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सर्जिकल स्ट्राइक -01 in  |  Audio book and podcasts

सर्जिकल स्ट्राइक -01

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सुलतान फौजी - एक कश्मीरी आतंकवादी। उसने मुम्बई में एक बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया, जिसमें सैंकड़ों निर्दोष शहरी मारे गये। सुलतान फौजी पकड़ा गया। एक ऐतिहासिक फैसले में उसे 26 जनवरी के दिन फाँसी की सजा दी जानी थी, ताकि पूरी दुनिया देखती कि हम देशद्रोहियों के साथ क्या करते हैं। लेकिन उससे पहले ही सुलतान फौजी जेल तोड़कर पाकिस्तान भाग निकला। तब यह मिशन सौंपा गया कमांडर करण सक्सेना को। कमांडर- जिसने सुलतान फौजी को पाकिस्तान में ही घुसकर मारा। वहीं अपने हाथों से फाँसी की सजा दी उसे।
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ऍम किताब का नाम है सर्जिकल स्ट्राइक । ऍसे आशीष जैन की आवाज नहीं हो तो नहीं जो मन चाहे है । एक मिशन की शुरुआत इस समय गंगाधर बहन और ऍम रूम में बैठे थे जहाँ केसों से संबंधित फिल्में दिखाई जाती हैं । शाम का वक्त था कमांडर करन सक्सेना को थोडी देर पहले ही राॅयटर्स बुलाया गया था ताकि उसे बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण मिशन सौंपा जा सके । इस समय उन दोनों के सामने पैंतीस मिलीमीटर का पर्दा था और पर्दे पर एक बहुत खतरनाक बात भी की तस्वीर नजर आ रही थी । वो दरिंदा था । वो शास्त्र से ही वैसी नजर आता था उसके पास । जंगलियों की तरह दोनों कंधों पर बिखरे हुये थे जिसमें की रंगत गहरी साहब ली थी । वो टीना जी आंखें उसके अलावा डॅाल लडका हुआ था । उसे देखते ही लगता था वो कोई आइडिया है । करण गंगानगर महंत उस फोटो को देखते थे । बोलेंगे एक कश्मीरी आतंकवादी है और उसका नाम सुल्तान फौजी है । फॅमिली था कमांडर थोडा अलर्ट होकर बैठ गया । इसमें कोई शक नहीं कि वह व्यक्ति शक्ल सूरत से ही अपराधी नजर आ रहा था । असर इसी सुल्तान फौजी के विषय में बात करने के लिए मैंने आज तो मैं जहाँ बुलाया है । गंगानगर बहन बोलेंगे ये आदमी शब्द मुँह से जितना खतरनाक नजर आता है असल में उससे कहीं ज्यादा दुर्दांत है । पहले ये भारतीय फौज ऍम था । फॅसने पाकिस्तानी घुसपैठियों के बहकावे में आकर फौज की नौकरी छोड देंगे और उसके बाद कश्मीरी आतंकवादी बन गया । वही बम कांड के बारे में तो तो मैं सुना ही होगा । उसके बारे में भला किसने नहीं सुना । डाॅ । दरअसल ये सुल्तान फौजी उसी मुंबई बम कांड का मुख्य अभियुक्त है । गंगाधर महंत रहेंगे हवाना सरकार का कष्ट लगाते हुए जबरदस्त रहस्य उद्घाटन किया आज से तीन साल पहले जब मुंबई शहर के अंदर भयानक विस्फोट हुए थे तब पचहत्तर फीसदी विस्फोटों में इसी सोमपान फौजी का हाथ था । इसलिए बीस से ज्यादा इमारतों में विस्फोट किए जिसमें पांच हजार के आस पास निर्दोष शहरी मारे गए और लगभग तीन हजार के करीब पूरी तरह घायल हुए हूँ । ये बेहद तुर्किस्तान किस्म का अपराधी है । लेकिन जहाँ तक मुझे याद पडता है चाहिए । कमांडर करन सक्सेना बोला कि अपराधी तो पकडा गया था बिल्कुल ठीक अंदाजा है तुम्हारा । आज से एक साल पहले सुल्तान फौजी को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था । नहीं नहीं वो तो हम फौजी पर अदालत में सारे इल्जाम भी साबित हो गए थे । आमतौर पर छब्बीस जनवरी पंद्रह दस वाले दिन किसी अपराधी को फांसी नहीं दी जाती है । लेकिन सुल्तान फौजी के लिए स्पेशल कोर्ट बिठाई गई और जज ने अपना वो ऐतिहासिक फैसला सुनाया । तो भारत के इतिहास में पहले कभी किसी अपराधी को नहीं सुनाया गया था ऍम दरअसल वो स्पेशल कोर्ट ने सुल्तान फौजी को हँसी की सजा सुनाई और उसकी फांसी की जो तारीख मुकर्रर की वो ऐतिहासिक तारीख थी । सुल्तान फौजी को ठीक छब्बीस जनवरी वाले दिन सुबह पांच बजे फांसी होने की फांसी का एक खास दिन मुकर्रर करने के पीछे भी एक खास वजह थी । क्या कमांडर करन सक्सेना ने उत्सुकतापूर्वक पूछा सुल्तान फौजी क्योंकि देश का दुश्मन था दस हजार महंत नहीं । हमारा सिगरेट का एक और कष्ट लगाते हुए कहा और धूम क्योंकि देश के टुकडे कराना चाहता था इसलिए खास तौर पर उसे फांसी देने के लिए छब्बीस जनवरी का दिन चुना गया । यानी गणतंत्र दिवस का दिन चुना गया ताकि देश के प्रश्नों के ऊपर कसकर तमाचा लग सकें और उन्हें इस बात का अहसास हो सके हिन्दुस्तानियों के अंदर अभी इतना दम है जो वो अपनी आजादी के है, सुंदर खुद कर सकते हैं । तो मिलाकर अगर सुल्तान फौजी को छब्बीस जनवरी के दिन फांसी लग जाती है तो यह नौसर कश्मीरी आतंकवादियों के ऊपर बल्कि पाकिस्तान फौज के ऊपर भी कडा तमाचा होता है । ऍम पश्चिम दावत नहीं आई हूँ फॅार चौका नौबत क्यों नहीं आई है? क्योंकि सोपान फौजी छब्बीस जनवरी की सुबह फांसी लगने से पहले ही फॅर हो गया । बताते हैं कि जेल का जेलर और बॉर्डर कश्मीरी आतंकवादियों के हाथों में गए थे और उन्होंने ही सुल्तान फौजी को जेल से फरार कराने थे और अब की थी ये बात अलग है । बाद में उन दोनों को भी नौकरी से सस्पेंड कर दिया गया । लेकिन उससे क्या फर्क पडता है । सुल्तान फौजी तो जेल से फरार हो ही गया था वो । बहरहाल इस घटना को आज दस महीने गुजर चुके हैं । पूरे दस महीने बीच मुंबई पुलिस ने फौजी को हर जगह ढूंढा, हरमुमकिन जगह तलाश किया लेकिन सुल्तान फौजी खाने के सिर से सीन की तरह गायब हो चुका था उसका फिर कहीं कुछ पता नहीं चलता । पंद्रह दिन पहले इस पूरे घटनाक्रम में एक बार फिर आपकी सरकार नहीं आ गई है । वो कैसा था गरम सबसे हो चुका और बडी पिछले दस महीने से जिस सुल्तान फौजी के बारे में ये पता नहीं लग रहा था कि वो कहाँ गायब हो गया है । गंगा गवर्मेंट ने कहा, उसी ऍम पता चल चुका है । उस वक्त पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हैं । वो जरूर जेल से होने के बाद सीधा इस्लामाबाद पहुंच गया था क्योंकि इस समय उसके लिए वही सबसे ज्यादा सीख जगह है । लेकिन आप पूरी के सामान हुआ ऍर में पूछा ऍम में हैं गुड कोरिया गंगानगर महंत मुस्कराये अच्छा सवाल है । दरअसल जिरह ऐसे भी बडे करिश्माई ढंग से उजागर हुआ । आज से पंद्रह दिन पहले इस्लामाबाद में वहाँ के प्राइम मिनिस्टर की लडकी की शादी थी । इसमें न सिर्फ दुनिया भर से बडे बडे लीडर आए बल्कि पाकिस्तान के भी बडे बडे लीडर और उद्योगपतियों शादी में शरीक हुए हैं । उस शादी की वीडियो रिकॉर्डिंग मुंबई पुलिस के कुछ ऑफिसर्स न देखी तो कुछ गडबड क्योंकि उस चाबी मुसलमान फौजी को भी शामिल दिखाया गया था । वो लडकी को बाकायदा किस दे रहा था । सोनू क्या रिकॉर्डिंग अभी भी आपके पास है? बिल्कुल है । पुलिस ऑफिसर्स ने तभी स्टार्ट टीवी से वो वीडियो रिकॉर्डिंग ले ली थी मैं अभी तो मैं वो रिकॉर्डिंग दिखाता हूँ । गंगाधर महंत ने हवाना सिगार का प्रश्न लगाते हुए बजट रूम की तरफ हाथ से इशारा किया तो फौरन पैंतीस मिलीमीटर के पडने पर चमकती सुल्तान फौजी की तस्वीर नवभारत हो गई और अब वहाँ शादी की वही वीडियो रिकॉर्डिंग नजर आने लगी जिसमें काफी प्रसिद्ध चेहरे नजर आ रहे थे । कुछ देर पडने पर फिल्म चलती रही फिर फिल्में खास चेहरे पर जाकर रुपये वो सुल्तान फौजी का चेहरा था जिसमें सप्तकुल साहब साहब पाकिस्तानी प्राइम मिनिस्टर की बेटी को कोई तीन की गिफ्ट देते हुए दिखाया गया था । धीरे धीरे उसका चेहरा पडने पर होता चला गया । ऍम तो हंड्रेड परसेंट सुल्तान फौजी है क्या पाकिस्तान सरकार से इस बारे में कोई बातचीत नहीं हुई? गर्म सबसे मैंने पूछा पाकिस्तानी गवर्मेंट ये नहीं कहा गया कि उनके कंट्री में हमारा अपराधी है जिसे उनको फॉर्म हमारे हवाले करना चाहिए । पाकिस्तानी गवर्मेंट से भी बात की थी लेकिन उधर से जो जवाब मिला वह काफी निराशाजनक था । क्या जवाब मिला सबसे पहले तो पाकिस्तानी प्राइम मिनिस्टर में इस बात से इनकार किया कि जो व्यक्ति शादी की वीडियो रिकॉर्डिंग में दिखाया गया वह सुल्तान फौजी है । पाकिस्तानी प्राइम मिनिस्टर में एक दम साफ तौर पर कहा ऍम फौजी नाम का कोई कश्मीरी आतंकवादी इन दिनों पाकिस्तान में है ही नहीं और जो व्यक्ति वीडियोकाॅॅॅन दिखाया गया है उसकी शक्ल सूरत इत्तेफाक से सुल्तान फौजी से मिलती है । इतना ही नहीं प्राइम मिनिस्टर में आगे कहा कि वह आदमी पूरी तरह पाकिस्तानी है और एक प्रसिद्ध उद्योगपति के साथ उस शादी भी शामिल होने आया था । मेरी सिंपल ऍम यानी वो लोग सुल्तान फौजी को किसी भी हालत में भारत को सौंपने के इच्छुक नहीं है, किसी भी हालत में नहीं हो । बहरहाल अब यही तुम्हारा मिशन है गंगाधर बहन तो नहीं हवाना सिगार का कष्ट लगाते हुए कहा तो तुमने इस बार इस्लामाबाद जाकर सबसे पहले सुल्तान फौजी को तलाश करना है और फिर उसे वहीं फांसी की सजा देने हैं कि भारत की स्पेशल कोर्ट ने उसे सुनाई थी तो पाँच हजार में दोस्त लोगों का खूनी है । करंट उसकी बहुत सबका होगी, दूसरा आतंकवादियों के लिए, पाकिस्तानी सरकार के लिए और अगर तुम सुल्तान फौजी को पाकिस्तान के भीतर घुसकर फांसी देने में कामयाब रहेगी, इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने में कामयाब रहे, पर आतंकवादियों के दिनों के बहुत में बहुत बैठ जाएगा । किसी भी सीधे पाकिस्तान के ऊपर समर दस तमाचा होगा । आतंकवादी समझ जाएंगे कि पाकिस्तान में इतनी सामर्थ्य भी नहीं है कि वो उन की जानू की हिफाजत कर सके । आज की तारीख में ये बडी सर्जिकल स्ट्राइक होगी । फॅस मिशन की सारी तैयारियां हो चुकी है तो हर फर्जी नाम से जाली पासपोर्ट भी बन चुका है और उस पर वीजा भी लग चुका है । ये लोग गंगाधर महंत ने फौरन अपनी जेब से चालीस पासपोर्ट निकाल कर कमांडर की दस बडा करन नहीं, पासपोर्ट खोलकर देखा तो पासपोर्ट एकदम कंपनी था । उसमें बी जे किसलिए बगैरह सब लगी हुई थी गुड लेकिन इस बार मुझे चलता की भूमिका अभिनीत करनी है । एक फांसी देने वाले चलना की भूमिका कुछ भी कर सकते हो लेकिन बस इतना याद रखो की ये मिशन बहुत बॉर्डर है । बताओ क्या? इस्लामाबाद पहुंचने के बाद उस मिशन में रजिया नाम की एक लडकी तो हरी काफी मदद करेंगे क्या क्या क्या गंगाधर महंत ने एक बार फिर प्रोजेक्टर रूम की तरफ हाथ से इशारा किया तो पैंतीस मिलीमीटर के पर्दे पर अब रजत की तस्वीर नजर आने लगी । रचिया मुश्किल से छब्बीस सत्ताईस साल किए थे वहाँ खूबसूरत लडकी इसका खत्म लम्बा था । पदक छह था ऋषभ से मुलायम सुनहरी बाल सतीशकुमार भारी नीतम चमकता चेहरा ही अब उस सबकुछ था जो किसी भी खूबसूरत लडकी में होना चाहिए । उस वक्त उस सलवार कमीज और मनोहर पहने थी कमांडर करन सक्सेना । पालक ऍम ऍर अजय हिंदुस्तानी लडकी है वो गंगाधर महंत ने बताया रजिया का बडा भाई कभी पाकिस्तान में जासूसी करने के लिए भेजा गया था । लेकिन एक दिन पहुंचाना उसका राज खुल गया और पाकिस्तान के इसी फौजी ने उसके इस्लामाबाद में ही गोली मारकर हत्या कर दी । आप और अपने बडे भाई की मौत से रजिया इस कदर आंदोलित हुई कि वो उस की मौत का बदला लेने के लिए खुद ही पाकिस्तान जा पहुंची और इतना ही नहीं पाकिस्तान जाकर उसने वहाँ के फौज के लेफ्टिनेंट कर्नल हैदर अली शादी कर ली और मुकम्मल तौर पर वहीं की शहरी बन गई । उसने अपने भाई के हाॅल नहीं दरअसल इसीलिए तो वहाँ अपनी शादी करने पर मजबूर हुई क्योंकि इस्लामाबाद पहुंचने के एक महीने बाद भी उसे अपने भाई के हत्यारे का कुछ पता नहीं लगा था कि वो कौन है, कहाँ है जब किसका वीजा खत्म हो रहा था । इसीलिए उसने पाकिस्तान में रहने के लिए ही वह कदम उठाया था और शादी कर ली । बहुत बडी कुर्बानी थी रजिया नहीं करण सक्सेना के नेतृत्व दरअसल रजिया अपने भाई से बेइंतहां प्यार करती थी । गंगाधर बहन ने अब पालक रजिया की तस्वीर को देखते हुए कहा आज उसे पाकिस्तान में रहते हुए पूरे छह महीने हो चुके हैं लेकिन वो आज भी पूरे जोश के साथ अपने भाई के हत्यारे को ढूंढने में लगी है । जिस दिन से अपने भाई का ज्यादा मिल गया तो उसी दिन उसकी हत्या करके वापस हिंदुस्तान लौटाएंगी । बहरहाल इस्लामाबाद पहुंचने के बाद तुमने सबसे पहले रजिया से मिलना है । रजिया क्योंकि पाकिस्तानी फौज के लेफ्टिनेंट कर्नल की पीढी बनी हुई है । इसीलिए वो सुल्तान फोर्स तक पहुंचने में तो भारी काफी मदद कर सकती है । बडी मदद कर सकती है कॅश इनके बारे में जाती है यस उसे इस बारे में इन्फॉर्मेशन दी जा चुकी है । गंगाधर महंत ने बताया और अब इस्लामाबाद तुम्हारा बडी बेसब्री से इंतजार कर रही है । ऍम जबकि गंगाधर महंत नहीं । हवाना सिगार का एक और प्रश्न लगाया था ऍम गंगाधर महंत राॅड एक कागज पर लिखकर रजिया का एड्रेस कमांडर की तरफ बढा दिया । करी तुम्हें इस्लामाबाद के लिए रवाना हो जाना है । चंद्रग्रहण बोले अब्बास अहमद के नाम से तुम्हारी फ्लाइट का टिकट बुक कराया जा चुका है । ये रह गई गंगाधर महंत टिकट भी कमांडर करण सक्सेना की तरफ पढा गया ऍम अच्छ मुझे उम्मीद है कि तुम बहुत चल सुल्तान फौजी को उसके अपराध की सजा देकर ऍम ऍम नहीं बाकी कुछ नहीं ऍफ तुरंत ही कुछ छोडकर खडा हो गया और उसके साथ साथ गंगाधर बहन तरह भी कुर्सी छोड दी थी । उस दिन कमांडर करन सक्सेना ने काफी देर तक उसके इसके सभी पहलुओं पर विचार किया । उसे एक अपराधी को सजा देनी थी । फांसी की सजा सच वो एक मजबूत मिशन था । ऐसा मिशन से जिंदगी में पहले कभी नहीं सौंपा गया था । कमांडर ये सोचते हैं इससे हर उठा की इस बार उसे एक जल्लाद भूमिका अदा करनी है । एक ऐसे जल्लाद की भूमिका जो हर हालत में मुजरिम को फांसी पर लगाकर ही छोडता है । वायॅलेशन था कर आबादी भी और खून से रखा हुआ है ।

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सुलतान फौजी - एक कश्मीरी आतंकवादी। उसने मुम्बई में एक बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया, जिसमें सैंकड़ों निर्दोष शहरी मारे गये। सुलतान फौजी पकड़ा गया। एक ऐतिहासिक फैसले में उसे 26 जनवरी के दिन फाँसी की सजा दी जानी थी, ताकि पूरी दुनिया देखती कि हम देशद्रोहियों के साथ क्या करते हैं। लेकिन उससे पहले ही सुलतान फौजी जेल तोड़कर पाकिस्तान भाग निकला। तब यह मिशन सौंपा गया कमांडर करण सक्सेना को। कमांडर- जिसने सुलतान फौजी को पाकिस्तान में ही घुसकर मारा। वहीं अपने हाथों से फाँसी की सजा दी उसे।
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