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पीती है । परिचित भाग से भावना आज गोल नहीं गई थी उसकी माँ इस पर उसे उसने आई की उसका स्वास्थ्य तो ठीक है । वो भावना को इस घटना से ऐसा प्रतीत हुआ कि उसकी माँ का बहुत दिनों से को बुलाया हुआ मुख आज खेल होता है । वहाँ के पूछने पर भावना ने केवल इतना ही कहा माँ मैं ठीक हूँ तो स्कूल क्यों नहीं गई? छुट्टी करने के लिए मन किया है मध्यान का भोजन करने सेठ जी घर आए तो भावना ने एकांत में पिताजी से पूछ लिया कुछ पता चला है पिताजी हाँ बेटी वह सडकों पर बे मतलब घूम रहा था । पुलिस ने उसे संदेह पकड लिया । आने से उस के विषय में पूछताछ के लिए फोन आया तो मैंने मोहनदास को भेजकर छोडा दिया और उसके शेष वेतन का रुपया जो उसने लिया नहीं था उसके पास भेज दिया है । एक मिल के कर्मचारी को उसके पीछे लगा दिया है है । उससे स्वतंत्रता से मित्रता उत्पन्न करेगा और फिर उसका प्रदर्शन करेगा । मैं उसे अपने एक एजेंट नानूभाई सेवा माल की दुकान पर लो कर करा दूर तत्पश्चात हम देख लेंगे । तब तक तुम को खूब दिल लगाकर पढना चाहिए । रात के समय सेट साहब खाना खाने आए तो रतन लाल और उसकी पत्नी सुमित्रा भी आगे मणीलाल तो पहले ही बैठा था । छेड जी ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया और खाना परोसा जाने लगा । रतन लाल से चुप नहीं रहा गया, भोजन करते हो । उस ने कह दिया दाचा जी अपने और पराए में अंतर पता चला कि नहीं चल गया हैं । पहाडियां मीट किसके बहुत खाया और किसके सेठ जी ने मुस्कुराकर कहा रतन लाल सरकारी अफसरों में सब बता क्यों? वो साथ दी है? किस में ऐसा बेहता आ गई है तो मैं तुमने लोगों को यह बताया कि सुंदर चोरी करके भाग गया है, कौन सी वस्तु चुरा कर ले गया है । वह है वो तो अभी भी उसका जादू सिर पर सवार हैं और मैं तुमको कह देता हूँ कि एक सप्ताह के अंदर आपने रहने का कहीं प्रबंध कर लो अन्यथा इस घर का द्वार तुम्हारे और तुम्हारी बहू के लिए बंद होने वाला है । सत्य था तुम जैसे अभिमानी जो छोटे और मुर्गी के लिए नया तो यहाँ रहने को स्थान है और नए ही इस मेज पर खाने को बंद ऍम रतन लाल ने खाना छोड दिया और कहा आज ही से बंद क्यों नहीं कर देते हैं । इसलिए मैं तुम जैसा है सब नहीं हूँ । चाचा जी मैंने भावनाओं को गंदी नाली में गिरने से बचाया है । यही अपराध है ना मेरा यह तो भविष्य बताएगा मेरा तुमसे झगडा इस कारण नहीं । तुमने कल झूठे अभिमान का प्रदर्शन किया था । आज तुमने सत्य भाषण क्या है और अब तुम सुंदर के चले जाने पर अपनी बहादुरी प्रकट कर मुर्खता प्रकट कर रहे हो । इसका भावना से उसका विवाह होने अथवा नहीं होने का किसी प्रकार का भी संबंध नहीं है । तो हमारे गुण तो एक तक वस्तु मेरे गुड होगा । ज्ञान आपको कुछ दिन पश्चात होगा, तब तुम से छमा भाग होगा और तुम्हारे साथ वर्तमान व्यवहार के लिए दंड भर लूंगा । रतनलाल और सुमित्रा दोनों डाइनिंग हॉल से निकल गए । मणीलाल भी खाना छोड चाचा भतीजे की बातें सुन रहा था । जब रतन लाल गया तो वह भी अपने स्थान से उठकर खडा हो गया । सेठ जी ने उसे खाना छोड ते देखा तो कह दिया बर्फ हजार तुम भी जाना चाहते हो तो चले जाओ अपनी बहन से पूछ लेना कि वह तुम्हारा बम्बई में कहीं प्रबंध कर सकती है अथवा नहीं । इस पर सेठानी ने मणीलाल को डांट दिया । उसने कहा मनि बैठो, खाना खाओ । मणीलाल समझ गया और बैठ गया । अगले दिन माधव पूना से लोट आया और सेठ जी के सामने हाथ जोड क्षमा मांगते हुए कहने लगा सेठ जी मैं मुझे धोखा दे गया है । कह नहीं सकता कि उसने क्या समझा । मेरा विचार है कि मुझे प्रथक होने के लिए मैं किसी रास्ते के स्टेशन पर उतर गया है । हाँ हुजूर! जब मोहनदास उसको बता रहा था तो मैं समझ गया कि मुझे किसके साथ रहना है । जब उसने विक्टोरिया टर्मिनस स्टेशन तक जाने के लिए गोडा गाडी की तो मैंने भी कर ली । सेरजी लडका बहुत ही समझदार है । उसमें टिकट लेने के लिए रुपये टिकट घर के सामने नहीं निकले । स्टेशन पर बहुत मैं पेशाबघर में चला गया । लगभग पांच मिनट के पश्चात है । वहाँ से निकला । उसने पूना का थर्ड क्लास का टिकट लिया तो मैंने भी वही का टिकट ले लिया । मैं उसके पीछे बीचे उसी डिब्बे में जा बैठा जिसमें वह बैठा था । गाडी में बैठ जाने के पश्चात उसने मेरी और भूलकर देखा । मैंने बीडी निकली और सुलगाने के लिए उससे माचिस मांगने लगा । मैं सिगरेट बीडी नहीं देता था । इस कारण बोला माँ चीज नहीं है । मैं गाडी से उतरकर उससे बोला मेरे स्थान का ध्यान रखना । मैं मान चीज लेकर आता हूँ । मैं माफी लेकर वहीं बैठा । बीडी पीते हुए उससे बात आरंभ करने के लिए पूछने लगा । बाबू होना जा रहे हो । उसने संक्षेप में कहा, आप क्या वहीं रहते हैं? मैंने उससे बिलकुल अनभिज्ञता प्रकट करते हुए पूछा । उसने जिसमें से मेरे मुख पर देखा और फिर मुस्कुराकर बोला नहीं, वहाँ किसी काम के लिए जा रहा हूँ । मैंने हस्कर कहा परंतु लोग तो कम दोडने बम्बई आते हैं । बम्बई की जलवायु मेरे अनुकूल नहीं बैठी, चाहे कम पीते होंगे जायेंगे । बिना तो यहाँ कोई जी नहीं सकता । मैं चाहे नहीं । अभी तक उसने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया सिगरेट नहीं पीते, चाय नहीं पीते । शराब तो आजकल बिकती ही नहीं तो फिर जीते कैसे हो? तभी तो जलवायु अनुकूल नहीं बैठी है हूँ । वो ना मुंबई से अच्छा नगर है, वहाँ पे ठीक रहेगा । मैं पूना का ही रहने वाला हूँ । आप कहाँ ठहरने वाले हैं । वहाँ जाकर इस पर्व खिलखिलाकर हंस पडा और बोला मैं तो प्रदेश हूँ, कह नहीं सकता कि कहाँ ठहरूंगा मुझको इसकी चिंता भी नहीं है । सडक के किनारे सो लूंगा । जब कोई स्थान मिल जाएगा तो रहने का स्थान भी ढूँढ लूंगा । मैंने उससे कहा बाबू पटरियों पर सोना तो कुलियों के लिए ठीक हो सकता है परन्तु आप सफेद पोस्ट के लिए तो ये ठीक नहीं है । कोई सफेद पोस्ट पटरी पर सोया मिल जाए तो पुलिस समझती है कि कोई जेब खतरा है ऐसा मत करना बाबू फिर मैंने कुछ काल तक उसका मुख देखकर कहा मेरे साथ चलिए जब नौकरी लग जाएगी तो रहने के लिए भाडा दे देना जिससे आपको बहुत कष्ट होगा नहीं कस्ट की कोई बात नहीं । मेरे पास एक मकान बाद दादाओं का बनाया है । उसमें एक कोटरी आपको दे दूंगा और देखो वह मैं आपके काम धंदे के लिए भी मदद कर सकता हूँ । हमारी सेट है उनकी कपडे की बहुत बडी दुकान है । उनसे कहूंगा तो निश्चय ही वे कुछ न कुछ आप के लायक काम निकाल लेंगे । इससे वह गंभीर विचार में पड गया और उसने मेरी बात का कुछ उत्तर नहीं दिया । गाडी चल पडी थी और खटाखट भागने लगी थी । वह सीट के साथ फीट लगाकर आंखे मूंद बैठ गया । मेरा विचार था कि वह हो गया है । मैं भी यह समझ कि परिसर घनिष्ठ हो गया है । शेष होना चलकर हो जाएगा । आराम करने लगा मुझको इसमें जबकि आ गयी । पंखे चल रहे थे । ठंडी हवा लगी तो नींद आ गई । मेरी नींद शिवपुरी रोड स्टेशन पर गाडी खडी होने पर खुली और जब मैंने आग खोलकर देखा तो वह लडका अपनी सीट पर नहीं था । मैंने पहले सारा डिब्बा देखा और उसके पश्चात सारी गाडी का एक एक डिब्बा छान मारा किंतु उसका कहीं पता नहीं चला हूँ । मार्ग में गाडी कहीं खडी नहीं होती थी । वो किस प्रकार उतरा और कहाँ गया इसका कुछ पता नहीं चल सका । मैं बोलना तक उसी गाडी में गया । सब उतरने वाले यात्रियों को एक बार उन्हें देखा किन्तु उसका पता नहीं चला । मैं निराश लौट आया हूँ । मुझे जी ने कहा तो महामूर्ख हूँ । कार्ड से पूछना था गाडी कहीं बेकायदा तो नहीं रुकी थी । जिस स्टेशन पर घडी हुई थी वहीं जाकर पता करना चाहिए था । माधव राव ने अपनी बोल पर लज्जित हो आज जोडे खडा था छेड जी ने कुछ विचार कर कहा जाओ आज फिर पूना चले जाओ और उसको डोड्डे का यत्न करूँ रह उन्हें किसी दूसरी गाडी से पूना चला गया होगा । वहाँ दो तीन दिन ढूंढने का या तरुण करूँ । देखो अब उसके बाद रुपये हैं । वह पटरी पर नहीं सोएगा । तुमने उसको डरा दिया है । है । किसी धर्मशाला अथवा किसी होटल में ठहरेगा और दुकान दुकान पर काम जोडता गिरेगा । इस प्रकार माधव को गुना बोला देश सेठ अपने काम में लग गया । रात को जब सेट भावना को माधव की घटना सुनाई तो उसका मुख्य उतर गया । उस रात सेट यादव देवी की अपनी पत्नी से खुलकर बातचीत हुई । सोने से पूर्व भावना की माँ ने कह दिया, भावना के सामने सुंदर की बात बार बार करके उसके मन को दुखी करने से क्या लाभ है? मैं अच्छा था अथवा पूरा अब इस बात से कुछ मिलने वाला नहीं है । इस को भूल जाने दीजिए अन्यथा अध्याय है कि कहीं जीवन भर के लिए मैं इसके मोहजाल में फंसी ना रह जाए । मैंने कल उसको कहा था कि उसकी सोचना देता होगा । मेरा विचार है कि उसको ढोल निकालना अधिक कठिन । इस पर भी उसके विचार से भावना बढ्ने । लिखने में मन लगा सकेगी तो लाभ ही होगा । पर मैं चाहती हूँ कि हमको अब उसकी सगाई कर देनी चाहिए और अगले वर्ष उसका विवाह हो जाना चाहिए । रहे । अभी बहुत छोटी है । तीस वर्ष की आयु जयपुर उसका विवाह नहीं होना चाहिए । यदि सुंदर यह होता है तब तो शीघ्र ही उसका विवाह हो जाता हूँ या तुम को किसने कहा? देखो रादा भावना का विवाह मणीलाल से अथवा रतन लाल के साले से नहीं होगा । मैं यह नहीं कह रही हूँ । मैं तो यह विचार कर रही हूँ कि हमें अपनी संपत्ति का उत्तराधिकारी ढूंढना है । यदि मरने से पहले भावना के घर कोई लडका हो जाए तो हमारी यह समस्या सुलझ जाएगी है तो मैं सुलझा चुका हूँ । मैं अपनी मिल अपने जीवनकाल में देश दूंगा और सब धन का एक ट्रस्ट बनाया होगा । किस बात का ट्रस्ट बनाएंगे यह विचार कर रहा हूँ । मैं किसी ऐसे काम के लिए दस बनाना नहीं चाहता हूँ जिस पर सरकार का किसी भी प्रकार का अधिकार हो सके । आप अपने गांव में एक सुंदर लक्ष्मी नारायण का मंदिर बनवा दी छेड, हस पडा । वहाँ बोला आज की सरकार तो मंदिरों में भी हस्तछेप करने लगी है । उनके ट्रस्ट भंग कर उनके लिए कानून बनाने लगी है । यह तो घोर अन्याय हो रहा है । तो देवी जी यह कल योग हैं । श्रीभागवत में तो मैं पहले ही ली गई है कि कलयुग के राजा व्यापार करने लगेंगे तो वह होने लगा है । व्यापार के लोग भी । राजा जहाँ कहीं भी धन दिखाई देता है उसे अपने आधीन करने का यत्न करते हैं । मंदिरों में भक्तजनों का श्रद्धाभक्ति से लगाया धन पुजारी जहाँ अपने सुख भोग के लिए प्रयोग करने लगे हैं वहाँ सरकार राज्य कर्मचारियों के उधर करने लगी है तो क्या करेंगे । बताया तो है कि अभी कुछ समझ में नहीं आ रहा हूँ । यह धन मैंने अपने परिश्रम से कम आया है । दिन में पंद्रह सोलह घंटे काम मितव्ययता से जीवन यापन कर और बुद्धि का प्रयोग कर पांच सौ रुपये की पूंजी से यह कपडा मिल बनाई है । अब देशभर में अपने कपडे की दुकान खोल ली है । रुपया आने लगा तो सरकार ने टैक्स बढा दिया । जहर देकर भी मैंने उन्नति की है । इस पर सरकार ने मजदूरों के विषय में ऐसे कानून बना दिए जो मिल के प्रबंधकों को व्यर्थ के झगडे में डालने वाले हैं । इनको भी मानता हूँ । भगवान की कृपा है कि इस पर भी मेरी आये दिन प्रतिदिन बढ रही है । मेरी मिल में कर्मचारियों को सब कारखानों से अधिक वेतन मिलता है । इस पर भी कर्मचारी हडताल करते हैं, वियर्स के झगडे करते हैं और जहाँ इनके पक्ष में कोई उल्टी सीधी नियुक्ति मिल जाए तो अधिकारी हमारे सिर पर कूदने लगते हैं । इस पर भी मुझको लाभ ही रहता है । अब राज्य समाजवाद का बहाना बनाकर कारखानों का मालिक स्वयं बनना चाहता है । इसी कारण मैं कोई ऐसा उपाय विचार कर रहा हूँ जिससे राज्य के सब नियमों का पालन करते हुए जो कुछ भी मेरे पास बच जाता है उसका मैं अपनी इच्छा से प्रयोग कर सकूँ । यह सब बेकार है । जी हमारे मरने तक कुछ बचेगा अथवा नहीं । कोन कह सकते हैं आप एक बात कीजिए आपने धन को दान दक्षिणा में दे दीजिए, कुछ मुझको दे दीजिए कुछ भावना को इसी प्रकार कुछ मणीलाल के नाम और कुछ रतन लाल के नाम कर दीजिए । इससे से आवेश में आप पहले लगा इन संबंधियों को देना तो सरकार के हाथ में देने से भी अधिक पाप होगा । सरकार को मैं क्यों नहीं देना चाहता तो तुम को बताया है । मेरा धन सरकार मेरी इच्छानुसार नया नहीं करेंगे परंतु क्या ये रतन लाल इत्यादि मेरी इच्छानुसार ही व्यय करेंगे? सरकार तो फिर भी किसी के लाभ नहीं क्या करेगी? परन्तु ये तो वेश्यागमन हुआ तथा शराब पार्टियों में इस सबको स्वागत देंगे । नहीं मैं इन को अपना कमाया वादन कभी नहीं दूंगा ।
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