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04 फ़ासले - दादी प्रेम in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
"वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो के न याद हो|  ये जो फासले हैं, मिट जाएंगे, बस कुछ तुम बढ़ो, कुछ हम बढ़ें।"
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शादी प्रेम आज रविवार के दिन रीना ठक्कर चोर हो गए । सुबह से मेहमानों का तांता अब समाप्त होगा । कुछ देर आराम करना चाहती थी, परंतु आज छुट्टी के दिन उसे हराम नहीं मिला था । पुत्र और पुत्रवधू बाजार घूमने चले गए और घर में रीना, राकेश और पौत्र शौर्य रहे गए । शौर्य के उम्र साढे तीन वर्ष को तो बस खेल कूद में मस्त था । राकेश के साथ छोड रहे सभी के पार्क में घूमने चले गए । शौर्य को झूला झूलने में आनंद आता था । झूला झूलने के बाद दादा पोता ने पार्क के ट्रैक पर दो चक्कर लगा है । सारा दिन थमा मस्ती और शाम को पार्क में झूला झूलने और सैर करने के पश्चात शाम थक गया और एक बेंच पर बैठकर शर्रे वो देखो सुंदर तोते तोता क्या होता है वो पेड पर हरे रंग विपक्षी बैठे । उनको तोता कहते हैं कहाँ दादू वो पेड पर बैठे मुझे तीन हजार ही नहीं आ रहे हैं । पेड की हरी पत्तियों में हरे रंग के तोते सारे को दिखाई नहीं दे पा रह गया । तभी दो तोते बेड से उडकर मीठे छोले की रेलिंग पर बैठ गए । शौर्य पूरे हो छोले के ऊपर बैठे हैं । अब शौर्य को झूले के ऊपर बैठे तोते नजर आ रहा है । हटा दूँ बहुत सुन्दर है । शुक्र उनको पास देखने के लिए छोले के पास गया । तब तक तोते उडकर दूसरे पेड पर बैठ गए । दादू देखो फिर उठ गए । पक्षी तोड के रहते हैं । वो कितने सारे कबूतर दाना चल रहे हैं । शायद हम लोग जो शहर के लिए पार्क आते हैं, कबूतर के लिए बाजरा और मक्का के दाने यहाँ रखते हैं और पीने का पानी भी रखा है । कबूतर बताना चाहते हैं और पानी पीते हैं । शौर्य कबूतर को ताना चुकता और पानी पीते हुए देख रहा था । तभी रीना का फोन आया कि पार्क से वापस आते समय सबसे और रोटियाँ जाना चलो शौर्य घर चलते हैं, नहीं था तो अब भी नहीं चलो । दादी का फोन है सब्जी और फ्रूट लेना । कौनसे सबसे लेने दादू आलू, टमाटर पॅन दे खेरा सीताफल को भी और गाजर रूट में सेब, अनार, चीकू और अंको दादा पोता की जोडी सबसे फ्रूट के साथ घर लौट दिया । तीन । वो फुलाकर सोफे पर बैठे हैं । दादी कहकर शौर्य रीना से चिपक गया और रीना ने शाम को आलिंगन में लिया । परंतु रीना उत्साहित नहीं थी । कुछ तो सारा दिन मेहमानों के साथ समय बिताने पर थक गई थी और कुछ नाराजगी पुत्र पुत्रवधू के घूमने के लिए चले जाने के कारण थी । नौकरानी बनाकर रख दिया । मेहमानो की पार्टी खत्म हुई और नबाबों की तरह घूमने चले गए । ऍम कोई मदद देने वाला है नहीं एक दिन घूमने नहीं जाएंगे तो क्या हो जाएगा । आज कल की लडकियों से काम मत करूँ । फॅालो काम करने को करुँ तब बहाने हजार तैयार होते हैं । सेना काम बोलो क्या है हो जाएगा धीरे धीरे हो जाएगा मुझे कम । राकेश ने रीना को कहा कुछ नहीं होना तुम शौर्य को देखो शैतानियों में लगा हुआ है । सारी कंपनी बाहर पडी हुई है कई तोडना देंगे । मैं पहले क्रॉकरी अलमारी में रखते हैं पड पढाती हुई काम में लग गए । दादा पोता मस्तियों में लगे हुए शौर्यता अदा के कंधे पर चढकर सर में चंपी करने लगा । रीना कम समेत कराई और दादा पोता की मस्तियाँ देखकर उड गई खाना बना रही हूँ मस्तियाँ मत करो जिसको देखो अपने में मस्त हैं मेरी किसी को परवानी नौकरानी भी मेरे से अच्छी है । उसको पता था मैं मानाने महारानी छुट्टी कर गई । बच्चे भी नौ दो ग्यारह हो गए । कितना भी नहीं सोचा कि ये उम्र बुढिया के काम करने की सिलाने खाना । डाइनिंग टेबल पर रखा शौर्य पूरे दिन की धमाचौकडी के बाद थककर चूर हो चुका था । खाने की प्लेट के पास के पानी के गिलास को उठाने के लिए हाथ बढाया और प्लेट थोडा गई । तल के कटोरी डाइनिंग टेबल से नीचे गिर गई । चावल टाइम टेबल पर बिखर गए । खाने की प्लेट करते शौक है पहाडी मार मार कर रोने लगा । एक तो खाना नीचे गिरा दिया और अब वो क्यों राय इन्होंने शौर्य को डांट लगा दी । राजीव गुस्सा कर रही है कहकर चौदह और जोर से होने लगा चुप ऍम दो तीनों देशों ने बोला था कैसे रोटी हूँ सारी रोटी तो गिर गए तीन रसोई से दाल चावल की दूसरी प्लेट लाती है शारीरिक अब चुप चाप दाल चावल खाओ थके हुए वो कुछ होश नहीं खाना खाओ आॅफ हो जाऊँ देना पड बढा रही थी कह तो रहा हूँ गुस्सा होकर कहकर शौक है दहाडे मार मार कर रोने लगा । राकेश ने हमारे को पानी दिया । चौरियां होते नहीं है । थोडा पानी पी लो । थकान के कारण चौदह के हाथ से पानी का गिलास छूट गया और पानी डायनिंग टेबल के नीचे फैल गया । इलाज करते हैं फिर से शुरू होने लगा । चुप घाटा उन्होंने फिर डांट लगाई । मैं ॅ काॅस्टेबल से उतारकर सोफे पर बैठकर होने लगा । ना रसोई से आई और शौर्य को खाना खिलाने लगे । चुप करके खाना खा ले होती तो थप्पड लगाया, अभी खिला देती हैं ऍम चुप चाप खाना खाकर दादू के साथ हो जाऊँ । बहुत हो छोडेने । रोते हुए खाना खाया । फिर राकेश के साथ मेट्रो में चला गया । स्तर पर लेते हुए शौर्य ने पूछा दादी गुस्सा क्यों कर रही थी? तुमने प्लेट गिरा दी, फिर पानी गिरा दिया । तुम्हारा ध्यान खेलने में था और सारा दिन खेलने के बाद तुम थक गए थे । दादी कह रही थी खाना खाकर सो जाओ, तुम थके हुए हो । चलो अब सो जाओ । दादो फॅमिली चुनाव छोटे प्रतिदिन रात को राकेश होने से पहले एक कहानी जानता था । राकेश और ए को रामायण कृष्णा ध्रुव की कहानियों के साथ साथ पंचतंत्र की कहानियां सुनाते हैं । राकेश और एक को कहानी सुना रहे थे । तभी रीना कटोरे में रसगुल्ले लेकर आई । शहरी को स्कूल में बहुत अच्छे लगते हैं । रीना का गुस्सा समाप्त हो गया तो समझती है कि किसी और के ऊपर उतरने वाला गुस्सा बिना वजह छोटे मैंने अब बहुत पालक शहर है । पर उतर गया । पीना शौक है पर अपनी जांच रखती थी । अधिक देर तक उस पर नाराज नहीं रह सकते थे । तीन । कटोरियों में एक एक रसगुल्ला नहीं ये ऍम उल्लाह कौन सा बच्चा खाता है? तीन है ना चाहते हुए शौक है से पूछा दादी कटोरी में क्या है? उठ करते हो? शौक झट से उठकर कटोरी दादी के हाथ से खींचता है । कटोरी में से चाशनी छलक कर बिस्तर पर करती है । शौक है । दस को लाख रहा और ताजी देना विस्तार से चार्ज नहीं साफ कर रही है । रुक शांत तेरी शैतानियां नहीं रुकेंगे । तेरी पिटाई हो जाए । शौर्य ने दादी को देखा तो मुस्करा रही थी । मुस्कराती दादी को देखकर शौर्यता विकास मैं समझ गया । उसने चाहने वाले मुझे दादी को चुना । दादी के गाल पर शहर लेने जांचने लगा दी दादी और तो दस नहीं क्या आलिंगन में बंद है? दादी का प्रेम होते पर उमड रहा था । बहुत ही सारे दिन की थकान फूल रहेंगे । उसका गुस्सा पौत्र की शैतानियों में गायब हो गया ताकि और होता है तो समय से चिपके आलिंगन में बडे स्तर पर लडका है

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"वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो के न याद हो|  ये जो फासले हैं, मिट जाएंगे, बस कुछ तुम बढ़ो, कुछ हम बढ़ें।"
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