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18. Kitabon Tak Seemit Gyan Kisi Kam Ka Nahi in Hindi

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AuthorMahendra Dogney ( MD motivation )
Chanakya (Kauṭilya) is known to be one of the greatest philosophers, advisors, and teachers in the Indian history. It was he who helped Chandragupta Morya to rise to power and inscribe his name as one of the greatest kings ever in Indian history. Chanakya’s book is famously known as Chanakya Neeti-Shastra or Kauṭilya Niti. Chanakya’s wisdom and wits help the present-day man as well to think in the broader spectrum. He is attributed as the pioneer of arthshastra (Economics). His knowledge about Politics, kings, market, and money is so accurate that it is still relevant for the present times. Chanakya Niti was originally written in Sanskrit language but later translated into English, Hindi and many other languages. Listen to the audiobook based on Chanakya Niti in Hindi either online or download it for free. It is one of the best audiobooks available in our collection. It is this book, Chanakya Niti, which helps you achieve anything in your life and plan accordingly. चाणक्य (कौटिल्य) भारतीय इतिहास के महानतम दार्शनिकों, सलाहकारों और शिक्षकों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने ही चंद्रगुप्त मोरया को सत्ता में आने में मदद की और भारतीय इतिहास में अब तक के महानतम राजाओं में से एक के रूप में अपना नाम अंकित किया । चाणक्य की किताब को चाणक्य नीति-शास्त्र या कौटिल्य नीति के नाम से जाना जाता है। चाणक्य की बुद्धि और बुद्धिमत्ता वर्तमान व्यक्ति को व्यापक तौर पर सोचने में भी मदद करती है । उन्हें आर्थशास्त्र के पुरोधा के रूप में जाना जाता है । राजनीति, राजाओं, बाजार और धन के बारे में उनका ज्ञान इतना सटीक था कि यह आज भी वर्तमान समय के लिए प्रासंगिक है । चाणक्य नीति मूल रूप से संस्कृत भाषा में लिखी गई थी लेकिन बाद में अंग्रेजी, हिंदी और कई अन्य भाषाओं में अनुवादित किया गया। चाणक्य नीति पर आधारित ऑडियो बुक को हिंदी में या तो ऑनलाइन सुनें या फिर मुफ्त में डाउनलोड करें। यह हमारे संग्रह में उपलब्ध सर्वोत्तम ऑडियो बुक में से एक है। यह पुस्तक चाणक्य नीति है, जो आपको अपने जीवन में कुछ भी हासिल करने और तदनुसार योजना बनाने में मदद करती है।
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हमेशा साथ हूँ । अभी तक आप सुन रहे थे चाइना की नीति का पंद्रह अध्याय, अब हम बढते हैं सोलह है । क्या आप सुन रहे हैं फॅमिली साथ? तो चलिए आरंभ कहते हैं । चाचा के कहते हैं कि जिन लोगों ने ना तो बहुत एक संसार का ही उपयोग किया और ना ही पर लोग को सुधारने के लिए प्रभु की पूजा पाठ की आना ही धर्म का संग्रह किया । ऐसे लोगों को जन्म देना माता के लिए व्यर्थ ही हुआ । कहते हैं कि सफलता तो तभी मिलती है जब इस लोग में सुबह उठाते हुए परलोक सुधार के लिए धर्माचरण किया जाए । आगे जाने की का मानना है कि कुलटा स्त्रियों का प्रेम एकांक इतना होकर बहुत ही होता है । उनका कहना है कि कुलटा ऑस्ट्रिया पर आए व्यक्ति से बातचीत करती है, कटाक्ष पूर्वक देखती है और आपने हिरदय में परपुरुष का चिंतन करते हैं । इस प्रकार चरित्रहीन स्त्रियों का प्रेम अनेक से होता है चाणक्य नहीं । यहाँ पर कुल टाइम क्योंकि हावडा हूँ और चरित्र का स्पष्ट वर्णन किया है । जो व्यक्ति माया की मूह में वशीभूत होकर यह सोचता है कि अमुक स्त्री उस पर आशक्त है, वहाँ उस उस तरीके वर्ष में होकर खेल की चिडिया की भांति इधर उधर नास्ता फिरता है । आचार्य चढा के कहते हैं कि संसार में कोई भाग्यशाली व्यक्ति ही मैं से छूट कर मोक्ष प्राप्त करता है । उनका कहना है कि धन को प्राप्त करके ऐसा कौन है जो संसार में अहंकारी ना हो । इस पृथ्वी पर ऐसा कौन भी पुरुष है जिसका मान स्त्रियों के प्रति व्याकुलता हूँ । ऐसा कौन पुरुष है जिसे मृत्यु ने न दबोचा हूँ । ऐसा कौन सा अधिकारी है जिसे बडप्पन मिला हूँ । ऐसा कौन सा दोस्त हैं जो अपने संपूर्ण दुर्गणों के साथ इस संसार में कल्याण पथ पर अग्रसर हुआ हूँ । भाव यह है कि इस नश्वर संसार की मोहमाया से छूटना अत्यंत ही दुष्कर कार्य हैं । स्वर्ण पदक ना तो ब्रह्मा ने रचा था और ना किसी और ने । उसे ना तो बनाया गया था ना पहले कभी देखा गया था न कभी सुना गया था । श्री राम की उसे पाने की इच्छा हुई अर्थात सीता के कहने पर में उसे पाने के लिए दौड पडे । किसी ने ठीक ही कहा है विनाशकाले विपरीत बुद्धि जब विनाश कर आता है तब बुद्धि नष्ट हो जाती है । यहाँ चाइना की सिर्फ ये है समझाना चाहते हैं कि जब विनाश आता है तो बुद्धि उल्टी हो जाती है । आगे चल के कहते हैं कि व्यक्ति अपने गुणों से ही ऊपर होता है । सिर्फ ऊंचे स्थान पर बैठ जाने से कोई भी व्यक्ति पूछा नहीं बन जाता । उदाहरण के लिए महल की छोटी पर बैठ जाने से कम हुआ गर्व नहीं बन जाता है । आगे समझाते हैं कि गुंडों की सभी जगह पूजा होती है न कि बडी संपत्तियों की । क्या पूर्णिमा के चांद को उसी प्रकार से नहीं किया जाता है जैसे दुनिया की जान को भाव यह है कि चंद्रमा किसी भी रूप में रहे । विद्वान व्यक्ति की गुड की बाटी उसे हर स्थिति में नमन करते हैं । आगे कहते हैं कि दूसरों के द्वारा गुणों का बखान करने पर बिना गुड वाला व्यक्ति भी गुडी चलता किंतु अपने मुख से अपनी ही बडाई करने पर इंद्रा भी छोटा हो जाता है । भाव यह है कि आत्मप्रशंसा से कोई भी व्यक्ति बडा नहीं था । अभी तू जब दूसरों के द्वारा प्रशंसा की जाती हैं तभी वहां व्यक्ति गुडी कहलाता है । अपने मुंह मियां मिट्ठू नहीं बनना चाहिए । दिन गुणों की प्रशंसा दूसरे करते हैं । वे ही बढ सच्चे होते हैं । जो व्यक्ति विवेकशील है और विचार करके ही कोई कार्य संपन्न करता है । ऐसे व्यक्ति के गुण श्रेष्ठ विचारों के मेल से और भी संदर हो जाते हैं । जैसे सोने में जुडा हुआ रतन स्वयं ही अत्यंत शोभा को प्राप्त हो जाता है । आगे समझाते हैं कि जो धन अधिक कष्ट से प्राप्त हो, धर्म का त्याग करने पर प्राप्त हो, क्षेत्रों के सामने झुकने अथवा समर्पण करने से प्राप्त हो, ऐसा धन हमें नहीं चाहिए । कहते हैं कि आत्मसम्मान को नष्ट करने वाले धन की अपेक्षा धन का न होना ही अच्छा है । आगे समझाते हैं कि उस लक्ष्मी से क्या लाभ जो घर की कुल बन्दों के समान केवल स्वामी के उपभोग नहीं उसे तो एशिया के समान होना चाहिए जिसका उपयोग सब कर सकें । यहाँ चाहे की समझाना चाहते हैं की संपत्ति धन में वही वही अच्छा है जिसका उपयोग सभी के हित के लिए होता है । यानी धन पर कुंडली मारकर एक ही व्यक्ति बैठा रहे और केवल अपने ही स्वार्थ के लिए उसे खर्च करें तो ऐसा धन किसी भी लापता नहीं । आगे आचार्य चाणक्य कहते कि संसार में आज तक किसी भी इंसान को प्राप्त धन से इस जीवन से, स्त्रियों से खान पान से पूर्ण ट्रपति कभी नहीं मिली । पहले भी अभी भी और आगे भी इन चीजों से संतोष होने वाला नहीं है । इनका जितना अधिक उपयोग किया जाता है उतनी ही तृष्णा बढती जाती हैं । मनुष्य की शिक्षा आनंद है, मैं कभी भी पूरी नहीं होती । एक शिक्षा के पूरे होने पर दूसरी सामने आकर खडी हो जाती है । तात्पर्य यह है कि मनुष्य अपने आप से कभी भी संतुष्ट नहीं होता । अतः संतोष ही सबसे बडा धन है । आगे जाना कि कहते हैं कि तिनका हल्का होता है, इनके से भी हल्की रही होती है । रुई से भी नल का अधिकारी होता है । तब वायु से उडाकर क्यों नहीं ले जाते संभवतः इस भय से कि कहीं ये उसे भी भीगना मांगले मांगने वाले से सभी डरते हैं । वहाँ उनसे कुछ न कुछ मांग बैठा है क्योंकि देना कोई नहीं चाहता हूँ । वैसे भी अधिकारी निंदा के योग्य ही है । आगे कहते हैं कि जो विद्या पुस्तकों में लिखी है और कंट्री नहीं तथा जो धन दूसरों के हाथों में गया है, ये दोनों आवश्यकता के समय काम नहीं आती था । पुस्तकों में लिखी विद्या और दूसरों के हाथों में गया धन पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए । विद्या को सदेव काॅस्ट करना चाहिए और धन को सदैव अपने हाथों में रखना चाहिए ताकि वक्त आने पर वहाँ हमारे काम आ सके । यहाँ पर समाप्ति होती है सोलह है कि अब हम बढते हैं अंतिम बरसत विध्या । क्या आप सुन रहे हैं फॅमिली के साथ ऍम तो

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Chanakya (Kauṭilya) is known to be one of the greatest philosophers, advisors, and teachers in the Indian history. It was he who helped Chandragupta Morya to rise to power and inscribe his name as one of the greatest kings ever in Indian history. Chanakya’s book is famously known as Chanakya Neeti-Shastra or Kauṭilya Niti. Chanakya’s wisdom and wits help the present-day man as well to think in the broader spectrum. He is attributed as the pioneer of arthshastra (Economics). His knowledge about Politics, kings, market, and money is so accurate that it is still relevant for the present times. Chanakya Niti was originally written in Sanskrit language but later translated into English, Hindi and many other languages. Listen to the audiobook based on Chanakya Niti in Hindi either online or download it for free. It is one of the best audiobooks available in our collection. It is this book, Chanakya Niti, which helps you achieve anything in your life and plan accordingly. चाणक्य (कौटिल्य) भारतीय इतिहास के महानतम दार्शनिकों, सलाहकारों और शिक्षकों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने ही चंद्रगुप्त मोरया को सत्ता में आने में मदद की और भारतीय इतिहास में अब तक के महानतम राजाओं में से एक के रूप में अपना नाम अंकित किया । चाणक्य की किताब को चाणक्य नीति-शास्त्र या कौटिल्य नीति के नाम से जाना जाता है। चाणक्य की बुद्धि और बुद्धिमत्ता वर्तमान व्यक्ति को व्यापक तौर पर सोचने में भी मदद करती है । उन्हें आर्थशास्त्र के पुरोधा के रूप में जाना जाता है । राजनीति, राजाओं, बाजार और धन के बारे में उनका ज्ञान इतना सटीक था कि यह आज भी वर्तमान समय के लिए प्रासंगिक है । चाणक्य नीति मूल रूप से संस्कृत भाषा में लिखी गई थी लेकिन बाद में अंग्रेजी, हिंदी और कई अन्य भाषाओं में अनुवादित किया गया। चाणक्य नीति पर आधारित ऑडियो बुक को हिंदी में या तो ऑनलाइन सुनें या फिर मुफ्त में डाउनलोड करें। यह हमारे संग्रह में उपलब्ध सर्वोत्तम ऑडियो बुक में से एक है। यह पुस्तक चाणक्य नीति है, जो आपको अपने जीवन में कुछ भी हासिल करने और तदनुसार योजना बनाने में मदद करती है।
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