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भाग टी करंट का परिवार पदमपुर का एक पुराना माना हुआ परिवार था । उसके दादा अंग्रेजी के जमाने में डिप्टी कलेक्टर थे । उसके पिता भी सरकारी अवसर रहे । इसी रीति में वो भी बला और अपनी कुशाग्र बुद्धि के कारण राज्य लोक सेवा की परीक्षा में अच्छी स्थान पर पास हुआ । सुभाव से वो अलग अलग रहने वाला व्यक्ति था इसलिए इस अवसरी में वो पूरी तरह सही कभी न बैठाया और कुछ चिडचिडाहट जी उसके अंदर आ गई थी । उसका विवाह बहुत जल्दी हो गया था और उसे पत्नी भी ऐसी मिली थी जिससे उसका स्वभाव ना मिल पाया । ये उसके चिडचिडे स्वभाव का एक और कारण था । इस बात का सारा दोष उसकी पत्नी प्रमिला को ही नहीं दिया जा सकता हूँ कि वो आपके पति का स्वभाव ना पहचान पाएगा । मगर एक बार जरूर कही जा सकती थी कि उसके स्वभाव में भी काफी रूखा बंद था जिसकी वजह से पति और पत्नी के मन कभी मिलना पाएगा । देखने में प्रमिला बहुत सुंदर और आकर्षक थी । उसके खूबसूरत ढले हुए चेहरे के साथ उसके लंबे लंबे घुंघराले सियाही बाल उसमें एक सहज आकर्षण पैदा करते थे । प्रमिला की एक छोटी बहन शीला थी जो मिला की तरह गोरे रंग की तो नहीं की लेकिन आपने सावली रंग और गठ्ठे हुए उस से कब गार्ड में काफी सुंदर लगती थी । उसकी गहराई सिया है । आंखों में बिजलियाँ चमक दी थी । उसके भरे भरे सुर खोट देखने वालों का ध्यान बरबस अपनी और खींच लेती थी करेंगे । उसे पहली बार उस समय देखा था जब दूल्हा बनाई विवाह मंडप में बैठा था । उसी समय वो अपना दिल उसे देख चुका था । फिर धीरे धीरे वो आकर्षण बढता चला गया हूँ । शीला भी करण को पसंद करती थी लेकिन वह योवन की सीमा पर अभी आकर पहुंची ही थी । इसलिए उसे पुरुष के हर इशारे को समझने का अनुभव था । हूँ । करंट शीला से छह हजार करता हूँ तो शीला की अधिक जागी । भावनाओं में कुछ अजनबी सी कसमसाहट होती है । एक अजीब सा नाशा उस पर सुझाने लगता लेकिन इससे अधिक वो कुछ ना समाजवादी । जब उसकी बहन का विवाह हुआ था तब वह सोल वहाँ पार कर रही थी । स्कूल ले जाने के लिए उसकी बस सुबह जल्दी आ जाती थी इसलिए उसे जल्दी उठकर तैयारी करनी पडती थी । करें हमेशा देर से उठी का आदि था लेकिन जब अपने ससुर के घर आकर अचानक वो रोज जल्दी उठने लगा तो प्रमिला को काफी हैरानी हुई करेंगे । उससे बहाना क्या बेवक्त खाना खाने से नींद कम आने लगी है और यहाँ का पानी भी कुछ ठीक नहीं बैठा हूँ । रात मुश्किल से पलक भर नींद लगती है । करन बाहर बरामदे में होता था । सुबह के समय वह सबसे पहले उठ जाता और दबे पांव कमरे के बीच के गलियारे से गुजरता हुआ रसोई में जा पहुंचता हूँ जहाँ शीला उठकर चाय का पानी अंग्रेजी पर चढा रही होती है । चाहे तैयार करके शीला उसे एक प्याला बना देती और फिर दोनों इकट्ठे बैठकर गरमा गर्म चाय की चुस्कियां लेते और दबे स्वर में बातचीत करते । आप तो कहते थे कि आठ बजे से पहले कभी नहीं खुद ही नहीं लेकिन यहाँ तो आप तडके ही उठ जाते हैं । एक सुबह शीला ने पूछा हाँ तुम कहती तो ठीक हो जहाँ में तडके ही उठ जाता हूँ । लेकिन जानती हूँ इसलिए कहते कहते करें शरारत से मुस्कुराया और शीला की वह पकडकर खींचता वहाँ बोला इसलिए शीला के चेहरे पर सुर्खी दौड गई । उसने करन से अलग होते हुए घबराकर इधर उधर देखा कि घर का कोई व्यक्ति जाकर वहाँ आ जाएगा । वो इस बात से बहुत डरती थी कि कहीं छेडछाड कोई देखना ले लेकिन सभी लोग सो रहे थे । एक दिन करें कोई नई शरारत सूझी । उसने घर से कार्ड ली और झील के पास से होता हुआ शीला के स्कूल के सामने आ गया । स्कूल की छुट्टी का समय हो चला था । वो कार में बैठा शीला का इंतजार कर रहा था तो थोडी देर में छुट्टी हो गई और लडकियाँ किताबे बगल में दवाएं हस्ती चाहती स्कूल से बाहर निकले । शीला भी उन्हीं मेथी करंट को वहां देखकर वह कुछ खुशी और हैरानी से बोल । जीजा जी बहुत यहाँ कैसे बस तो भी लेने के लिए चला आया हूँ । गाडी में बैठा हूँ । करेंगे कहा शीला सहेलियों से अलग होकर कार में उसके बराबर की सीट पर आ बैठे । उसके गालों पर हल्की हल्की लाली झलकने लगी थी । करेंगे का स्टार्ट की और कुछ दूर जाकर कहा शीला चलो रेजेंसी घूमते हुए घर चलेंगे । शीला चुप रही । चढाई उतारों पर दौडती हुई कार जब शहर से कुछ दूर आई तो उसका इंजन झटके खाने लगा करेंगे । गाडी रूकती क्या सरकार को शीला भी चिंतित होते हुए पूछा मेरे खयाल में कार्बोरेटर कुछ गडबडी कर रहा है । कर रनिंग गाडी से नीचे उतरते हुए कहा शीला घबरा गई और कहने लगी हाई ठीक हुई तो क्या होगा? उसकी बेचैनी देखकर करंट हसने लगा । उसे पेट्रोल का चौक लगाकर कार्बोरेटर को एक दो बार हादसे चलाया और फिर दोबारा गाडी के अंदर बैठे हुए बोला हो ठीक हो गई । अब घबराने की कोई बात नहीं है । कार दोबारा चल पडी तो शीला ने तसल्ली की सांस ली करेंगे । कार वापस घुमारली । वो अभी थोडी दूरी गए थे कि बादल गिरने लगे । लगता है बारिश होने वाली है । शीला ने कहा उसकी बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि बूंदाबादी शुरू हो गयी । आकाश में घटाएं छाई हुई थी । कार इस समय उस ढलान के ऊपर थी जो चक्कर खाती हुई शहर की सीमा से जा मिलती थी । उसने एक जगह कार खडी कर दी । यहाँ एक और एक बडी चट्टान थी और दूसरी ओर दूर नीचे झील का पानी लेहरा दावा दिखाई देता था । कार्य के सामने का शीशा बारिश के पानी से धुंधला पड गया था । करण ने खिडकियों के शीशे चढा दिए । बाहर के मनोरम एकांत में कार के अंदर का वातावरण सिमट कर और भारी हो गया करेंगे । धीरे से शीला को अपने पास खींचा । वो सडक कर उसके और नजदीक आ गई और अपना सिर्फ उसकी कंधे पर टिकाकर पर ऐसी हुई बूंदों का मध्यम संगीत सुनने लगी । करन की उंगलिया शीला के नरम बालों से खेलती हुई भटक कर उसकी धडकनों को तेज करने लगी । बारिश के संगीत के साथ सांसों की गति तेज होने लगी । शीला ने एक बार भारी बल को से करन की और देखा जैसे कुछ सोच रही हूँ । करंट का सारा शरीर सिहर उठा । शीला की नजर उससे खेली ना गई और वो संभल गया । अब मेरा ख्याल है कि हमें वापस चलना चाहिए । उसने धीरे से कहा हाँ, शीला की आवाज में रूमानियत थी, करेंगे । उसके तमतमाए चेहरे और गदराई हुए शरीर को एक बार तरफ की नजरों से देखा और फिर कार स्टार्ट करने लगा । बारिश कम हो गई थी । कारब झील के पास से दूसरे रही थी । करेंट सोच रहा था कि घर जाकर वो शीला को साथ लाने के बारे में क्या कहेगा । शीला उसकी परेशानी समझ गई और बोली, मुझे बस स्टॉप के पास उतार दीजिएगा । मैं घर पैदल आ जाओ । उसके बाद चुनकर करन के मन का बोझ उधर गया और वो खुश होते हुए बोला हाँ ये बहुत ठीक रहेगा । मान गए तुम्हारे दिमाग को लोग अब तुम यहाँ से घर चलो और मैं घंटेभर भाग पूछूंगा । ऍम कैसी रही अच्छी? शीला ने कार से उतरते हुए क्या करेंगे? कार को अस्पताल की दिशा में मोडते हुए सोचा कि समय तो है ही, सरना से क्यों न मिल लिया जाए । अस्पताल पहुंचकर कार से उतरते हुए वो सोच रहा था कि अगर सरला को पता चल गया कि वह कहाँ से आ रहा है तो लेकिन वह बेफिक्र इसे मुस्कुराता वहाँ अस्पताल के अंदर दाखिल हो गया । अस्पताल से घर लौटकर करेंगे चुपचाप कार वही खडी कर दी जहाँ से वो लेकर गया था । फिर बिना किसी का ध्यान आकर्षित किए वो घर के अंदर दाखिल हो गया । उसके ससुर का मकान पूरा ने ढंग का था । आगे तीन कमरे और पीछे आंगन करें । गलियारे में से निकलता वहाँ पीछे आंगन में जाकर पहुंचा हूँ । आंगन के फर्श पर पिछले रोज चौक पूरा गया था, जहाँ शीला ने बैठकर अपने भाई के माथे पर टीका लगाया था । रंगोली के हल्के हल्के रंग अभी तक चमक रहे थे । आंकडों के कोने में एक तरफ शीला और उसकी माँ बैठी बातें कर रही थी । शीला ने नीले रंग का फिल्मी सितारे जडा लहंगा और कसी हुई पीली चोली पहन रखी थी । करंट के कदमों की आहट उसे पता चल गया कि वो आ गया है । लेकिन उसने मुडकर करन की तरफ ना देखा में सरला को देखने अस्पताल चला गया था करेंगे । कुछ खेद प्रकट करते हुए कहा सरला काफी कमजोर हो गए हैं । गाडी भी भी गई । ड्राइवर से साफ करानी पडेगी । ड्राइवर शब्द पर उसकी सास ने उसकी और ध्यान दिया और थकी हुई इसी बोले बेटा राशिद को कह दो । उससे ये भी कह देना की गाडी दफ्तर ले जाए और बाबू जी को ले आए हो गया है । इतना कहकर वो टी और शाम की चाय की तैयारी करनी चलेगी । करन की आखिर शीला की आंखों से टकराई तो कुछ जीत गई करेंगे । मुस्कुराते हुए धीरे से पूछा भी तो नहीं गई थी । मैंने कुछ कहा तो नहीं । शीला ने चुप चाप से हिलाकर इंकार कर दिया और उठकर लिट्टी साफ करने लगी करेंगे । कुर्सी पर टांगे प्रसार कर बैठ गया और आकाश की ओर देखने लगा । आकाश में बादल छट चुके थे और निलीमा निखर आई थी । प्लेट साफ करके शीला अंदर कमरे में चले गए । करन भी धीरे से उठा और उसके पीछे पीछे कमरे में आ गया । कमरे की खिडकियां दरवाजों पर पडे भारी भारी पर दो से बाहर की रोशनी अंदर झुटपुटा रही थी । शीला यूही अनमनी सी खडी कुछ सोच रही थी करें धीरे से उसके पीछे जा खडा हुआ । उस को अपने पास पाकर शीला के शरीर में काम कपि सी दौडी और उसने अपना सिर्फ पीछे करन की छाती पर दिखा दिया करेंगे । अपने गाल से उसके देश में बाल सहलाए । बालू से भीनी भीनी महक उठ रही थी । एक दूसरे में खोए हुए वो दोनों मदहोश खडे थे कि अचानक दूसरे कमरे से प्रमिला ने शीला को पुकारा । शीला शीला बेबी का कोर्ट कहाँ रखा है? प्रमिला पूछ रही थी । शीला भागती हुई कमरे से बाहर चली गई और करंट थका थका सा फिर आंगन में जाकर कुर्सी पर बैठ गया । तीन बीती दे गए और एक रोज करण अपनी ससुराल से लौटकर लखनऊ आ गया । दो तीन दिन आराम करके वो अपनी दिनचर्या में लग गया । एक वो सुबह साढे आठ बजे अखबार देख रहा था लेकिन खबरों शीर्षक पढते पर थे । उसका खयाल अपने ससुराल में बिताए हुए सुहाने दिनों की याद में भटक में लगा । अखबार के पन्नों पर उसे शीला की तस्वीर घूमती नजर आ रही थी । उसी गहरी सांस ली और एक बार फिर से अखबार की खबरों को पडने की कोशिश करने लगा । तभी अचानक टेलीफोन की घंटी नहीं उसी चौका दिया । वो थका हुआ था । उठा और टेलीफोन का चोंगा उठाकर बोला हेलो! मैं करण बोल रहा हूँ । कहीं दूसरी तरफ से विमल बोल रहा था । उसने करण को शराब की पार्टी पर अपने घर बुलाने के लिए टेलीफोन किया था । बस हम चारों होंगे । शंकर तुम मैं और मीना मजा रहेगा । वक्त पहुंच जाना । उसे हिदायत देते हुए कहा धमाल ए भाई करेंगे । उत्साह भरे स्वर में कहा मैं जरूर पहुंचूंगा । करन की पुरानी फोड गाडी लॉस टेरिस में विमल के घर के सामने रुकी । िवल उसका इंतजार कर रहा था । हाओ करें हम तुम्हारा इंतजार कर रहे थे । विमान ने उसका स्वागत करते हुए कहा करें, अंदर आकर उनमें शामिल हो गया । करंट, विमल और शंकर तीनों की आपस में गहरी चलती थी । तीनों स्वभाव से हसमुख और मनमौजी थे । शराब और शबाब से तीनों को गहरा लगाव था । करें जाकर एक सोफे पर बैठ गया । पास के सोफे पर मीना खिलाती हूँ । शंकर से बात कर रही थी । उसने कसी हुई उन ना बंगी रंग की कमीज पहन रखी थी जिसमें उसका शरीर और अधिक कटा हुआ लग रहा था । विमल ने सबके गिलासों में शराब उडेलकर अपना जाम उठाया और बोला दोस्तो, आओ आजम शराब का पूरा लुफ्त उठाएंगे । जाने किस रोज इस पर भी कानूनी बंदिश लग जाए । सबके अपने अपने जाम उठा लिए । शंकर ने अपना जाम ऊंचा उठाते हुए कहा, मेरा प्रस्ताव है कि ये पहला जहाँ मीना के नाम पर हो । तेरह उसने शराब का जाम और रुबाइयों की किताब हो तो जन्नत की भी ख्वाइश ना हो । मुझे करण और विमल ने भी अपना जाम हवा में उठाकर एक स्वर में कहा मीना के नाम और फिर चारों ने जाम टकराकर जिसकी अब भाई करेंगे । अपना ग्लास मेज पर रखा और सिगरेट सुलगाते हुए बोला हूँ सुना है शराब पर कानूनी पाबंदी लगाने की कोशिश की जा रही है कि ये तो बहुत गलत बात है । मुझे तो लगता है कि धीरे धीरे शादी पर भी कानूनी रोक लगा दी जाएगी । विमल ने व्यंग क्या? शंकर बोला अच्छा है जनसंख्या की समस्या तो काबू में आ जाएगी । कुछ और समस्या भी हल हो जाएगी । विमल ने उसकी बाद आगे बढाई । अगर हर विवाह पर जुर्माना लगाया जाए तो फिर कोई और कर लगाने की जरूरत नहीं रहेगी । इस पर सभी नहीं जोरदार कहाँ का लगाया करेंगे । मीना से पूछा अच्छा मेरा तो उनके करोगी जुर्माना दोगी । उसने अपना प्रश्न अधूरा ही छोड दिया । जुर्माना देने की मेरे को एक खास इच्छा नहीं लेकिन मुझे विवाह में भी दिलचस्पी नहीं है । मुझे लगता है की पत्नी बनकर जिलेकी बिताना बहुत घटिया काम है । मीना ने उत्तर दिया । उसकी बात सुनकर करें । हसने लगा । उसने कहा मीना खुशी की बात है कि शादी से पहले तो मैं इस बात का पता चल गया । अक्सर पति पत्नी शादी के बाद ये बात समझकर बच जाते हैं जैसे कि तू । विमल ने मुस्कुराते हुए करन से मजाक किया । सब हंसने लगे और करंट जीत गया । एक बार फिर उसने अपना गिलास भर लिया । भाई सर जल्दी पीओ । विमल ने कहा, इस रफ्तार से तो हफ्ते भर में भी एक बोतल खत्म होगी । एक बार फिर जाम भरे गए । इस बार सोने के लिए शंकर ने इंकार कर दिया । हर मुस्कुराता हुआ बोला मिलावट मत करो भाई, शुद्धि रहने दो, कुछ जरूर तो आए । दौड चलने लगा । करण ने कहा विमल तो तुम्हारे यहाँ हम नहीं है तो हम क्यों जो है विमल बोला करेंगे । उत्तर दिया मुझे जब ज्यादा पसंद है जब मुझे शराब का नशा लेना होता है तो मैं ही पीता हूँ । इस पर विमल ने कहा, दो तरह की शराब मिलाकर नहीं पीनी चाहिए । एक बार मैंने गोंडा की एक पार्टी में शराब मिलाकर पी ली थी । उसने मेरी आती उम्मीद डाली । बहुत कष्ट हुआ था । उस दिन मुझे अच्छा तुम कहते हो तो खोजी चलने दो करेंगे । मुस्कुराते हुए कहा । उसे मुस्कुराते हुए देखकर मीना बोली, क्या बात है तुम्हारी होटल खेले जा रहे हैं? कोई खास बात है क्या करें की मुस्कुराहट और फैल गई और वह कहने लगा ही नहीं । ऐसी कोई खास बात नहीं हुई । मुझे घर से की बात याद आ गई थी । एक बार में और कुछ लोग अपने दोस्ती कार में बाराबंकी की तरफ जा रहे थे । हम सबने खूब बियर पी रखी थी तो तुम जानती ही हूँ । बाराबंकीः यहाँ से कोई सत्तर मिल ही दूरी पर है । जरूर गांव था । बात करते करते मैं अचानक अपने दोस्त की पत्नी के बारे में बताने लगा कि मैंने उसे विक्टर रेस्ट्रो में शराब के नशे में क्या क्या करते देखा था । मेरी बात से मेरा दोस्त इतना नाराज हुआ कि उसने गाडी रोककर हम सब को वही उतार दिया । अभी बाराबंकी चार मील दूर था । हम सबको पैदल वहाँ तक जाना पडा और सारा नशा गायब हो गया । नशा तो जरूर गायब हो गया होगा । शंकर ने हसते हुए कहा, नशे में कई बार अजीब अजीब बातें हो जाती है । एक बार जब में मसूरी में था तो मैंने कुछ ज्यादा जगह खाली बाढ से निकालकर पान खाने के लिए मैं कुछ दूर चला तो मुझे एक महिला नजर आएगा । मैं नशे में उठाई । अचानक मेरी इच्छा हुई कि क्यों नहीं इस महिला को पांच भेंट किया जाए । मैंने फॉर्म उसे पान भेंट कर दिया, जबकि मैं उससे परिचित भी नहीं था । अच्छा हुआ कि मैंने उसे सिर्फ पानी दिया । उसने और कुछ नहीं कहा । लेकिन अगली सुबह तो गजब हो गया । मैं एक मित्र के यहाँ गया तो देखता रहे गए । कल जो महिला मुझे मिली थी तो उस की पत्ती थी, अचानक करेंगे । मेहनत से कहा मीना, अगर कोई अनजान आदमी तो पान भेंट करें तो तुम क्या करोगी? मैं तो तमाचों से उसके होश ठिकाने लगा देंगे । मीना ने तुनक कर कहा, इसपर विमल हस्ता हुआ कहने लगा हूँ और अगर वह व्यक्ति तो मैं अच्छा लगे तो अच्छा लगे । मीना बुराई क्या तुम्हारा ख्याल है कि कोई नशे में धुत आदमी रास्ते में मिल कर मेरे मूह में पांच हो से लगेगा तो मुझे अच्छा लगेगा । मैं तो उसे पुलिस के हवाले कर दूँ । ॅ शंकर आपने गिलास में देखते हुए बडबडा हूँ, तुम्हारा गिलास खाली हो गया है । केवल उसके गिलास में शराब उंडेलते हुए कहा । शराब की बोतल खाली हो चुकी थी । करण और शंकर दोनों नशे में झूमने लगे थे । लेकिन विमल अभी ठीक था । वह अलमारी से एक और बोतल निकालकर लाया और आपने गिलास में उडेलकर चुस्कियां लेने लगा । फिर अचानक वो गुनगुनाने लगा हर शब्द पिया करते हैं । मैं जिस कदर मिले सब पर नशा चाय लगा । सभी अब पीएमटी धुन में कुछ ना कुछ गुनगुना रहे थे । मीना का दुपट्टा एक तरफ जमीन पर ढोलक गया था और वो बेहद लापरवाही से सोफे पर लेटी हुई थी । विमल मीना की और देख रहा था । अचानक उसे कुछ ख्याल आया और वह जोर से बोला सुनो मीना को रूप की रानी बनाया जाएगा । आओ इसी यानी बनाए करे और शंकर ने भी उसकी बात का खुशी से स्वागत किया । लेकिन मीना चौकरी टीवी बोली क्या फिजूल की बात है? मैं कोई रानी नहीं हो हो । कैसे नहीं तुम रूट की रानी हो? करण ने नशे में हकलाते हुए कहा हाँ हाँ । रूप की रानी नन्ही मुन्नी रूप की रानी शंकर ने झूमते हुए कहा । विमल ने उठकर मीना को सलाम किया और बोला, जानी साहब! गुलाब हाजिर है । अरे रानी का ताज कहाँ है? शंकर अभी बहक में चिल्लाया पागल हो गए हूँ । मीना घबराकर कहा, लेकिन उसकी बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया । विमल पुन्नी डार टोपी पास के कमरे से खोज जाया और बोला जानवी के सिर्फ ऍम पहनाएगा करें पहनाएगा । शंकर ने उत्तर दिया । मीना उनकी हरकतों को दिलचस्पी से देख सुन रहे थे, जबकि उसकी और बडे तो वह नकली गुस्से में चलाई । अरे ये क्या कर रहे हो पागलपन की हरकत । लेकिन वह सब पूरी तरह मदहोश थे । उन्होंने उसकी एक ना सुनी । शंकर और विमल मीना को पकडकर उठाया और एक ऊंची कुर्सी पर बैठा दिया जाने गद्दी पर बैठ गई । वो दोनों चलाएगा । करने आकर वो टोपी मीना के सिर पर पहना दी । मीडिया ने काफी विरोध किया लेकिन शंकर और विमल उसे कसकर पकडे रहे । करंट टोपी पहना चुका तो तीनों ने जोर जोर से तालियां बजाई और रूप की रानी मीना की जय के नारे लगाए हूँ । अभी करंट बोला यानी को भेज भी दी जानी चाहिए । और एक ये तो बोली गए थे विमल चलाया उपहार खोजो कोई उपहार रानी के लिए । उसकी बात सुनकर शंकर ने मीचकर बडी बलों की तश्तरी उठा ली और बोला बलों की भेंट चढा पुरानी को । इतना कहकर उसने फलों की तश्तरी मीना के पैरों के पास बुलेट ये देख कर करन भी पीछे ना रहा । उसने फूलदान से फूल निकालकर मीना के पास ढेर कर दिए । फिर क्या था तीनों ने नशे की धुन में ऐसी होड लगाई कि मीना के पैरों के पास कमरे की चीजों का ढेर लगा दिया । आखिर इस कुछ खेलकूद से उनका नशा कुछ ढीला हुआ और वह सब चुप चाप कुर्सियों पर लम्बे हो गए । कुछ देर के बाद नशे की झूक काफी हल्की हो गई थी । शंकर ने जमीन पर पडी हुई मेरी घडी उठाई जो भाग्य से अभी तक चल रही थी । बारह बज चुके उसने समय देख कर कहा कबाल है । पता ही नहीं चला कि कब आधी रात बीत गई । अब घर चलना चाहिए, गाडी चला लोगे ना । विमल ने उनको जाने के लिए तैयार देखकर पूछा मैं तो बिल्कुल ठीक करेंट लूट रहा है । शंकर बोला लेकिन कोई बात नहीं । मैं ऐसे अपनी गाडी में ही इसके घर ले चलूंगा । अच्छा भाई विमल पार्टी के लिए धन्यवाद और हाँ रानी को भी तुम्हारे पास से छोडे जा रहा हूँ । ये शंकर और विमल ने मिलकर करण को उठाया और शंकर के कार की पिछली सीट पर लिटा दिया । इसके बाद शंकर ने गाडी स्टार्ट कर दी । देवल अपने कमरे में लौटकर आया तो मीना जमीन पर बिखरी हुई चीजें उठाकर ठीक जगहों पर रख रही थी । बहुत उजड बन गया है । आज तुम लोगों ने वो विमल को देखकर बोले करंट बिल्कुल होश खो बैठा । सोचती हूँ घर तो ठीक से पहुँच जाएगी । विमल बोला रानी उसे तो शंकर संभालेगा उसकी पर वहाँ मत कर तुम अपनी बात करुँ । आज तो तुम्हारा डू छलका पड रहा है शराब की मस्ती से तुम पर कुछ और ही छत आ जाती है । उसकी बात सुनकर मीना धीरे से मुस्कुराई और बोली बस बस बहुत बातें बनाना छोडो चुपचाप अपने बिस्तर पर चले तो मैं भी अपने घर जा रही हूँ । क्या बात करती हूँ? मीना विमल बोला तो मुझे भी नशे में समझ रही हूँ । मैंने उन दोनों से बहुत कम भी हैं । मैं हमेशा संभाल कर देता हूँ । तुम कहो तो एक एक्जाम और हो जाएगा । नहीं तो फिर नहीं । मीना ने साफ इंकार करते हुए कहा और मेरी मानो तो तुम भी अब और मत दियो । इस पर विमल हस तावा बोला नहीं नहीं डरने की कोई बात नहीं । मैं सिर्फ एक बैग और लूंगा, लेकिन पहले तो मैं घर छोड कराऊंगा । इतना कहकर विमल नहीं मीना की ओर देखा तो वह भी मुस्कुराने लगी । शराब की गर्मी से मीना के हल्के हल्के तमतमाए हुए गाल उस की बडी बडी आंखों में करते हुए रेशमी डोरे और उसके शरीर का कसाब एक एक विमल को अपनी ओर खींचने लगा और वह सरक कर उसके पास हो गया । जानी तुम्हारी बाल के से उलझ गए । उसने मीना के बाल को धीरे धीरे सहलाते हुए उसकी आंखों में छाकर । तुम लोगों ने हुई छाती सिर पर टोपी रखे । मीना ने बनावटी नाराजी जाहिर करते हुए कहा विमल उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा कभी कभी तो कुछ हंसी खेल होना चाहिए ही । मीना ने धीरे से कहा । फिर कुछ देर तक इसी तरह की बातें करने के बाद मीना बोली चलो अब मुझे घर छोडा । काफी देर हो चुकी है । माँ परेशान होंगे । विमल उसे साथ ली गाडी की तरफ चल दिया
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