Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
सभ्यता की ओर: प्रथम परिच्छेद भाग 7 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

सभ्यता की ओर: प्रथम परिच्छेद भाग 7 in Hindi

Share Kukufm
351 Listens
AuthorNitin
सभ्यता की ओर Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त Voiceover Artist : Ramesh Mudgal
Read More
Transcript
View transcript

प्रथम परिच्छेद बहुत सात अगले दिन सुंदर क्लास रूम में नहीं आया । इससे मिस कॉल को चिंता लगी । क्लास छोडने पर कार्यालय में गई । वहाँ क्लर्क से उसने सुंदर के विषय में पूछा तो उसको पता चला पिछले दिनों बोर्डिंग हाउस से एक लडका भाग गया था । उसकी पुलिस थाने में रिपोर्ट भी लिखवा दी गई है । मैसेज बॉल में पूछा क्या नाम है उस लडके का नाम? पता नहीं सब कहते हैं । उस लडके को दूर कैलाश के मार्ग पर बस्तियों में से लाया गया था । ऍम स्मिथ का विचार है कि वह जंगली उन्हें अपने घर की ओर नोट गया होगा । पुलिस ने उसकी खोज में दो कांस्टेबल भेज दिए । विशेष बॉल को इस सूचना से पति दुख हुआ । उसका विवाह हुए पांच वर्ष हो चुके थे । वो उसके कोई संतान नहीं हुई थी । इस कारण उसको सुन्दर से पुत्र समाज सुने अनुभव होने लगा था । जब से उसे पीटा गया था वह अनुभव कर रही थी कि सुंदर अपने आप में अपमानित किया गया समझ रहा था । अब उसके लापता हो जाने से वह अपने जीवन में जो कुछ थोडा बहुत रस अनुभव करने लगी थी, विलुप्त हो गया था । एक छेन सी आशा थी कि यदि पुलिस वाले उसको मार्ग में मिल गए तो पकड लाएंगे । एक बात से वह डर रही थी कि सुंदर पुलिस वालों के साथ आने से इनकार करेगा । दो क्या होगा? चार दिन बाद थाने से सूचना मिली कि कांस्टेबल रोड आए हैं और लडका घर पर नहीं गया । लडके के फूफा सुमेर ने कहा है कि वह नहीं लौटा । उसके झोपडे की तलाशी ले ली गई थी । है वहाँ भी नहीं है । यह सूचना वासंती ने अपने पति को दी तो उसने घृणा की दृष्टि से पत्नी की ओर देखते हुए का तुम तो छोकरे के जाने से अपने को विधवा अनुभव करने लगी हो । शर्ट वासंती ने का मैं उस लडके के लिए यह झूठा आरोप नहीं सुन सकती । इसके उपरांत पति पत्नी प्रथक प्रथक कमरों में सोने लगे किन्तु सुंदर अपने घर जाने के लिए नहीं लौटा था । है । गिरजाघर से निकल लडकों की पंक्ति में बोर्डिंग हाउस में पहुंचा तो अवसर पर आते से निकल नगर की ओर चल पडा । मैं जानता था कि मैदान की ओर जाना चाहिए उधर बस जाती है परन्तु बस में जाने का बडा देना होता है भाडा उसके पास नहीं था । इतना जानते हुए भी मैं नगर में पहुंच बस के अड्डे पर जा पहुंचा । बहुत सी सवारियां चल रही थी । बोली उन का सामान उठाकर बस पर चला रहे थे । सुंदर के मन में भी आया । यहाँ मजदूरी कर कुछ रुपये बातें कर लेने चाहिए । इतने में एक भद्रपुरुष एक स्त्री और एक लडकी के साथ रिक्शा पर आया । एक अन्य रिक्शा में उसका सामान लगा था । दोनों रिक्शा बस के अड्डे पर आ खडी हुई । सुंदर ने लगभग कर आगे बढते हुए पूछा सामान उतारो साहब, ये ऍम सुनकर पुरुष इसमें से समंदर के मुख्य और देखता रह गया । उस स्त्री ने कहा तो उनसे नहीं उठाया जाएगा । मांझी उठान होगा इस पर पर उसने बोल लिया नए नए काम करने आए हूँ जी तो नौकरी कर लोग क्या काम करना होगा । साहब, घर की सफाई, बाजार से सामान खरीदना और कई अन्य किसी प्रकार के कार्य करने होंगे । कर लूंगा हमारे साथ मुंबई चलना होगा । चल चल होगा । उसने अपने जिसमें को प्रकट नहीं करते हुए का कितने रुपये लोगे जो आप उचित समझे दे दीजिएगा तुम्हारे माँ बाप का । मैं अनाथ हो । साहब कहाँ रहते हो? ऍम में रहता था । आज वहां से चला आया हूँ तो वे तुमको ढूंढ रहे होंगे क्यों ढूंढेंगे? मैंने उनका कुछ सुनाया नहीं है । यह कपडे उनके है परंतु जमा आया था तो मेरे पास भी अपने कपडे थे जो उन्होंने उतार लिए थे । अब तक एक अन्य कुली ने उन का सामान उतार लिया था और उसे बस पर चढा रहे थे । सॉरी ने उसको कुछ डाटने के स्वर में कहा सामान को तो देखो इससे सुंदर को खेत सा हुआ नहीं तो सामान्य उठाने को मिला और जो नौकरी की बात चल रही थी वह भी पूरी नहीं हो सकी । उस पर उसने पुलिस होगा एक गोली सामान गिनकर रखना इतना है उसने पुनर सुंदर की ओर देखा जो किसी अन्य का सामान उठाने के विषय में विचार कर रहा था । इसी समय उस पुरुष ने आवाज दी वो लडके इधर आओ क्या नाम है तुम्हारा सुंदर सब थी तुम सुन्दर हो चलो तुमको नौकर रख लिया । देखो चोरी नहीं करोगे तो तुम को बहुत ही नाम मिलेगा । इतना है उसने अपनी लडकी जो स्त्री के पास खडी थी से कहा भावना देखो यह है सुंदर है । इसको लो कर रख लिया गया है अपना बैक इसको पकडवा दो लडकी ने सुन्दर को देखा परन्तु बैग नहीं दिया और उस बस के टिकट खरीदने के लिए चला गया । उसके स्ट्रेंज सुन्दर से पूछा क्या नाम है तुम्हारा? सुंदर इस समय अपने मन में बम्बई नगर के उस चित्र पर मनन कर रहा था जो उसने अपने मित्रों के मुख से सुन रखा था । वह इतना तल्लीन था कि उसे उस स्त्री का प्रश्न सुनाई ही नहीं दिया । उसका उत्तर उसकी लडकी ने देते हुए बताया माँ! यह सुंदर है और आपने जिसमें में लडके के मुख की ओर देख कर कहा सुंदर हाँ है । तो सुंदर ही साढे तीन टिकट खरीद लिए गए । भावना अभी दस वर्ष से छोटी थी । उसका आधा टिकट लिया गया । वे लोग अल्मोडा से काठगोदाम और वहाँ से बरेली तदंतर दिल्ली और वहाँ से मुंबई जा पहुंचे । यदि थाने में रिपोर्ट लिखाने वाला पुलिस को यह मैं बताता हूँ कि भागा हुआ लडका अपने गांव कैलाश के मार्ग पर गया होगा तो पुलिस बस अड्डे के आसपास खोज करती संभव गया । वह काठगोदाम फोन भी करती है । इससे सुंदर पकड लिया जाता । परंतु पुलिस ने रिपोर्ट के आधार पर दो सिपाहियों को कैलाश के मार्ग पर भेज दिया । किसी में उन्होंने करते हुए का पालन पूर्ण समझ संतोष की सांस ली और सुंदर बिना किसी विघ्न वादा के मुंबई पहुंच गया । उस पुरुष का नाम यादव देव विक्रम जी था । वह है मुंबई में एक कपडा मिल का मालिक था । अल्मोडा में भ्रमण के लिए आया हुआ था और दो सप्ताह वहाँ रहकर अब मुंबई वापस जा रहा था । साथ में उसकी पत्नी राधा और पुत्री भावना भावना का कोई भाई नहीं था । यादव देव ने सुन्दर को देखा तो उसको वह बहुत ही भोला वाला था । मेरा अभी प्रतीत हो मार्ग में ही उसने सुंदर का पूर्ण परिचय प्राप्त कर लिया था । सुंदर ने बोर्डिंग हाउस में आपने पीटे जाने तथा लडकियों के व्यवहार का व्रतांत नहीं बताया था । उसको अपने अपमान और लडकियों की निर्लज्जता की बात बताने में संकोच हुआ था । उसमें केवल है । बताया कि बोर्डिंग हाउस की मैटल बहुत ही क्रूर स्वभाव की इस तरह है । उसके व्यवहार से तंग आकर ये उसने व्यवस्थान छोडा । यादव देव ने उससे पूछा कितना पढे हो घर पर तो कोई पढना लिखना जानता नहीं था । मेरे फूफा सुमेर सेना में भर्ती हो हिंदी उर्दू सीकर आए थे । मैंने जब उनसे कहा मुझे यह सिखा दो तो कहने लगे कि उस झोपडी में रहने वाले को इस पर मगर बच्ची करने की जरूरत नहीं । अनाथालय में मिसेज बॉल स्कूल तथा घर पर पढाया करती थी । वे कहती थी के दो वर्ष में मुझे पांचवी श्रेणी जितना पढ जाना चाहिए । छह मास में उन्होंने मुझको बंगले जी की प्राइम बर और आधी प्रथम पुस्तक बढा दी थी । गणित में गिनती और पहाडे जोड रेड तक सीख गया हूँ । इस समय गोला और भाग का अभ्यास कर रहा था । हिंदी सीखे हो वाह क्या होती है वहाँ हमारे देश की भाषा है । हमारा देश कौनसा है? भारत यादव देव को इससे जिसमें हुआ फिर है विचार की वह सरोथा वीरान स्थान से आया है । चुप रहा परंतु इसपर सुंदर के ऑपरेशन से तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा । सुंदर में पूछा सुभाष बाबू कहाँ है? यादव देव कई मिनट तक सुंदर के मुख पर देखता हूँ । फिर कुछ विचार कर पूछने लगा तो क्या जानते हो सुभाष बागों के विषय में मेरा फूफा भारत की स्वतंत्र सेना में रहा है । वह सरकार का कैदी हो गया था । पीछे पंडित जवाहर लाल जी के आंदोलन से है और उसके साथ ही छूट गए थे तो तब तो तुम बिल्कुल ये सब नहीं हो, यह सब देता और सभ्यता की विवेचना सुंदर की समझ में नहीं आ रही थी । इससे मैं आश्चर्य अगर अपने मालिक का मुख्य देखता रहा हूँ नहीं

Details

Sound Engineer

सभ्यता की ओर Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त Voiceover Artist : Ramesh Mudgal
share-icon

00:00
00:00