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सातवाँ फेरा -04 in Hindi

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1 K Listens
AuthorSaransh Broadways
हर लड़की के जीवन में वो पल आता है, जब उसे जीवन साथी को चुनना होता है और निर्णय करना बेहद मुश्किल होता है। उमा के सामने भी यही एक बड़ा प्रश्‍न था कि सामने विकल्‍पों की कमी नहीं थी, लेकिन किसे अपना जीवन साथी चुनें? जहां जय के पास प्‍यार देने के लिए अलावा और कुछ नहीं था, वहीं शंकर था जो बिजनेसमैन था और उसके पास शानो-शौकत, दौलत बेशुमार थी। उमा किसे अपना जीवन साथी चुनेगी? उमा की कसौटी पर कौन खरा उतरेगा जय या शंकर? जानने के लिए सुनें पूरी कहानी।
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भाग चार उमा बैठक में विमल से कह रही थी, उस दिन की खाने की पार्टी तो बहुत अच्छी रही लेकिन एक बात है लोगों को खाने के बजाय बातें करने में ज्यादा मजा आता है । कुछ दिन में खाने की चीजें ठंडी होती रही लेकिन लोगों की बातें खत्म होने को नई िवली चाय का प्याला मेज पर रखते हुए उत्तर दिया । दरअसल आदत की बात है कुछ लोगों से बिना बोले कुछ खाया नहीं जाता । इस पर उन्होंने कहा, थोडी बहुत बाध्य करने में ऐतराज नहीं है । लेकिन जब खाने की बजाय शास्त्रार्थ होने लगी तो वाकई पूरा लगता है । उसकी नाराज की देखकर विमल मुस्कुराया और बाद पलटते हुए बोला, आप आज कल क्या कर रही? कोई फीस ले रखी है क्या? ऊपर से उत्तर दिया हाँ, इस साल मैंने इंग्लिश लिटरेचर में रिसर्च शुरू की है । ये तो बहुत अच्छा है । अब किस विषय पर रिसर्च कर रही है? विमल ने पूछा मैं बोली मेरे पास इसराइली और राजनीतिक उपन्यास का विषय है । असल में ये मेरे प्रोफेसर साहब का प्रिय विषय है और उन्हीं के सुझाव पर मैंने ये विषय चुना था । सिब्बल ने कहा, अच्छा मुझे ये नहीं पता था कि इंग्लैंड के इस मशहूर प्रधानमंत्रीने उपन्यास भी लिखे हैं । उमा बोली बीस राइली ने काफी उपन्यास लिखे हैं । बात ये हैं कि वह राजनीतिक क्षेत्र में ज्यादा मशहूर हो गया । लेकिन आपको रिसर्च करने की क्या जरूरत थी? दिव्या ने पूछा, डॉक्ट्रेट की डिग्री लेने में आपको कम से कम तीन साल लग जाएंगे और अगर में गलती नहीं करता तो राजेंद्रबाबू आपके लिए अब मेरा मतलब वो किसी दूसरी चिंता में है । उमा के गाल ऊपर हल्की सी लाली दौड गई । उसने अपनी आँख के नीचे जो खाली विमल भैया आप तो हमेशा मुझे जुडा दे रहते हैं । उमा कुछ शिकायत भरे स्वर में बोले मुझे क्या पता पिताजी क्या सोचते हैं? विवन कुछ गंभीर होकर कहने लगा उमा अब तुम बडी हो गई हूँ और अपने बारे में तो मैं खुद सोचना समझना चाहिए । एक दो दिन पहले राजेंद्रबाबू कह रहे थे कि वह इन्हीं सर्दियों में तुम्हारी बात पक्की कर देना चाहते हैं । मेरे ख्याल में उन्होंने तुमसे भी बातें की होंगी । उमा अब संभलकर बोली विमल भैया उन्होंने बात तो की थी । आप तो जानते हैं कि जयपुर में बचपन से ही एक साथ रहे हैं । उसके पिता से मेरे पिताजी की बडी गहरी दोस्ती थी । शुरू से ही लगभग तय था कि मेरी बात जय के साथ पक्की है । ये स्वभाव से भी बहुत अच्छे हैं लेकिन वह कोई काम ठंडा नहीं करते । उन्हें किसी से सहायता लेना भी पसंद नहीं । विमल बोला ये तो ठीक है उमा लेकिन विवाह करके जिंदगी चलाने के लिए तो ही जरूरी होगा । की जाए कोई ना कोई कमाई का धंधा करें । इसके बिना तो गाडी चल ही नहीं सकती । उमा कुछ सोचते भी बोली वैसे तो पिताजी ने शंकर के और भी संकेत किया था । विमल भैया आप मेरे लिए बडे भाई के समान है इसलिए आप से मैं सब बातें कह रही हूँ । मेरे सामने ऐसी दुविधा है कि आप जैसे समझदार व्यक्ति की सलाह से ही शायद कोई रास्ता समझ में आएगा । नहीं नहीं मैं तुम्हारी परेशानी समझता हूँ । बहन विमल ने कहा, मैं तुम्हारे लिए जो कुछ भी कर सकता हूँ उसके लिए तुम बेखटके मुझे कह सकती हूँ । मुझे तुम्हारा बहुत ख्याल है । उसके बाद से कुछ उत्साहित होकर उमा ने कहा, शंकर एक सफल व्यक्ति है । उसके बाद सभी कुछ है । लेकिन अपने ऊपर बेहद घमंड है और वो तडक भडक से रहना बहुत पसंद करता है । मेरे समझ में नहीं आता कि इन दोनों में से किसके पक्ष में मेरा निर्णय सही होगा हूँ । उमा मीरा ख्याल से तो जय बिल्कुल निठल्ला आदमी है । विमल कहने लगा जिंदगी में सफलता प्राप्त करना उसके बस की बात नहीं है । सिर्फ ख्याली पुलाव पका सकता है । विमल की बाल से उमा परेशान होती थी । बोली ये बहुत अच्छा है । उसे अपने ऊपर जरा सा भी गर्व नहीं है । वो सफल नहीं हो पाया तो उसका मूल कारण उसकी करीबी हैं । सही अवसर पर उसे अपने घर वालों से कोई सहायता नहीं मिली । इसलिए वह जीवन में आगे नहीं बढ पाया । विमल अभी असहमती जताते हुए बोला, उमा तुम चाहे कुछ भी कहो लेकिन वो तो केवल सपनो की दुनिया में रहने वाला व्यक्ति है । जिंदगी की वास्तविकताओं से उलझना उसके बस की बात नहीं है । उमा ने तुरंत जवाब दिया देवल भैया, जय की तरह के सपने देखने वाले लोग ही संचार में भलाई के बीच होते हैं । उमा का दम कमाया हुआ चेहरा देखकर विमल मुस्कुराया और कुछ नरमी से बोला मीरा मतलब जय की बुराई करना नहीं था । मैं तो ये कह रहा था कि अगर वो कुछ काम आएगा नहीं तो तुम्हारी योग्य वर नहीं होगा । आपकी ये बात तो ठीक है । उमा ने कुछ उदास स्वर में कहाँ? अगर वह जल्दी ही कोई काम शुरू नहीं करते तो पिताजी उनके लिए कभी राजी ना होंगे । मैं शाम जैसे एक्टर रेस्ट्रों में मिल रही हूँ । मैं उन्हें साफ साफ कह होगी आप उनसे परिचित है । कुछ आप भी उन्हें समझाएँ । उमा के आग्रह पर विमल मनी बनाया था, लेकिन ऊपर से बहुत गंभीर बनता हुआ बोला । उमा बहन तो मुझ पर भरोसा रखो । मैं पूरी कोशिश करूँगा । अच्छा अब मैं चलता हूँ कहाँ? स्टार्ट करते समय विमल के होठों पर चलाकी भरी मुस्कान खेल रही थी । उसे जैसे एशिया हो रही थी, जैसा हब अपना दांव लगा रहे हैं । उस ने सोचा राजेन्द्र बाबू तो शंकर और विमल की और ध्यान लगाए हैं । उधर जय अपना खेल खेल रहा है । अच्छा देखा जाएगा और विमल बनी माने की योजना तैयार करने लगा । विमल जय को पसंद नहीं करता था । उसे जब पता चला कि उमा जैसे प्रेम करती है तो उसकी एशिया और अधिक बढ गई । उसे स्वयं उमा से लगाव नहीं था । वो तो मीना की तरह चटकीली भडकीली लडकियाँ पसंद करता था । उमा जैसी खामोश लग गया । उसे अच्छी नहीं लगती थी । फिर उसे प्रेम जैसी बात भी समझ बनाती थी । स्त्रियों को योग पुरुष का जी बहलाने वाला खेलो ना समझता था । वह ढेड व्यापारी संभावना था और जिंदगी कि सबसे बडी सच्चाई रुपये पैसे को ही मानता था । रुपये से उसके विचार में दुनिया की हर चीज खरीदी जा सकती है । बिना स्वार्थ के किसी दूसरे के दुख सुख की बात सोचना उसकी आदत नहीं थी । विमल जय को निकम्मा समस्या था इसलिए उसके साथ कोई मतलब नहीं रखता था । वो उसे अपने से ही मानता था । लेकिन उमा के मुझसे जय की प्रशंसा सुनकर उसे महसूस हुआ जैसे जय ने उसे नीचा दिखा दिया हो । उसे उमा से भी कुछ नफरत हुआ और वह सोचने लगा कि किस तरह दोनों को नीचा दिखाए जाए । अचानक उसे याद आया कि उमा जैसे ऍम में मिलने वाली है । जैसे उसे विक्टर जैसे महंगे फॅमिली जाता है । वहाँ प्रेम होता है दोनों का क्यों ना शंकर को ये भेद बना दिया जाए । उसे मनी मनी सोचा, उसे इस बारे में शंकर को जरूर बताना चाहिए । वो प्रेमियों की दुनियाँ गुजार देखा जैसी उसने शंकर के अचरज भरे चेहरे की कल्पना कि वो मुस्कुरा पडा । उसे खयाल आएगा कि उसका सच्चा मित्र उसे धोखा दे रहा है । बीज रहा असहाय अनाडी जिसके लिए उसने इतना कुछ किया । मूर्खतापूर्ण कविता लिखने वाला, कभी प्यार और युद्ध में सब चलता है । लेकिन ये प्यार था या युद्ध? यहाँ की दोनों कुछ भी हो दोनों में कोई खास फर्क नहीं । विमल को लडाई पसंद थी, खासतौर से तब जबकि वह बराबर की ना हो और छल से भरी हुई हूँ । जैसे किसी की पीठ में छूरा भोंक देना । पेट में घुसा मायना विमल ने शंकर के हैरत भरे चेहरे की कल्पना कि वहाँ ऐसा और तब तक हस्ता रहा जब तक कि उसके पेट में दर्द होने लगा । अहमद साहब आपसे मिलना चाहते हैं । मीडिया ने फोन पर कहा उन्हें अंदर भी तू हाँ अभी तो और हाँ राम से कहना कि सिगरेट की एक डब्बी दे जाएंगे । अहमद ने मक्खनी रंग का सूट पहना हुआ था । उसकी थोडी पर छोटी सी गाडी थी । उससे चमडे के अटैची के इसको मेज पर रखा और बडे ही तपाक से विमल से हाथ मिला है । विमल मेज पर दो गिरा सके और नीचे की दराज से पियर की दो बोतलें निकाली । उसने अहमद के आटे जी के इसको थोडा सा खोलकर देखा और फिर संतोष से मुस्कुरा खूब बहुत हो । उसने कहा अहमद कभी भूल नहीं करता हूँ । अहमद ने दाडी पर हाथ देते देखा । अगर बुरा ना माने तो काम पहले और तफरी ही बाद में हमेशा की तरह सतर्क और सावधान । विमल ने मुस्कुराकर कहा, पैसा जितनी जल्दी आए उतना ही अच्छा है । अहमद ने दबी हसी के साथ कहा, दौलत को खर्च करने के लिए अहमद के पास हजारों तरीके हैं । ये तो चलती चीज है । इस हाथ आई उस हट गई । विमल ने चेक काटकर आगे बढा दिया । उसने अटैची के इसको एक तरफ सरकाया और गिलासों में बियर उडेलने लगा । अहमद ने जल्दी से बी एस का गिलास खाली कर सिगरेट सुलगाई । वो जल्दी में था । उसने शुक्रिया कहा और लंबे लंबे डग भरता हुआ बाहर निकल गया । विमल घंटे का बटन दबाया, अहमद चला गया । मीना के आने पर उसने पूछा था वो मुस्कुरा रहा था और बहुत खुश था । मीना ने कुर्सी पर एक खास अंदाज से बैठे हुए कहा, जेब भरी होने पर वो हमेशा खुश नजर आता है । विमल बोला गेल जरा इसे लिख हूँ । उसने खत लिखवाया और फिर कहा जल्दी से जाओ और इसे टाइप का डालो वो बहुत जरूरी है । और हाँ, अगर मैं शाम को क्लब ना जाओ तो अकेले ही चली जाना । मुझे कुछ काम करना है । मीना बोली मैं तो नहीं जा सक होगी और उमा विक्टर होटल के नंबर कमरे में बैठे थे । दरवाजे और खिडकियों पर रेशमी परदे लटक रहे थे । ठीक उसी जन का कपडा सोफा सेट पर भी चढा हुआ था । पाँच पर एक मोटा गलीचा बिछा हुआ था जिसपर लकडी की एक खूबसूरत में थी । मेज पर रखा चीनी का गुलदस्ता ताजे दिल्ली के फूलों से सजा हुआ था । पारसी पार्टीशन था और उसके पीछे दो पलंग बिछे हुए थे । अंतिम सिरे पर बाध्य था । हालांकि ये कमरे मुसाफिरों के ठहरने के लिए थे, पर मैनेजर जाएगा पुराना दोस्त था । इसलिए जरूरत के वक्त उसके लिए कोई न कोई खाली कमरा हमेशा खुलवा देता । मेज पर शिकंजी के गिलास तले हुए आलू और ऑमलेट की प्लेट रखी थी । विमान आज सुबह तुम्हारी बुराई कर रहा था । उमा ने कहा उसका खयाल है कि सभी सीधे साधे आदमी रुकता देने वाले होते हैं । विमल बहुत कम किसी की तारीफ करता है । जय बोला, अगर मैं तुम्हारी जगह होता तो उसको गंभीरता से लेना ही नहीं । यू से जो कुछ कहा उसमें सच्चाई है । सीधे साधे आदमी पुख्ता देने वाले इसलिए होते हैं कि वो नहीं जानते, उन्हें कब, क्या कहना चाहिए । दोस्तों के बीच वो परेशान हो जाते हैं और हसी मजाक में हिस्सा नहीं लेते । हो सकता है लेकिन मेरे ख्याल से सादगी थी, बुरी चीज नहीं जो जितना महान है वो उतना ही ज्यादा है । गांधी जी का उदाहरण हमारे सामने हैं, वो अब बात थी जैन गिलास नीचे रखते हुए कहाँ इसके अलावा महान व्यक्तित्व भी तो गुप्ता देने वाला हो सकता है । अक्सर ऐसा देखा गया है तुम बहुत साउथ दिल्ली हूँ । तुमने गिलास में रखते हुए कहा तुम्हें किसी में बुराई दिखाई ही नहीं देती । और हाँ तुम्हारी पुस्तक का क्या हुआ? क्या प्रकाश इतने छपाने शुरू कर दी? हाँ प्रूफ आनी शुरु हो गए हैं । उमा कुछ परेशान होकर बोली तो नहीं पता है पिता जी इन्हीं सर्दियों में मेरी शादी कर देना चाहते हैं । सच जय ने कहा ताज्जुब है कौन खुशनसीब है वो देखो उमर बनावटी गुस्से में आपने हॅूं तो मेरा मजाक उडा रहे हो और कोई भी नहीं । लेकिन लेकिन क्या जैनी पूछा तो मैं कह रही थी कि अब यू तुम ही हो । जय गंभीर हो गया । मैंने सादा यही सोचा था कि राजेंद्रबाबू के दिमाग में शंकर का नाम होगा और अंत में वही होगा जो वो चाहते हैं । यूपी शंकर खूबसूरत है, आमिर है और सहसा उमा का चेहरा क्रूज से लाल हो उठा तो विमल थी कि कहता था वो चिल्लाएगा तुम ना सिर्फ एक कुत्ता देने वाले आदमी हो बल्कि ना समझ भी हो । मैं इतने वर्षों से तुम्हें प्यार कर रही हूँ और तुम होगी । शंकर की सिफारिश कर रही हूँ तो अपने को एक शरीफ आदमी कहती हूँ । लेकिन उमा सुनू तो मैं कुछ नहीं सुना । चाहती हूँ मुझे लाइट मेरी । ये तुम से अंतिम भेंट है । विमल थी कि कहता था कि तुम्हारा कोई आदर्श और सिद्धांत नहीं है । मैं कह रही हूँ कि तुम से प्रेम कर दिया और तो शंकर की चर्चा बैठे । उमा बहुत थक गई थी । उसकी अपनी बीवी सोफी सी टिका दिए । उसकी सांस काफी तेज चल रही थी । जय के मन में दस से का तूफान उठ रहा था लेकिन उस से अपने आप को रोक दिया । ये सब मीठा ही कुछ और है । उसने सोचा मुझे इस मामले में शंकर को बीच में नहीं लाना चाहिए था । अब मेरे कहने का मतलब था । उसने क्षमा याचना के स्वर में कहा जो कुछ शंकर तो नहीं दे सकता है वो मैं नहीं दे सकता । जैसे की तुम ने खुद कहा था कि मैं तो बिल्कुल नाॅक । मैंने तुम्हें हमेशा प्यार किया है और करता रहूंगा । लेकिन तो मैं इस बात को समझती क्यों नहीं पिया है के लिए शादी करना जरूरी नहीं । उमा कुछ शांत हुई तो नहीं जानती की तो कितनी गलती कर रहे हो । उसने कहा कोई भी लडकी करीबी से नहीं डरती बल्कि प्यार का अभाव भी उसे बेहतरीन करता है । फिर तुम कोई काम करते क्यों? नहीं तो चाहूँ तो सब कुछ कर सकती हूँ । ये सब मेरा दोस्त है । जैन अरबी से कहा उसमें कुछ न कुछ व्यवसाय करूंगा । ये नौकरियां कुछ और मैं अपने को तुम्हारे लायक बनाने की कोशिश करूंगा । तुमसे फायदा करता हूँ । उससे प्यार से उसे थपथपाया हूँ । मैंने आज तुम्हारी शाम खराब कर दी । आमलेट तो खाओ, ये ठंडा हो रहा है । उमा मन ही मन खुश हो उठे । वो बडे चाव से ऑमलेट खाने लगी । जैनी नौकरी तलाश करने का वादा कर लिया था । नौकरी होने पर ही वो जैक को प्राप्त कर सकती थी । उसके पिता एक बेकार आदमी से उसकी शादी की कल्पना भी नहीं कर सकते थे । अब तुम क्या सोच रही हूँ? जैन ने पूछा कुछ नहीं । उसने उठते हुए कहा अब हमें चलना चाहिए । काफी देर हो गयी । जी मैंने बेच चुका आया और चले गए । को खुश । खुश कमरे से निकली तो शंकर उन्हें कॉरिडोर की पांच मिल गया । जब से विमल नहीं उसे उमा और जे की भेंट के बारे में बताया था वो बेहद पेजैंट और नाराज था । दिवालियों से कहा था उमा कहती है कि वह तुम्हारी परवाह नहीं कर दी । उसने ये भी बताया कि आज की शाम दोनों विक्टर में मिलने वाले हैं । शंकर गुस्से से तिलमिला रहा था । उसे लगा कि वह व्यक्ति जो विद्यार्थी जीवन से उसका दोस्त था अब इस तरह से दोस्ती निभा रहा था । इसलिए ना कि उसने उसकी सहायता की थी । उसने उसे भूखे मरने से बचाया था । उसे लगा वहीं जब जैसे धोखा दे रहा है उसकी और उसकी प्रेमिका के बीच आ रहा है । उसने इन सब बातों को बीयर की बोतल पीकर भूलना चाहता हूँ । लेकिन बीयर ने उल्टा असर दिखाया । अंत में जब वो अपने को ना संभाल सका तो वित्र को जाने वाली सडक पर चल दिया । वो अक्सर वहाँ आता जाता था और हर आज भी उसे जानता था । पिछले उसने आसानी से मालूम कर लिया कि जयपुर उमा पिछले एक घंटे से कमरा नंबर चवालीस में बैठे हुए हैं । वो उन्हें कमरे से बाहर निकलने देना चाहता था । वो उन्हें बताना चाहता था कि उसे सब मालूम है । वहां कमरे के पास कॉरिडोर में घूमने लगा । जैसे ही उसने उन दोनों को एक साथ देखा उसके हो डिले वे आ रहे हैं । उसमे उनकी खुशी से चमक के चेहरों को निहारा । शंकर को वहां देखकर उमर चकित रह गई । पहले तो उसने इसी मात्र एक संयोग समझा लेकिन शीघ्र ही शंकर ने उसका ख्याल बदल दिया । मैं पिछले एक घंटे से यहाँ हूँ वो गुर्राया । उसने व्यंग करते हुए जैसे कहा तो इस ढंग से तुम अपनी कविताओं का सृजन करते हो । फिर उमा की और देखते हुआ वो बोला मैं अब जहाँ गांव का सवाल है, मुझे मालूम नहीं था कि आप इतनी है । बंद कमरे में एक घंटा इस इस शंकर का चेहरा लाल होगा और शब्द उसके मुंह से नहीं निकल रहे थे । होटल में बैठे कुछ लोग अपने दरवाजे खोलकर बाहर देखने लगे ताकि वह इस हंगामे का कारण जान सके । कुछ दूसरे लोग खिडकियों से ही झांक रहे थे । जयशंकर को शांत करने की कोशिश की । उसने शंकर का हाथ पकडा और उसे खींचकर उसी कमरे की तरफ ले जाने की कोशिश करने लगा जिसमें से वो अभी अभी निकले थे तो हम वहाँ चलकर इस बारे में बात करें । कुछ ने कहा यहाँ है आदमी हमें ही हो रहा है, घूमने तो वो चलाया हूँ, मैं क्या परवाह करता हूँ और तो अब उन के घुटने की इतनी चिंता क्यों कर रहे हो । तब तो तुम ने ऐसा नहीं सोचा जब उमा को यहाँ लेकर आए थे । मैं अगर यहाँ आता तो जरूर शर्म महसूस करता हूँ मेरे साथ जो मैंने कहा वह बहुत दुखी था और लोगों के घूमते प्रश्नवाचक चेहरों ने उसे परेशान कर दिया था । शारीरिक दृष्टि से वो काफी मजबूत था इसलिए उसने शंकर को कमरे में धकेल दिया । उमा व्याकुल से उनके पीछे पीछे चली । जैनी शंकर को पकडकर सोफे पर बैठा दिया और खुद उसके बराबर में बैठ गया । अब शुरू उसे सफाई पेश की तो गलतफहमी के शिकार हो । मेरी पुस्तक स्वीकृत हुई थी । उसी की खुशी में हम यहाँ आये हैं । अब तुम का होगी कि पूरा एक घंटा तो इस बारे में उमा को भाषण देते रहे और मैं यकीन कर लूँ तुम है । मैंने शरीफ समझा तो बाहर इधर उधर का कर्ज चुका तुम्हारी पुस्तक के प्रकाशित कराने की व्यवस्था की । तुम्हें अपना मित्र और ये देशी समझा लेकिन तो, लेकिन तो उसी शाख को खटने पर लगे हुए हो किस पर बैठी हूँ । उसने धमकी भरे स्वर में कहा जय का खून खौल गया । उसने जितना उसे समझाने और शांत करने की कोशिश की वो उतना ही भडकता गया । वो उसकी प्रेमिका के सामने उसका अपमान कर रहा था तो गलत कह रहे हो मैं तुमसे कर्ज लिया है । नहीं नहीं वैसे तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूँ कि जो कुछ मैंने तुमसे उधार के रूप में लिया है उसकी एक एक पैसे का हिसाब मेरे पास मौजूद है तो मैं इसे देख सकते हो । उसे डायरी को मेज परफेक्ट हुएकहा । जहाँ तक पुस्तक के प्रकाशन में तुम्हारी सहायता का सवाल है, प्रकाशक ने खुद कविताओं के महत्व को स्वीकार किया है और इसीलिए उन्हें छाप रहा है । वो खुद एक लेखक है तो भारी साथ मुश्किल यह है कि तुम अपने को मनुष्य के भाग्य का निर्माता समझ बैठे हूँ । उमा खामोशी से उनकी बातें सुन रही थी । उसने अपने कोई कठिन परिस्थिति में फंसा हुआ पाया । उसे डर था कि अगर इस सार्वजनिक स्थान पर कुछ अनहोनी घटना घट गए तो इससे बदनामी होगी । मगर अब वो अपने को और अधिक नियंत्रित न रख सके तो उसने कुछ नाराजगी से उनकी तरफ देखते हुए कहा लगता है कि तुम दोनों मुझे बाजार में बेचने के लिए रखी गई एक ऐसी समझती हूँ इसलिए ऐसे झगड रही हूँ । मुझे अपनी इच्छा से किसी के साथ घूमने फिरने और बात कहने का अधिकार नहीं है । मैं समझती हूँ कि तो मैं इस बात को मानोगी कि मैं कैसी लडकी नहीं जिसे राहत चलते उठाया जा सके । शंकर पहले गुस्से में था । फिर उमा के शब्दों ने जल्दी आग पर घी का काम किया । उसने न सिर्फ उसकी बात को काटा था बल्कि ऐसा करने के अधिकार को भी जताया था । उमा की बात सुनकर शंकर रोज जी तिलमिला उठा और उसे तीखी दृष्टि से घूमते हुए बोला, ठीक है, अब मेरी ओर से तुम्हारी अधिकारों में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा । लेकिन मैं चाहता हूँ कि तुम भी उनका संतुलित उपयोग करूँ । वो व्यंग भरी हसी हजार मेज पर पडी लाल रंग कि बॉकेट जाएगी । पर उसकी दृष्टि गए तो वह जय की तरफ घूमकर बोला, मैं चाहता होगी कर्जे के साथ साथ तुम अपनी गतिविधियों का हिसाब भी रखो । उसी जल्दी दृष्टि से दोनों को देखा और कमरे से निकल गया । शंकर के अंतिम शब्दों के बारे में उमा सोचने लगी, उसके ये कहने का मतलब क्या था कि जय आपकी गतिविधियों का हिसाब नहीं रखता । सीवाई जय के इस मुलाकात की जानकारी किसी और को नहीं थी । वो सोच भी नहीं सकती थी कि विमल भी विश्वासघात कर सकता है । वो सादा उसे अपने भाई और एक सच्चा मित्र समझती आई थी । वो पहली इस दुर्घटना से दुखी थी । फिर विमल की बातें उसे और अधिक निराश कर दिया । उसके दवे गुस्से को राहत मिली और जय उसका निशाना बन गया । मुझे मालूम नहीं था कि तुम इस बारे में हर किसी से बकवास करते फिर होंगे । वो उस पर बरस पडी । जय असमंजस में था । वो मुश्किल से ही उसका मतलब समझ सका । अब तुम इस तरह जाहिर कर रहे हो तो मैं कुछ मालूम ही नहीं । शंकर को हमारे मिलने की इस जगह का पता कैसे चला? निश्चय ही उसी सपना नहीं आया था । जय को बेहद आश्चर्य हुआ । उसने कहा, मुझे शंकर को बताने की क्या जरूरत थी? उसे बताने से मैं कौन सा उद्देश्य पूरा हो सकता था । हो सकता है वहाँ इत्तेफाक से आया हूँ । हाँ और इस कमरे में तुम्हारी मौजूदगी का एहसास उसे देवी शक्ति द्वारा हुआ होगा । आधा घंटा वो इधर उधर चहलकदमी करता रहा ताकि तो भी तलाश कर सके । कैसा अजीब इत्तफाक है? पहले तो तुम शोर मचाते है और फिर अब के दोषियों को मूर्खतापूर्ण ढंग से छिपाते हूँ । घटनाओं की प्रतिकूल का पहले ही जय के लिए रहे थे और अब ये तो उसके अंतिम छूट थी । उमा उसका दोषी ठहरा रही थी कि उसने ही शंकर को सब कुछ बताया है । चलो ठीक है, मैंने ही शंकर से कहा था । उसने निराश स्वर में कहा तो क्या हुआ कि तुम्हारी लिए में अपने दोस्तों से बातचीत करना भी छोड दो तो जिसका मुझ पर विश्वास नहीं, जिसने बिना किसी प्रमाण के मुझे दोषी ठहराया और कारण ही मुझ पर वियन कर रही हूँ । गरीब हूँ लेकिन अभी भी मुझे आत्मसम्मान बाकी है । मैंने सोचा था कि तुम वही बचपन वाली उमा हो स्टेडियम लेकिन तो बिलकुल दूसरी उमा हो तो बदल गई हो तो रुकने महत्वकांशा से ग्रस्त हो तो मैं अपनी मौलिक स्वाभाविकता को खो दिया है । दरवाजा बंद हुआ । उमर जय कि दूर जाते हुए कदमों की आवाज सुनती रही । अंतर की शक्ति नहीं, उसे प्रेरित किया कि वो खडी हो जाए, उसे रोके और कहीं वहीं एक अकेला आदमी है जिससे वो प्रेम करती है । वो उससे कहे की ऐसी छोटी छोटी बातों के कारण एक साथ बिताई । सुखद क्षणों को नहीं भूला जाना चाहिए लेकिन वो कुर्सी से चिपक कर रह गई । जाते हुए कदमों की आवाज हर पल दूर होकर मध्यम होती जा रही थी और तब जैसे बंद फवारा एका एक फूट पडा । उसकी आंखों में आंसू बह निकले । उसने अपना चेहरा खातों में छिपा लिया और उसका समस्त शरीर एक मौन से सबसे कम उठा । विक्टर के बाल रूम में बैठे विमल ने काफी प्रसन्नता के साथ जय कि उतरे हुए चेहरे को देखा । प्रेमी नंबर दो जा रहा है । उसने मन ही मन कहा । वो काफी देर से वहां बैठा हुआ था और अब तीसरे पैर बी पी रहा था । उसने अपनी अंग अंग में एक सफूर्ति दायक गर्माहट महसूस की । तुमने नंबर जवानी बताया ना उसने बाढ के काउंटर पर बैठे व्यक्ति से पूछा । खान जनाब उसने से रहता है । विमल ने बिल पर दस्तखत की और खडा हो गया । सामान्य भाव से कॉरिडोर पार किया और नंबर कमरे के सामने पहुंच दरवाजा अंदर को धकेल दिया । उमा चौक कर खडी हो गई । मैं इस होटल में दो से मिलने आया था । डिंपल ने सफाई पेश की । अभी अभी जैसे मुलाकात हुई, उसने बताया कि तुम यहाँ पर हूँ । ताज्जुब है कि वो तुम्हें यहाँ अकेला छोड गया । आओ मैं तो में घर छोडा हूँ । अरे तुम तो हूँ, बात क्या है और वो सोफे पर उसके बराबर बैठ गया । उन्होंने की मानसिक अवस्था अत्यंत शोचनीय थी । विमल के आने से उसे कुछ सहारा मिला । उस की मौजूदगी में उमा ने हमेशा ही शांति का अनुभव किया था । वो दूसरे लोगों से बिल्कुल भिन्न था । उमा ने जब अपने मन के रहस्यों को किसी विश्वसनीय व्यक्ति से कहना चाह तभी विमल आ गया । बहुत ज्यादा बदकिस्मत । उसने रूमाल सेवइयां की पूछते हुए कहा, पहले शंकर और फिर सब कुछ भूल जाना चाहती हूँ और उसने अपना चेहरा दोनों हाथों में छिपा लिया । विमल ने दी है से उसके हाथों को चेहरे से हटाकर अपने हाथों में ले लिया । जय को हमेशा इतने कम आदमी समझता रहा हूँ । उसने कहा, लेकिन मुझे मालूम नहीं था कि वो इतना गिरा हुआ है । किसी भी लडकी से व्यहवार करने का ही ढंग कितना भद्दा है । ना केवल ये उमा ने करोड स्वर में कहा, बल्कि वो किसी बात को अपने तक सीमित ही नहीं रख सकता हूँ । अगर किसी से जरूर मिलना भी हो तो छत पर चढकर चिल्लाएगा । मैंने अगर उसे मूर्ख कहाँ तो ठीक ही किया । एक काम अभी और विमल ने प्रसन्नता से कहा अगर मैं तुम्हारी जगह हो तो जीवन भर उसकी सूरत देखो । लेकिन मुझे बताओ जयशंकर आपस में वाकई झगडे तो वो उच्च स्वर में एक दूसरे से मछली बेचने वालों की तरह जकड रहे थे । हमें डर के मारे आप रही थी कि कहीं कुछ अनहोनी घर जब किसी तरह बचाव हो जाए तो ठीक समय पर आ गए हो । मैं तो इतने बडे होटल में अपने को एकदम अकेली महसूस कर रही थी । विमल ने उसके लिए कोल्ड्रिंग मंगाई और वो कृतज्ञतापूर्वक चूस किया लेने लगी । राजेंद्रबाबू ठीक हैं । उसके बहुत नम्र भाव से घुमा से पूछा उनका फॅमिली नहीं है । उसने कहा सच बात तो ये है कि पापा को बहुत ज्यादा मेहनत करनी पडती है और ये उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । तो साडी में बहुत खुबसूरत लग रही हो, तीमल नहीं । ऑपरेशन था कि मैंने आज काफी दिनों बाद में लिबास में देखा है । पूमा का जहर लज्जा से लाल हो गया और उसे नजरी नीची करेंगे । विभिन्न इस तरह की बात पहले कभी नहीं कही थी । उसके शब्दों की ध्वनि अस्वाभाविक थी और वो सामान पूरा नहीं थी क्योंकि जयशंकर के कठोर व्यवहार में उसकी भावनाओं को चोट पहुंचाई थी । इसलिए विमल की इस प्रशंसा से उसी सुखद आश्चर्य हुआ । मगर उसके होठों की मुस्कान तक गायब हो गई जब विभिन्न फुटकर अंदर से दरवाजे की कुछ भी चढा दी तुम्हीं क्यों बन कर रहे हो? उसे टी की आवाज में पूछा मुझे घर से आए काफी देर हो गयी है, वापस चिंतित होंगे कि मैं कहाँ चली गई । अब मैं चलना चाहिए । विमल खामोश था मगर उसकी आंखों में ऐसी जमा को बढाई जिसे उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था । उसमें अचानक परिवर्तन आ गया था । पूर्व अत्यंत क्यूँ नजर आ रहा था । उसने उसे सावधान करते हुए कहा हम अभी चलते हैं पर ये मुनासिब नहीं की हम जय के जाने के तुरंत बाद चले । हो सकता है कि हाँ चल वाली शक्कर एक मगर उमा उसके कथन से सहमत ना हुई वो करेंगे । उसने प्रश्न किया अगर वह अभी करें उसने अभी बात पर तो भी तो मैं अपने विमल को कुछ समय तो देना ही चाहिए राजेंद्रबाबू सादा मुझे अपने होने वाले दामाद के रूप में ले दे रहे ऍम मेरा भी कुछ अधिकार है । अब तो मम्मा को लगा कि दाल में कुछ काला अवश्य है । विमल का प्रतीक हावभाव । उसका प्रतीक शब्द इस बात को जाहिर कर रहा था तो दरवाजे की तरफ बडी और बोली अब काफी देर हो चुकी है । मैं जा रही हूँ । तभी विमल तेजी से आगे बडा नहीं तो नहीं जा सकती डालेंगे । उसमें हारते हुए कहा फॅमिली के लिए कुछ कुछ जगह तो जरूर होगी । उमा बहुत ज्यादा डर गई थी । कुछ बाहर जाने दो । वह लाई । मैं यहाँ और अधिक नहीं रुक सकती । मुझे पहले घर से आए तीन घंटे हो चुके हैं । मुझे जाने दो प्लीज और उसने याचना भरी दृष्टि से उसे देखा । लेकिन विमल उसकी तरफ डरावनी नजरों से देखता हुआ बढा । उसके चाल में लडखडाहट थी । लगता था कि उसने शराब भी पी रखी है । उसने उमा की कलाई पकडी और खींचते हुए सोफे की तरफ लिए चला एक घंटा रुपये से क्या फर्क पड जाएगा डार्लिंग? उसने भेद भाव भी आवाज में कहा । उसके शब्दों में नहीं डरता की झलक थी । पसीने की मूल्य उसके माथे पर उभर आई थी और वह जोर जोर से साहस ले रहा था । जैसे यूमा के हाथ आगे बढे । उसने उसी सोफे की तरफ धकेल दिया । वो ही तो क्या कर रहे हो । तुमने भरे गले से कहा और आजाद होने की जी तोड कोशिश की तो फिर कल आई की उमर उड रही हो कुछ ज्यादा तो इस खींचातानी में विमल का पांव फिसल गया । वो संतुलन का एम ना रख सका । बहने उमा को शक्ति उसे विमल को एक और धकेला और एक ही छलांग दरवाजे पर जा पहुंची । फिर उसने दरवाजे को खोला और भाग निकली । कोहरे दूर सूरत पर अंधेरे से भरा हुआ था । उसने तेज तेज कदमों से चलते हुए बरामदा बार क्या टैक्सी सामने से जाती । टैक्सी को देखकर वह चिल्लाई और टैक्सी के आते ही कूदकर अंदर जा बैठी । भंडारी बांध उसी ड्राइवर से कहा तेरे जल्दी जैसी टैक्सी आगे बढी । उसे लगा की साडियों बुरा ना कोई भारी भरकम बोझ उस पर आ गिरा है और वो उस पोछे दबी हुई सीट में धरती जा रही है

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हर लड़की के जीवन में वो पल आता है, जब उसे जीवन साथी को चुनना होता है और निर्णय करना बेहद मुश्किल होता है। उमा के सामने भी यही एक बड़ा प्रश्‍न था कि सामने विकल्‍पों की कमी नहीं थी, लेकिन किसे अपना जीवन साथी चुनें? जहां जय के पास प्‍यार देने के लिए अलावा और कुछ नहीं था, वहीं शंकर था जो बिजनेसमैन था और उसके पास शानो-शौकत, दौलत बेशुमार थी। उमा किसे अपना जीवन साथी चुनेगी? उमा की कसौटी पर कौन खरा उतरेगा जय या शंकर? जानने के लिए सुनें पूरी कहानी।
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