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हूँ । मारवाडी खार ये नहीं जिस दिन तो मैं अपने हाथ, पैर और दिल पर भरोसा हो जाएगा । ऍम करती ना कहेगी की बाधाओं को कुचलकर तो अकेला चल अकेला जिन व्यक्तियों पर तुमने आशा के विशाल महल बनाया हुए हैं आप एक कल्पना के प्रयोग में बिहार करने के समान है । अस्थिर सारहीन खोखले हैं अपनी आशा को दूसरों में संश्लिष्ट कर देना, स्वयं अपनी मौलिकता का खास कर देना कर अपने साहस को पंगु कर देना । अपनी आशा को दूसरों में संश्लिष्ट कर देना । स्वयं अपनी मौलिकता का, खासकर अपने साहस को अंकों कर देना है । यह व्यक्ति दूसरों की सहायता पर जीवन यात्रा करता है, शीघ्र अकेला रह जाता है । दूसरों को अपने जीवन का संचालक बनाना देना ऐसा ही है जैसा आपकी होगा को ऐसे प्रवाह में डाल देना जिसके अंदर आपको कोई ध्यान नहीं । किसी हार ये नहीं