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सर्जिकल स्ट्राइक -04 in  |  Audio book and podcasts

सर्जिकल स्ट्राइक -04

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सुलतान फौजी - एक कश्मीरी आतंकवादी। उसने मुम्बई में एक बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया, जिसमें सैंकड़ों निर्दोष शहरी मारे गये। सुलतान फौजी पकड़ा गया। एक ऐतिहासिक फैसले में उसे 26 जनवरी के दिन फाँसी की सजा दी जानी थी, ताकि पूरी दुनिया देखती कि हम देशद्रोहियों के साथ क्या करते हैं। लेकिन उससे पहले ही सुलतान फौजी जेल तोड़कर पाकिस्तान भाग निकला। तब यह मिशन सौंपा गया कमांडर करण सक्सेना को। कमांडर- जिसने सुलतान फौजी को पाकिस्तान में ही घुसकर मारा। वहीं अपने हाथों से फाँसी की सजा दी उसे।
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बात चार गवर्मेंट हाउस में हंगामा फॅमिली पकडी और पुराने गवर्नर हाउस पर पहुंचा । सारा काम काफी फास्ट स्पीड से हो रहा था । उस को उम्मीद नहीं थी कि सुल्तान फौजी का एड्रेस इतनी आसानी से हासिल हो जाएगा । उसमें टैक्सी गवर्नर हाउस से काफी पहले ही छोड दिया । फिर वो टहलता हुआ गवर्नर हाउस के सामने पहुंचा हूँ । गवर्नर हाउस के सामने वाली लाइन नहीं एक काफी बडी किताबों की दुकान थे । कमांडर उसी दुकान में जा घुसा और फिर किताबों के पन्ने पलटते हुए गवर्नर हाउस का अवलोकन करने लगा । वो सचमुच कई एकड भूमि में फैला था क्योंकि उस गवर्नर हाउस के नीचे पाकिस्तान ॅ वहाँ करेंसी जैसी महत्वपूर्ण चीजें सकती थी । इसलिए वहाँ की सिक्योरिटी तो वैसे भी जरूरत से ज्यादा ही होनी थी । कमांडर ने देखा ॅ जेल की चारदीवारी की तरफ बहुत ऊंची ऊंची थी और ऍम जहाँ पत्थर से बनी थी । इतना ही नहीं बाउंड्रीवॉल के ऊपर रोहित कंटीले तार बंदे थे जिनमें जरूर करंट की व्यवस्था थी । उस गवर्नर हाउस के सबसे महत्वपूर्ण सिक्योरिटी किए थे । उसके चारों कोनों पर कुतुब मीनार की तरह पूछे ऊंचे चार साॅल्वर बनाये गए थे जिसपर फ्लड लाइट लगी थी तो जरूर रात के समय चलती थी । इनके अलावा उन टॉवर पर दो दो गार्ड खडे थे जो चौबीस घंटे खडे रहते थे । उनके हाथों में एके दूरबीन और चीन में बनी एक एक ऍम भी थी । शरू हर आठ घंटे बाद उन कार्डों की ड्यूटी बदल जाती होगी । गवर्नर हाउस में दाखिल होने का सिर्फ एक ही फाटक था और फाटक इतना लम्बा चौडा था की फॅमिली से चला जाए और बाहर आ जाएगा । उस फाटक के बाहर ही दो गनमैन और खडे थे । फिलहाल गवर्नर हाउस की यही से करती थी जो बाहर से नजर आ रही थी । कमांडर जाता था की सिक्योरिटी सिर्फ उतनी ही नहीं है । शरू अंदर लॉन में भी जब तक चप्पल पर पाकिस्तानी गनमेन पहले पडे होंगे तो मॅन थोडी देर नहीं भाग गया कि वाकई सुल्तान फौजी जबरदस्त सुरक्षा घेरे में हैं । कदम कदम पर मौत कोई भी आदमी का सुल्तान फौजी तक पहुंचना चाहेगा तो सबसे पहले फाटक द्वारा ही गवर्नर हाउस में घुसने की कोशिश करेगा लेकिन फाटक के रास्ते घुसने में पहली मुश्किल तो वहीं दोनों कार्ड थे तो फाटक के बाहर तैनात थे । अगर कोई उन्हें मारकर भीतर हो जाए तो फिर अंदर मौजूद गार्डों से उसकी मुठभेड होनी थी और अभी यही वाला नहीं था के अंदर और कितने गार्ड मौजूद हैं । उनकी संख्या दसवीं हो सकती थी और सौ भी । यानी अंदर घोषणा के बाद मारना ही मरना था । कमांडर किताब के पन्ने पलटता हुआ सिक्योरिटी के अन्य तरीकों पर गौर करने लगा तो ऑर्डर हाउस में फाटक के अलावा उसने का जो दूसरा रास्ता था वो बाउंड्री बॉल थी । लेकिन वो रास्ता भी आसान नहीं था बल्कि वो रहता तो पहले रास्ते से भी ज्यादा दुर्गम था । उस रास्ते के दौरान गवर्नर हाउस के भीतर घुसने नहीं । पहले मुश्किल तो यही थी कि इतनी ऊंची बाउंड्रीवॉल पर किस तरह चला जाएगा और अगर कोई बाउंड्रीवॉल पर चढने का रास्ता भी ढूंढ निकालता तो फिर उस पाॅल के ऊपर जो करंट युक्त कंटीले नाम के तार लगे थे वो अगली मुश्किल थे और तारों समझकर कोई आदमी अंदर राउंड में कूदेगा तो फिर वहीं हथियारबंद कार्ड समस्या थे जिनके बारे में अभी यही मालूम नहीं था कि उनकी संख्या कितनी है । क्या कहीं न कहीं मौत में जरूर उसके ऊपर छत पे पडना था । कमांडर के मौके पर परेशानी की दिखाई खींच गई । उसने दिखाने के लिए तीन चार किताबें भी खरीदेंगे । फॅार के आके गवर्नर हाउस टावर पर जाकर चिपक गई । उस पूरी सिक्योरिटी ना । सबसे खतरनाक चार फोन पर बने वो चार टॉवर ही थे क्योंकि दुश्मन गवर्नर हाउस बचा है किधर से भी हो सकता है लेकिन वो टॉवर पर खडे कार्डों की निगाहों में जरूर आना था । उन कार्डों के हाथ में फॅमिली थी यानी दुश्मन निभा में आते ही फौरन लाश को बदल जाना था । करन सच्चा ने टन हिल्स निकालकर सुल्तानी थोडा चेंज होता था । कहीं सुल्तान फौजी सफलता सुरक्षा घरे में था जरूर । पाकिस्तान सरकार को इस बात का पहले से संदेह हो गया था कि अब सुल्तान फौजी पर हमला हो सकता है । इसीलिए उसे इतनी सुरक्षित स्थान पर रखा गया था तो अंडर डनहिल के कश् लगता रहा और किताबों के बीच इधर से उधर घूमता रहा । लेकिन उसे इतनी जबरदस्त सिक्योरिटी का भेदकर सुल्तान फौजी तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं सुन रहा था । आधा घंटा किसी तरह गुजर गया किसी बीच करण सक्सेना ने एक किताब और खरीदी तो तभी घटना घटी । वो घटना जिसने कमांडर करन की सुल्तान फौजी तक पहुंचने का हैरान कर देने वाला व्यवस्था बना दिया । दोपहर का जैसे ही एक बजा तभी गवर्नर हाउस का विशाल फाटक खुला और उसके भीतर से ट्रैन बाहर निकली । उसके तुम तक हूँ । अंग्रेजी और उर्दू में पाकिस्तान ॅ लिखा था । ऍम के बाहर निकलते हैं । फाटक बंद कर दिया गया लेकिन उस को देख रही कमांडर हरकत जा चुका था । उसने डाॅ और लगभग झपट कर किताबों की दुकान से बाहर निकला । तब तक ऍफ पर दौडने लगी थी । कमांडर फौरन वहीं सडक के किनारे खडी टैक्सी में सवार हो गया और चला जल्दी खराब चल रही है । फॅमिली अब वो पहन के पीछे दी किधर जाना है? साहब उस वाहन का पीछा करो ऍम ऍम लेकिन वो तो सरकारी रहने साहब ऍम जरूर सरकारी है । लेकिन मुझे सूचना मिली है कि उस लाइन के जरिए कोई गैरकानूनी काम हो रहा है । ऍम ब्यूरो का आदमी हूँ तो खास तौर पर ड्यूटी पर तैनात किया गया है कि मैं असलियत तब पता लगा हूँ पुलिस की गाडी का इस्तेमाल मेस ट्रेनिंग कर रहा हूँ कि कहीं फ्रैंड के भीतर मौजूद आदमियों को अपना पीछा किए जाने का शक ना हो जाएगा । मैं सब कुछ समझ गया था सब समझ गया ऍम ऍम के पीछे थोडा फास्ट बनाकर दिन का पीछा करते रहो । आप देख रहे साहब उनके परिवार को भी पता नहीं चलेगा की बहन का पीछा किया जा रहा है कैसे कतारों को तो सरेआम फांसी पर लटका देना चाहिए । साहब जो इस तरह सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल करते हैं जरूर सच्चे वतनपरस्त हूँ का वतन परस्तों साहब ये तो पाकिस्तान की बदनसीबी है कि ऐसे हराम सादे सरकारी कुर्सियों पर जाकर बैठ जाते हैं और हमारे जैसे देश से प्यार करने वाले सडकों पर छोटी चटकाते भरते हैं । कायदेआजम ने ऐसे मुल्का थोडे ही देखा था । ये तो चोर उचक्कों का बदला हुआ पाकिस्तान है । ऍम की तरफ ध्यान दो की तरफ ध्यान चाहते हैं । लगभग बीस मिनट तक वो वैन इस्लामाबाद की सडकों पर इधर से उधर दौडती रहेंगे । ऍम इस्लामाबाद एक मशहूर होटल के सामने जाकर रुकीं कमांडर चौका क्योंकि वो किसी होटल के सामने जाकर रुकेगी ये तो उसने कल्पना भी नहीं की थी है । उसके देखते ही देखते उस बैंक के भीतर काफी सारा खाना रहा गया है । उसके बाद ऍसे वहाँ तक आई थी, उसी तरह वापस लौट पडेगी । अब क्या करूँ साहब ऍम बिछा करो, तुम्हारा भी होगा । करन सक्सेना का आदेशात्मक स्वर देखते हैं कि खाना लेकर कहाँ जाते हैं के साथ ऍम के पीछे लगा दिया इस बार जो बहुत सावधानी से वाहन का पीछा कर रहा था और ऍम दोबारा गवर्नर हाउस पर पहुंच गई और है । जिस तरह विशाल का फाटक से बाहर दिख रही थी उसी है उस पाठक के अंदर समाकर गायब हो गई । ट्रॅफी गवर्नर हाउस से थोडा आगे जाकर रुकी थी । फिर तब तक चुप रहा जब तक लोगों का विशाल का फाटक पहले की तरह ही अंदर से बनना हो गया तो कोई हंगामा नहीं चाहते । फिर वो अपनी गर्दन पिछली सीट पर बैठे । कमांडर तरण सक्सेना की तरफ घुमाकर बोला ये लोग सिर्फ खाना ही लेकर आए हैं तो मुझे ये बात नहीं समझा । ऍम क्या मतलब ये भी हो सकता है कि खाने के वाॅल लाख लाख तो मैंने सोचा ही नहीं था साहब अब के बाद सामान से बाहर मत निकालना बिल्कुल भी नहीं । बिल्कुल नहीं । राई कितना हुआ था ऐसी बात करते हो । आप कॉम की मदद के लिए कहीं पैसे दिए जाते हैं तो मैं खुशनसीब हूं कि भले थोडी देर के लिए ही चाहिए लेकिन इंसानियत के काम आ गया । मुल्क के काम आ गया फिर भी कमांडर करंट सक्सेना ने उसके मुद्द्े में जबरदस्ती सौ सौ के नोट ठूसे और ऍम गया आप कहाँ जा रहे हैं साहब वापस ऑफिस जाना है । मैं कुछ थोडा कम साहब नहीं मैं चला जाऊंगा । लेकिन जाओ मुझे ही थोडा कम और है । कमांडर तेज तेज कदमों से सडक पर आगे की तरफ पड गया । उस वक्त उसका दिमाग काफी तेज चल रहा था । उसे लग रहा था कि जिस योजना की तलाश में पिछले कई घंटे से है वो योजना शायद उसे मिल गई है । जल्दी कमांडर करन सक्सेना लगभग ताज पकता वापस उसी होटल में पहुंचा । जिस होटल से खाना लाया गया था । उस सीधा उस होटल के सेंटर हॉल में पहुंचा और फिर होने की एक टेबल पर बैठकर उसने खाने का ऑर्डर किया । जल्द ही एक मीटरों से खाना सर्व करने लगा । उस मीटर की उम्र लगभग अट्ठाईस तीस साल थी । अमर नाम क्या है? गुलाम रसूल साहब बेटर पानी का जगह और गिलास टेबल पर रखा हुआ बोला भाई गुलाम रसूल, वह है तुम्हारे होटल का खाना इस्लामाबाद में बडी बडी लाजवाब जगह जाता है । कमांडर करन सक्सेना ने अपने शासित दिमाक से योजना के पत्ते पहला में शुरू किए । जोशा गुलाम रसूल चौका । अभी मैं थोडी देर पहले तुम्हारे होटल के सामने से गुजर रहा था । तभी मैंने गवर्नर हाउस की बहन खडी देखी जो शाह सिखाना ले जा रही थी । कमांडर की बात सुनकर गुलाम रसूल हसने लगा समझ रहे हो ये कोई बहुत अजीब बात नहीं साहब । दरअसल गवर्नर हाउस में पाकिस्तान सरकार का कोई बहुत खास मेहमान ठहरा हुआ है । जिसे इत्तेफाक से हमारे होटल का खाना पसंद है । उसी के लिए पिछले पंद्रह दिन से रेग्युलर खाना जा रहा है । यानी खाना रोजाना बिना नागा जाता है । हाँ, ऐसा रोजाना ऍम जाता है । हमको नहीं चाहता हूँ जो कमांडर को झटका लगा । क्योंकि दोनों टाइम का खाना ये लोग एक ही बार ले जाते हैं । दोपहर को एक बजे के आस पास । शायद ऐसा वो सिक्योरिटी के लिहाज से करते हैं क्योंकि बार बार गवर्नर हाउस के अंदर खाना ले जाने में खतरा तो है ही ना । साहब कुछ भी हो सकता है । पूरा पाकिस्तान जानता है कि गवर्नर हाउस के नीचे तहखाने में करेंसी छपती है हूँ । ठीक कह रहा हूँ पुरान रसूल चला गया । दो मिनट बाद ही गुलाम रसूल पैसे वापस लड रहा । इस बार वो ट्रेन में गरम गरम रोटियां, सब्जी की देश और सलाह की प्लेट वगैरह लेकर आया था । इससे वह फौरन ही है । एक एक करके कमांडर के सामने टेबल पर से जाने लगा । एक बात तो है गुलाम रसूल ऍम छेडा हूँ क्या साहब अगर पाकिस्तान सरकार ने गवर्नर हाउस जैसी जगह किसी आदमी को ठहराया है तो जरूर कोई बहुत खास मेहमान होगा हूँ आज तो जरूर होगा । ऍम कमाल है तो कमांडर में बहुत शक्ति से मुद्रा उसकी तरफ देगा । वो शख्स हमारे होटल के नहाने का मुरीद है । इतना ही नहीं पिछले पंद्रह दिन से रेगुलर उसके वास्ते तुम्हारे होटल से खाना जा रहा है और तुम उसी का नाम तक नहीं जानते हैं । नहीं क्यों हम लोगों ने सिक्योरिटी गार्डों से उसका मेहमान का नाम मालूम करने की कोशिश की थी लेकिन वो हर बार सवाल को टाल गए । सिक्योरिटी का कहना है कि उस खास मेहमान की जान खतरे में हैं इसलिए उसे गवर्नर हाउस के भीतर सुरक्षित घेरे में रखा गया है और इसीलिए उसका नाम नहीं बता सकते हैं । फिर तो उसका नाम न बताना ही ठीक है । गुल साहब, हम लोग भी उन पर इसलिए ज्यादा दबाव नहीं डालते । क्या फायदा हमारी जैसी बेचैनी किसी बेगुनाह की जान खतरे में डाल दे । टेघडा खून एक पूरी तरह कमांडर गर्म सरचना की कनपटी पर ठोकरे से मारने लगा । ऍफ आतंकवादी और बेगुना पांच हजार बेगुनाहों का हत्यारा बेगुना जिसकी पाकिस्तान सरकार अपने दामाद की तरह सेवा कर रही थी । जिनकी आसमान सूत्र फरिश्ते की तरह मेहमान नवाजी की जा रही थी । कौन चाहता था वो व्यक्ति राक्षस है? फॅमिली धरती पर जीने के काबिल नहीं, फौरन से पेश्तर मार डाला जाना चाहिए । थोडी देर बाद जब कमांडर खाना खाकर कुर्सी से उठा तो वह सुल्तान फौजी तक पहुंचने की योजना खरीब गरीब फाइनल कर चुका था । रात के साढे आठ बज रहे थे जब कमांडर करन सक्सेना की रजिया से बात हुई । करन सक्सेना उस वक्त अपने साहिल पैलेस होटल में था तब इसकी जेब में रखी घडी का लाल बल्ब्स पक करने लगा । कमांडर फौरन घडी निकालकर उसको से जॉइन किया और माइक की चाली पर जोर जोर से बोलने लगा ऍम ऍम रह गया हूँ मैं बात करता हूँ मैंने अभी अभी समाचार सुने हैं और सिंह ने बताया गया है कि किसी अज्ञात व्यक्ति निरॅतर उसकी हत्या कर दी । समाचारों में ये भी बताया गया कि हत्यारा छह फुट से भी ज्यादा लंबे करता और स्वस्थ शरीर का व्यक्ति था और वो तो भी हो सकते हो । फॅमिली हाँ, तो मैं सही अंदाजा लगाया क्या मैंने हिमालय से लेकिन क्यों क्यों मारा था? जब कॅश नहीं बताया था इसलिए उसको मार डाला ये बात नहीं नाॅट बता दिया था । कुछ लामाबाद के पुराने भवन रोज में ठहरा हुआ है और वहाँ बाकायदा कडी सुरक्षा व्यवस्था के बीच है ऍम इसके मारा क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि डाॅन फौजी को ये खबर सर्कुलेट करती है । कोई निश्चित राष्ट्रपति खुल रहा है इससे स्वाॅट जी पहले से अलर्ट हो जाता और फिर उसका भरना और ज्यादा मुश्किल होता है । समाचार कोई और खास बात थी नहीं और कोई खास बात नहीं थी । मैंने फौरन तुमसे इसलिए बात करनी चाहिए कि तुमने में जाने क्या गडबड कर दी है । क्योंकि सुल्तान फौजी का एड्रेस पता लगाने की फॅमिली नफीसा भाई ही थी तो हम ऍम गए थे । हाँ, मैंने आज अपना ज्यादा वक्त गवर्नर हाउस के आस पास और यही पता लगाने में गुजरा के सुल्तान फौजी किसी करती क्या थी? क्या कुछ पता चला था? मैंने तकरीबन सारी सिक्योरिटी पता लगा ली है । क्या सिक्योरिटी हैं कंप्यूटर में? संक्षेप में रजिया को गवर्नर हाउस की पूरी सिक्योरिटी बनाई तो फॅमिली को भेदकर सुल्तान फौजी तक किस तरह पहुंचा गई मैंने वो योजना भी बनानी है । कमांडर पूरी यकीन के साथ बोला अच्छी तरह तो मैं समाचारों में नहीं सब भाई की मौत की खबर सुनने को मिली है, चल रही है, बिल्कुल उसी तरह है । सुल्तान फौजी की मौत का समाचार सुनने को मिलेगा और ये मेरा वायदा है तो बस देखती हूँ, लेकिन तुमने सुल्तानपुर तक पहुंचने की योजना क्या बनाई है? कमांडर ने उसे इस योजना के बारे में भी बताया । रजत रह गई । क्या हुआ? लेकिन इस योजना को कार्यरूप देने में तो तुम्हारी जान भी जा सकती है । कमांडर जान कहाँ नहीं जा सकती । फिर ये मत बोलो कि मेरा ये मिशन एक जलना कमीशन है जल्लाद का । मैं तो फॅमिली ऍफ कर दिया । रजत दिमाग में अनार पटाके से छूट रहे थे । पीछे थी । हालात उसे बहुत ज्यादा खुशगवार नजर नहीं आ रहे थे । कमांडर नहीं । जो योजना बनाई थी उसमें खतरा ही खतरा था । रजिया जानते थे कि पाकिस्तान की सर्वोच्च जासूसी संस्था आईएसआई के एजेंट कितने खतरनाक है । किसी की भी जान ले लेना उनके लिए ऐसा मजाक है जिसे कुछ मच्छर मार दिया हो । रजिया पहचानी पूर्वक पहनती रही, टहलती रही । फॅमिली रोजाना आठ या नौ बजे तक कोठी में आ जाता था । लेकिन उस दिन वो हो गया और रात को कोई दस बजे उसने कोठी में प्रवेश किया । फॅमिली तीस बत्तीस साल का काफी हैंडसम आदमी था और अपनी उम्र के हथवार से काफी पहले लेफ्टिनेंट कर्नल जैसे ऊंचे औहदे पर पहुंच चुका था । उसके बाल घुंघराले थे और फौजियों की तरह छोटे छोटे थे । उसका नाक नक्श भी काफी आकर्षक थे । आज इतनी देर कैसे हो गई? रजिया ने आते ही हैदर से पूछा यही ऍम करनी पड गई थी । फॅमिली क्या उतारकर हो पटांग ही और फिर कुर्सी पर बैठकर झूठे केस पीते खोलने लगा । आॅप्रेटिंग रशियन के दबाव में धमाका सा हुआ । मीटिंग के शिशु को लेकर हुई कुछ खास इशू नहीं था । फॅमिली नाम की एक बदनाम औरत रहती थी, जिसके दारू की भठ्ठियां थी, शराब का अड्डा था । उसके अलावा सुनते है कि वह खुद जिस्मफरोशी के धंधे में भी अनुवाद थी । फीस अब आई फॅमिली के मुझे ना फिर दवाई का नाम सुनते ही रजिया की सारी इंद्रियां चौकस होती । फिर क्या हुआ? होना क्या था, आज किसी ने उसका खून कर दिया । यू तो जैसे बदनाम और खून हो जाना कोई बडी बात नहीं है । लेकिन आईएसआई उस हत्या को खाम खातून देने की कोशिश कर रही है, क्योंकि टाॅल एक कश्मीरी आतंकवादी सुल्तान फौजी से थे, जिसने आजकल पाकिस्तान में पनाह ली हुई है और जैसे हिंदुस्तानी अदालत द्वारा फांसी की सजा भी सुनाई जा चुकी है हो । अब आईएसआई का कहना है फॅमिली अपनी शर्ट के बटन खोलता हुआ बोला, नफीसा भाई की हत्या के पीछे जरूर किसी हिंदुस्तानी जासूस का हाथ है और अब तो जरूर सुल्तान फौजी पर हमला करेगा । ऍम के बारे में बहुत लोग जानते थे । नफीसा भाई की हत्या करने वाला आदमी हिंदुस्तानी जासूस है । इस बात के पीछे आईएसआई जो दलील देती है वो दलील भी बहुत सॉलिड है । क्या दलील देती है इसाई? दरअसल जो रहस्य में आज भी नफीस हवाई अड्डे में देखा गया और जिसमें उसकी हत्या की बहुत चुस्त चला, तंदुरुस्त और लंबे कद का आदमी था और इस तरह की पर्सनालिटी वाले ज्यादातर जासूसी होते हैं । फिर अगर वो इस्लामाबाद कही कोई आदमी था और उसने नफीसा भाई की किसी पुरानी रंजिश की वजह से हत्या की थी तो शराब के अड्डे में मौजूद लोगों ने उसे पहले वहाँ रूप देखा होता । जबकि उनका कहना है कि उन्होंने पहले उस आदमी को शराब के अड्डे में तो दूर पूरे शहर में कहीं नहीं देखा था । उन लोगों की उसका वही से भी आईएसआई की उस दलील को काफी बल मिलता है । कि वह हिंदुस्तानी जासूस था । रजिया सन्नी व्यवस्था में खडी रही । ये भी हो सकता है कि आईएसआई कई रहन हो कि नफीसा भाई की हत्या किसी हिंदुस्तानी जासूस ने की है, हो सकता है । बहरहाल असली चाहे जो भी हो वो आने वाले कुछ दिनों में खुद ही जाएगी । कैसे? अगर सत् मुझे काम पिछले हिंदुस्तानी जासूस ने किया है तो अब खामोश नहीं बैठेगा और आने वाले दिनों में फौजी को भी मार डालने की कोशिश करेगा । अगर सुल्तान फौजी पर भी एक दो दिन में कोई हमला होता है तो साफ जाहिर है कि नफीसा भाई की हत्या भी किसी हिंदुस्तानी जासूस ने की है और आईएसआई कश्यप बिलकुल ठीक है । ऍम हम किस सब्जेक्ट पर बहस करने लगे हूँ । सब ले क्या बुरा है? अरे ये ऐसा सब्जेक्ट है मैं हानि डालेंग इसका कोई अंत नहीं जिस पर हम सारी रात भी बात कर सकते हैं । जब की इतनी खूबसूरत, सिर्फ ऐसे ही बातों में बर्बाद करने के लिए तो नहीं ऍसे जितना लिया क्या कर रहे हो रही उसकी बहुत कल बुलाई क्यों? तुम नहीं जानती कि तुम्हारे लेफ्टिनेंट कर्नल पति उस वक्त कौनसी जान लडा करता है । अरे लेकिन अभी तुमने खाना भी नहीं खाया साहब रजियाना उसके नाक पकडकर लाई, पहले खाना तो खा लो नाये पहले चंद बाद में खाना लेकिन नेपोलियन ने कहा है कि जान बिना हथियारों की लडी जा सकती है पर भूखे पेट रहकर कोई चैन नहीं लड सकता । वह नैपोलियन की चंद होगी जिसे बिना हथियारों के लडा जा सकता था । लेकिन इस जंग में तो हथियार पहले चाहिए । बिना हथियारों के तो यहाँ एक इंच भी जान आगे नहीं रख सकती । भूखा पेट आदमी चल जाएगा । रजिया की हंसी छूट गई तुम सत्रह बहुत बदमाश हो गए हो तुम आज भी और तुम्हारी तरह थोडा थोडा खुराफाती भी । फिर वो अपने प्यार के खेल में मशगूल हो गए । रात के दो बजे का वक्त प्राॅक्टर पर कमांडर करन सक्सेना सब आपकी फॅमिली रही हूँ क्या क्या बात है तुम्हारी आवाज नहीं आ रही है क्यों है और तुमने इतनी रात को किसी संबंध स्थापित किया तो फॅमिली कमांडर वजह की आवाज सकूँ चिंताओं से भरी थी । कुछ घंटे पहले ही मेरी हैदर बात हुई है । उसने मुझे ऐसी खतरनाक खबर सुनाई है जिसकी वजह से मैं तुमसे फौरन बात करने के लिए मजबूर हो गई । क्या खबर फॅार की आवाज में भी सस्पेंशन का दरअसल आज शाम पाकिस्तान की सर्वोच्च जासूसी संस्था आॅल हुई थी तो मैं जान कर हैरानी होगी कि आईएसआई को इस बात का शक हो चुका है । नवी दवाई की हत्या के पीछे किसी पानी चला उसको हाथ है वो क्या कह रही हैं? तो इतना ही नहीं वो नफीसा भाई की हत्या को सुल्तान फौज के कत्ल की पहली कडी भी मान रहे हैं और उन्हीं ऍम फौजी के ऊपर भी हमला होगा हालत नहीं । आईएसआई ने सलमान हॅाट कर दिया होगा और उसके आस पास की सिक्योरिटी भी और टाइट की जा चुकी होगी । तुम करना चाहती हो क्या? तुम नहीं जानते हैं कि मैं क्या कहना चाहती हूँ देखो जो कहना है काम साफ साफ हो । कमांडर मैं ये कहना चाहती हूँ की दल तो भारत सुल्तान फौजी की हत्या करने का जो प्रोग्राम है आपने प्रोग्राम को फिलहाल पकती तौर पर बोलता हूँ । दूसरी तरफ एकदम से धनकोट सन्नाटा छा गया ऍम हम चुप नहीं कुछ बोलते क्यों नहीं नहीं नहीं ऍसे नहीं कर सकता है लेकिन क्यूँ जो कैसे नहीं कर सकते । क्योंकि मैंने सुल्तान फौजी तक पहुंचने की जो योजना बनाई है उस पर स्पॅाट नहीं पडता हूँ । क्या ये साइको सुल्तान फौजी की हत्या का पूर्वाभास हो चुका है । क्या नहीं हो चुका है? लेकिन वो फौजी की सिक्योरिटी तो बढा सकते हैं । उसकी सिक्योरिटी पहले से ही इतनी परफेक्ट है कि अब उसमें कुछ और ऐसा फोन नहीं किया जा सकता है । सहमत हूँ मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं है । सुल्तान फौजी ने पांच हजार हिन्दुस्तानियों का खून बहाया है । पाँच हजार हिन्दुस्तानियों का खून और मुझे जल्द से जल्द उनका बदला लेकर वापस हिन्दुस्तान लौटना है । रजिया के चेहरे पर विश्वास के भाव है । क्या तुम साॅस किसी काम के लिए प्रेशर बता दूँ? मैं नहीं कर सकता हूँ । कल गवर्नर हाउस में हम दवा होना है और होकर रहेगा । रचिया के चेहरे पर चिंता की लकीरें हैं और पड गई

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सुलतान फौजी - एक कश्मीरी आतंकवादी। उसने मुम्बई में एक बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया, जिसमें सैंकड़ों निर्दोष शहरी मारे गये। सुलतान फौजी पकड़ा गया। एक ऐतिहासिक फैसले में उसे 26 जनवरी के दिन फाँसी की सजा दी जानी थी, ताकि पूरी दुनिया देखती कि हम देशद्रोहियों के साथ क्या करते हैं। लेकिन उससे पहले ही सुलतान फौजी जेल तोड़कर पाकिस्तान भाग निकला। तब यह मिशन सौंपा गया कमांडर करण सक्सेना को। कमांडर- जिसने सुलतान फौजी को पाकिस्तान में ही घुसकर मारा। वहीं अपने हाथों से फाँसी की सजा दी उसे।
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