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03 फ़ासले - खड़ूस in Hindi

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144 Listens
AuthorSaransh Broadways
"वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो के न याद हो|  ये जो फासले हैं, मिट जाएंगे, बस कुछ तुम बढ़ो, कुछ हम बढ़ें।"
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खडूस धन्यवाद कर्नल राज आपके साथ बताए दो दिन में कभी नहीं बोल सकता आप सिर्फ एक अच्छा जनरल मैनेजर ही नहीं बहुत अच्छे इंसान है । अच्छा साथ और मेहमाननबाजी के लिए धन्यवाद । काम से उतारकर राजेश नहीं । राजेश जी ये मेरा सौभाग्य है कि आप जैसे अच्छे और एक इंसान के साथ कुछ समय व्यतीत करने का मौका मिला । कर्नल ने राजेश के साथ हाथ मिलाते हुए गा । वैसे आप की फाइट कितने बजे क्या आठ बजे की फ्लाइट है ऑफिस का काम निपट गया है । अब मेरे पास चार घंटे परियां थोडा बाजार घूम लेता हूँ । गुड आ गया अब तीन । अगर में घूमी हर बजट का सामान मिल जाता है । तीन । अगर में छोटी दुकान से लेकर बडे शोरूम सब मिल जाएंगे । कर्नल आज का आइडिया राजेश को पसंद आया । तीन । अगर चेन्नई का सबसे मशहूर बाजार है राजेश के पास एक छोटा सा है बैठा जिसे हाथ में पकडकर टीनगर घूमने लगा । दिवाली से पहले धनतेरस का दिन था । बाजार की रौनक और भीड भाड देखकर ऐसा लग रहा था जैसे पूरा चेन्नई टीनगर में एकत्रित हो गया । पत्नी के लिए साउथ सिल के साडी खरीदी तभी पत्नी का फोन आया कि सेलम का स्टील मशहूर है और आज धनतेरस कभी दिन है । कुछ जरूर खरीदना । तुम दिल्ली से खरीद लो मैं छोटे से बैंक में क्या क्या उठाऊंगा । छोटी सी टी कैटल ही ले लो । क्वालिटी के काम आएगी । पति ने सुझाव दिया पत्नी की बात मानकर धनतेरस के शॉपिंग में छोडी टीका दाल खरीदी और फिर राजेश ने एयरपोर्ट के लिए टैक्सी की । एयरपोर्ट पहुंचकर राजेश ने टैक्सी का भाडा चुकाया । उसके बाद लगेज के नाम पर एक हैंडबैग था सिर्फ दो दिन के लिए और दस दूर पर चेन्नई आया था । दो जोडी कपडे और तीन चार फाइल एक हैंडबैग में समा गयी थी । फॅमिली की कोई जरूरत ही नहीं थी । धीरे धीरे कदमों के साथ उसने एयरपोर्ट में प्रवेश क्या बोर्डिंग पास लेते समय पता चला कि फ्लाइट एक घंटा लेट है । सात आठ बजे की फ्लाइट नौ बजे की हो गई तीन घंटे पच्चीस मिनट की फायदा फिर एयरपोर्ट से बाहर निकलकर टैक्सी पकडकर घर पहुंचना । रात के डेढ तो बचना तो तय ऍम । तो फिर क्या कर सकते हैं धूप मिलने के लिए राजेश कॅर नमकीन के पैकेट राजेश की आदत तक गई थी । जब भी घर से निकलकर यात्रा करनी हो, खाने का कुछ सामान और पानी की बोतल साथ में जरूर होनी चाहिए । मन पसंद का खाना पडते इसमें कभी भी नहीं मिलता है या फिर काम की व्यस्तता या किसी मनपसंद होटल रेस्टोरेंट मजदूरी कर देती है । ऐसे मौके पर बहत में पेट पूजा का सामान बहुत अहम भूमिका अदा करता है । एयरपोर्ट की कैफिटेरिया मतलब पैसा, बर्गर जैसी खाने की चीजें अधिक मिलती है जो राजेश पसंद करता नहीं । पचास की उम्र में खाने पीने की आदत है, बदलना मुश्किल है । आज की युवा पीढी तो पैसा बर्गर पास्ता पर मरती है । एक नजर कैफिटेरिया मैं मिलने वाली वस्तुओं पर डालकर एक कोका टेन खरीदा । धीरे धीरे की एक नमकीन के साथ को का आनंद देता रहा । इतने में कर्नल राज का फोन वाइफ की स्टेटस पूछने के लिए आया । कर्नल राज डोंट वरी ऍम एक घंटे फ्लाइट लेते हैं । एयरपोर्ट में कोई तकलीफ नहीं । बेटिंग लॉज एक दम आधुनिक और आरामदायक राजेश ने कर्नल राज को कहा साढे आठ बजे यात्री प्लेन में बैठे लगे । प्लेन में राजेश किसी खिडकी के साथ वाली थी । सफर में समय व्यतीत करने के लिए राजेश हमेशा अपने साथ उपन्यास रखता था । उसने ऍफ पन्यास निकाला । तभी तो लडकियों से संबोधित अंकल क्या आप हमारी कॉर्नर वाली से खिडकी वाली सीट एक्सचेंज कर सकते हैं । ठीक है टैंकर राजेश सीट से उठा और कॉर्नर वाली सीट पर बैठ गया । ऍम दोनों लडकियाँ सीट पर बैठ गया । एक लडकी ने अपना लेपटॉप क्या धीरे से दूसरे से बोले साले, घर उसके साथ पूरा रास्ता काटना पडेगा । बोला तो बहुत धीरे से था लेकिन राजेश के कानों में बात का वेस्ट कर गए । साला खडूस शब्द पढी लिखी युवतियों के मुख्य सुनकर अटपटा लगा खूब दिया लेकिन उसने अपनी भावनाओं को दबाकर उपन्यास खोला । तुरंत पढने में मन नहीं लगता । उसकी उम्र ठीक पचास वर्ष । उसमें कोई अभद्र व्यवहार नहीं । क्या बोलते? खिडकी वाली सीट देकर एक सभ्य पुरुष का दायित्व भी निभाया । फिर भी खडूस कह दिया । उनको किसी महापुरुष के साथ की चाहती युवा वर्ग की अपनी बातें होती है जो इन छुट्टियों के साथ नहीं कर सकता था । लेकिन चाहकर भी उनकी इच्छा पूरी नहीं हो सकती थी क्योंकि प्लेन में कोई सीट खाली नहीं थी । प्लेन फुल्का राजेश सोचने लगा क्या वो खडूस क्या उसकी शक्ल खडूस हो? जैसी बिलकुल नहीं तो सोचने लगा उन युवतियों ने उसे खडूस क्यों बोला? उन के कहने पर बिना किसी चूंचा पड के सीट बदल ली तो मोदी भी नहीं शक्ल से सडा हुआ भी नहीं लगता आपने? मैं सोया हुआ भी नहीं लगता है । सबसे हस बोल कर बात कर लेता है । बिना बाद के बतंगड बनाना या झगडा करना भी उस की आदत नहीं है और न ही शकल से वो ऐसा लगता है संख्या और चक्की भी नहीं है । तो ऐसे एक दो सेकंड में वो उन युवतियों को खडूस नजर आ गया और उसका पोचो भी मतलब सोच सकता था । उस परिभाषा में राजेश कदापि नहीं आता था । प्लेन अभी उडानी था इसलिए यात्री मोबाइल पर बातें कर रहे थे और प्लेन छोडने के बाद लगभग साढे तीन घंटे मोबाइल का संपर्क टूट जाएगा । तभी खिडकी के पास बैठी हुई लडकी का मोबाइल बच्चा पापा का फोन है । उसका दूसरी लडकी को संबोधित करके कहा और फोन किया हाई पापा । दूसरी तरफ पापा ने क्या कहाँ राजेश को नहीं मालूम । लेकिन लडकी का जवाब सुनकर राजेश दंग रह गया । पापा भी तो मैं ऑफिस में हूँ । दिवाली पार्टी चल रही है बारह बजे तक हो जाएंगे साढे बारह बजे एक बजे तक घर पहुंचाऊंगी आजेश ये बात उस युवती के मुख्य शंकर आश्चर्यचकित हो गया । वो तो प्लेन में बैठे और पिता से कह रही है कि ऑफिस में दिवाली पार्टी हो रही है सरासर झूट वैसे तो नियुक्तियों को नहीं जानता था लेकिन हजार सफेद झूठ शंकर उसके उत्सकता हुई क्या? क्या सामान चला गया उसने अपने कानो को क्यों? क्योंकि बातचीत में लगाया । उसके हाथ में उपन्यास था । नजरे उपन्यास पर हर कान युक्तियों की बातचीत पर गुप्ता तो उन्हें तो अपने बाप को बेवकूफ बना दिया । ऑफिस की बात मान गया । मुक्ता खुद ऐश करना होगा मुझ पर मैं कहाँ रखा है जैसे मैं जानती नहीं हूँ । ऐसा कुछ है तेरी बात मान गए अपनी तो खबर रख नहीं सकते हैं । मेरी क्या रखेंगे तक का इंतजाम कर के निकली हूँ । मान गई पूरी उस्ताद हो गई है तो अच्छा मुक्ता मेरे बाप ने तो फोन करके औपचारिकता पूछ ले तेरे बाप का क्या हाल है? मैं क्या जाना था लेकिन तेरे बाप और मेरे बात में कोई अंतर नहीं । एक अंदर है मुक्ता की आयुक्त मेरे बाप का फोन आ गया तेरे बाप का तो आई नहीं कोई सुन भी नहीं ली । कहाँ कर रही है उसकी लौंडिया क्या करता हूँ युक्तियां खिलखिलाकर हंसते लबाडिया को तो छोड वो खुद कहाँ ऐश कर रहा होगा । मेरी माँ को भी नहीं मालूम होगा करने देते है । हमारा काम होता रहे । माँ बाप का काम आ गया हो तो कोई और बात करते हैं । हालांकि दोनों बहुत धीमी आवाज में बातें कर रही थी फिर भी उन दोनों के पास पैसा राजेश के कानों से बच नहीं पाएंगे । तेरह । मेरा बाप ऍसे शब्द सुनकर राजेश दंग रह गया । पिता के बारे में उनके खयाल सुनकर राजेश को समझने में देर नहीं लगी । दोनों युवतियां मेरे पिता की बॅायकॅाट हैं । वहाँ से परिवार से ताल्लुक करती है । जब माँ बाप अपनी दुनिया में मस्त रहते हैं । बच्चों के साथ संवाद भूले भटके । कभी कभी होली दिवाली पर ही होता है । युक्तियों के फुसफुसाहट जारी थी । साथ ही राजेश के उत्तर तभी बढती जा रही थी । आज पहली बार उसको ऐसी शक्तियों का सानिध्य प्राप्त हुआ था और बता युक्ता तो दिन क्या क्या बॉय फ्रेंड के साथ तो उन्हें क्या वही मैंने क्या पूछ रहे हैं । हो जाता है दिल्ली चल कर बात करेंगे । साला खडूस सुन लेगा, मजा किरकिरा हो जाएगा । अब की बार खडूस के साथ साला शब्द सुनकर राजेश के तनबदन में आग लग रहे हैं । एक बार तो मन में खयाल आया कि उठकर दोनों युवतियों का कराए होते हैं लेकिन शिष्टाचारवश चुपचाप सीट पर बैठा था और मन मसोसकर रह गया । राजेश कब तक समझ में आ गया था कि दोनों युवतियां सिर्फ मौज मस्ती के लिए चेन्नई गई थी । इस बात की पुष्टि उनके आगे के बार तल आपसे हो गई ऍम कर रखा था होता ट्रीडेंट्स लगा । अब तक राजेश समझ गया था कि उन व्यक्तियों में से एक का नाम बता और दूसरे का नाम चुकता था । मुक्ता के अनुरोध पर युक्ता ने लगता हूँ पर थ्री इडियट्स लगाई और दोनों फिल्म देखते देखते कुछ सर पसंद भी करते रहते हैं । दोनों में ये बात जानने की उत्सुकता थी की दूसरी नहीं आपने दो दिन कैसे बताऊँ हूँ? चेन्नई वाले से बात कहाँ तक पहुंची? आखिरी बार मिली हूँ । दिल्ली तक तो ठीक था । दो दिन पहले उसके साथ फिर उसका परमानेंट ट्रांसफर हो गया है । कम से कम तीन साल तक अच्छा नहीं रहेगा । फाइनल कर पाए । बोल दिया तीन साल बाद क्या होगा? किसको पता तब तक दिल्ली वाले से टाइमपास करते हैं तेरा दिल किस पर है । मेरे तो दो थे तेरे पास तीन हैं । अब तो दो ही रह गए देने वाले की तरह अभी जान नहीं । मैं कह रहा था मुंबई सेटल होगा । मेरी बना से जहाँ भी हो चला ख्याल से पीछा छोटा दो रह गए हैं । फिर भी एक के साथ रहेगी क्या दोनों के साथ मस्ती मारने का इरादा है? अभी सोचा नहीं देखी जाएगी । राजेश ने उपन्यास को बंद करके हैंड बैग में रखा और आंखे मूंदकर सोचने लगा । किताबी उपन्यास तो एकदम बेकार है । इन दोनों युवतियों की जिंदगी के आगे शायद ही कोई लेखक कभी उन युवतियों की भांति सोच सकता है । पच्चीस साल पहले माँ बाप की पसंद की लडकी से शादी रचाई और पिछले ही महीने शादी की सिल्वर जुबली बनाई थी । राजेश और उसकी पत्नी एक दूसरे के लिए पडे हैं । एक दूसरे पर समर्पित है । कोई अतिश्योक्ति नहीं की । जिस खोते बने वहीं बने रह गए । कहीं और नहीं मारा । अब शादी के पच्चीस साल बाद पचास का मॉर्डल हो गया । पुराना जरूर हो गया । उसके ख्याल बहुत खुले नहीं है लेकिन आधुनिकता विरोधी भी नहीं तो पुराने और नए विचारों में समन्वय चाहता है और रखता है । ऍम बिल्कुल भी हो नहीं सकता । आज के दो आधुनिक युवतियां किसी खोते की मोहताज नहीं बनकर रहना उनकी फितरत नहीं । आजाद पंछी को पूरा आकाश चाहिए । आकाश तो सबको चाहिए उडान भरने के लिए । लेकिन इतना भी ऊंचा मत जोडों की धडाम से नीचे गिरे । संभालने वाला भी कोई ना हो । साजिश सोचता जा रहा था कि क्या ये दोनों आज के सभी नियुक्तियों का प्रतिनिधित्व करती है तथा भी नहीं । ये ठीक है कि आज का युवा पहले से कहीं अधिक आजाद है । फिर भी तमाम उम्र एक खूंटे से बांध रहा । हर कोई पसंद करता है आप आप हर जगह होते हैं । ये युवतियां भी शायद बाहर हूँ तो अच्छा । उस की सोच । एयर होस्टेस की उद्घोषणा से टूटी के विमान दिल्ली एयरपोर्ट पर उतर रहा है । दोनों युवतियां चाहते हुई विमान चौधरी रिपोर्ट पर तो युवक उनका इंतजार कर रहे थे । फॅमिली और छत से दोनों युवकों के साथ कार में बैठकर छूमंतर हो गए । ऍसे पकडी और घर पहुंचा । पत्नी ने सबसे पहले पूछा कि धनतेरस की खरीदारी क्या नहीं ऍम और साढे निकालकर पत्नी को देखो । साढे देखकर पत्नी चाहे उठे, ऑफिस के काम से गए थे । इतनी महंगी साडी लाने की क्या जरूरत थी । पैसे ही सलवार सूट ही ज्यादा पहनती हूँ । साउथ गया हूँ तो वहाँ की स्पेशलिटी यादगार के तौर पर तो खरीद नहीं जरूरी है ना सुबह छुट्टी करनी है । ऑफिस जाना है छुट्टी के नाम पर तो ऑफिस वाले सरदार के लिए छुट्टी कर देंगे । ऑफिस जाकर चेन्नई टूर की रिपोर्ट जरूरी दे दिया तो सोचा होगा राजेश ने पत्नी को गुड नाइट का बिस्तर पर लेकर आंखे बंद करके सोना चाहता था लेकिन नीचे शायद फ्लाइट नहीं रह गई थी । बाहर बार उन दोनों युवतियों का चेहरा आंखों के सामने आ रहा था और उनके कहे शब्द खडूस चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आ गए । वो खडूस तो नहीं है लेकिन ये भी ठीक है कि वो किसी की सोच नहीं बदल सकता है । एक पल में किसी के बारे में कोई धारणा नहीं बना सकता है । क्यों कमेंट करते हैं के सारे पुराने आदमी खडे होते हैं । चॉकलेट टाइप फिल्में, हीरो मार का लडके स्मार्ट होते हैं, पता भी नहीं है । फिल्म में हीरो टाइम भी हो सकते हैं और राजेश जैसे पुराने आदमी भी उदारवादी सोचो । धारणा का कोई अंत नहीं । पल भर में हर उसकी पत्नी दे दी । अंत में उसने करवा टी और पत्नी की तरफ देखा । पुनः इनमें थी मन ही मन कहा मेरा सदाबहार होता और खूंटे से बना नहीं । पदरी से नवाजा हुआ खडूस

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"वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो के न याद हो|  ये जो फासले हैं, मिट जाएंगे, बस कुछ तुम बढ़ो, कुछ हम बढ़ें।"
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