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ऍफ सुन रहे हैं तो कोई ऍम किताब का नाम है । स्मृति जिसके लेखक हैं श्री मनमोहन भाटिया । आरजे मनीष के आवाज में कॅाम सुने जो मन चाहें दस वर्ष बाद लगभग एक वर्ष बाद पेशे से बडे बद्री अपने गांव पहुंचा । बद्री की पत्नी रामकली गांव में रह रही थी । बद्री के विवाह को दो वर्ष हो चुके थे । वहाँ के पश्चात एक वर्ष बद्री और रामकली शहर में रहे । फिर बच्चे के जन्म के समय बद्री रामकली के संगाकारा गया । फसल काटने का समय था । बद्री ने अपने खेत में काम किया । अच्छी फसल के अच्छी रकम मिल गई जो परिवार में बढ गई । बद्री के हिस्से में भी अच्छी रकम हाॅफ । अच्छी रकम हाथ में आने पर बद्री ने मकान की टूटी छत को पक्का करवा लिया और कुछ दिन के लिए गांव क्या एक दिन गांव के समीप लकडी के लट्ठे ले जाता । एक ट्रक खराब हो गया । मंत्री ने रुपये देकर ट्रक ड्राइवर से कुछ लकडी के लट्ठे लगभग मुफ्त के भाव ले लिया । लकडी मिलने पर बद्री ने घर के नए दरवाजे, खिडकी, अलमारी, मेज, कुर्सियां और पलंग बना लिया । उसके हुनर को देखकर गांव के मुखिया ने ग्रामीण रोजगार योजना के अंतर्गत काम दिलवा दिया । मुख्य ने अपना काम मुफ्त में करवाया और ग्रामीण रोजगार योजना के काम में अपना हिस्सा भी रखता रहा । बद्री को गांव में भी रोजगार मिल गया । उसने शहर जाना छोड आस पास के गांव और कस्बों में काम पकडना आरंभ कर दिया । गांव का मुखिया नेताओं से जुडा था जिसकी बदौलत बद्री को काम की कोई कमी नहीं हुई । गांव में लगभग ना के बराबर में खर्च रहने पर बद्री ने काफी रकम जुटा ली और चार कार्यक्रम भी अपने अधीन रख लिया है । मंत्री तो काम के सिलसिले में गांव कस्बों में आता जाता था लेकिन रामकली बच्चे और चूल्हे तक सिमट गई थी । उसकी ख्वाहिश शहर में रहने की थी । रामकली शहर जाने के लिए बद्री पर दबाव डालती है । बद्री संघ में वहाँ से पहले रामकली गांव में ही रहती थी और गांव की सीमाएं समझती थी । विवाह के पश्चात जब उसने आजादी देखी तब से वो गांव में दोबारा रहना नहीं जा रही थी । शहर की चकाचौंध से आकर्षित करती बिना किसी टोकाटाकी के किसी के संग खास बोल लेना उस से अच्छा लगता था । मंत्री काम पर निकलता तब राम के लिए आजाद पंछी की तरह इधर उधर डोलती भर्ती दिल्ली महानगर में उसे अब आजादी मिली हुई थी । जो गांव में नहीं मिल सके वो खुद को बेडियों में जकडा हुआ महसूस करती थी । बद्री को जब घर में ही रोजगार मिलने लगा तब वो शहर जाने को राजी नहीं था । गांव में अपना खुद का घर और ऊपर से कोई किराया नहीं देना होता था । खाना पीना भी शहर के मुकाबले सस्ता था । बद्री ने रामकली को दो टूक जवाब दे दिया कि जब तक गांव में रोजगार है कुछ शहर नहीं जाएगा । एक दिन रामकली घर में अकेली थी । बद्री काम के सिलसिले में दूसरे कस्बे में था और पथरी के माता पिता बद्री की बहन से मिलने दूसरे गांव चले गए । रामकली ने अपने बच्चे सङक शहर की बस पकड ली । बद्री दो दिन बाद घर लौटा । घर पर कोई नहीं था । पडोस में पूछा तो पता चला परिवार के लोग उसकी बहन के घर गए । बद्री ने सोचा कि रामकली भी नहीं होगी । अगली सुबह जब बद्री के माता पिता वापस आए तब रामकली की खोज हुई कि वो कहाँ है । रामकली बद्री के माँ बाप से हो गई नहीं थी । बद्री ने सभी परिचितों से फोन पर रामकली के बारे में पूछा लेकिन असफल रहा । किसी को रामकली के बारे में कुछ मालूम नहीं था । उसने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई । बिना बीवी और बच्चे के बद्री लगभग पागल था । हो गया बदहावास बद्री काम पर भी नहीं गया । गुमसुम रामकली और बच्चे की तलाश में बहुत यहाँ वहाँ बटाटा रहता । समय सब का मौका हाल है जहाँ उसका काम चल रहा था । सब ने उसे समझाया की कामना छोडे । काम के साथ राम के लिए और बच्चे की तलाश जारी रखें । धीरे धीरे पत्री काम पर जाने लगा । बद्री का मैं टूट गया, लेकिन रामकली नहीं मिली । लगभग छह महीने बाद एक थाने से बुलावा आया कि नहर की सफाई के दौरान एक महिला और बच्चे की लाश मिली है क्योंकि रामकली और बच्चे की गुमशुदगी की रिपोर्ट आई थी । उनकी शिनाख्त के लिए बद्री को बुलाया गया । लाश बहुत बुरी हालत में थे । महिला के बदन पर कहने रामकली जाते थे जिनके आधार पर बद्री और उसके परिवार ने शिनाख्त करती और अंतिम संस्कार भी कर दिया । पत्रिका अशांत मन अब शांत हो गया की रामकली शहर में नहाने के लिए उत्तरी होगी और बच्चे समेत नहर के तेज पानी के बहाव में बह गई होगी । गबरू जवान बद्री का अपना मकान और अच्छी आमदनी देख विभाग के रिश्ते आने लगे । तन की भी बहुत हमारी होती हैं जिनको नजर अंदाज भी नहीं कर सकते हैं । बद्री ने दूसरा विवाह कर लिया । सुखी वैवाहिक जीवन से बद्रीराम काली और पहले बच्चे को भूल गया । नई जीवन की खुशियां घर आंगन में दौडने लगी । तीन वर्ष में दो बच्चे आंगन में मस्ती करने वाले हो गए । पत्रिका कम और आमदनी भी पहले से अधिक हो गई । खुशियों ने अतीत भुला दिया । दस वर्ष बीत गए । बद्री के माता पिता पर लोग सुधर गए । पत्री अब ठेकेदार बन गया जिसके और ही पच्चीस कार्यकर काम करने लगे हैं । उसने अपनी कंपनी बनाली और कम दिन तो नहीं । रात होने की रफ्तार से बढता गया । दो मंजिल का पक्का मकान बन गया । घर में सब सब सोदाये चारों और खुशियों की बरसात हो रही थी । रविवार की सुबह नाश्ता करके बद्री घर के दरवाजे पर खडा गली में खेलते हैं । बच्चों को देख रहा था । स्कूल की छुट्टी के कारण गली में बच्चों का जमावडा लगा हुआ था । पदरी के बच्चे भी खेल रहे थे तभी तो उन्होंने शोर मचा दिया भूत भूत । उसने बच्चों को घर के भीतर जाने को कहा । भूत शब्द सुनकर बद्री में हैरान और परेशान हो गया । उसने रात के समय भूतों के किस्से सुने थे । दिन के दस बजे भूत कहाँ से आ गया । खुद बहुत सुनकर बच्चे अपने घरों की और आपके और फटाफट घरों के दरवाजे बंद होने लगे । बद्री ने भी अपने बच्चों को अंदर किया लेकिन खुद कर के दरवाजे पर खडा रहा है । तभी गली के अंदर एक महिला ने प्रवेश किया जिसे देखकर गली के दो औरतों ने भूत कहना शुरू कर दिया । रामकली का भूत आ गया । प्रदान करने का भूत आ गया । छोटे बच्चों ने रामकली को कभी नहीं देखा था, लेकिन गांव के होते हैं, काम करने को पहचानती थी । उन्हें याद था किस तरह एक दिन रामकली गायब हो गई । फिर उसकी और उसके बच्चे की लाश लहर में मिली थी । आज वर्षों बाद रामकली को देख वही औरतें भूत भूत कहकर चिल्लाने लगी । जिन औरतों के सामने बद्री ने रामकली का दाहसंस्कार किया था वो कैसे वापस आ गई । उन की नजर में वह औरत रामकली का भूत ही देखते देखते गाली सुनसान हो गई । रामकली बद्री के सामने खडी हो गए । वो पत्री के घर को देख रही थी । एकदम आलिशान घर देकर रामकली ने कहा घर तो बहुत बडा और आलीशान बना लिया है । अंदर आने नहीं दोगे क्या? बद्री ने रामकली को देखा वो लगभग वैसी ही थी जैसे घर से गई थी । घर के दरवाजे के ठीक बीच खडा होकर बद्री ने रामकली के घर के अंदर जाने का रास्ता रोक रखा था । तुम कौन हो और क्या करने आया हूं? बद्री ने तीखी आवाज में पूछा नाराज हो मैं कौन होता हूं? नाराज होने वाला ऍम मैं बताती हूँ किसी अनजान को घर के अंदर की उन्होंने तो मैं रामकली हूँ । रामकली तो दस वर्ष पहले मर गई । अपने हाथों से उसका दाहसंस्कार किया था । तुम जरूर कोई भूत या चुडैल हो । मैं तो मैं घर के अंदर नहीं आने दूंगा । तो मेरी बात मानो मैं रामकली ही हूँ । मैं कोई भूत या चुडैल नहीं । अगर फुटबॅाल होती तब मुझे कोई नहीं रोक सकता था । बिना रोक तो कहीं भी आ जा सकती थी । मैं तुम्हारी पत्नी हूँ कौन? पत्नी कहा कि पति मेरे पति बबिता है, जो मेरे पीछे खडी तो मैं देख रही हूँ । मेरे तो बच्चे सहमे हुए माँ की संख्या हैं, डरे हुए हैं । मालूम नहीं भूत क्या करते हो? भूत के डर से दिन में भी पूरी गली संस्थान हो गई । खेलते बच्चे डर कर अपने घरों में दुबक गए । मैं तो मैं कर के अंदर नहीं आने दूंगा । मेरी पहली पत्नी रामकली मर चुकी है और पूरा गांव इसका गवाह । सबके सामने मैंने उसका अंतिम संस्कार किया था । इतना कहकर बद्री ने दरवाजा बंद कर दिया । लेकिन रामकली घर के दरवाजे पर बैठ गई । घर के अंदर भविता रामकली के बारे में पूछने लगी तो बद्री ने बेबस होकर का स्थान के वहाँ जिस औरत को देख कर मैं स्वयं परेशानी, इसके शक्ल, रंगरूप सब काम कहीं से मिलता है । काम करने का अंतिम संस्कार स्वयं अपने हाथों से किया था । ये रामकली नहीं हो सकती है । हम कल का बहुत जरूरी हो सकती है जो पहले के बहुत किस्सा सुना । मैंने टोटल किसी का भी रूप धारण करके कुछ मेहनत कर सकती है । ये मेरे से क्या चाहती ऍम छोड दिया । अब वही सब कुछ ठीक करेगा । बबिता भी आशंकित और डरी सहमी बद्री को देखती रही कुछ साहस के साथ होली सुनियोजित मुझे लगता है की किसी की साजिश है । कोई हमारे से बदला लेना चाहता है । हमारी धनसंपत्ति और खुशी का कुछ दुश्मन है उसने जादू टोना कर के ये चुडियाल कैसी है बागवान कुछ भी संभव मेरे दिमाग में काम करना बंद कर दिया है । ऐसा कौन हमारा दुश्मन हो सकता है । मुझे क्या मालूम बद्री की तरह बबिता के दिमाग में भी काम करना बंद कर दिया था । बद्री और बबिता को सहमा देख दोनों बच्चे भी माँ बाप से जब के बैठे रहे हैं । थोडी देर तक पूरी खामोशी रही कि तभी रामकली दरवाजा पीटने लगी । अब पथरी ने पिता से कहा ऐसे नहीं मानेगी जब जब जाएगी भी नहीं तो मुस्तैदी से लड लेकर चौकन्नी खडी हो जाएगा । मैं दरवाजा हल्का सा खोलूंगा तो उस पर लाॅरी सचिव तुम्हें पथरी की बात सुनकर बबिता एक मजबूत लट्ठ लेकर मुस्तैदी से दरवाजे की आड में खडी हो गई । बद्री ने आरी अपने हाथ में पकडी और धीमी सादा बे बहुत दरवाजे की कुंडी खोले । रामकली दरवाजा पीट रही थी । दरवाजे की कुंडी खोलते के साथ रामगली घर के अंदर आ गए । मुस्तैद भविता ने रामकली पर लाइट से दो बार की पहला बार रामकली की कमर पर पडा और लडखडाते हुए वो गिर पडी । लटका दूसरा बार कम तरीके पैरों पर पडा । दो बार के बाद रामकली के आंखों के सामने सारे नाचने लगे । वो कुछ भी नहीं सकते । अब बद्री ने मजबूती से आरी संभाली और उसकी गर्दन पर प्रहार करने वाला था । आपकी रामकली ने बचने की गुहार लगाई । मुझे मत मारो । उसने दोनों हाथ जोडकर माफी की गुहार की । बद्री की निगाहें उसके हाथों पर गुदे निशान पर पडी जिसपर पत्री राम लिखा था । यहाँ के तुरंत बाद पत्री और राम कल एक मेला देखने गए थे । जहां रामकली ने अपने हाथ पर बद्री और अपना नाम में आकर बद्रीराम करवाया था । बद्री वही रुक गया और उसने आर्य एकॉर्डिंग बद्री ने हाथ पकडकर उसे उठाया और चारपाई पर बिठाया । समीप रखे मटके सबसे गिलास पानी दिया । रामकली तीन गलास पानी पी गई । कुछ देर की शांति के बाद रामकली ना कहना शुरू किया पथरी मैं तुम्हारी रामकली हूँ, ये कैसे हो सकता है? सारे गांव के सामने तो मैं अग्नि में सौंपा था इसलिए सब तो में भूत कर रहे हैं । पथरी वो मैं नहीं थे । वो राम भरोसे की बीवी चमेली थी । ये किस हो सकता है । उसके साथ हमारा बच्चा भी था । उसको बच्चा भी चमेली का था । हमारा बच्चा वो नहीं है । मेरे यहाँ से जाने के थोडे दिन बाद डेंगू की बीमारी में चलता हूँ । मेरी कुछ समझ में नहीं आया तो क्या कह रही है और क्या कहना चाहती हैं । बस सब समझ लो । किस्मत का खेल है अब सोच क्योंकि मैं कठपुतली ही नहीं । तब कहा नाच गए पता ही नहीं चला । रामकली बोल कर चुप हो गई और बबिता और बच्चे भी बद्री के पास बैठ गए । कुछ बल्कि चुप्पी के पास चार रामकली ना कहना शुरू किया । मुझ पर शहर में रहने का भूत सवार था । मैं दिल्ली की बस में बैठ गई । हमारे पुराने कमरे में गई । उस कमरे के मकान मालिक ने किसी और को किराए पर दे दिया था । वो बद्रीनाथ बीच में । मैंने तो वो कमरा खाली कर दिया था । सारा सामान उठाकर मैं कम ले आया था । मैंने सोचा कि वो कमरा खाली होगा । वही साथ वाले कमरे में तुम्हारा कार्यकर राम भरोसे रहता था । उसकी पत्नी गांव गई हुई थी । उसने मुझे रुकने के लिए कहा । व्यवहार हो गई । कुछ दिन तक में शहर को भी फिर हम भर उसकी वीवी गांव से वापस आ गई । मुझे देखकर वह बडा गई । उसे राम भरोसे पर शक हो गया कि राम भरोसे और मेरा कोई चक्कर । तभी मैं तेरे बिना राम भरोसे के संग रह रही हूँ । पत्री ना राम करेगा हाथ पकड लिया मैं तुझे ढूंढने शहर भी गया था । लेकिन राम भरोसे वहाँ नहीं मिला था और किसी को भी उसके बारे में नहीं पता था । राम भरोसे मुझे छोडने के बहाने कहूं की ओर चलने लगा । राम भरोसे की बीवी और बच्चा भी साथ हो लिए । उसकी बीवी को पक्का शक था कि राम भरोसे मेरे संग भाग जाएगा । हम रात की बस में बैठे, रास्ते में नहीं, घर के पास किसी जगह बस रुकी । हम खाना खाने, ढाबे पर बैठे । राम भरोसे की नियत खराब हो चुकी थी । उसके भी ठीक सोच रही थी । खाने में उसने कोई नशे की दवा मिला दी । मैं रामभरोसी की बीबी, हमारा बच्चा और उसका बच्चा बेहोश हो गए । मुझे दो दिन बाद होश आया । मैं उसके साथ किसी अंजान जगह थी । उसने सभी को मुझे अपनी पत्नी के रूप में परिचित कराया और हमारे बच्चे को अपना बच्चा का । मेरे पूछने पर उसने बताया कि उसकी बीवी नाराज होकर बच्चे को लेकर अपने मायके चली गई । बेहोशी की हालत में उसने मेरे जिस्म से छेडछाड की । मैंने हथियार डाल दिए तो उसने शायद मुझे सम्मोहित कर लिया था । वो जैसे कहता गया मैं ऐसे करती गई । हम पति पत्नी की तरह रहने लगे । रामकली ने बताया, मुझे भूल गई थी । बद्री ने पूछा, शायद यही हुआ था । सालों बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं क्या कर रही है । लेकिन तब तक मुझे गलती का प्रायश्चित करने का कोई साधन नहीं सुलझा की किस मुँह से तुम्हारे पास आऊँ । मैं राम भरोसे संघी रहने लगे । फिर एक साल में हमारी फॅमिली सब को डेंगू और चिकनगुनिया होने लगा । बहुत लोग मर गए, जिसमें हमारा बच्चा भी चला गया । हम लोग फिर शहर आ गया, लेकिन अब के बाद हम दूसरे स्थान पर रहने लगे हैं । हमारे बच्चे के चले जाने पर राम भरोसे कपरान हुआ और उसने लेकिन असलियत बताइए क्या बताऊँ जब रात को ढाबे पर हमारे खाने के बाद हम सब बेहोश हो गए थे, तब उसने मेरे गहने अपनी बीवी को पहना दी और नहर में धक्का दे दिया । फिर अपने बच्चे को भी धक्का दे दिया । बेहोशी में तो डूब गए । मेरे गहनों के कारण तुमने राम भरोसे की बेटी बच्चे को मुझे और अपना बच्चा समझकर अंतिम संस्कार कर दिया । इसलिए तो मारगांव की हर हालत मुझे रामकली का भूत समझ रहे हो । सांभर उससे को छोडकर यहाँ क्यों आई? पत्री ना रामकली से पूछा पिछले महीने राम भरोसे भी मर गया । उसे शराब की लत सस्ती शराब पीता था । पिछले महीना जहरीली शराब पीने से बहुत लोग मर गए हैं, जिसमें राम भरोसे भी था अब क्या करने आया हूँ राष्ट्रीय मेरी अपनी कर दिया थापिता और बच्चों संग मजे में जीवन भी पीता है । पास में कोई तूफानी लाना चाहता हूँ । मैं नौकरानी बनकर कोने में पडे रहेंगे । किसी को कुछ नहीं होंगे, काम करी के नहीं हो सकता । चाहे मैंने तुझे राम भरोसे की पीवी पर बच्चे समझकर अंतिम संस्कार किया हूँ । लेकिन अब हालात लग जाती तो तभी वापस आ जाती तब मैं तुझे अपना बना भी लेता हूँ । लेकिन अब हमारा बच्चा नहीं रहा और मैंने बाकी दसन सुखी रास्ते बचा लिया तो भी रामभरोसे संघ अर्धांगिनी बन कर रहा हूँ । तुम राम भरोसे के मरने के बाद मेरे पास आई हूँ । सब मेरी जिंदगी में तुम्हारा कोई स्थान नहीं हमारी रहा और जिंदगी जो है बिना किसी कारण तो मुझे छोडकर किसी और के संग राजी खुशी रही अब मेरे संग नहीं रह सकती है । मैं कहाँ जाऊँ, मैं क्या बताऊँ हमें तुम्हारी आर्थिक मदद कर सकता हूँ जिससे हम अपना गुजर बसर कर सकती हूँ । बाकी थोडा बहुत काम कर लेना जैसे मजदूरी कर का काम मुख्य से क्या दूंगा । रोजगार योजना में मजदूरी दिलवा देगा । रामकली बद्री, बबिता और बच्चों को देखते रहेंगे । पत्री ना कुछ रुपये रामकली को दिए और मंदिर के बरामदे में उस के रहने का प्रबंध कर दिया । मुखिया ने उसे मजदूरी दिलवा दी ।
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