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सातवाँ फेरा -08 in Hindi

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412 Listens
AuthorSaransh Broadways
हर लड़की के जीवन में वो पल आता है, जब उसे जीवन साथी को चुनना होता है और निर्णय करना बेहद मुश्किल होता है। उमा के सामने भी यही एक बड़ा प्रश्‍न था कि सामने विकल्‍पों की कमी नहीं थी, लेकिन किसे अपना जीवन साथी चुनें? जहां जय के पास प्‍यार देने के लिए अलावा और कुछ नहीं था, वहीं शंकर था जो बिजनेसमैन था और उसके पास शानो-शौकत, दौलत बेशुमार थी। उमा किसे अपना जीवन साथी चुनेगी? उमा की कसौटी पर कौन खरा उतरेगा जय या शंकर? जानने के लिए सुनें पूरी कहानी।
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भारत है । हॉस्टल मैट्रोपोल पहुंचकर जैन ने अपना सामान खोला । उसने टूथपेस्ट और शेव करने का सामान निकालकर ड्रेसिंग टेबल पर सजा दिया । घर बिक जाने का उसे दुख था । उसकी बहुत कम कीमत मिली थी क्योंकि जल्दी में बेचना पडा था । फर्नीचर समेत कुल चालीस हजार मिले थे तो किताबों से भर एक अलमारी अपने साथ ले जाया था । वो इन पुस्तकों को नहीं छोडना चाहता था क्योंकि ये उसके अच्छे और पूरे दिनों की साथ ही थी । मेट्रोपोल हॉस्टल के कमरे काफी बडी और हवादार थे । बाहर बैठने के लिए लौट था इसलिए जय ने उसे चुना था । पहले तो उसे लगा कि वह अपने ही नगर में शरणार्थी बन गया है । मगर धीरे धीरे होटल में उसके कुछ दोस्त बन गए और वहाँ का जीवन उसी अच्छा लगने लगा । अकेले में जब कभी वह उकताहट महसूस करता हूँ, अपने बराबर के कमरों में किसी दोस्त से गपशप करने चला जाता हूँ या फिर बाहर लॉन में बैठक कोल्ड ड्रिंक्स पीता हुआ सिगरेट टूटता रहता । शाम का वक्त था कर इंकार से उतरा । वो बाजार से शॉपिंग करके लौटा था । उसने शीला के लिए चमडे का एक खूबसूरत पर इस खरीदा था । पर मिला ने कहा, कल होली है तो तुम लोग नहीं लोगे । यहाँ मैं तो भूल ही गया था । उसने खोले हुए स्वर में कहा लाभ गहरा लाल और काला रंग खोले ताकि कपडों पर पडने के बाद कुछ दिन तक किया तो रहे । बच्चों ने चाहते हुए कहा उसमें कुछ चुनावी मिला तो ताकि कुछ पक्का हो जाएगा करेंगे । उन दिनों को याद किया जब वो खुद एक बच्चा था तो होली के मौके पर वह कैसे खुशी महसूस करता था । वो तरह तरह के रंग खरीद कर लाता मगर फिर भी उसका मन नहीं भरता था । तब वह दूसरे बच्चों के साथ मिलकर रंग को पानी में खोलता और पकने के लिए अंगूठी पर चढा देता था तो आलू को काटकर दो टुकडे करता हूँ । चाकू से उन का ठप्पा बनाता । उन पर काली सी आई या पक्का रंग लगता और हर मिलने वाले की पीठ पर लगा देता । खुशी के बारे सारी रात उसे नीना दी । सुबह उठते ही वो रंग लेकर पिचकारी में भरता और हर आने जाने वाले पर फेंकी लगता । वहीं बातें जो कभी उसे आनंदित कर दी थी बिलकुल बेकार लग रही थी । जीवन इच्छाओ और प्रेरणाओं का एक नंबर से जिला है जीवन तो सागर की उन लहरों के समान है जो लगातार किनारों से आकर टकराती रहती है और मिट्टी रहती है । होली का त्यौहार पे मिसाल है इस मौके की धूम धाम हसी मजाक और खुशियाँ बेजोड हैं । खोली से एक दिन पहले मोहल्ले में पैसे जमा किए जाते हैं और लकडियाँ खरीद कर सडकों के चौराहे पर टीले की शक्ल में चुन दी जाती है । रात को आग लगाई जाती है । इधर शोले होते हैं और उधर ढोलक बच्चे लगती है । दूसरे दिन जब बात बुत जाती है तो रग से बच्चे बूढे सभी होली खेलते हैं यानी फेंका जाता है । गुलाल उडता है और लोग भांग पीकर खुशी से नाचने गाने लगते हैं । दोपहर के बाद हम खत्म हो जाता है । लोग वापस घरों को लौट पढते हैं । नहा दूर कर कपडे बदलते हैं और मित्रों तथा रिश्तेदारों से मिलने बाहर चल देते हैं । सडकों पर दोस्त एक दूसरे के गले मिलकर बधाई देते हैं । करीब सुबह उठा तो उसका मन उत्साह से भरा हुआ था । बच्चों की खुशी भरी आवाजें मकान में गूंज रही थी । उसने उठकर शेर की और दूसरा हुआ कुर्ता पजामा पहना । ड्रेसिंग टेबल के शीर्ष में अपने चहरे को निहारा । वो करीब चालीस वर्ष का हो चुका था । चाहे इस आयु में ताजगी खत्म हो जाती है । उसे दुखी मन से कनपटियों के सफेद बालों को देखा । अक्सर उस समय की इस गति के बारे में सोचता । उसे लगता समय की गति घडी में लगे छोटे छोटे पहियों के समान है । ना अधिक तेज, ना बहुत सुस्त । हमारा अतीत मूर्खताओं से भरा है करेंगे । एक लंबी सांस ली और बालों में कंघी करने लगा । अभी उसने गंगी मेज पर रखी हुई थी कि ठंडे पानी की बौछार उससे टकराई और वातावरण में एक साथ कई कहाँ कहीं गुंज उठे । उस लिए सफेद कपडों पर रंगों के लहरिये बन गए थे । देखो सफेद कुर्ती पर लाल रंग कि अच्छा लग रहा है । बहुत सुन्दर दीदी जहर नहीं । नहीं नहीं आवाज एक साथ वो जुटी । करन ने अपने बीजी कुर्ते का कातर दृष्टि से देखा और मुस्कुराया । शीला ने शर्मा कर सिर झुका लिया । बच्चे हैं ऐसे लगे करेंगे अपने हाथों पर थोडा सा गुलाल मिला और सामान्य भाव से दरवाजे की तरफ बढा । खुद दरवाजे के पास पहुंचकर तेजी से शीला की तरफ मुडा । उसने शीला को कंधे से पकडा और गुलाल उसके माथे, सिर और गालों पर मार दिया । इसी संघर्ष में शीला की एक चूडी टूटकर करन के हाथ में चुके उसके हाथ की पकडे कुछ ढीली हुई तो शीला अपना हाथ छुडाकर भागने थी । वो पूरी तरह भेज चुकी थी और धूप में खडी काम रही थी । उसकी साडी रंगों में डूब चुकी थी और चेहरा गुलाल कि पर्यटकों के पीछे जीत गया था । बी जे तंग लिबास में से उसके शरीर का एक एक अंक साफ नजर आ रहा था । उसका सिर लाल और हरे गुलाल से भरा था । वह खडी खडी बदला लेने की युक्ति सोच रही थी । तभी उसे लाल रंग से भरे लोटी को मेज पर से उठाया और करन की तरफ बडी वो देख खबर खडा था उसे वह रंग और बाद में गुलाल, उसके चेहरे और कपडों पर माल दिया करेंगे । लंगूर नजर आने लगा । बच्चे शोर मचाने लगे । प्रमिला भी उनमें शामिल हो गयी । गुलाल और रंग तब तक एक दूसरे पर फेंका जाता रहा जब तक कि फर्ज और दीवार भी लाल ना हो गई । होली वीना के लिए खुशी का संदेश लेकर नहीं आएगी लेकिन फिर भी वो इतनी बुरी थी । राजेन्द्र बाबू को जय के एहसानों का पता नहीं था । उनसे सब मामला छिपाकर रखा गया था । वीना जय का सदा सम्मान किया था और अब तो वहाँ से अपनी बेटी के समान समझने लगी थी । कौन इतना किसी के लिए करता है? बिना जानती थी कि जय को अपने घर से कितना लगा था । लेकिन फिर भी वो बलिदान से पीछे नहीं हटा था और जब उसे जय को मकान बेचने पर झटका तो उस लिए शांत भाव से जवाब दिया मैंने अब तक पूरा किया है । सचमुच जय ने अपनी कुर्बानी देकर पूरे परिवार की रक्षा की थी । उसे अपमानित होने से बचाया था । साइकिल के रुकने की आवाज आई तो विचारों में डूबी मीना चौक पडी तुम्हारी लंबी उमर है बेटा । मैं अभी अभी तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी । जैरी साइकल खडी की और जेब से थोडा सा गुलाल निकाला । बीना के माध्यम पर गुलाल लगाया और उसके पापा को छुआ । आओ । कुछ खाते लोग बिना ने उसे आशीर्वाद देते हुए इसलिए हम भरे स्वर में कहा जैन ने मना किया नहीं मैं तो पहले बहुत खा चुका हूँ । नाना थोडा जरूर खाओ । उबाने खुद अपने हाथ से बनाया है । मुझे के इनकार की परवाह किए बिना अंदर चली गई । सहसा ठंडे पानी की बौछार उसे टकराई और वो काम उठा । उसने सोचा शायद अनिल ने पिचकारी मारी है लेकिन फिर पानी की दूसरी बोछारों से टकराई । अब वह जिधर भी बचने के लिए भागता उधर से ही रंगीन पानी उसे बीज देती । यही रुकूंगा, रन मेरी आंखों में पड गया है । वो चलाया । तभी प्राण होटों पर विजयी मुस्कुराहट लिए पीछे से निकला । उसके हाथों में पाओ से दबाकर चलाने वाली बडी पिचकारी थी जय चलाया । इस मुसीबत को तो दूर रखो दूर खडी भी उन्होंने हसते हुए जय को निहारा और बोली तुम तो बिल्कुल सर्कस के जोकर नजर आ रहे हो जाये चुप रहा भाग कर उस लिए उमा की कलाई पकड ली । अब नहीं नहीं तुमने बनाया गया में अभी अभी ना अगर आई हूँ लेकिन जय कुछ सुना ही नहीं चाहता था । वो बोला अगर ये बात है तब तो मैं तुम्हें सही वक्त पर पकडा । साफ कपडों पर ही रंग चमकता है । इतना कहकर उसने अपने हाथ की एक छोटी सी बोतल में से गाढा घाटा रंग उस पर उडेल दिया । अब उमा जितनी भी छुडाने की कोशिश करती रही, रंग उतना ही फैलता जाता हैं । उसकी गर्दन और चेहरे पर भी जाम लगा था । अनिल और प्राणी जब उमा को फंसे देखा तो उन्होंने जयपर रंगों की बोछार कर दी । जैने जेब से कागज का लिफाफा निकालकर कहा, रुको पहले मुझे मल्या दुख, उमा, कलाई, छुडाकर भाग नहीं जा दीदी की जैसे उसकी गर्दन और चेहरे पर सुनहरी रंग का गुलाल मार दिया । तुमने जूजू रंगों उतारना जहाँ वो उतना ही गहरा होता गया । जय ने हसते हुए कहा मुझे इतनी आसानी से उतरने वाला नहीं । इसे अभी कुछ दिन लगेंगे । ये तो मैंने खास ढंग से बनाया था । तुम देखते जाओ मैं अभी से साफ करके आती हूँ । उसने अन्दर की तरफ जाते हुए कहा । उसकी जाते ही जैन ने अपना भेजा, कुर्ता सुखाने के लिए उतारा । अचानक उमा कोई शरारत सूची । वह चुपके से आए और उसने काला और लाल रखते हैं । जय के मूव शरीर पर उडेल दिया । जब तक को संभालने की कोशिश करता तब तक उसकी शक्ल ही बिगड चुकी थी । अनिल ने ताली बजाकर कहा हनुमान जी को देखो । अभी सभी ढाका मारकर हस पडेंगे । बिना एक प्लेट में मिठाई और समोसे रखकर लाइन लो बेटा एक दो । मैंने कहा ना कि इसे उमा उसका वाकिया अधूरा रह गया । जब उसकी नजर उमा के गुलाबी चेहरे पर पडी थी । वो मुस्कुराती हुई बोली मैं तो पल भर को भूल ही गई थी कि यहाँ झोली है और उमा अपना जहर साफ करने के लिए अंदर की और भाग गई । अब बाबू जी की तबियत कैसी है? जाॅन पूछा हम बेटा अभी तो ठीक नहीं । वीणा ने निराश स्वर में कहा काफी कमजोर हो गए हैं । डॉक्टर ने कहा है कि दिल पर असर हुआ है तब मैं उन्हें परेशान नहीं करूंगा । जय नहीं कहा । मुझे सुन कर दुःख हुआ की उन की तबीयत ठीक नहीं है । इतना कहकर वह बाहर आया । उसे साइकल उठाई, हाथ जोडकर नमस्ते की और चल दिया दिमाग और शंकर विक्टर में बैठे शराब पी रहे थे । विमल बोला तो नहीं मालूम है जय पुलिस इंस्पेक्टर बन गया । हाँ, मैंने सुना था शंकर बोला नया उसे तब से जानता हूँ जब मेरे साथ स्कूल में बढा करता था । पुलिस ही उसके लिए सही जगह थी । विमल हजार वो मेरे पास बीस हजार की रकम उधार मांगा था ताकि वकील साहब का कर्ज चुका सकें । किया उसने मुझे बेवकूफ समझा था । क्या वो इसके लिए तो भारी पास आया था लेकिन वो इसी के लिए मेरे पास आई थी । क्या तुमने उसे रुपए दे दिए? विमल ने पूछा, शंकर की आंखों में एक अर्थपूर्ण चमक पैदा हुई तो मालूम होना चाहिए की संकर बिना मतलब किसी को कुछ नहीं देता हूँ । ये काम तो मैंने मानवतावादियों के लिए छोड रखा है । मैं सुना है कि वकील साहब का कर्ज चुकाने के लिए जाने अपना मकान बेच दिया है । मुझे तो पहले मालूम था कि इतना रुपये कहीं से ना मिल सकेगा है । वकील साहब पुलिस वालों से सत्य नफरत करते हैं । वो अपनी लडकी की शादी किसी पुलिस इंस्पेक्टर से हरगिज ना करेंगे । तुम्हारा क्या हुआ तो भी तो उम्मीदवार थे । विमल ने पूछा शंकर बोला ना मैं नहीं मेरी तो शोभा से मंगनी हो चुकी है । उसके पिता एक बडे सरकारी अफसर है । दहेज में काफी कुछ नकद मिलेगा । इसके अलावा वो बिजनेस में भी मेरी मदद करेंगे । विमल बोला ये ठीक है । आजकल बिजनेस में जिस चीज की सख्त जरूरत है वह सिफारिश । शंकर ने कहा तो कोशिश क्यों नहीं करते? वकील साहब तो में पसंद करते हैं । इसके अलावा घर में उन्हीं की चलती है तो वहां जाम उनसे मिलने की नहीं चले जाते हैं । होली का मौका है तो मैं देख के खुश होंगे । खयाल तो अच्छा है । विमल बोला लेकिन उमा मुझे नाराज है । मैंने उसके जन्मदिन पर उसे एक टेपरिकॉर्डर भी दिया था । फिर भी वो मुझे हार जाने वाली नजरों से देखती है । आज चलिये हैं? शंकर बोला मैं तो नहीं समझता कि उसका व्यवहार इतना कटु हो सकता है । है तो लडकी से क्या मतलब? तो मैं तो उसके बाप को राजी करना है । विमल को शंकर की बात वजनी लगी । उसने सोचा यदि राजेंद्रबाबू मान जाते हैं तो उमा की क्या हस्ती हैं जो इंकार करेंगे । ये ठीक है कि उसने विक्टर में कुछ अशिष्टता की थी, लेकिन उस घटना को तो काफी समय हो चुका हूँ और सादा से उसकी कमजोरी रही है । उस जब कभी किसी खूबसूरत लडकी को देखता तो अपना मानसिक संतुलन खो देखता हूँ । इसी आदत ने दो उसे चतुर बनाया था । उसने सोचा जैसी उमा उसकी हुई वो उसे धन का महत्व बताएगा जिससे वो नफरत की नजर से देखती है । फिर उसे मीना के विषय में सोचा मीना भला उस हीरो का क्या मुकाबला कर सकती है । वो तो एक मामूली आवारा लडकी है जिसे मतलब निकल जाने के बाद धक्के मारकर बाहर निकाला जा सकता है । लेकिन ओमा की बात दूसरी थी जितना ही वह दूर भागने की कोशिश कर दी । विमल की जहाँ और भडकी जाती चाहे कुछ भी हो वो उमा को हासिल कर के ही रहेगा । कितनी देर तक वो उसे रख सकेगा, ये दूसरी बात थी । हाँ, जब तक वो सुंदर और जवान रहेगी वो उसे रखेगा । शंकर ने ठीक ही कहा था मगर राजेंद्रबाबू रिश्ते के लिए हां कह दी तो उमा उनकी बात न डाल सकेगी । विमल शाम होते ही राजेंद्रबाबू के बंगले पर पहुंचा । उमा के व्यहवार में घटना का भाव था और वीना का वो चढा हुआ था । पर राजेंद्रबाबू नहीं । उसे स्नेहा भरी नजरों से देखा । उन्होंने वीना को कुछ मिठाई लाने का संकेत दिया । वेना माते में बाल डाल कमरे में निकल गई । उसे विमल कभी अच्छा नहीं लगा था । लेकिन राजेंद्रबाबू ने दुनिया देखी थी और वह धन के महत्व को समझते थे । उस सब गुनाह माफ कर सकते थे । मगर निर्जनता उनकी दृष्टि में सबसे बडा अपराध था । लेकिन वीना आज जनवादी थी । अमीरी गरीबी, उसके लिए मामूली बात । ये दीपी राजेंद्रबाबू अधिक ना बोल सकते थे । मगर विमल को आया देखकर वह बहुत खुश हुए थे । ये अकेला विमल था जो इस अवसर पर उनसे मिलने आया था । उन्होंने विमल से शिकायत भरे स्वर में कहा कि वह कभी कबार ई की वो आता है, कोई नहीं जानता कब क्या हो जाए । उन्होंने दुखी स्वर में कहा, बेटा तो मेरी आखिरी उम्मीद हो, ये तुम्हारा अपना घर हैं । आने में हिचकिचाहट मध्य क्या करूँ? और जब विमल जाने के लिए उठा तो उन्होंने उसे प्यार से थपथपाया । जब जा रहा था तो दरवाजे पर उसे उमा मिल गई । विमल ने हाथ जोडकर नमस्ते गी । मगर वो दूसरी तरफ देखने लगी और जल्दी से कमरे में चले गए । विमल के होटों पर एक घंटा भरी मुस्कुराहट डुबरी । उसने कसम खाई और मन ही मन कहा । एक दिन में तो मैं शादी कर के लिए जाऊंगा । तब सब कुछ बदल जाएगा और तुम मेरे सामने गिडगिडा होगी । उसने गुस्से में कार स्टार्ट की और चल दिया हूँ । प्रमिला ने खुला लिफाफा करन की तरफ बढाते हुए कहा कल शाम की गाडी से पिताजी आ रहे हैं । करेंगे जल्दी से पत्र पढा । उसके ससुर दिल के मरीज और डॉक्टर से मशविरा करने आ रहे हैं । शाम के वक्त उससे पुरानी फोर्ड गाडी को ग्यारह से निकाला लिखते हुए रेडियेटर में पानी भरा और टंकी में पेट्रोल डालकर गाडी स्टार्ट कर दी । बडी मुश्किल से वो स्टेशन तक पहुंच पाया । शीला करन मटमेला हो गया था और वह कुछ थकी तथा कमजोर नजर आ रही थी । ये शायद लंबे सफर का असर था । वह काफी खुश थी क्योंकि जल्दी फिर करन से मिली थी सूती सूत्रीकरण क्या खुल गई वह बिना आवाज के शीला के बिस्तर की तरफ बढा । उसे डरते हुए अपना हाथ शीला के माथे पर रखा था । वो देख खबर हो रही थी । करेंगे कुछ बाल तक उसे निहारा और फिर आपने हो उसके हो तो बना दिए । शीला क्या खुल गयी? वो अचकचाकर बोली कौन? अब मैं हूँ तो इसीलिए तो मुझे हर आए थे । उसी करंट को परे हटाते हुए कहा अब मैं तुमसे प्यार करता हूँ तो उस बताया प्यार प्यार मैं ये शब्द बहुत बार सुन चुकी हूँ । क्या ये प्यार करने का ढंग से प्यार का संबंध मन से हैं? ढंग से नहीं करेंगे । दरवाजे की तरह देखा । बराबर वाले कमरे में उसकी पत्नी बच्चों के साथ हो रही थी और यहाँ वो झूठा प्रेम प्रदर्शित कर रहा था । ये तीन हैं क्या? शीला नहीं सच कहा ये मात्र वास्ता है । उसी शीला के प्रश्न का उत्तर देना चाहिए । उसे कहना चाहिए कि मनोज शरीर का आपस में गहरा संबंध है । इन्हें अलग नहीं किया जा सकता करेंगे उसे अपनी बाहों में जब करते हुए कहा दूसरा कोई रास्ता भी तो नहीं मैंने तो पहली बार जब तुम्हें मंडप में देखा था, तभी तो में अपना मंडी बैठा था । वादा करूँ तो मुझे हमेशा प्यार करोगे । हाँ हाँ, उसने अंधेरे में धीमी से कहा अब तुम मक्की बिस्तर पर चले जाओ । अपना वादा याद रखना करने अलग होते हुए कहा । अलग होते ही वो अपने कमरे में चला गया । जयसिंग टेबल पर रखे टाइम पीस में चार बज रहे थे । सुबह होने को थी । वह जल्दी से अपने बिस्तर में घुसकर सोने का प्रयास करने लगा । लखनऊ बागों का शहर है । गली मोहल्ले के बाहर छोटी छोटी पार्क बनी है । बच्चे इनमें उछल कूद करते हैं और बूढी पत्थर की बेंचों पर बैठकर कपडे मारते हैं । दिलकुशा के बाग बगीचे और विंगफील्ड का बार फूलों से भरे रहते हैं । रेजीडेन्सी पार्क भी देखने लायक है । इसके पुरानी दीवारों पर गोलियों के निशान हैं, जो अठारह सौ सत्तावन के स्वाधीनता संग्राम की याद दिलाते हैं । वसंत ऋतु बीत गई थी । फूलों की पत्तियां मुरझाकर बिखर गई थी । घट सूखकर पीली पडने लगी थी । मैंने सोचा मैट्रोपोल हॉस्टल की इस छोटी से कम ड्रीम गर्मियां कैसे गुजरेगी? वह खुले मैदान में खाद डालकर सोने का था । अब उसी नीचे छत वाले घुटे कमरे में सोना होगा । बिजली की पंखी की गर्म हमारा सहन करनी पडेगी । राहते कैसे गुजरेंगे तो एयर कंडीशनर भी नहीं खरीद सकता था । उसके पास इतने रुपये चाहते । वो सोच में डूबा लॉन में बैठा था । तभी बेरी ने आकर कहा साहब आपका फोन है ये हडबडाकर उठा उसी सोचा किसका फोन हो सकता है । वो फोन रिसीव करने लगता । अब पहले मैं बोल रहा हूँ । दूसरी तरफ से प्राण की मर्जी थी । हुई अवाजाही पापा को फिर दौरा पडा है । माननीय आपको बताने के लिए कहा है । तुम कहाँ से बोल रही हूँ अस्पताल से उधर से आवाज आएगी नहीं । मैं पडोस वाले मकान से बोल रहा हूँ । तबियत खराब हो गई थी । अस्पताल नहीं जा ही नहीं सके । मगर डॉक्टर यहाँ गया है । अच्छा पांच मिनट में आया कहकर जहनी टेलीफोन बंद किया और साइकल की तरफ बढा । राजेंद्रबाबू बिस्तर पर सीधी लेते थे । भूल तक ये परसेंट का था । सांस रुक रुक कर आ रही थी । नाक के रास्ते ऑक्सीजन दी जा रही थी । घर के सभी लोग उनके पास खडे थे । शंकर और विमल को भी सूचना मिल गई थी । वो भी आ गए थे । राजेंद्रबाबू ने भर्राए स्वर में विमल से कहा फिर वक्त करीब है मैं जा रहा हूँ वो एक पल रुककर बोले तुम कुछ भी हो, मैं चाहता हूँ तो उमा पाजा करो । उन्होंने हाथ उठाना चाहते । वो नीचे लुढक गया । सेना ने हाथ पकडकर तक कीपर रखा । डॉक्टर ने जल्दी से सिरिंज भरी और इंजेक्शन लगाने लगा । उमा गुमसुम खडी थी । उसके मन को गहरा आघात लगा था । वो बहुत कुछ कहना चाहती थी, मगर शब्द उसके गले में अटक गए । राजेन्द्र बाबू को विमल की मक्कारी और जय की कुर्बानी का पता नहीं था । मगर स्थिति में उन्हें वो सब कैसे बताया जा सकता था? अब तो बहुत देर हो चुकी थी । राजेन्द्र बाबू ने बोलना चाहा मगर आवाज मुझसे नानी की । उन्होंने उमा को अपने पास आने का संकेत क्या उमा पास कर सकता है? उन्होंने सेहत भरी दृष्टि से उसी निहारा और कहा तुम्हारा हाथ अपने हाथ धोना । फिर उन्होंने विमल को अपने पास आने का संकेत क्या ये ही मेरी ये मेरी अंतिम चाय बेटा तो हमेशा इसका हाल रखना । विमल ने सिर हिलाया । उसने अर्थपूर्ण दृष्टि से शंकर को देखा तो शंकर न्यूज की और देखकर आंख हमारी राजेन्द्र बाबू की साथ उखडने लगी । जय वहाँ ऍफ का उसे चुप चाप हो नाटक देखा था । वो कह भी क्या सकता था । वो जानता था कि राजेंद्रबाबू को घुमा के लिए अमीर लडकी की बरसों से तलाश थी और आज वो उन्हें मिल गया था । विमल लगभग था । जैने उमा क्या खुद झुका उसकी हालत घायल हिरनी किसी थी । तुमने पीना की झांकियां को को देखा और फिर शंकर और विमल के चेहरे पर चाय झूठे रेंज को देखा । फिर उसकी नजर अपनी मारते हुए पिता के चेहरे पर गई । पिता के चेहरे पर डर और पीडा की स्पष्ट छाप थी । जय कमरे से निकल कर आया । वह दूसरे कमरे में पहुंचा । उसे घडी की टिक टिक मरने वालों की सांसे के समान लगी । लगा । उसने अभी अभी कोई भयानक सपना देखा है । एक का एक वो चौक पडा । उमा चीख रही थी । राजेंद्रबाबू का बेजान शरीर बिस्तर पर पडा था । शंकर और विमल ने दोनों और से शव को पकडकर धरती पर रखा । सारा कमरा चीखों से गूंज उठा । प्राण व्याकुल था । वीना बेहाल हुए जा रही थी । खुशव की सिर्फ हानि बैठी थी । उस के रोने का स्वर ही दे विदारक था । जब भी आप को नहीं रोक सका उसने सोचा बहुत कितनी भयानक है पल भर पहले जो था वो नहीं । आखिर इंसान कहाँ चला जाता है । कोई नहीं जानता । सुबह हुई शव को नहीं आयेगा । फिर उसे अर्थी पर रखकर एक गर्म चादर से ढाक दिया गया । वीणा ने कलाइयों की चूडियाँ तोड दी । स्त्रियां विलाप कर रही थी । पुरूषों क्या की भी गई थी । अर्थी को उठाकर सडक पर लाया गया । वहाँ संस्कार कानपुर में गंगा किनारे किए जाना था । इसके लिए मोर्चे लाडियों का प्रबंध किया गया था । एक मोटर मलक कर शव को ले गए । शमशान भूमि में पहुंच कर शव को लकडियों के ढेर पर रखा गया और आग लगा दी गई । जहाँ क्राक में जा मिली प्राण बहुत दुखी था । जब उसके बाद से पिता की कपाल क्रिया की तो उसके आंसू निकल आए थे । फिर थोडी देर में सब कुछ राख हो गया था । थोडी देर बाद जब गंगा में नहाकर बाहर निकला तो उसका मन कुछ शांत था । मानव उसके सारे दुख नदी में बह गए थे । रात को सभी थके हारे वापस लौट आए थे । इसके बाद जो मित्रों रिश्तेदारों का आना जाना शुरू हुआ तो प्राण परेशान हो उठा । बीमारी से मौत की घटनाएं उसे बराबर सुनानी पडती । लोग बडी दिलचस्पी से सुनते, जबरदस्ती चेहरों को दास बनाने की कोशिश करते और बनावटी हमदर्दी जताते और फिर चले जाते हैं । जो लोग बाहर से आए थे उनके खाने पीने और रहने का प्रबंध भी प्राण को करना पड रहा था । वह दिनभर सैर सपाटा करते, शाम को वापस लौट आते । प्राण को धार्मिक रीति नीति और क्रियाक्रम का इंतजार भी करना पडा था । पुरोहित के साथ सुबह शाम जाकर उसे पीपल के नीचे दीया जलाना पडता हूँ । धाम को भोजन कराना होता था । घर में हलवाई पूरियाँ चलता और खाने वालों का जमघट लगा रहता । आने जाने वालों का तांता लगा हुआ था । अंत में उसके सिर का मुंडन किया गया । हवन की आंख चली और लोग विदा होने लगे । लोगों ने कहा मौत अटल है, कौन से बच सकता है । मगर लोगों की सहानुभूति उसके दुःख तेरे को काम ना कर सके । उसने सबको धन्यवाद दिया । समय बीतने लगा । धीरे धीरे घाव भरने लगे । अब उसे यथार्थ जीवन जी झूझना था । उमा को लगा दुखों के ये दिन कभी खत्म नहीं होंगे । जीवन दुखों से भरा हुआ है । अब उसे कुछ काम करना चाहिए ताकि माँ के लिए सहारा बन सके । थोडी सी कोशिश के बाद उसे बच्चों को पढाने का काम नगर निगम के एक स्कूल में मिल गया । जब छोटे छोटे बच्चों में घिरी होती हैं । उनकी कहे कहे सुनती तो अपने गम को भूल जाती । जब बच्चों को उछल कूद के देखती तो उसके होठों पर मुस्कान उभर आती । लेकिन घर में वो उदास रहती । वो मनी मनी आंसू बहाती क्योंकि भाग्यचक्र उसे एक ऐसे आदमी के साथ रहने को मजबूर कर रहा था जिससे वह नफरत करती थी । लेकिन वो अपने स्वर्गीय पिता के अंतिम शब्द कैसे भूल सकती थी । एक तरफ कर्तव्य था और दूसरी तरफ क्या है वह दोनों में फंसी थी । पिता की आगे का पालन करने का मतलब था सारी उम्र विमल की गुलामी करना । इस कल्पना से ही वो कब उठी? उसके साथ जीवन गुजारना असंभव था । वो दोनों सफेद और सिया है । रंगों की तरह एकदम अलग अलग थी । उसकी सोचने के ढंग में आकाश पाताल का अंतर था । तुमने जय के बारे में सोचा । उसी सादा भलाई के बदले बुराई मिली थी । वो कैसा बदनसीब था? उमा का मन तडफ उठा । पिता की मौत पर उसी जय का उदास और उतरा हुआ चेहरा देखा था तो उसे अभी तक नहीं भूली थी । उसकी दुनिया उजड रही थी, लेकिन वो चुप था । उसने कुछ भी तो नहीं कहा था । अब भी उनके घर मिलने आता था, पहले की तरह सस्ता था और उन्हें हंसाने की कोशिश करता हूँ ताकि वो राजेंद्रबाबू की मौत के काम को भूल जाएगा । उसने शिकायत का कभी कोई मौका ही नहीं दिया था ।

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हर लड़की के जीवन में वो पल आता है, जब उसे जीवन साथी को चुनना होता है और निर्णय करना बेहद मुश्किल होता है। उमा के सामने भी यही एक बड़ा प्रश्‍न था कि सामने विकल्‍पों की कमी नहीं थी, लेकिन किसे अपना जीवन साथी चुनें? जहां जय के पास प्‍यार देने के लिए अलावा और कुछ नहीं था, वहीं शंकर था जो बिजनेसमैन था और उसके पास शानो-शौकत, दौलत बेशुमार थी। उमा किसे अपना जीवन साथी चुनेगी? उमा की कसौटी पर कौन खरा उतरेगा जय या शंकर? जानने के लिए सुनें पूरी कहानी।
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