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सर्जिकल स्ट्राइक -05

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सुलतान फौजी - एक कश्मीरी आतंकवादी। उसने मुम्बई में एक बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया, जिसमें सैंकड़ों निर्दोष शहरी मारे गये। सुलतान फौजी पकड़ा गया। एक ऐतिहासिक फैसले में उसे 26 जनवरी के दिन फाँसी की सजा दी जानी थी, ताकि पूरी दुनिया देखती कि हम देशद्रोहियों के साथ क्या करते हैं। लेकिन उससे पहले ही सुलतान फौजी जेल तोड़कर पाकिस्तान भाग निकला। तब यह मिशन सौंपा गया कमांडर करण सक्सेना को। कमांडर- जिसने सुलतान फौजी को पाकिस्तान में ही घुसकर मारा। वहीं अपने हाथों से फाँसी की सजा दी उसे।
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भगवान हंगामे की शुरुआत अगले दिन कमांडर करन सचाना गवर्नर हाउस के सामने उसी किताबों के दुकान में मौजूद था जिसमें उसने कल कई घंटे हो जा रहे थे तो मैं व्यवस्था कर चुकी उसके वहाँ से पांच छह किताबें खरीदनी थी । इसीलिए दुकान का सिर्फ फॅमिली खुश था और आज काफी पर चढ करो सकता । मैं दिखा रहा था लेकिन कल की तरह कमांडर करन सक्सेना के आज दिन किताबों में गोल्ड दिलचस्पी नहीं थी । उसकी आखिरी बार बार गवर्नर हाउस के विशाल फाटक पर जाकर फ्रीज हो जाती थी जहाँ कोई हलचल नहीं थी । कमांडर की निगाहें इस बीच उस टैक्सी ड्राइवर पर भी बडी जिसके ऍम पीछा किया था । ऍम भी शायद उसे वहाँ देख चुका था इसलिए बार बार किदाम् के दुकान की तरफ देखा डाल लेता था । बहरहाल वॅार भी वहीं जमा हुआ था । समय धीरे धीरे अभी सरका रहा दोपहर का जैसे ही एक बच्चा बिल्कुल कल की तरह ही लोहे का विशाल फाटक खुला और उसमें सकता वाली बहन ही बाहर निकली वैन को बाहर निकलते थे । कमांडर भी एक दम कदमों की दुकान से बाहर निकला और सीधा कलॅर टैक्सी ड्राइवर भी । मामला भाप हुआ था । कमांडर टैक्सी तक पहुंच पता उससे पहले ही उसने ऍम ऍम का पीछा करना है साहब टाॅवर ने बडी तक पडता से कहा था कल ही की तरह बेहद चौकन्ने होकर वॅार को बिलकुल कश्यप न होने पाए । उसका पूछा क्या जा रहा है आप? फॅमिली उसके तब वरिष्ठों को भी पता नहीं चलेगा कि क्या हो रहा है ऍम पैसे कल की तरह ही बेहद सावधानी से बहन के पीछे पीछे दौडने लगी । इसी हमले का पता चला था । ऍम चलाते हुए पूछा । बिल्कुल पता चला तो लगता है कि मामला ही आर पार हो जाएगा । आज साबित होकर रहेगा कि गुनाहगार चाहे कितना ही पढ के पीछे छुपा रहे लेकिन मौत उसके ऊपर वहीं किधर की तरह छप्पन पडती है आप सब बहुत महान है साहब ॅ खुले दिल से कमांडर की तारीफ की अगर पूरे पाकिस्तान नहीं आप जैसे ऍफ असर हो जाए तो फिर पाकिस्तान को चल मत बनाने से कोई नहीं रोक सकता । कमांडर मन ही मन हजार ये करण सक्सेना की बहुत बडी खूबी थी कि वह दुनिया के चाहे किसी भी देश में हो लेकिन परिस्थितियों को जल्दी अपने फेवर में कर लेता था । कल की तरह वो वैन उसी होटल के सामने जाकर रुकी जिस होटल के सामने पढ चुकी थी । ऍम के रूप में उसके पीछे पीछे चलती टैक्सी भी थोडे फासले रुक गई । कमांडर आॅक्सी के अंदर ही ना बैठा रहा बल्कि टैक्सी के रूप में ही वो फौरन उसको से बाहर निकला । क्या कर रहे हो? कमांडर ने तुरंत ऍफ पडा तो क्या ऍम क्या करोगे साहब तुम से जो कह रहा हूँ वो करो तो अब यहाँ खडे रहना बडा सा नहीं है लेकिन फॅार से ज्यादा बहस नहीं की । वो सौ करोड लेकर बंगाल वहाँ से नौ दो ग्यारह हो गया । कमेंटर जानता था उसके पास मुश्किल से पांच मिनट का वक्त है सिर्फ पांच मिनट का और उसी पांच मिनट मुझसे कारनामा दिखा दे रहा था । टैक्सी चाह रही कमांडर की निगाहें ऍम की तरफ नहीं । वैन अभी भी होटल के सामने ही खडी हुई थी । दो गार्ड होटल के भीतर खाना लाने गए थे जबकि एक हथियारबंद गार्ड ऍम से नीचे उतरा हुआ था और बडी चौकस निगाहों से इधर उधर देख रहा था । एक फरारी का फ्रेंड के दिल को बराबर में खडी थी । करण सक्सेना टहलता हुआ फरारी कार के पास पहुंचा । फिर इस से पहले कि हथियारबंद गार्ड की निगाहें उस पर पडती वो एक दम बडी फुर्ती के साथ पुरानी कार के नीचे घुस गया । कुछ फर्क अधिकार के नीचे ही छुपा हुआ कार्ड की प्रतिक्रिया देख कर रहा हूँ । लेकिन उस पर कोई असर नहीं था । गार्ड को भनक तक नहीं थी कि कोई फरारी कार के नीचे भी घुस गया है । थोडी देर कमांडर दम साधे वही बैठा रहा । फिर पुकार के नीचे ही धीरे धीरे रेंगता हुआ ऍम की तरफ बढने लगा । शीघ्र ही वैन के नीचे पहुंच गया था और वो बाल था । जब कमांडर ने दोनों कार्डों को खाना लेकर बहन की तरफ आ देने का कमांडर ने फॅमिली तब हम दोनों कार्ड खाना लेकर वैन में सवार हो चुके थे । उनके साथ साथ ही हथियारबंद ऍम के भीतर बैठ गया ऍम और अगले ही पल वह न्यूटन लेकर साॅस ऍफ का हुआ ब्रैंड के साथ थोडा जा रहा था । हालांकि वह जबरदस्त खतरे का काम था । अगर कमांडर का हाथ या पैर सारा सभी कहीं होता तो उसने फौरन मौत के भूमि चले जाना था । ऍम खतरा जिंदगी ने कहा नहीं है हर कदम पर खतरा है । हर कदम पर मौत है काफी देर तक वैन सडक पर दौडती नहीं फिर एक वो भी आया ॅ गवर्नर हाउस के विशाल फाटक के सामने जाकर है । पाठक खोला गया क्वार्टर के खुलते ही बंद अंदर आती हुई भीतर दाखिल हो गई और लम्बे चौडे ड्राइव वेपर दौडती चली गई । फॅमिली को भेदकर आसानी से पीटर दाखिल हो गया । तमाम कार्ड खडे रह गए, सारी सिक्योरिटी रखी रह गई जबकि कमांडर ऍम गवर्नर हाउस के भी बहुत चुका था । दैनिक विशाल कैनोपी के नीचे जा कर रहे हैं । ऍम के रूप में ही उसमे तीनों गार्ड ऊपर कर चले गए और वो अपने साथ खाना भी ले गए थे । कमांडर भी फॅमिली छोडकर नीचे जमीन पर बैठ गया । ऍम के नीचे से गवर्नर हाउस का पूरा लॉन नजर आ रहा था तो कई हजार गज में फैला था और जिसमें पाकिस्तान के सौ से ज्यादा हथियारबंद कार्ड पहरा दे रहे थे । उनकी सिर्फ फॅसे नजर आ रही थी । फॅार को सबसे ज्यादा खतरा टॉवर पर खडे कारणों से था क्योंकि शशंक ऍम के बीच से बाहर निकलेगा तो लॉन में पहला देते गार्डों की निगाहों में आई जाना । लेकिन टावर पर खडे गार्डों की निगाहों में वो जरूर आ सकता था । लेकिन आप उस की आशंका भी निर्मूल साबित हो चुकी थी । फॅस जगह ले जाकर खडा किया गया था । वही कैनोपी थी । और उसके ऊपर एक काफी बडी आयताकार छतरी बनी थी । उसी छतरी की वजह से टॉवर पर खडे गार्डों को कैनोपी के नीचे का दृश्य नहीं दिखाई दे रहा था । और भी किसी भी मालूम नहीं पडता था कि वहाँ क्या हो रहा है यानी किस्मत कमांडर के साथ नहीं । लेकिन फिर भी ऍम के नीचे काफी देर तक इस तब से मुद्रा में बैठ रहा और आसपास का जायजा लेता रहा । उससे थोडा नीचे झुककर गार्डों की ड्राॅ । सभी ने मिलिट्री कलर के कपडे पहन रखे थे और सिर पर लोहे का जालीदार हेलमेट चढा हुआ था । ऍम की तरफ देखा कैनोपी से जुडा हुआ एक ही गलियारा था जो अंदर गवर्नर हाउस में चला गया था । इस वक्त उस गलियारे में दो हथियारबंद गार्ड फहरा देते घूम रहे थे । पहले तो दोनों चहलकदमी करते हुए एक साल आगे की तरफ बातें और फिर मुडकर वापस चले जाते हैं । ऍसे उन्हें देखने लगा तो तुम उस वक्त गलियारे आगे की तरफ आ रहे थे । बिलकुल आगे आकर वो दोनों ठिठके उन्होंने पानी देखा । उसके बाद उन्होंने अब टर्न लिया और फिर धीरे धीरे कदमो से वापस लौट गए । उनके अबाउट टर्न लेते ही कमांडर भी हरकत में आ चुका था । वो एकदम टाइगर की तरह जम्प लगाकर बहन के नीचे से बाहर निकला और फिर पलक झपकना कल्याण में घुस गया । गलियारे के दोनों तरफ से कमरे बने हुए थे । इससे पहले कि गार्डों में से किसी की नजर पडती वो आप द्वितीय फुर्ती के साथ उनमें से कमरे के भीतर घुस गया । हमरा खाली, पूरी तरह खादी । लेकिन वहाँ कमांडर करन सक्सेना के साथ पहली घटना घटी । तरफ उस कमरे सी टेस्ट एक दूसरा कमरा भी था । अभी कमांडर ने उस कमरे में पहुंचकर ढंग से सांस भी नहीं ली थी कि तभी बिल्कुल अकस्मात उस से कमरे का दरवाजा खुला । उस कमरे से निकल कर एक फॅमिली दिया गया । फॅमिली को कमरे में देखकर गार्ड हकबकाया ऍम जितना कार्ड कमांडर करन सक्सेना को देखकर हकबकाया था, उतना ही कॅश ऍम और गवर्नर हाउस के अंदर कैसे घुसा? तुम? कैसे मुझे ऍफ की तरफ पडा नहीं हो सकता हूँ फॅस नहीं । कार्ड के चेहरे पर लेकर कश्यप के भाव नमूदार हुए । वही तो वही भारतीय जैसा तो नहीं जिससे नफीसा भाई की हत्या की है और अब ऍम फौजी को मार डालना चाहता है । कमांडर के चेहरे पर ऍम तो ऍम खडा हो गया तो हूँ वही हो वहीं ऍम और गहरी हो गयी । वो तब तक गार्ड के काफी नजदीक पहुंच चुका था । उसी पर उसी पल गार्ड का हाथ छत पे से राइफल कहते पर बडा लेकिन वो काॅप आता हूँ । उससे पहले ही कमांडर अपने जाने पहचाने खतरनाक एक्शन ना चुका था । उसका पूरा शरीर हवा में उछाला थोडा ब्लॅड की गर्दन पर पडेगी ताकि ताकि एक साथ भी टूटने की आवाज, उसी के साथ कार्ड बिना चीखपुकार मचा पीछे हो गया । कमांडर ने उसकी नफ्से की । हाँ ट्वीट देखिए चंद सेकंड में उसका खेल हाँ कुछ हुआ था । कमांडर कार्ड के राज को कुछ सीखता हुआ एक को नहीं मिले गया । कृष्णा आनंद फाइनल उसकी वर्दी बार कर अपने शरीर पर पहनी ऍम तो वही चीज ऊॅचाई पलक झपकते हीं वो पाकिस्तानी कार्ड नजर आने लगा था । राइफल भी उठाकर कमांडर करन सक्सेना ने अपने कंधे पर लटका ली । उसके बाद ऍम एक महत्वपूर्ण काम किया । कार्ड के इलाज नहीं पडे, सोफे के नीचे छिपा दिया । फिर उस वक्त मुझे फौजियों की तरह वहाँ पांच सौ करता हुआ कमरे से बाहर निकला और सीधा कल्याण में पहुंचा । कमांडर करन सच्चा ना क्योंकि अब पूरी तरह गार्ड की वर्दी में था इसलिए उसका घर कुछ कम हो गया था । गलियारे में अभी भी वही दोनों कार्ड बहरा दे रहे थे । कमांडर करन सक्सेना कमरे से निकलकर जैसे ही गलियारे में पहुंचा तभी उसका सामना उन्हीं कारणों से हुआ । उधर बढाता हुआ उन के बराबर में से कुछ रहा । ये देखकर उसने संतोष की सांस लिखी । उन्होंने उसे पहचाना नहीं था । तो अब कमांडर को सबसे पहले ये पता लगाना था कि गवर्नर हाउस में सुल्तान फौजी कहा है । गवर्नर हाउस दो मंजिला था और गवर्नर हाउस में जिस जगह ज्यादा चहल पहल होती वहीं सुन पान फौजी होना था । करन सक्सेना गलियारे से फिर एक हॉल में बढ गया और के भीतर कोई नहीं था । अलबत्ता उस हॉल का दरवाजा तीन तरफ खुलता था । कमांडर करन सक्सेना तेज तेज कदम उठाता हुआ पीछे वाले दरवाजे से बाहर निकल गया । आपको फिरसे गलियारे में था । उस गलियारे में भी तीन कार्ड पहरा दे रहे थे । वहाँ भी कोई खास घटना ना घटे । उन तीनों में से किसी नौ से नहीं पहचाना । कमांडर लंबे लंबे तक भरता हुआ । उनके पर अगर से भी गुजर गया शीघ्र ही कमांडर ने फिर एक कमरे में कदम रखा । उसके बाद फिर एक गलियारे में वहाँ दूगड स्कूल ऊपर बैठो । चाय पी रहे थे । ऍम कॅण्टकी कदम काट के ऍम पहले तो मैं कभी गवर्नर हाउस में नहीं देखा । कमांडर करन सक्सेना तेजी से उन दोनों की तरफ पडा और फॅमिली पहुंचा मैं आज ही काॅल पिछले शायद आप लोगों ने मुझे पहले नहीं देखा होगा आज ही आया हूँ । दूसरा गार्ड ऍम खडा हुआ लेकिन पिछले पंद्रह दिन से तो यहाँ कोई भी नया कार्ड नहीं आया । पिछले पंद्रह दिन से नहीं । पर आज आया है ऍम और जो आया है तो मैं जरूर बकवास कर रहा है । पहले वाला कॅश है गुंडा । दूसरी ऍम लाकर कहा उन दोनों के हाथ थर्ड अपनी राइफलों पर पडे वो अपने काम से राइफलों बार पाते उससे पहले ही उन दोनों का होगा शुरू हुआ जो पहले एक कार्ड का हो चुका था । कमांडर देखना फुर्ती के साथ हमारे खिलाफ उसके हाथ बिजली की तरह मतलब पाए और थोडा धडकन आॅटों पर पडे तत्काल दोनों भी बिना चीखपुकार बचाया । काश में तब्दील हो गए ऊंची कर देने टूपकर एक तरफ लडते थे फिर इस से पहले कोई उसका है ना पता । कमांडर में उनकी लाश वहीं बने टॉयलेट के भीतर आनन फानन ठिकाने लगा दी । उसके बाद कमांडर ने गलियारे में खडे होकर ठंडे दिमाग से कुछ सोचा कॅाफी बडा था इसलिए वहाँ ये पता लगाना काफी मुश्किल काम था । सुल्तान पहुंची कहाँ है सुल्तान फौजी तक जल्द से जल्द पहुंचने के लिए कमांडर नहीं चाल चली लाख जवाब चार कमांडर करन सक्सेना की नजरें चाहे उन कपडों पर जाकर फ्रीज हो गई जो स्कूल ऊपर रखे थे और जिन्हें थोडी देर पहले गार्ड भी रहे थे । करण सचाना पककर कपडों के नजदीक पहुंचा । दोनों ही कपडों में आधा आधा कप चाय थी । कमांडर काॅप काम किया । उसने एक कप चाय दूसरे कपडे पलट दी जिसके फलस्वरूप दूसरा काॅलम भर गया । कमांडर रहेंगे खाली काॅपर रख दिया और चाय से लबालब भरा कप लेकर तेज तेज कदमों से पहले की तरह ही आगे की तरफ पडा । उसका दिमाग नहीं योजना मंडरा रही थी । बुद्धिमानी से भरी योजना वही कल्याणा पार कर दूसरे गलियारे में पहुंचा । दूसरे से तीसरे में तीसरे गलियारे के भीतर । उसे फिर एक काॅल तब नहीं करता नजर आया है । उसी का उस कार्ड की तरफ पडा ऍफ देखा है क्या बात है? सुल्तान साहब ने एक कप चाय बनाई है । कमांडर बोला लेकिन मुझे इकाई बहुत जरूरी काम याद आ गया और मुझे फौरन यहाँ से बाहर जाना है क्या तुम ऍफ तक पहुंचा सकते हो? क्यों नहीं जरूर पहुंचा सकता हूँ । बडी मेहरबानी होगी भाई ये लोग खिलाओ । चाय का कप लेते ही वो गार्ड गलियारे में आगे की तरफ पड गया । कमांडर का काम अब काफी आसान हो चुका था । उसने खामोशी से उसका पीछा करना था । जिस जगह वो कार्ड चाहे लेकर जाता गवर्नर हाउस में वहीं सोमपान फौजी होना था । कमांडर तुरंत ही छिपकर उसका पीछा करने लगा । उस गार्डन दो गलियारे और पार किए । फिर वो गवर्नर हाउस उस विशाल लॉबी में पहुंचा जहां से पहली मंजिल की तरफ से दिया जाती थी । फिर धीरे धीरे सीढियाँ चढने लगा हूँ । सुल्तान फौजी ऊपर था, पहली मंजिल पर हूँ । घटना घटी और पडी हंगामाखेज घटना घटी । वो कार्ड चाय का कप लेकर अभी से ज्यादा सीढियाँ चढ चुका था । तभी वो ठंड का उसके दिमाग में एक धमाका सा हुआ और से जाता है की शुरुआत फौजी तो चाहिए नहीं, पिता हूँ फिर वो गलत चाहे कैसे बना सकता है । वही तो झटके से बडा पलट नहीं । उसके नजर सीढियों के नीचे खडे कमांडर पडेंगे । गडवाडा फॅमिली लगाने की तरह बजा । उसने तत्काल चाय से लबालब भरा सब्सिडियों पर फेंक दिया और फिर बना फुर्ती के साथ अपनी जेब से खतरे की फसल निकालकर से जोर शोर से बजाने लगा । उसी पर उसी पल कमांडर में उससे भी ज्यादा फुर्ती के साथ बोखलाहट ने कदम उठाया । उसने चैंप्स अपनी पसंदीदा कोर्ट रिवॉल्वर निकाली । उसकी फॅमिली के फिर खुद नहीं फॅमिली तत्काल खतरे ऍम बातचीत निकल रहा है । उसके चेहरे के पिछडे उड गए । उस वीडियो पर ही गिरावट पर लडका हुआ नीचे आ गया । उसी पल लॉबी में एक कार्ड और नमूदार हुआ । उसके उन हजार अपनी आंखों से देखा । उस नजारे को देखते उसके नेत्र दहशत फट पडे खतरे की फसल निकालने के लिए । उसके हाथ में बडी तेजी से अपनी जब की तरफ छपते हूँ फॅमिली वो भी पैसे की तरह टकराया और चलता हुआ नहीं हो गया । तब तब दूर गवर्नर हाउस में हर काम बच चुका था । गोलियां चलने । हालांकि फाड फाडकर चलाने और खतरे कॅश नहीं, तमाम कार्डों को चौका कर रख दिया । सबकी अपनी राइफल लेकर उसी तरफ दौडने लगे । कभी फॅमिली और से पहले की बडी संख्या में कार्ड छोड कर वहाँ आते हैं । उसमें विस्फोट जोर से फसल बताने शुरू कर दी । जब गार्ड का जमघट वहां पहुंचा तो उस वक्त कमांडर काॅल दोनों लाशों के बीच में खडा जोर जोर से फसल बता रहा था क्या हुआ? ऍम बोले क्या हुआ लेकिन हमारा हमारे देश में गवर्नर हाउस में कुछ है । काॅल बजानी बंद कर दी और लगभग ठीक था । हाँ बोला, उसने दोनों की हत्या की है । दुश्मन आई सारे दिमागों में एक साथ धमाके हुए, लेकिन हमारा कोई भी दुश्मन अथॅरिटी को भेदकर भीतर कैसे गुजरा और ये सब सोचने का वक्त नहीं है । कमांडर करन सक्सेना ने आंदोलित वैसे में कहा ऍम साथ की सुरक्षा के बारे में सोचना चाहिए, क्योंकि उनकी जान खतरे में है । बिलकुल ठीक बात है ऍम अगर कोई आदमी चोरीछिपे गवर्नर हाउस खुलता है तो उन सुल्तान साहब का मर्डर करने के लिए गुस्सा है । मैं देखता हूँ कि सुल्तान सब कैसे हैं ही? शब्द कहने के बाद कब अंडरकरंट? सक्सेना सूचनापत्र अंदाज में अद्वितीय फुर्ती से ऊपर की तरफ भागा । इतना तो वह समझ चुका था तो सुल्तान फौजी ऊपर ही कहीं है । कमांडर के पीछे पीछे बताई और गार्ड भी लडके सब बुरी तरह बौखलाए हुए थे । सबके छक्के छूटे हुए थे । ऊपर पहुंचने ही कमांडर को एक कमरे के बाहर सात आठ गार्डों का चमक अच्छा लगा दिखाई दिया । कोरिया चलने और खतरे की फसल बचने की आवाजों ने उन्हें भी दहला दिया था । करन सक्सेना भाग गया शरू उसी कमरे में सुधार फौजी हैं तो उन सब कैसे हैं? कमांडर ने उन कार्डों के नजदीक पहुंच गए । लगभग चलाते हुए पूछा फिलहाल बिल्कुल ठीक है । गार्डों के चेहरे हुई की तरह सफेद वक्त पढ चुके थे । आपने इसीलिए कमरे के बाहर डेरा डाल लिया है ताकि दुश्मन फीचर रह जाएगा । सुदान के पास अंदर कौन है? कोई नहीं ऍम उन्हें कमरे में अकेला छोड दिया । फॅमिली और पूरी चढा हडबडाई हुए ऍसे बुरा हाल था । वो कबूतर की तरफ फडफडाता हुआ इधर से उधर घूम रहा था । कमरे में घुसते ही कमांडर करन सक्सेना वापस गार्डों की तरफ घुमा और फिर बोला अब सुल्तान सब की फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है । मैं इनके साथ कमरे में बंद हो तो लोग गवर्नर हाउस में जल्दी से दुश्मन की तलाश करो । ठीक है, गार्ड कुछ संतुष्ट हो गए । उसी पल कमांडर करन सक्सेना ने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया । ऍम पर चाल खेल रहा था । अब कमरे में दो व्यक्ति बंद थे । कमांडर और सुल्तान फौजी

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सुलतान फौजी - एक कश्मीरी आतंकवादी। उसने मुम्बई में एक बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया, जिसमें सैंकड़ों निर्दोष शहरी मारे गये। सुलतान फौजी पकड़ा गया। एक ऐतिहासिक फैसले में उसे 26 जनवरी के दिन फाँसी की सजा दी जानी थी, ताकि पूरी दुनिया देखती कि हम देशद्रोहियों के साथ क्या करते हैं। लेकिन उससे पहले ही सुलतान फौजी जेल तोड़कर पाकिस्तान भाग निकला। तब यह मिशन सौंपा गया कमांडर करण सक्सेना को। कमांडर- जिसने सुलतान फौजी को पाकिस्तान में ही घुसकर मारा। वहीं अपने हाथों से फाँसी की सजा दी उसे।
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