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सभ्यता की ओर: प्रथम परिच्छेद भाग 2 in Hindi

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AuthorNitin
सभ्यता की ओर Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त Voiceover Artist : Ramesh Mudgal
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फॅमिली परिच्छेद भाग दो । सुमेर जिस समय सेना में भर्ती होकर रानीखेत के लिए गया था, सुन्दर उस समय पांच वर्ष की आयु का था । पांच वर्ष के पश्चात जब बहन रोटा तब तक सुंदर दस वर्ष का हो चुका था । उसकी फूफी भेड बकरियों का काम करती थी । प्रत्युत अपने सब के खाने के लिए मक्का चावल आदि भी उत्पन्न कर लेती थी । बूढा भी कुछ करता रहता था । सुंदर तो फूफी का सहायक पुत्र और सब कुछ था सुंदर को भी । जब वहाँ का वात्सल्य फूफी से प्राप्त हुआ तो वह प्रसन्न हो गया । जब सुमेर लोटा तो बोडा मारना सब पडा था । वहाँ बीस बीस को उस तक कोई डॉक्टर हकीम वैद्य नहीं था । केवल एक पादरी वर्ष में दो बार आया करता था और भगवान के पुत्र येसु मसीह की सुरक्षा प्रदान कर जाता था । वोडा इस अवस्था में जबर्दस्त हुआ तो सुंदर की फूफी ने उसी बादरी की दी हुई तो नींद की गोलियाँ अपने पिता को खिला दी । सोमेर के लौटने पर उसकी पत्नी और सुंदर को बहुत प्रसन्नता हूँ परन्तु घर में मृत्यु के लक्षणों से उनके मुख्य चिंता नहीं मिल सकी । को नींद देने से बोर्ड व्यवस्था सुधरने की अपेक्षा बिगडी हुई थी । सुमेर कुटिया में पहुंच बाबा को पुकारने लगा परंतु वह जीत पडा था । अब तो मैं एक आध गाडी का ही मेहमान रह गया था । धैर्य से मृत्यु की प्रतीक्षा करने के अतिरिक्त कोई चारा नहीं रह गया था । तीन दिन तक अच्छे रहकर रद्द ने प्राण छोडे तो मेरे ने अपनी पत्नी की राय से वहीं अपने ससूर के घर में रह जाने का निश्चय किया । वहाँ बकरियां थी दे दे दी और कुछ भूमि थी, हाथ ही सुंदर जैसा कुमार पुत्र के समान था । परन्तु सुन्दर जब सोमेर से युद्ध की ओर फिर भारत में हो रहे आंदोलनों की बातें सुनता था तो उसको यह फुटिया थे और भेड बकरियां नीरस प्रतीत होने लगती थी । वह मन में वहाँ से भाग उस विशाल संसार में जाकर वितरण करने का विचार करता था । एक दिन सोमेर में सुनाया एक सुभाष बाबू हमारी पूरी की पूरी रेजिमेंट जापान की कैदी हो गई थी । वे आए और कहने लगे भाइयों हिंदुस्तान को स्वतंत्र कराना है । बताओ कौन सी भाई इस काम के लिए मेरे साथ आता है? हम सब ने राय की और भारत की स्वतंत्र सेना में भर्ती हो गए । इंफाल में एक लडाई लडी और भारत की सरकारी सेना को मार मार कर भगा दिया । फिर कुछ नहीं हुआ । जापान में हमारी सहायता नहीं की । हम वापस रोड आए । एक दिन हम अंग्रेजी सरकार के कैदी हो गए । जापान और जर्मनी दोनों हार गए । हम को कैद कर भारत में लाया गया । अंग्रेजी सरकार ने हम सब को गोली से उडा देने का आदेश दे दिया । परंतु पंडित जवाहरलाल नेहरू और देश के अन्य लोगों ने आंदोलन किया और हम छूट गए । आंदोलन किया । वाह! क्या होता है फूफा, वह एक तरह का दांव तेज होता है । पंडित जवाहर लाल ने दांव चलाया और हम छूट गए । दस वर्ष का बालक सभ्यता नाम की वस्तु से कोसों दूर । केवल भले बुरे गा नैसर्गिक क्या रखता हुआ सब समाज की इन बातों को सुनकर चकित रह गया । मैं कभी मन में विचार करता था कि यदि फिर कोई हिटलर जैसा बदमास पैदा हो, भले लोगों को तंग करे । भले लोग फिर युद्ध के लिए सेना में भर्ती हो तो अवश्य युद्ध में जाएगा और ऐसे सुंदर सुंदर स्थान देखेगा जैसे उसके फूफा ने देखे हैं । मैं सोरिया के ऐसे कार्य करेगा जैसे सेनानायक सुभाष बाबू ने की है । नहीं जाने वह कब तक युद्ध होने और उसके लिए श्रम सेना में भर्ती होने की प्रतीक्षा करता रहा । बहन तू उससे पहले ही उसको उस संसार में जाने का अवसर मिल गया । एक दिन कैलाश को जाने वाले मार्ग से कुछ लोग घाटी में उतरते दिखाई दिए । ये सब एक बाजा बजाते हैं और गाते हुए आ रहे थे । रेगी उसकी अपनी पहाडी भाषा में ही गाये जा रहे थे । उनके बाजे और गाने की आवाज सुन सुंदर जो उस समय खेत कोन िराने में सर लागू था, खडा हो उनकी ओर देखने लगा । ले आए तो उसके खेत के किनारे बैठ गए और गाने लगे ये जो गा रहे थे उसका अर्थ कुछ इस प्रकार रघु यीशु वैसी है निर्धन । तो क्या बीमार और अज्ञान के अंधकार में फंसे लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए संसार में आए थे । आओ समय लगाओ, जीवन छोटा है, पीछे पछताना बढेगा । सुंदर की फूफी ने खेत से बुटे तोडकर वहीं पर आग जला उनको भूनना और उन सब को खाने के लिए दिए जब सुंदर की फूफी भुट्टे भूम रही थी । उस समय उस भजन मंडली का नेता सुन्दर से बातें कर रहा था तो उन्होंने कहा तुम्हारा बाजार बहुत मीठा लगता है । हाँ उसमें गी तो उससे भी मिला है । यही येशू कौन है? यह परमात्मा का पुत्र था है । इस दुनिया में सब के दो खरण के लिए आया था जो उस की शरण में जाता है । मैं उसको धन देता है, वस्तु देता है, मकान देता है और फिर अंत में स्वर्ग का द्वार उसके लिए खोल देता है । बहुत अच्छा आदमी है । हाँ, उसकी चरण में आओ तो सब कुछ मिलेगा । मिठाई भी मिलेगी था । जो चाहूँ मैं उस की शरण में आना चाहता हूँ तो ऐसा करो । रात को ऊपर उस बडे मार्ग पर पहुंचकर दाहिने हाथ को चल पडना । चौथाई को सलने पर हमारा कैंप मिलेगा वहाँ कल प्रातःकाल तक आ जाना । बस वहाँ अगर तुम भगवान के आश्रय में आ जाओगे । तत्पश्चात तुम्हारी देखभाल करना होगा । कम होगा । सुंदर के मन में बात बैठ गई । रात्रि में वहाँ उठा और जानने के प्रकाश में चलता हुआ प्रभु यीशु मसीह के गले में एक भेड बंद सम्मिलित हो गया । यहाँ उसके पहुंचते ही एक विशेष साथी के द्वारा उसको अल्मोडा भेज दिया गया । अगले दिन मेरे और उसकी पत्नी ने जब सुंदर को लापता पाया तो वे भागते हुए उन मिस नदियों के कैंप में गई परंतु उनके वहां पहुंचने से पूर्व ही ऍम कैलाश की ओर जा चुका था । निराश दोनों वापस अपनी कुटिया में चले गए । उस दिन की पैदल यात्रा करके सुंदर और उसका साथी अल्मोडा पहुंचे । सुंदर को स्नान कराया गया । उसके बाल बनवाए गए और साफ सुथरे कपडे पहनने को दे दिए गए । तत्पश्चात उसको पडने के लिए सेंट जो सब स्कूल में भर्ती करा दिया गया, ऍम स्कूल की पहली श्रेणी में पडने लगा । उसके क्लास में अधिकांश बच्चे चार चार पांच पांच वर्ष के थे । सुंदर को भूले करते देख वे उसकी खिल्ली उडाया करते थे । इससे सुंदर को लग जाती लगती थी और रोज भी आता था । बढाने वाली एक स्त्री थी । उसका नाम था वासंती है । श्री युद्ध पाल की धर्मपत्नी दी और गिरजाघर में और गन बजाने का कार्य करता था और स्कूल में बच्चों को गाना भी गाता था । पाल की पत्नी सुंदर को बहुत प्यार करती थी । पहले ही दिन जब सुंदर स्कूल में आया तो मिसेज बॉल उसको देखकर अति प्रभावित हुई थी । जांच करने पर उसको विधित हुआ कि प्रचार कार्य करने के लिए उत्तर की ओर गए बदली इस लडके को लाये हैं । जब सुंदर को उस की श्रेणी में बढती कराया गया तो वह बहुत प्रसन्न हुई । परन्तु ये है देखकर की वह अक्सर तक नहीं पहचानता । उसने उसको अपने घर पर बुलाकर विशेष शिक्षा देनी आरंभ कर दी । सुंदर आयु में ग्यारह वर्ष का मेधावी बालक था और द्रुतगति से उन्नति करने लगा था । परन्तु जब तक वह अपनी आयु के बच्चों जितना पढ नहीं गया उसकी खिल्ली उडाई ही जाती रही । कुछ नाथ

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