन की ओर लग जाएगा और मुक्ता को बच्चे लडने चढने की ओर ध्यान नहीं रहेगा । मुक्ता अपनी गर्भावस्था के आखिरी चरण में थी इसलिए हमारे परिवार के सभी सदस्यों ने अपने सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए थे । अगर किसी को बाहर किसी काम के लिए जाना भी पडता तो कोई ना कोई एक सदस्य उसके पास जरूर होता । आखिरकार पैसा मैं आ ही गया जिसका हम सब बडी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे । अक्टूबर के मध्य का समय था । एक दिन मुक्ता की तबियत कुछ खराब हो गयी । हम सभी उसे रात को जल्दी से स्थानीय अस्पताल ले जाते हैं । डॉक्टर अब कर प्राथमिक उपचार शुरू कर देता है । मैं परिवार सहित अस्पताल के प्रतीक्षालय में बैठकर अच्छी खबर आने का इंतजार कर रहा था । मेरे लिए इस पल की व्याख्या करना नामुमकिन था । यह इंतजार करना मेरे जीवन का सबसे सुनहरी लग रहा था और कुछ ही समय के बाद पूरा अस्पताल एक बच्चे के होने की आकाश से गूंजने लगा । तुरंत ही एक नर्स कमरे से बाहर आई और उस ने हमें बताया कि हमारे घर में लक्ष्मी ने जन्म लिया है । मैं एक लडकी का पिता बन गया था और इस एहसास को बयान करना बहुत ही मुश्किल था । मेरी आंखों में से खुशी के बारे आँसू निकल पडे थे । मैंने डर से गुप्ता और अपनी बेटी से मिलने की इच्छा जाहिर की तो नर्स नहीं ये कह दिया कि अभी इसमें कुछ समय है और मुझे कुछ इंतजार करना पडेगा । इंतजार यही तो नहीं हो रहा था मुझे मैं कुछ देर बाहर अस्पताल के पार्क में जाकर बैठ गया और अपनी आने वाली जिंदगी के बारे में आंखे बंद करके सोचने लगा मुझको अपनी सारी परेशानियाँ खत्म होने का एहसास होने लगा । मेरी पिछली सारी जिंदगी चुनौतियों से भरी थी । पहले में अपनी हकलाहट की समस्या की वजह से परेशान था जिस वजह से मैं ठीक ढंग से पढाई नहीं कर पा रहा था और न ही कोई सच्चा दोस्त बना पाया । मेरी इस हकलाहट की समस्या की वजह से ही मेरा पहला प्यार यानी शिखा ने भी मुझे ठुकरा दिया था । उसके प्यार को बोलने के लिए मेरे मुक्ता के बिहार का सहारा लिया । मुक्ता के प्यार में पडकर शिखा और अपनी हकलाहट की समस्या दोनों को ही भूल गया । परंतु फुटता के साथ शादी करने के बाद मैं एक पल के लिए भी सुख की नींद नहीं सोया । बेशक मैंने परिवार की मर्जी के बगैर घर से भागकर शादी की थी परंतु क्या इसमें अपनी कोई गलती नहीं मानता था? क्योंकि मेरी इस मर्जी की शुरुआत यानी मुक्ता से मेरी मुलाकात भी तो मेरे परिवार वालों नहीं करवाई थी । उन्होंने ही तो हमारे प्यार को हवा देकर यह फैसला करने के लिए मजबूर किया था । परन्तु बता के संभाव को क्या हो गया था? मैं पहले जैसे क्यों नहीं थी? शादी के पहले मैंने जिस मुक्ता से प्यार किया था, वह अमुक्ता शादी के बाद कहीं कुम से हो गई थी । पसंद तो मेरे घर में एक नदी पर ही नहीं जान में ले लिया है । अब मेरी सभी परेशानियों का हल हो सकता है क्योंकि बेटी की परवरिश में पूरी तरह से लिप्त रहने की वजह से मुक्ता को मुझे और मेरे परिवार वालों को परेशान करने का बहुत ही नहीं मिलेगा । अब मैं और मेरे परिवार वाले सुख की तीन सोया करेंगे । मैं यहाँ सब सोच रहा था कि मुझे एहसास हुआ कि कोई मुझे दिन से जगह रहा है । मैंने आंखे खोली तो मैंने देखा की संध्या मुझे दिन से उठा रही है और उसके हाथ में कपडा है जिसको उसने बहुत ध्यान से उठा रखा है । मैं एक का एक बट कर बैठ गया । सिध्यानी बहन कपडे का टुकडा मुझे पकडा दिया और मुझे ध्यान से पकडने को कहा । मैंने पूरी सावधानी से उस कपडे के टुकडे को पकडा और सावधानी के साथ ही उसे खोजने लगा । मैंने उसका पडेगा टुकडी को खोला । उसमें मेरी बेटी थी । मैं बहुत ही सुन्दर लग रहा था । मेरी हो रखे खोलकर देख रही थी । उसका रंग एकदम गोरा था । मैंने उसके छोटे छोटे हाथों को पकडा और उसे चूमने लगा । मेरी आंखों में रह सकते हैं । संध्या गया है सब देख रही थी और वह मेरी आँखों से पानी साफ करते हुए खुद मना हो रही थी । मैंने बहुत देर तक उसे पकडे रखा है । मैं उसके साथ खेलने में मग्न हो गया । मैं कभी उसके छोटे छोटे हाथों को पकडता है तो कभी उसके पैर को पकडकर चूमने लगता हैं में उसके सिर को बार बार सहला रहा था । खुशी के बारे मेरे मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था । मैं उसे पागलो की तरह बातें कर रहा था । अगले दिन सुबह मुक्ता को अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी और हम मुक्ता और नहीं से जांच को लेकर घर आ गए थे । मेरे परिवार के सभी सदस्यों ने मुक्ता और हमारी बेटी का स्वागत बहुत ही जोर शोर से किया था । मेरे छोटे भाई अपनी भतीजी के स्वागत के लिए मेरा कमरा खूब सजाया हुआ था । यही नहीं उसने अपनी भतीजी के स्वागत के लिए ढोल और बाजे का भी प्रबंध किया था । मुझे आज भी याद है कि मैं और मेरा भाई पूरे परिवार के साथ खूब ना चाहते हैं । हर तरफ खुशियां खेतों में तैयार के उनकी फसलों के जैसे लहरा रही थी । हो गया बहुत ही सुखद लग रहा था तेरे जीवन का यह सबसे सुनाई दे रहा था । चारों तरफ चहल पहल थे कि घर में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ था । उन बधाई देने वालों में से एक मेरी ताई भी थी, जो हमारे साथ ही पढा उसमें रहती थी । मैं आई और मुक्ता और माँ के पास बैठ कर कुछ से बोली बधाई हो जी को बेटा बहुत बहुत बडा ही हूँ । आपको भी ताई जी बहुत बहुत बधाई हो । मैंने ताई से कहा बेटा, निराश में तो लडकी हुई है । फिर क्या हुआ? घर में लक्ष्मी आई है ताई देगा ताई इसमें निराश होने वाली क्या बात है? मैंने कहा नहीं नहीं बेटा, मेरा कहने का मतलब है कि लडकी हुई है और या लक्ष्मी के समान है । इसको लडका ही समझना और लडकी के जैसे उसकी परवरिश कर रहे ताई ने कहा ताइतुंग है बार बार लडकी लडकी क्या लगा रखा है मेरी बेटी हाँ, उसकी परवरिश लडका समझकर क्यों करूँ? थोडा गुस्से में कहा बेटा तू तो झगडा करने पर उतारू हो गया । मेरे कहने का मतलब है कि तीन साल के शादीशुदा जिंदगी के बाद भगवान ने तेरे घर पर औलाद दी और वह भी एक लडकी कहीं तो इससे निराश ना हो जाए और इसलिए मैं तो बस तुम्हें सांत्वना दे रही थी और तू है कि मेरी बातों का गुस्सा कर रहा है । भाई ने कहा ताइक इन बातों से मेरा गुस्सा और बढ गया परन्तु मैं किसी प्रकार चुक रहा क्योंकि मैं अपनी खुशियों के रंग में भंग नहीं डालना चाहता था और मैंने वहाँ से चले जाने में ही अपनी भलाई समझी । मैं उनकी बातों को अनदेखा करके अपने भाई के साथ ढोल की थाप पर मैं सच में लग गया क्योंकि यह हमारे परिवार में औलाद के रूप में जन्मी पहली लडकी थी । हमारे लिए तो जैसे खेलने के लिए कोई खिलाना ही मिल गया हो । मेरी बुआ ने मेरी लडकी का नाम पर ही रखा है और सभी उसे पारी के नाम से ही बुलाने लग गए । पारी को हालत के रूप में बाकर मेरी तो जैसे दुनिया ही बदल गई । मैं जब क्लीनिक से घर आकर बरी के साथ खेलता तो सारे दिन की थकावट और तनाव तो जैसे भूल ही जाता । सारे परिवार का ध्यान परी ने अपनी ओर खींच रखा था । मुझे लगता था कि मेरे वैवाहिक जीवन में कोई भी कलह कलेश नहीं होगा परन्तु मुझको शायद इस बात का पता नहीं था कि और कोई शायद मेरा साथ न निभाए परन्तु कलह कलेश, लडाई झगडा मेरे जीवन भर साथ निभाने वाले थे । मुक्ता नेताई की बातों को याद रखा हुआ था और उसको समय आने पर गडे मुर्दा उखाडने में महारत हासिल थी । एक दिन जब मुक्ता के परिवार वाले उससे मिलने हमारे घर आए हुए थे तो उसने मौका पाकर ताई द्वारा कही बातें अपनी बात को सुन रही थी । फिर क्या था मुक्ता के महत्व जैसे हम से लडने का बहाना ढूंढ रही थी । मुझे आज भी याद है उस दिन मुक्ता की माँ ने हमारे परिवार के साथ ताई की कही बात का मुद्दा बनाकर खूब लगाएगी तो और यही नहीं वह अमुक्ता को भी अपने साथ साथ मायके ले जाने और हम पर केस करने और हमारे सभी रिश्तेदारों में हमें सलील करने की धमकी देने लगी थी । तभी मेरे दादा दादी ने बीच बचाव करके स्थिति को संभाला । मुक्ता को ज्ञात हो गया था की मैं और परिवार पर इसे बहुत प्यार करते हैं । करे भी क्यों नहीं पर मेरे परिवार में पहली वाली थी । पर पहला बच्चा सभी को कहना होता है लगता और उसकी माँ किसी प्यार का नाजायज फायदा उठा दी थी । अब बहुत जब भी कभी मुझे लडाई झगडा करती तो वह जानबूझकर रोड कर अपने भाई के चली जाती है या फिर अपने मायके वालों को बुलाकर उन्हें अपने साथ ले जाने के लिए कहती । मैं अपने साथ पारी को भी ले जाती है । मैं और मेरे परिवार के बाकी सदस्य परी के बिना नहीं रह सकते थे । जिस कारण हम सब मुक्ता को किसी ना किसी प्रकार से समझा पचाकर जल्द ही मायके से लेने चले जाते हैं ।
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