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सर्जिकल स्ट्राइक -10 in  |  Audio book and podcasts

सर्जिकल स्ट्राइक -10

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सुलतान फौजी - एक कश्मीरी आतंकवादी। उसने मुम्बई में एक बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया, जिसमें सैंकड़ों निर्दोष शहरी मारे गये। सुलतान फौजी पकड़ा गया। एक ऐतिहासिक फैसले में उसे 26 जनवरी के दिन फाँसी की सजा दी जानी थी, ताकि पूरी दुनिया देखती कि हम देशद्रोहियों के साथ क्या करते हैं। लेकिन उससे पहले ही सुलतान फौजी जेल तोड़कर पाकिस्तान भाग निकला। तब यह मिशन सौंपा गया कमांडर करण सक्सेना को। कमांडर- जिसने सुलतान फौजी को पाकिस्तान में ही घुसकर मारा। वहीं अपने हाथों से फाँसी की सजा दी उसे।
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साल रजिया की यादें रजि और कमांडर के उन तमाम हंगामों से नावाकिफ नहीं थी । उसमें तबाही की वह सारी खबरें पाकिस्तानी टीवी पर बडे ध्यान से सुनी थी और देखा था कि पाकिस्तान प्रशासन उन घटनाओं के बाद कितना बोला गया है । पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के इंटरव्यू पार पार टीवी पर प्रसारित किए जा रहे थे । वो आम जनता को तिरासी दे रहे थे कि बहुत जल्दी कमांडर करन सक्सेना नाम ऍम को खत्म कर दिया जाएगा । पहुंच चल कमांडर की लाश इस्लामाबाद की किसी चौराहे पर बडी होगी । किसी नाली में बडी होगी या फिर किसी कंधे कटर में बडी होगी । ऐसे और भी अनेक आश्वासन अच्छा हत्प्रभ थी । चौकी हुई थी उस की नहीं कर पा रही थी कि एक अकेला आदमी इतना बडा हंगामा भी कर सकता है । इतना बडा हंगामा पूरी कमेंट मिल जायेगा । टीवी पर समाचार देखते देखते इकाई रचिया को अर्जुन ठक्कर की याद आने लगी । अर्जुन ठक्कर, उसका भाई उसका मुँह बोला भाई, लेकिन जिसमें सगे भाई से भी ज्यादा बढकर अपना फर्ज निभाया था जो कमांडर की तरह ही बहुत था, बिलकुल उसी के तहत जिले और जिसकी मौत का दुकान लेने के लिए ही वो अब पाकिस्तान में मौजूद थी । अर्जुन ठक्कर की याद आते आते रजिया के दिमाग में अतीत की तरफ छलांग लगा नहीं पति इसकी सुनहरी किताब में बहुत सारी यादे बंद नहीं नहीं, सारी खुशियां थी तो ढेर सारे । हम भी उसी किताब में पाँच थे । रजिया को सबसे पहले अपने अब बाकी याद आई अब इंसान किसी की भी ये दर्जा बहुत बुलंद होता है । लेकिन किस्मत की मांग रजिया को अब्बा के रूप में भी ऐसा ही अनुमान आदमी मिला । शराबी था नकारा और ऍम सारे उसके अंदर भरे हुए थे । आप के फर्स को दोस्त ने जिंदगी में कभी समझा तक नहीं । शायद इसीलिए जब राज्य जवान हुई तो उसके हाथ पीले करने की बजाय उसे ऍफ की तरह इस्तेमाल किया और एक फॅमिली लाख रुपए में पेश डाला । सप्ताह ऍम था कि अगर कोई उस पर ठोक मार दे तो कागज की तरह उड जाए । चलता था तो पूरी बॉडी कीर्तन कर दी । नहीं कपडे उदारता था तो बिना एक्सरे मशीन के ही अंदर के सारे अंजर पंजर नजर आते थे । हस्ता था तो उनका सब गोल नजर आता था जिसमें कम कम की शायद ही कोई चीज हो । बता रही है क्या सोच कर उसने तडप जवान और तूफानी तरिया की तरह मचलते कौन वाली लडकी को निकले में बांध लिया था । फिर भी वो रजिया को जबरदस्ती अपने घर ले आया था । पहले ईरान जब पोपला मुँह चमकाता हुआ रजिया की तरफ पडा तो रजिया ने जवान खोडी की तरफ से सीधे ऍम बीमारी के वो जंगली पैसे की तरह डकारता हुआ सीधा उसी में जाता था । उसके बाद रजिया वहाँ संभागी तो फिर भाग ही चले गए । ये भी दिमाग है । तब शहर के हालत खराब नहीं सांप्रदायिक झगडे के आसार बने हुए थे । ऐसा लगता था कि किसी भी छोड शहर में हिन्दू मुस्लिम फसाद हो जाएगा । शहर में अमन चैन बना रहे इसीलिए बॉर्डर से फोर्स भी बुला ली गई थी । शहर में जगह जगह फौजियों के कैंप लगे थे । मैं क्या उस संगीन मुँह देखे हर संभागी तो फिर सडक पर पे हर्षा भागते हुए सीधे एक फौजी के अंत में झाँसी थी । फौजी कैंप में घुसते उसे मालूम हुआ कि वह पूरा भी उसके पीछे पीछे ही दौडा चला रहा था और लगभग उसके साथ साथ ही वो भी उस फौजी कैंप के भीतर कुछ थोडे को देखते ही रजिया के मुँह से दहशत नाक ठीक निकल गई । उत्तर कर एक फौजी के चौडे चकले सीने से जा सकती थी । अच्छा फुटबॅाल जवान था । भरी भरी मुझे और फौज की वर्दी उसके बदन पर यूज चर्च रही थी । जैसे वो पदन खास तौर पर उसी फर्जी के लिए बना हूँ । वहीं ऍम और जो ठक्कर के सीना से लिपट नहीं रजियाणा होना शुरू कर दिया और एक ही साल से अपनी पूरी व्यथा सुना डाली । ऍम ही और जो सत्तर की आंखें एकदम दहकता अंगारा बन चुकी थी । उसने रजिया को अपने पीछे कर लिया और फिर धर्म कर देने वाली नजरों से घूमता हूँ । बूढे की तरफ पडा हमारे मतदान हाँ उससे पत्नी की तरह का आपका पूरे की आवाज फॅमिली का मामला है । फॅमिली नहीं बना सकता है पर जब तक कर्कराज उठा क्यों नहीं बना सकता पूरा हो रहा है अगर इसके आपने शादी करके से मेरे साथ भेजा है । अब ये मेरी है, मेरी अभी से नहीं करना होगा । जब मैं कहूंगा जी कुछ नहीं करेगी लेकिन ऍम होते हूँ हम दोनों के बीच में बोलने वाले उन्होंने चलाकर पहुँचा हूँ । मैं ऍम पकड लिया और फिर साफ की तरह हूँ । मैं उस लडकी का भाई हूँ । ॅ बहन की रक्षा किस तरह की जाती है ये मुझे बखूबी मालूम है फॅमिली लडकी के भाई हूँ सब ऍफ कर रखते सबूत बच्चे मेरी राइफल रही पूरे करेंगे काम पीला जर्द पड गया उसकी टांगे कपकपाने लगी नहीं बहुत बडा शौक था की राइफल देखकर उसमें बहुत दूर नहीं पेशाब का कर दिया । एक खोरी सब फॅमिली काफी होगी । गोली अंदर जाते ही तरह खाॅ टूट गया हूँ । अर्जुन ठक्कर की उम्मीद जैसे ही राइफल के ट्रैक्टर की तरह छत पे तो पूरा दहशत से चलता हुआ फौजी काम से निकल कर खडा हुआ । वो वहाँ से माँगा तो ऐसा भागा की फिर उसने उस तरफ बट कर भी नहीं देखा । ऍम फौजी कैंप में ही गुजारी । ये भी इत्तेफाक ही रहा कि उसी पूरे शहर में सांप्रदायिक दंगे बडा होने शहर चलने लगा कि आरोप आंखियां बारूद की गंध ठीक है । पहुँच सक्रिय उठी फौज और पब्लिक के बीच सडकों पर खुला युद्ध चलने लगा । सारी प्राप्त युद्ध चलता रहा लेकिन आखिर में जी फौज की ही हुई थी । दिन निकलने से पहले ही फौज ने पुरुष शहर में अमन और शांति कायम करते हैं । फिर भी दो दिन तक फौज शहर में पडी रही थी । कहीं दंगे दोहराना भर फट हैं । दो दिन बाद अर्जुन ठक्कर रजिया को अपने साथ लेकर नासिक आ गया था जहाँ उसका घर था अपना घर वो रात भावनाओं से भरी रात थी । अर्जुन ठक्कर अपने बेडरूम में फ्रेम के अंदर जडी एक तस्वीर हाथ में लिए खडा था ऍम रहे थे जैसे आकाश की चादर पर कुछ तारीख छह चला रहे हो ये एक सुंदर लडकी की तस्वीर थी जी अभी अर्जुन ठक्कर के नजदीक जाकर खडी हो गई और उसने तस्वीर वाली लडकी को देखा हूँ ये कौन है? रजिया ने पूछा बहन नहीं है अच्छे डॉक्टर की आंखों में आंसू और ज्यादा ऍम हाँ तस्वीर को देखते हुए ॅ रजिया के सामने कुछ तनकर खडा हो गया । विचारी बहुत अच्छी लगी थी जान क्या भागेंगे? जान लिया तो वहाँ चल बसी । फिर पिताजी जल्दी से और उसकी शादी का वक्त है तो खुद भी एक सडक दुर्घटना में मारी गई से बहुत प्यार करता हूँ । अर्जुन ठक्कर अपने घर की दीवारों को देखता हूँ । नहीं घुसा गए कभी इस घर का कोना कोना उसके कहता हूँ अब आधा मैं ड्यूटी से । यहाँ तो भैया भैया की मधुर आवाज से पूरा घर गूंज उठता । मेरी जिंदगी इतनी हँसी कभी नहीं थे जितनी रजनी के प्यार की बदौलत हो गई थी । जानती हूँ अर्जुन ठक्कर ने तस्वीर एक तरफ रखकर रजिया का चेहरा अपनी दोनों हथेलियों में भर लिया हूँ । जब मैंने पहली बार दोनों देखा तो तो अचानक ऐसा लगा जैसे जिससे कुछ रजनी वापस मिल गई होगी । अर्जियाँ और जब मेरे कानों में तुम्हारा नाम पडा तो मेरे कानों में घंटियां बज उठी थी । लडकियाँ और रजनी कितनी समानता है दोनों नामों में ऐसा लगता है कि जैसे जिससे दोनों नाम एक ही धारों से बहकर निकलेंगे क्या? अब तो मैं कोई खतरा नहीं । अर्जुन ठक्कर, केशव शंकर रजिया भी चस्पा क्यों मैं मैं तो बिलकुल रजनी जैसा ही होंगे । बच्चे के आवाज भी गई थी । फिर सच में उसे अर्जुन ठक्कर से ही वही प्यार मिला जो एक सगे भाई से मिलना चाहिए । धर्म और जाति से बढकर प्यार था वो जिसमें पवित्रता ही पवित्रता, दीवानगी ही दीवान । अर्जुन ठक्कर उसकी आंखों में एक भी आंसू देख लेता हूँ तो तडप था । एक और सवाल पड गया था कि मोहल्ले के शरारती लडके ने रचिया के लिए कुछ अपशब्द कहती हैं । पास ज्वालामुखी बन गया था । वो उसके घर का दरवाजा तोडकर अंदर जा घुसा है और से इतना मना इतना मारा कि वो हमारा हो गया । लेकिन फिर भी अर्जुन ऍम तब तक नहीं छोडा जब तक उसने रजिया के पैरों में गिरकर से माफी नहीं मांग ले । ऐसा था एक भाई का एक बहन के प्रति प्यार । उससे पहले रजिया ने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा हूँ । ये भाई अपनी बहन से कितना भी प्यार कर सकता है, उसकी एक खुशी पर अपनी जान जुटाने के लिए तैयार रहता । फिर प्रतियां चंदन, बहुत खास ॅ और रजनी का नाम ही एक दूसरे से काफी मिलता था । बल्कि ये भी था की टाॅप के जन्म की तारीख भी बिलकुल नहीं थी । जिस दिन रजनी का चंदन पडता हूँ उस दिन अर्जुन ठक्कर के घर पर एक बहुत बडी पार्टी थी जिसमें उसके सारे फौजी दोस्त शामिल हुए । डेढ तक हुडदंग मचा और नाच गाना चला । जी कोई मामूली घटना नहीं किया । अर्जुन ठक्कर एक मिलिट्री के धन पर उसके साथ पहले डांस करता था । बोला रजनी की और तुम्हारे चन्दन की तारीख की बिल्कुल एक है । आज सबको मुझे अहसास हो रहा है कि मेरी बहन बडी नहीं थी । वह सुनता है रजिया के रूप में शायद ईश्वर नहीं । इस महान सहयोग को हम दोनों किस्मत में लिख दिया था तो ठीक ऍम रजिया भी था पर रखते हुए सचिन जी कोई मामूली सहयोग नहीं है । फिर अर्जुन ठक्कर रखते रखते हुए अपनी जेब से सोने का एक लॉकेट निकाला । सोने की चैन में पडा था और जिस पर अंग्रेजी में प्रथम अक्षय आर खुदा था और रजिया ऍफ को देखकर अर्जुन ढक खयालों में खो गया था । जानती हूँ जब रजनी का एक्सीडेंट हुआ तो सिर्फ तीन दिन बाद ही उसका जन्मदिन था और और उसी के लिए नाॅट बनवाया था । लेकिन आज सोने में तलाशी अपने प्यार को तुम्हें सौंप रहा हूँ । अपनी दूसरी बहन को ट्रॉफियां कसकर अर्जुन से निपटते । उसी पल अर्जुन ठक्कर ने उसके गले में सोने की चैन पहला दी । रजिया अक्सर सोच नहीं आप के भाई बहन के प्यार में सचमुच इतना नशा होता है इतना ज्यादा नशा की वो दोनों एक दूसरे के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहें । फिर अर्जुन ठक्कर का चंदन भी आया । बहुत खास अंतर रजिया के लिए उसने त्योहार जैसी इस खुशी का हिस्सेदार किसी को नहीं बनाया । एक बहन ने अकेले ही अपने भाई का जन्मदिन बना है । उसके हर खुशी अपने भाई के लिए थी जिससे वो किसी के साथ पटना नहीं चाहती थी । उसने ब्लॅक सोने की एक अंगूठी प्रजेंट की । इस पर अंग्रेजी का प्रथम अक्सर एक था क्या है उसको उसको लेते वक्त अर्जुन ठक्कर के हाथ खुशी से कब कब आए थे? एक बहन का अपने बहत्तर भाई के लिए तोहफा । क्या तुम्हारे जैसी प्यारी बहन को स्टाफ की भी जरूरत थी? भाई इंसान की जिंदगी में तो पैसों की कोई अहमियत नहीं होती, लेकिन सच्चे दिल से दिए गए तो इंसान की खुशी को दोगुना जरूर कर दिया करते हैं तो बातें बनाना सचमुच खूब जानती हो । मैं तुमसे कुछ मांगना भी चाहती हूँ । हाँ हाँ, अच्छा बोलो तुम्हारी हर इच्छा को पूरा करना अर्जुन का पहला फर्ज है । आई चाहती हो तुम शादी करो, उस घर में मेरे लिए भी ले आओ । अगली तुम्हें मांगा भी तो क्या मांगा एक बहन से पहले भाई की शादी कैसे हो सकती है? लोग क्या कहेंगे की बहन तो घर में बैठे हैं और भाई ने शादी कर ली । जानती हूँ अर्जुन ठक्कर राॅकी नाक पकडकर लाई थी । पहले मैं तुम्हारे लिए अच्छा सा दूर ढूंढूंगा । तुम्हारे हाथ पीले करूंगा । तब कहीं जाकर अपनी शादी के बारे में सोचूंगा । सस्ता है कि मैंने तुम्हारे लिए सुंदर सा लडका देखना भी शुरू कर दिया है । सोचता हूँ कि फौजी ही मिल जाए तो साले, बहनोई मिलिट्री मैंने हो जाएंगे । मांगे रह गया न जाकर दूसरे कमरे में भाग गई पुष्टि कानों में शादी की शहनाइयां गूंजने लगी । उसे पहली बार एहसास हुआ कि कोई उसके के बारे में इतनी सीरियसली सोचता भी है । किसी को उसकी खुशियों का इतना भी खयाल है । रात का समय रजिया की एक है कि भक्त से आप खुले ठीक करो । चौकी की अर्जुन अभी भी जाग रहा है और अपने स्तर पर बैठक चाकू से कुछ कर रहा था । वो एक झटके चोट बैठे हैं । प्रज्ञा को जाते देखकर अर्जुन कुछ खबर आया । उसने फौरन बच्ची छुपा ली । क्या है उससे? क्या छुपा रहे हो भाई? कुछ नहीं कुछ तो कहाना, कुछ भी नहीं अच्छा लगता है । कुछ खास मामला है । रजिया हसते हुए उसके हाथ पर चपट पडी जिसमें उसने कोई चीज छिपाई थी । थोडी देर उनके बीच छीनाझपटी चली और आखिरकार अर्जुन ठक्कर के तकिए के नीचे कुछ था । वो हाथ बाहर निकल ही आया । उसके हाथ में सर्विस रिवॉल्वर थी । लेकिन रजिया जो बात देखकर बुरी तरह की मुझे थी कि अर्जुन ठक्कर अपने सर्विस रिवॉल्वर की डायल पर चाकू की नोक से अंग्रेजी का अक्षर आर गोद रहा था । चन्द्रहिया जजबाती हूँ वो उसकी आंखों से आंसू की धारा रहने के लिए मैंने आज तक मोहब्बत में दीवानगी के किस्से बहुत सुने थे अर्जुन लेकिन कोई भाई भी अपनी बहन से इतना प्यार कर सकता है कि मैंने पहली बार देखा है तो तो जानती नहीं पगले मेरे लिए मेरी पहन के क्या मायने हैं? मैं एक बार अपनी बहन को खो चुका हूँ, दोबारा नहीं होना चाहता हूँ । इसके इस बात से अपनी एक एक चीज में पैसा लेना चाहता हूँ । देखो मेरे पास रोमांच भी तुम्हारे नाम का है और क्षेत्र इधर मेरे पास हर चीज तोहरे नाम की है । अच्छा ठक्कर एक के बाद एक कई सारी चीजें रजिया के सामने डालता चला गया तो फिर क्या के नेत्र भट पडे थे उसके सिर्फ साॅल्वर पर ही नहीं होता हुआ था बल्कि इसके रोमान पर भी बाहर था । उसके फॅस के ऊपर भी मार्कस टिकट था उसकी खडी के पीछे भी आॅफर बीआर हर चक्कर आ रही आर था तब यह नहीं किया और अच्छा इंसान था या फरिश्ता उसके अपनी जिंदगी में ऐसे कौन से नहीं काम कर दिए थे जो से भाई के रूप में सब वर्ष का मिल गया । लेकिन रजिया को कहाँ मालूम था कि उसकी वो खुशियाँ चंदेलों की है । अगले दिन अर्जुन काफी देर रात को घर लौटा और जब लौटा तो खून से लगता था रजिया की मुझे चीख निकल गई फॅार थोडा उसका हूँ मेरा नहीं है बल्कि दुश्मन का फोन है । मैंने तो पाकिस्तानी जासूसों को मार डाला तो कश्मीरी आतंकवादी बन कर यहाँ हो जाए और कुछ गडबड पैदा करने की कोशिश कर रहे थे । वह प्रजा के हद हुआ की शक्ल में जुडा हूँ । मैं तो सोच रही थी कि कहीं तो नहीं कुछ हो गया है जिस भाई का घर पर तो भारी जैसी बहन इंतजार कर रही हूँ । उस भाई को भी कई कुछ हो सकता है क्या? लेकिन हम तो हमारे लिए बहुत बुरी खबर है । अर्जुन ठक्कर ऍम के सामने अपना खून साफ करता हुआ बोला किसी भी खबर मैं कभी पाकिस्तान जा रहा हूँ । मुझे भारत सरकार खास मिशन पर पाकिस्तान भेज रही है । वहाँ जाकर मुझे उन पाकिस्तानी फौजियों जासूसों के खिलाफ सबूत इकट्ठे कर रहे हैं जो आज कश्मीरी आतंकवादी बन कर हिंदुस्तान में काम कर रहे हैं । उनके मिशन के बारे में सुनकर बचा के होश उड गए लेकिन लेकिन इतने खतरनाक मिशन पर तुम्हें ही क्यों भेजा जा रहा है । अर्जुन रजिया के मुझे संस्कारी छोड पडेगा । अर्जुन ठक्कर मुस्कराया तब तक वो अपना सारा खून साफ कर चुका था और उसने अपनी खून से सनी शर्ट भी उतार दी थी । किसी ना किसी दिन हिन्दुस्तानी फौजी को तो स्टेशन पर जाना ही धारा गया तो तुम्हारे लिए प्राउड की बात होनी चाहिए कि तुम्हारे भाई को हिंदुस्तान सरकार नहीं इस खास मिशन के लिए चुना है । बहरहाल मेरे जाने की सारी तैयारियां हो चुकी है और कल सुबह सात बजे ही मैं यहाँ से रवाना हो जाऊंगा । नहीं हम कब तक लौट होगी । फॅमिली बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है । पंद्रह दिन भी लग सकते हैं और उससे ज्यादा नहीं । लेकिन मेरे बारे में तमाम सूचनाएं तो मेरे फौजी कैंप से मिलती रहेंगे । हो रहा है रजिया पर बडी भारी कुजरी फिर दिन निकलते ही अर्जुन ठक डर पाकिस्तान चला गया । एक एक दिन वो भाई का बेसब्री से इंतजार करते रहे हैं । उसके बारे में तमाम सूचनाएं उसे सचमुच उसकी फौजी कैंसर मिलती नहीं थी । दो बार उसे अर्जुन ठक्कर के लेटर भी मिले । इसमें यही लिखा था कि वह वहाँ बिल्कुल ठीक है, उसकी सिख ना करें । इसी तरह पंद्रह दिन गुजर गए लेकिन अर्जुन नहीं आया । फिर ठीक अठारह दिन सुबह ही सुबह से फौजी के अंदर एक आदमी रजिया के पास आया और उसके अर्जुन ठक्कर के पाकिस्तान में ही मारे जाने की रिपोर्ट रजिया को देख सब रहने लग गया । उसके दिलो दिमाग पर बिजली शिखर खडा करके उसे ऍम पा गया हूँ । कोई गगनचुंबी फॅसने गडगडा कर उसके ऊपर कर रही हूँ जिस सब कुछ तहस नहस हो गया होगा । अच्छा क्या होता है फॅस उसके सामने टीवी अभी भी चल रहा था और उस पर कमांडर द्वारा किए गए बॉम ब्लास्ट की खबरें पुनर्प्रसारित की जा रही थी । वो अतीत के अग्निकुंड से बाहर आ चुकी थी । मौत तो छोटा सा होता है लेकिन वो पैसा शब्द ही अपने भीतर कितना डर, कितना तूफान समिति होता है । ऍफ करी थी तो आज तक नहीं संभाल पाई थी । उस खबर रोशन नहीं एक शब्द उसके दिमाग से बम की तरह कराया पतियों प्रतिशोध प्रतिशोध वो अपने परिश्रम जैसे भाई की मौत का बदला चाहती थी । वो ॅ अपने हाथों से खून करना चाहती थी जिसने उसके अर्जुन कुमार और शायद यही वजह थी कि रजिया तभी हिंदुस्तान छोड कर पाकिस्तान चली आई थी । वहाँ जब उसका वीजा खत्म होने लगा तो उसने पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट कर्नल हैदर अली से शादी भी कर ली क्योंकि से पूरा शकील था । पाकिस्तानी फौजी के साथ रहकर ही वो अपने भाई के हत्यारे का पता लगा सकती है । इस बार रजिया को बेचा गया था लेकिन दूसरी बार उसने शादी के नाम पर खुद ही समझौता किया । अब उस सपने सबरी से हत्यारे की तलाश थी । रजिया को पूरा यकीन था कि बहुत जल्द शादान उसके सामने होगा । पहुंच चलते हैं । उसने दृढतापूर्वक अपनी आंखों के आंसू साफ किए खडे होकर टीवी बंद कर दिया ।

Details
सुलतान फौजी - एक कश्मीरी आतंकवादी। उसने मुम्बई में एक बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया, जिसमें सैंकड़ों निर्दोष शहरी मारे गये। सुलतान फौजी पकड़ा गया। एक ऐतिहासिक फैसले में उसे 26 जनवरी के दिन फाँसी की सजा दी जानी थी, ताकि पूरी दुनिया देखती कि हम देशद्रोहियों के साथ क्या करते हैं। लेकिन उससे पहले ही सुलतान फौजी जेल तोड़कर पाकिस्तान भाग निकला। तब यह मिशन सौंपा गया कमांडर करण सक्सेना को। कमांडर- जिसने सुलतान फौजी को पाकिस्तान में ही घुसकर मारा। वहीं अपने हाथों से फाँसी की सजा दी उसे।
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