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सारी ना हिम्मत क्षेत्रवादी हमारी मुझे ही कहते कहते ठंड गए, पर सुनने वाले कोई सुनते नहीं था । उन पर कुछ असर ही नहीं होता । मेरी राय में इसमें सुनने वाले से अधिक दोष कहने वाले का है । कहने वाले करना नहीं जानते । वे अपनी ओर देखें । आत्मनिरीक्षण कार्य की शून्यता की शाक्षी दे देगा । बच्चन की सफलता का सारा दारोमदार कर्मशीलता में है । आप चाहे बोले नहीं थोडा ही बोले पर कार्य में जुड जाएंगे । थोडी जिन्होंने देखेंगे कि लोग बिना कहे आप की ओर नीचे आ रहे हैं । अच्छा कहीं काम करिए अधिक क्योंकि बोलने का प्रभाव तो शरीर होगा और कार्य का प्रभाव स्थायी होगा, खार या नहीं ।