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सर्जिकल स्ट्राइक -06

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सुलतान फौजी - एक कश्मीरी आतंकवादी। उसने मुम्बई में एक बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया, जिसमें सैंकड़ों निर्दोष शहरी मारे गये। सुलतान फौजी पकड़ा गया। एक ऐतिहासिक फैसले में उसे 26 जनवरी के दिन फाँसी की सजा दी जानी थी, ताकि पूरी दुनिया देखती कि हम देशद्रोहियों के साथ क्या करते हैं। लेकिन उससे पहले ही सुलतान फौजी जेल तोड़कर पाकिस्तान भाग निकला। तब यह मिशन सौंपा गया कमांडर करण सक्सेना को। कमांडर- जिसने सुलतान फौजी को पाकिस्तान में ही घुसकर मारा। वहीं अपने हाथों से फाँसी की सजा दी उसे।
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पूरे गवर्नर हाउस में अभी भी पूरी तरह हर काम समझा था । वहाँ पाकिस्तानी कार्ड इधर से उधर इस तरह भागे भागे भर रहे थे । जैसे कभी कभी छुट्टियों के ठंड में भगदड मच जाती है । हर तरफ अफरा तफरी का नाम था रे हताशा । दुश्मन की खोज हो रही थी और कितना बडा मजा था । जिस व्यक्ति को अपनी पूरी तरह पूरे गवर्नर हाउस में ढूंढा जा रहा था, वहीं व्यक्ति सुल्तान फौजी की जान का मोफिल्स बना । उसी के साथ उसी के कमरे में बंद था । सुल्तान फौजी का व्यक्तित्व बिल्कुल फिल्मी गुंडों जैसा था । तो माल है सुल्तान फौजी जो उस वक्त पूरी तरह दहशत था, साहब की तरफ कर रहा था । कमाल है आखिर होती जबरदस्त सिक्योरिटी को भेदकर अंदर कैसे खुश है और कौन हो सकता है और सुल्तान फौजी की बदहवासी देखकर मुस्कराये कमांडर करण सक्सेना पांच हजार आदमियों की हत्या करने वाले शैतान के दिल में भी बहुत कैसा होता है ये इस वक्त सुल्तान फौजी के चेहरे पर साफ साफ देखा जा सकता था । कमांडर करन सक्सेना मुस्कराता हुआ वहीं बडी कुर्सी पर बैठ गया । उसके चेहरे पर अब व्यग्रता के कैसे भी कोई निशान नहीं थे । उसने बडे इत्मीनान के साथ डनहिल की एक सिगरेट निकालकर सुलगाई और ढेर सारा धुआं छत की तरफ । उजाला उसका ये अलमस्त अंदाज देखकर सुधर फौजी जुझना उठा तो कैसे? गार्ड हो सुल्तान फौजी चलता होगा । करन सक्सेना के नजदीक आया और उसने कंधे पर पहले वालों को पीछे झटका दिया । बाहर कितनी अफरा तफरी मची और तुम तुम यू आराम से बैठे सिगरेट पी रहे हो, जैसे बाहर कुछ हो ही नहीं रहा हूँ । कमांडर के मुस्कान गहरी हो गई । उस ने पहले से भी ज्यादा जोर से कष्ट लगाया । दरअसल बाहर जितने भी गार्ड इधर से उधर भागे भागे कर रहे हैं वो सब मूड है क्योंकि क्योंकि जिस आदमी को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, उसे वह कभी नहीं पकडा पाएंगे । वो कुछ साधारण आदमी नहीं है । सुल्तान फौजी की कंजी आंखों में अचंभे के निशान कर गए । तुम तो उस आदमी को जानते हो ऍफ का नाम तो सुना ही होगा । करण सकता हूँ ऍम भारत का नंबर वन जासूस कमांडर करन सक्सेना बिल्कुल सही तरह से वही खूंखार कमांडर करन सक्सेना गवर्नर हाउस के भीतर कुछ है और इस वक्त उसी की वजह से यहाँ इतनी भगदड मची है । लेकिन लेकिन बहुत फॅमिली को भेदकर भीतर ऍम बहुत आसानी से घुस गया । कमांडर ने मुस्कुराते हुए टांग टांग रख ली । याद है थोडी देर पहले तुम्हारे लिए गवर्नर हाउस की बैंड होटल से खाना लेने गई थी । खुल गई थी बस ऍम जैसे होटल पर खाना लेने पहुंची । तभी कमांडर काॅन् के नीचे स्टेपनी पकडकर चिपक गया और फिर ऍसे चिपका । जब का ही गवर्नर हाउस के भीतर चलाया लाख उसने अपनी जिंदगी का इतना बडा दांव लगाया । इतना बडा दाव लगाया । तभी तो जहाँ तक भी पहुंचा एक का एक सुल्तान फौजी के नेतृत्व गोल दायरे में सिर्फ उड गए । वो हॉर्स उसका चेहरा देखने लगा । लेकिन लेकिन तो वही सब बातें कैसे मालूम ऍम सक्सेना ने जवाब देने की बजाय सबसे पहले जलती हुई सिगरेट फर्श पर है कि फिर झूठ से रगड कर सिगरेट को बुझाया और उसके बाद अपनी जेब से कोर्ट रिवॉल्वर बाहर निकाल नहीं एक रिवॉल्वर को निकाल रहे हो तुम ऍम और जोर से खिलखिलाकर ऐसा क्योंकि मैं कमांडर करन सक्सेना हूँ और मैं एक रन सच्चा रहो । सुल्तान फौजी का दिलो दिमाग पर बच्चे बहुत हो गया । उसके कानों कॅश स्पोर्ट होने लगे जिसे हम फट रहे हूँ ऍम जबकि कोर्ट रिवॉल्वर हाथ में आते ही कमांडर एकदम पहुँचकर खडा हो गया था और उसके उंगलियों के गिर घूमें और फिर सुल्तान फौजी की तरफ बन गई तो हमारा समय आ गया है । फौजी करन सक्सेना की आंखें एक दहकता अंगारा बनती चली गई । उनमें खून परासने लगा । तुम पांच हजार निर्दोष इंसानों की हत्या की है तो स्टाफ नहीं । पांच हजार इंसानों की हत्या तुम्हारा तो नहीं इतना बडा है कि ईश्वर उसे माफ नहीं कर पाएगा । हिंदुस्तानी अदालत में उन हत्याओं के एवज में तो मैं फांसी की सजा सुनाई थी तो बहुत छोटी सजा फॅार कोई सजा किसी आदमी को भी तो दी नहीं जा सकती है । अगर मौत से बढकर कोई सजा होती तो तलाश अब तुम उस सजा के हकदार थे । सुल्तान पठान के चेहरे से पसीने की धाराएं बहने की चेहरे की रंगत पीली जर्दी पड गई । अल्पता फौजी है ऍम पांच हजार इंसानों की पुण्य आत्माएं तुम्हारी बात कब बेसब्री से इंतजार कर रही हैं तुम काफी उधर की जिंदगी जी चुके हो यादान अलबगदादी । उसके बाद कमांडर करन सक्सेना ने एक बीस सेकंड गवाया नहीं । उसने ऍम फौजी के तरबूत जैसे सिर पर निशाना लगाकर ट्रिगर दबा दिया । गोली चलने की भीषण आवाज हुई लेकिन ऍम फौजी चाहती दिखा गया । गोली उसके सिर की धज्जियाँ उडा पाती, उससे पहले ही उसने अपने आप को नीचे गिरा दिया और बीच में कट रही सुल्तान फौजी जख्मी साठ बन चुका था । जितनी तेजी से वो नीचे गिरा उतनी ही तेजी से मुझे जम्प लेकर उठा और फिर उसने साठ की तरह प्रचंड टक्कर कमांडर करन सक्सेना के पेट में मारे । सब कुछ बहुत तेजी से हुआ । काॅपी चोट लग गया था । सुल्तान फौजी उन्हें ग्रुप गति से उसके ऊपर चट्टान मुकाबला तो अंडरकरंट सक्सेना से था । एक्चुली ऍम फौजी के सर के प्रचंड टक्कर पुनः कमांडर कंस्ट्रक्शन के पड पाती उससे पहले ही कमांडर करन सक्सेना थोडा ठंड तो लगता ही है । ऍम तो हवा में और फिर सीधा दीवार में जाकर लगा ॅ चलकर खडा हो गया था । ऍम फौजी के कंधे में जा कर रहे हैं तो पैसे की तरह डाॅॅ होगा । इस बार फौजी ने पहले से ही ज्यादा समझदारी का परिचय दिया ही लगी होने के बावजूद उसने फिर जंप लगाएंगे । ऍम ऊपर जब नहीं लगाएंगे बल्कि उस जम्प लगाकर उसी काॅस्ट एक दूसरे कमरे में जा ही नहीं । अंदर घुसते ही उसने दरवाजा भी बंद कर लिया । ऍम मजबूत इस्पात की चादर से बना था तो मांडर करन सक्सेना ने धडाधड अपने कंधे की चोट के तरफ से मैं मारी है हूँ । ऍम नहीं हुआ काॅप गया कि वह जीती हुई बाजी हार चुका है । अब सुल्तान फौजी की बहुत संभव नहीं थी । उधर दूसरे कमरे में बंद होते ही फौजी ने एक खतरनाक काम किया । वहीं खतरे का अलार्म लगा था । उसने भीतर बंद होते ही उसके अलावा को बच्चा शुरू कर दिया । उस के बचने का ऍम पूरे गवर्नर हाउस में जोर जोर से बजा था और उसका नाम के बजते ही तमाम कार्ड बडी तेजी से उस कमरे की तरफ चलते हैं । फॅार भी आने वाले खतरे को बहुत चुका था । उसमें तौर पर कमरे का दरवाजा खोला, बाहर गलियारे में पहुंचा हूँ । इसी उसे कार्ड के थोडा सीढियाँ चढने की आवाज सुनाई दी । गार्ड ऊपर तक आ गए थे । फॅमिली की तरह लगभग कर सामने ही बने कमरे में घुस गया । तब तक कार्ड कल्याण हो चुके थे । गलियारे में आते ही वो दौडते हुए सुल्तान फौजी वाले कमरे में दाखिल हो गए । उठा रहे हैं । फॅमिली तो खाली हो चुकी थी । उसने फौरन दूसरी कोर्ट रिवॉल्वर निकालकर साथ में ले लेंगे । उस सावधानीपूर्वक कमरे से बाहर निकला और तेजी से सीढियों की तरह पडा है उसने अभी पहली सीढी पर ही कदम रखा था । तभी पीछे कहीं से कार्ड दमदार हुआ और सब देखकर छोड चलाते हो रहा । हो रहा है बहुत से ऍम उसी पर उस कार्ड के पीछे एक गार्ड आॅफ हुआ हूँ । कमांडर ने उन दोनों को शूट कर दिया । फिर थोडा हजार स्पीड से सीढियाँ उतरता हुआ नीचे पहुंचाना । तब तक गोली चलने और ठीक प्रकार की आवाज सुनकर सुल्तान फौजी वाले कमरे में से अन्य कार्ड भी बाहर निकल आए थे । फिर वो भी थोडा हजार गोलियां चलाते हुए तूफानी गति से उसके पीछे पीछे दौडेंगे ऍम वो उस वक्त बिल्कुल ओलंपिक चैंपियन काल उसकी तरह हो रहा था । स्वामी गति से दौडते हुए ही उसने कॉल कमरा पार किया और फिर तो गलियारे में पहुंचा । अरे में तीन पाकिस्तानी कार्ड और थे, क्या हुआ? कमांडर काॅलम दौड देखकर तीनों का चुके हैं । दुश्मन का पता चला कुछ था ऍम का पता चल चुका है तो कहाँ दुश्मन? क्या आप बकवास कर रहे तो गार्डों के नेत्र ॅ और फिर फटे के बडे रह गए । कमांडर में सोचने का मौका दिए बिना उन तीनों को ही गोलियों से फोन डाला । फिर पहले की तरह तूफानी स्पीड सब होगा । अगले गलियारे में ही उसने उसी तरह दो कार्ड और धोनी सप्ताह पीछे दौड से कदमों की आवाजें तो मांडर करन सक्सेना की काफी नजदीक आ चुकी थी । अभी कमेंटर ने महसूस किया अब उसके सामने से भी बडी संख्या में गार्ड दौडते हुए उसी तरफ आ रहे हैं । फिर उसने अपने दायरे से भी गार्डों के दौडते कदमों की आवाजें सुनी है जो उसी तरफ आ रही थी । पिछले धो ठाकरन शिक्षा ना उसके बाद लेके तमाम रास्ते बंद हो चुके थे । उसे लगने लगा हो चाहे हो चुका है एक छान के लिए कुछ सोचा करन सक्सेना नहीं ॅ की तरह जम्प लगातार एक कमरे में घुस गया और उसके तरफ से पीछे जा चुका है । तब देखते देखते हैं तो पूरा गलियारा असम के हथियारबंद कार्डों से भर चुका था । उसके चेहरे आक्रोश भरे हुए थे और उनकी आंखों में सस्पेंस के साथ साथ कुछ भी हो वो नहीं होना चाहिए । ऍसे ही चिल्लाकर था अपनी मैंने उसे इसी तरह पढते देखा था । उस दिन तो गलियारों में भी हमारे पांच आदमी मार दिए हैं । एक अन्य कार्ड चला पहुंचा भी क्या तुम लोगों ने उसे किसी और तरह पढते देखा है । तभी एक अन्य व्यक्ति इसमें लाल रंग की पीढी क्या आप लगाई हुई थी और जो उन सब का चीफ नजर आ रहा था उसने सामने से आए गार्डों से पूछा । नाॅनवेज स्वर में बोले हमने उसे किसी तरफ बोलते नहीं देखा और हम लोगों ने एक चीज से दायर बारिश जाए । गार्डों की तरफ गर्दन ख्वाइश नहीं, हमने दूसरे किसी तरह बोलते नहीं देखा । फिर तो वो हर हालत में किसी गलियारे में कहीं होना चाहिए । जीत चला रहे थे । याद रहे तो बिलकुल हमारे जैसी बर्दी नहीं है । थोडा उसे थोडा सब ऍम वो पाँच कर रही निकलना चाहिए । ऍम मधुमक्खियों की तरह इधर उधर फैल गए । कमांडर को लगने लगा कि अब बचना मुश्किल है, बहुत मुश्किल है और तब अपनी जिंदगी का दांव लगाकर उसने फिर एक चाल चल रही थी । वो एक काम दरवाजे के पीछे से निकला । शेयर की तरह तमाम कार्डों के सामने आ गया । इससे पहले की गौर देखकर ऍन ले पाते । पास की तरह हवा में उसका कमांडर काॅल और उसने एक दम उन कार्डों के चीज को अपने फॅमिली फौरन धडाधड । कई सारी राइफलें कमांडर की तरफ नहीं । खबरदार तो अंडर चीज की कनपटी पर ऍम खबरदार । अगर किसी ने भी गोली चलाई तो सबसे पहले तुम्हारा चीफ मारेगा ऍम जिसकी गिनती भी नहीं की जा सकेगी । सब थक गए । अपने अपने रायॅल कमांडर करन सक्सेना ने शहर भरे अंदाज में टकरा एक सेकंड नहीं लगा । सबका सबकी रायफलें जितनी तेजी से ऊपर की तरफ होती थी, उतनी ही तेजी से नीचे झुक गए चीज भी कमांडर करन सक्सेना की दिलेरी को देखकर सब था । उसे हैरानी हो रही थी । एक अकेला भी गवर्नर हाउस आॅस्कर ऐसी चालबाजी दिखा रहा है तो हम यहाँ से जिंदा बचकर नहीं जा सकते । बोर चीज फॅार बडा तो मौत के उस खतरनाक हुए में कदम रखा है जहाँ तुम्हारी मौत अब होनी ही होनी है । उस खतरनाक माहौल में भी हाँ ऐसा कमांडर करंट सक्सेना फिर उसने बडी यकीन के साथ रिवॉल्वर के नाम से चीज की खोपडी थक कटाई ये तो समय बताएगा कि मेरा क्या होता है । लेकिन अगर समय तो मस्ती चंद की फिक्र करो तो ज्यादा बेहतर होगा । फॅार के नाम से चीज की खोपडी ठप बता रहा था । उसी पल दो गार्डों ने कमांडर को असावधान समझकर हरकत दिखाई । उनकी राइफले अद्वितीय फुर्ती से कमांडर करन सक्सेना की तरफ बनी थी और उनकी उंगलियां पिछली जैसी गति के साथ अगर की तरफ चपटी लेकिन राइफल शोले मुगल पाती, उससे पहले ही कोर्ट आॅफ बनाते ही से कमांडर की उंगलियों की गिर भूमि और ऍम दो गोलियां चलीं । चिंघाड उठे गार्ड उनकी खोकरिया लाल पर वो उसकी तरफ पडी और वो वही हो गए । अगर कोई और भी हरकत करना चाहता है तो वो भी ट्राय कर सकता है । सब सहम गए । दहशत सबकी । चंद गलत आपसी । मैं किसी भी क्षण असावधान नहीं रहता है क्योंकि तेरे जैसे जसूस के असावधान रहने का सिर्फ एक ही मतलब होता है मैं जी सर । तो अंडरकरंट सक्सेना की उस वक्त का सब पर बडा अप्रत्याशित प्रभाव पडा था । रास्ता छोडो कमांडर करन साॅस फौरन असम के गार्डों की वह फिर ट्राई की तरफ फटती चले गए । ऍम चीज को धकेलता हुआ उन सब के बीच से गुजरा और बाहर की तरफ बडा जल्दी वह गवर्नर हाउस के लॉन में पहुंच चुका था । वहाँ भी तमाम कार्ड है, उनसे मुद्रा में खडे थे । किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी । कोई कुछ करे, कुछ कदम उठाए । कमांडर काॅपी के नीचे खडी फ्रैंड के करीब पहुंचा ऍम डोर खोला और चीज को बेदर्दी के साथ उसने अन्दर की तरफ के नाम है ये क्या कर रहा हूँ जी का आतंक इस वक्त कहाँ जा रहे हो मुझे ऍम उसी उसी पल कमांडर नहीं आॅखो बडी बीमारी और वह तत्काल छिपता हुआ बैंक इसी पर ढेर हो गया । ऍम नहीं चाहिए लटक रही थी उसने ऍम में खडे गार्डों पर आदेश बन्दर आया । बडा खोलो तो दो कार्डों ने विशाल फाटक भी खोल दिया तभी उन्हें घटना घटी है वैन मार की की छतरी के नीचे से निकलकर जैसे ही ड्राइवर पर दौडी उसी पल आगे के दोनों टावरों पर खडे कार्ड हरकत में आ गए और मुॅह इस सारी गोलियां फॅमिली ऍम पहले ही सावधान था उसने फॅार इधर उधर घुमाया ऍसे गुजर गई वैन ना चाहते हुए ही कमांडर टॉवरों की तरफ कोरिया चलाई टाॅपर खडे चारों कार्ड ठोकते हुए नहीं हैं जबकि ऍम आप तो पानी प्रतिशत राइट पर दौडते हुए लोगों का भटक पार कर चुकी थी हूँ ।

Details
सुलतान फौजी - एक कश्मीरी आतंकवादी। उसने मुम्बई में एक बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया, जिसमें सैंकड़ों निर्दोष शहरी मारे गये। सुलतान फौजी पकड़ा गया। एक ऐतिहासिक फैसले में उसे 26 जनवरी के दिन फाँसी की सजा दी जानी थी, ताकि पूरी दुनिया देखती कि हम देशद्रोहियों के साथ क्या करते हैं। लेकिन उससे पहले ही सुलतान फौजी जेल तोड़कर पाकिस्तान भाग निकला। तब यह मिशन सौंपा गया कमांडर करण सक्सेना को। कमांडर- जिसने सुलतान फौजी को पाकिस्तान में ही घुसकर मारा। वहीं अपने हाथों से फाँसी की सजा दी उसे।
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