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02 फ़ासले - क्रिकेट match in Hindi

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213 Listens
AuthorSaransh Broadways
"वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो के न याद हो|  ये जो फासले हैं, मिट जाएंगे, बस कुछ तुम बढ़ो, कुछ हम बढ़ें।"
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Transcript
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क्रिकेट मैच रविवार की सुबह ताऊ हुक्का गुडगुडा रहा था । इधर उधर नजर दौडाकर बोला क्या बात है रणबीर हजार नहीं आ रहा है । कहा गया आज तो स्कूल की भी छुट्टी होगी । दूसरी तरफ से कोई जवाब नहीं खाना मर गई । मैं क्या पागल हो जाये बोले जा रहा हूँ । कुछ तो मुझे बोल टाॅक साइड करते हुए गा । ताऊ की बात सुनकर ताई की आवाज दूसरी तरफ से आएगी । मुझे क्या पता कौन पागल है और कौन सी आना? ये सुन करता हूँ पड गया मुझे बकवास सुनने की कोई आदत नहीं है । फॅमिली कहा गया है क्या नहीं गया या फिर घर में ही है । मुझे नहीं मालूम है वो उसकी माँ से पूछ लो । पाई रसोई में थी और वहीं से ताऊ पर्पस पडी । वहाँ से पूछ लूँ तेरे से क्यों नहीं पूछो तो ताई है उसकी घर में तो सबसे बडी है तेरे को पूरे घर की खबर होनी चाहिए । टाउन रणबीर को न देख पाने के कारण बहुत पिछले था । ये सुनकर दूसरी तरफ से रसोई से टाइम चल नहीं तेरे साथ बात करने के चक्कर में पूरी अगर जाएंगे ब्लॅड जाता है और बचाने के अलावा और भी कुछ काम कर ले । जब ऍम चलता रहता है । ये सुनकर ताऊ कडाई में चलती पूरियों से भी अधिक गर्म हो गया । क्या था मैं हूँ मैंने सारी उम्र सरकारी नौकरी किए हैं । किसी की हिम्मत नहीं । मेरे ऊपर उंगली उठाने की तरह जैसा काम करने में कोई ऑफिस में नहीं करता था । तब से ज्यादा ऑफिस में काम करने वाला आदमी था । मैं दो मैडल मिला मेरे गांव अच्छा काम करने के लिए क्या बात कर दिए तो चल पूरी अतुल तू ऐसा बात करने का मतलब बडा दिमाग खराब करना । हमने फिर से हुक्का गुडगुडाते । टाॅप पलट करता हूँ को करारा जवाब दिया । ताऊ और ताई की नोकझोंक से रणबीर की खुल गई और जम्हाई लेता हुआ आंखें मलता हुआ ताऊ के साथ खाट पर आ कर बैठ गया । ठंडी को नींद में देखकर ताऊ बोला ऍफ का रविवार का दिन है । क्रिकेट खेलने भी नहीं किया । ताऊ की बात सुनकर रणवीर कुकडेश्वर में बोला मैं जाऊंगा क्रिकेट खेलना ऍम देख करता हूँ । परेशान हो गया । अब क्या हो गया? आप तो तेरी खोली नहीं और ऐसी बेकार के बातें क्यों कर रहे हैं रणबीर को कुछ कार्यकर्ताओ ने पूछा । जले पर नमक मच्छर रखता हूँ तो सवेरे सवेरे आज मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है जी काॅल पूरे के पूरे ऍम कोई काम का नहीं है । साउथ एक एक मैच का लाखों कमाते आपसे भी हार जाते हैं । पूरी रात जाग जाता हूँ । अपनी भी नहीं खुल रही ऊपर से पूरे महीने की जब खर्चा भी आ गया मैं रात को रणबीर ने अपनी व्यथा जताई । फॅर ताऊ होते पर एक लंबा कश लगाया । सौ रुपए की शर्त लगाई थी टीम इंडिया पर । साले मैच हार गए । फॅस जमीन पर पैर पटकते हुए बोला ऍम में लगी रहती है । रणबीर तो भी मैच खेले । कभी मैच जीत तैयार । कभी मैच हार जाता है । जब तो हार के आता है । मैंने कभी तरह को बोला की तो मैच क्यों हार के आया तब उन्हें अपने प्यारे भतीजा रणबीर को समझाया मेरी बात और है । मैं तो छोटा सा बालक है । अभी नवीं क्लास में पडता हूँ । अभी तो गेम सीख रहा हूँ मैं । इसलिए मैं आ जाता हूँ । पढता हूँ तो सीखे सिखाए हैं दो दो तीन तीन वर्ल्ड कप मैच के खेल चुके हैं । मालूम है किस से मैं जा रहे हैं फिर भी अभी भी बहुत गुस्से में था । मुझे क्रिकेट का तो कोई शौक है नहीं । मुझे क्या मालूम सकता हूँ । रणबीर की पीठ पर हाथ रखा हूँ तुझे मालूम क्या है? अपनी टीम बांग्लादेश फास्ट ग्राउंड में आ गई और वर्ल्ड कप से बाहर हो गयी । रणबीर अदाऊ को खाडसे खडे होते हुए गा । क्या वो भी क्रिकेट खेलते हैं तो उन्हें होते का फिर कश् लगाया खेलते हैं । क्या ताऊ हमें खिला गए? उन्होंने अपना हारने का रिकॉर्ड तोड दिया । आज तक कभी मैच नहीं जीता था । कल रात इंडिया को पहले गए हमारे खिलाडी तक खडे खडे चलते हैं । ऐसा लग रहा था मेरे से भी गए गुजरे हैं टीम इंडिया के खिलाडी कोई नहीं खेल सका आॅल में मैं जी तो से पूरे सौरभ शानदार गया । रणबीर का गुस्सा बढता जा रहा था । तेरे को तो जेब खर्ची सौ रुपए मिलता है । पूरे के पूरे शरीर में जो दिए बाकी का महीना क्या करेगा? तो ऍफ का एक साइड क्या हाँ करूँ तो मेरे लिए सिफारिश करना बापू से एक गांधी वाला पत्ता दिला देना चाहूँगा । ऍम के पैर दबाने लगा तो आपसे पांच पर पहुंच गया । क्या करेगा तो किसी सिफारिश के मूड में नहीं था आपके मैं अगले मैच में पूरा पांच की शरारत लगाऊंगा । डबल करूँ । अभी अभी भी ताऊ के पैर दबा रहा था । इस उम्र में जो आगे बढेगा पर्णा लिखने में ध्यान लगा मैं तेरी कोई सिफारिश नहीं करनी तब आप उसे एकदम इंकार कर दिया । मेरा बापू तो तेरा छोटा भाई है । एक डांट मार कर गांधी वाला निकलवाई लेगा तो तुम्हें नवाजते इतना छोटा सा काम नहीं कर सकता । प्रसारण दिन रणवीर रणवीर की आवाज लगाना छोड दें ऍम थोडा अधिक मस्का लगाया देख रणवीर जुआ खेलना बहुत गलत बात है ना । गलत बात में तेरा साथ बिल्कुल ना दूंगा तो मेरा स्कूल जानता है । डाॅॅ तो फिर ओके का कष्ट लगाया कौन था? धर्मराज युधिष्ठर वो भी तो खेलता था । वो खेले तो मैं खेलो तो गलत मैं कुछ नहीं जानता । सही और मुझे तो फटाफट एक गांधी वाला दिलवा दे ऍम गया ना भाई ना मैं कोई गांधीवाद मैं तो ना जो खेलता और ऍम टाउन खडे रणबीर को खाट पर बिठाया फिर तो मैं रहता हूँ ना अब मैं हूँ रणवीर बिगड गया तो देख रणवीर तरह राज ने जो खेला था वो अपना राजपाट हार गया । यहाँ तक की वो अपने भाई आ गया । और तो और अपनी बीवी को भी छोटे में आ गया था । इसीलिए मैं जो आप के एकदम खिलाफ हूँ तेरी कोई सिफारिश निकलने वाला । मैं तो बस अपनी पढाई पर ध्यान लगा था । उन्हें रणबीर को एक बार फिर समझाया । तभी रणबीर का बापू आ गया । अब कुमार सी सिफारिश के बाद कर रहा है । रणवीर तो पढता हूँ । उसे ऍम को देखकर सिफारिश की मांग की । रणबीर को एक गांधी वाला चाहिए क्या करेगा रणबीर तो गाने वाले से बापू कडक आवास में पूछा मैच देखूंगा वर्ल्डकप गया मैं तो टेलीविजन पर आ रहा तो पैसे क्यों चाहिए? बाप ने फिर से टेडी आप करते हुए हैं । तब से पूछा । शर्त लगाने के वास्ते ऍम नीची नजरों से बापू से कहा हमारे पडेगा क्या होने की बात सुनकर बापू भी नाराज हो गया । वापस छोटा लगा कर के मैं तुम्हारी बढ जाऊंगा । और क्या हम भी मैच देख रहे मैच की तरह है । कभी शर्त नहीं लगाते हैं । कोई जीते या कोई हारे । अब जब मैच होगा तो एक टीम जीतेगी और एक हार जाएगी । आप उन्हें तो टोका ना । बापू अब टाइम बदल गया होगा । बिना शर्त आप कोई मैच नहीं देखता हूँ और तो और कोई मजा भी नहीं आता हूँ । तो मेरे लिए सिफारिश करना फिर बियर में एक बार करता उसे मिलती है । देख माना कि तो मेरा लाड लाया लेकिन मैं तो जो के एकदम खिलाफ हूँ मैं तेरे कभी भी सिफारिश नहीं कर सकता तो बिना सडक मैच ऍसे बारिश करूंगा कि वह लीजिए खर्चे बंद करते हैं । बहुत बढिया तो उन्होंने इंकार कर दिया और उसका रसोई में चला गया । चाहता भाई नाश्ता बनाती थी मेरे जहर रजत दें तो जमालो मन नहीं ताऊ कब बुला रहा था ताकि मुस्कुरा रही थी रणवीर बोल अटकाकर अपने कमरे में चला गया । अस्थाई गर्म गर्म बोरियाँ पहलकर्ताओं को खिला रही थी ।

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Sound Engineer

"वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो के न याद हो|  ये जो फासले हैं, मिट जाएंगे, बस कुछ तुम बढ़ो, कुछ हम बढ़ें।"
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