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हूँ । डीटीए परिच्छेद बहुत दो सेट । उनकी लडकी भावना और सुंदरलाल ही डाइनिंग हॉल में रह गए थे । सुंदर की आंखों में आंसू बह रहे थे । रहै समझ रहा था कि यह सब उसके कारण ही हुआ है । इस बात के समझने में कठिनाई नहीं थी कि उसके बीस घर में स्थान के विषय में मतभेद हो गया है । अपने मन में विचार करता था कि जिस परिवार ने उसके साथ इतना कुछ किया है, उसे एक पशु से मनुष्य बनने का अवसर दिया है । उसमें ही वैमनस्य का कारण बने । यह है उचित नहीं । इस समय उसको अल्मोडा के सेंट जोसेफ स्कूल की अध्यापिका मिसेज बॉल का वात्सल्य स्माॅल वहाँ पर हुए अपमान से बचने के लिए जब बाहर गया था तो उसे मिसिज बॉल से पृथक होने का भारी दुख था । यहाँ सेट यादव देव के घर पर तो उसको नए केवल वात्सल्य आता मिली थी । प्रत्युत मान और विश्वास भी मिला था । यहाँ से जाने पर तो उसको न केवल दुखी होगा, प्रद्युत वेस्टेड जी के भी दुख का कारण बन जाएगा । इस पर भी अपमान सहन करने की सामर्थ्य उसमें नहीं थी । अच्छे भावना और सुंदरलाल के सामने खाना परोसा गया । स्टेट ने एक ग्रास था अगर छोड दिया भावना और संदर्भ में तो छुआ भी नहीं । तीनों खाने से उठे और चुप जब अपने अपने कमरों में चले गए । सुंदर को पिछले कई मासके खिंचाव का कारण और उसका परिणाम स्पष्ट हो गया । मैं अपने मन में निश्चय कर बैठा था कि अब है इस घर को छोड देगा । मैं इस समय विचार कर रहा था आप की किस प्रकार छोडा जाएगा अब पढने से और पूर्वापेक्षा अधिक अनुभव होने से उसको निश्चय करने में उतनी देर नहीं लगी जितनी अल्मोडा के आना था । ले को छोडने में लगी थी । उसने निश्चय किया कि वह एक सिटी सेठ जी को लेकर छोड दें । इस विचार के आते ही कागज कलम लेकर पत्र लिखने बैठ गया । उसने सेठ जी के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हुए लिख दिया मैं आपके परिवार में राॅक का कारण बंद कर प्रतिघन बनना नहीं चाहता हूँ । मैं जा रहा हूँ मैं यहाँ पर देश रो सामान आया था और वैसे ही जावे रहा हूँ । इस पर भी आप के घर में रहकर जो कुछ मिला और जो मेरे मन और शरीर का भाग बन गया है उसे मैं अपने से पृथक नहीं कर सकता । मेरे शरीर में वृद्धि हुई है मेरे मन का विकास हुआ है । ये मेरे साथ आपकी कृपा और चाहिए ताकि समृति बढ मरण पर्यन्त रहेंगे । माता जी ने आज उसको पचास रुपए दिए थे । वे व्यय नहीं हुए । उन्हें मैं मेज की दराज में रखे जा रहा हूँ । भावना बहन ने मुझे एक कलम दी थी । वह मैं साथ ले जा रहा हूँ । बहन का उपहार वापस करने का साहस मुझें नहीं है । माताजी तथा भावना बहन को मेरा नमस्कार कह दीजिए । मेरे दोस्त को छमा कर बुला दीजिएगा आपका पुत्र तुल्य । वह अभी हस्ताक्षर करने ही लगा था कि पीछे से किसी ने उसका हाथ पकड लिया । उसने घूम कर देखा । भावना खडी थी । उसने विश्व में से उसके मुख पर देखा तो भावना में डबडबाई आंखों से कहा मैं तुमको यहाँ से कभी नहीं जाने दो क्यों बस मैं नहीं चाहती हैं परन्तु क्यों? क्या तुमको मेरा होता देख कुछ अच्छा लगता है । मैं उस तापमान को मान में बदलने का विचार रखती हूँ । कैसे तुम से अपने विवाह की घोषणा कराकर विवाह नहीं या नहीं होगा तो बच्चों किसी बातें करती हूँ छोडो मुझको वेयर्स की बात मत करो । तुम नहीं समझते सुंदर सुनो इस झगडे को चलते हुए बहुत समय हो गया है तो तुम जानते ही हो कि मणीलाल मेरे साथ मोटर में स्कूल जाया करता था । पिछले वर्ष से वे स्कूल छोडकर कॉलेज में भर्ती हो गया । इससे हम दोनों का इकट्ठे स्कूल जाना बंद हो गया था । दो माह हुए, एक दिन मेरे पास आया और मुझको मोटर में जो चलने के लिए कहने लगा । मैं पहले तो माननी नहीं परंतु उसके बहुत कहने पर मान गई । मोटर में ही उसने मेरे साथ सटकर बैठते हुए कहा भावना तुम तो अब बहुत सुंदर दिखाई देती हूँ । मैंने कहा ये है तो अच्छी बात है । मैं एक बात कहने के लिए आज तुमको इधर लाया हूँ । हाँ बताऊँ क्या कहना चाहते हो? पहले तुम बताओ कि मैं तुमको कैसा लगता हूँ । मुझको तो तुम वैसे ही बंदर जैसे दिखाई देते हो जैसे स्कूल में लगाते थे तो क्या मेरी सूरत शक्ल में कोई अंतर नहीं पडा? उस विशेष तो दिखाई नहीं देता । इस पर भी मैं लडका हूँ । हमारे कॉलेज की कई लडकियाँ मुझ पर डोरे डाल रही है किंतु मैं तो अपना जीवन एक लडकी से बांधने का निश्चय कर चुका हूँ । किससे दम से मैं उसका अभिप्राय समझती थी । मुझे उसके मानसिक प्रवर्ति पर संदेह हुआ था । इस पर भी बात न समझने का बहाना करते हुए मैंने कहा मुझसे तो तुम पहले ही बंदे हुए हो तो मामा हूँ मैं भांजी हूँ बट मैं तो मैं अपनी पत्नी बनाना चाहता हूँ, पर बहन जी तो लडकी के सामान होती है । यह समूर, ऐसा देर तथा अनपढ लोगों की बातें । हम आज डेमोक्रेटिक और स्वतंत्रता के युग में भी ऐसी बातें करें जैसे जंगली लोग प्रागैतिहासिक काल में क्या करते हैं तो हमको चुल्लूभर पानी में डूब मरना चाहिए । कुछ भी हो मैं तुमसे विवाह नहीं कर सकती है तो मैं बलपूर्वक तुम्हारा खरण करो तो मुझ पर बल प्रयोग करोगे तो मैं तुमसे बाल चली नहीं हो गया । इस पर मैंने अपने पूरे बाल से एक्सपर्ट उसके मुख पर लगाई और ड्राइवर को गाडी रोकने को कहा । ड्राइवर हमारी बातें सुन रहा प्रतीत होता था । उसने हस्कर गाडी खडी कर दी और नीचे उतर गाडी का द्वार को मणीलाल को कहने लगा मामा जी आप आगे की सीट पर आ जाओ, मणीलाल चुपचाप देगी मिलेगी । बाटी आगे ड्राइवर के पास जाता था । जब हम लोडकर घर पहुंचे तो सीढियाँ चढते हुए उसने कहा मैं जानता हूँ तो सुंदर को पसंद करती है । बकवास बंद करो । इतना कर मैं जल्दी जल्दी सीढियाँ चढ गई । मैंने उसी रात पिताजी को पूर्ण व्रतांत बता दिया । इस पर पिताजी बोले तो मणीलाल का कहना सत्य है कि तुम सुंदर को पसंद करती हो । मैं इस बात का कोई उत्तर नहीं दे सकता है । मैं वास्तव में तुमको मणीलाल से कई गुना अच्छा समझती हूँ । इस पर भी मैंने कहा पिताजी विवाह माता पिता करते हैं, जिसके साथ करियेगा वहीं पसंद हो जाएगा । इसके पश्चात माता पिता ने मेरे विवाह के विषय में बातचीत होनी आरंभ हो गई । मणीलाल और माताजी में तो निति ही घुल घुलकर बातें होती है । मणीलाल और रतन लाल में भी गुप्त गोष्ठियां हो रही है । मुझे लगता है कि पिताजी का विचार तुम को अपना दामाद बनाने का हो रहा है । एक दिन माताजी और पिताजी में बहुत हुए बातें हो रही थी । मुझको अपने कमरे में भी बोलने का शब्द सुनाई दे रहा था । इसपर भी वहां बैठ में समझ नहीं सकी थी कि किस विषय में बातें हो रही है । एक का एक मुझको मणीलाल का नाम सुनाई दिया । मेरे कान खडे हो गए और उनकी बातें स्पष्ट क्या सोने के प्रलोभन को छोड नहीं सकी । मैं उठ कर गई और उनके कमरे के द्वार पर कान लगाकर उनका वार्ता लाभ सुनने लगी हूँ । पिताजी कह रहे थे उसको भावना ने सब बातें बताई तो मैंने ड्राइवर से पूछा और उसने भावना के कथन का समर्थन कर दिया । मैं उस बदमास को इस घर से निकाल देना चाहता हूँ । युवक है । माता जी ने कहा भूल कर बैठा है । इस अवस्था में आपने क्या कुछ नहीं किया होगा? आपको शक्ति हो गई है तो पूजा पाठ, धर्म कर्म में आप रूचि लेने लगे हैं । पिताजी बोले यह ठीक है ज्यादा परंतु मैंने अपनी भांजी से संबंध जोडने का यतन तो नहीं किया था । यह नहीं सर की ज्ञान तो मुझको बचपन से ही था की बहन भांजी पत्नी नहीं बन सकती । हाँ मैं सेंट थॉमस स्कूल में नहीं पढा था । उस स्कूल में तो आपकी लडकी भी बडी है परंतु उसका बीज भले आदमी का प्रतीत होता है । तो क्या मणीलाल भले माता पिता की संतान नहीं है, यह मैं क्या जान लो उसके कारण तो तुमने सोने ही लिए है । तो आपने बीस के पैदावार की बात भी सुन लो । मैं अभी से सुन्दर से संबंध स्थापित कर चुकी है । मणीलाल ने कहा है ना नहीं । जतनलाल कहता है रहे तो आपके घर में सबसे अधिक पढा लिखा और समझदार लडका है । उसको ही बुलाकर पूछ लो राधा या झूठा लांछन तुम अपनी लडकी पर लगाकर ठीक नहीं कर रही हूँ । इस पर भी सोनू मैंने कई बार अपने मन में विचार क्या है? सुन्दर एक अच्छा दामाद बन सकता है परन्तु यदि तुम्हारा कहना सत्य हुआ तो उसका मुखकाल आकर घर से निकाल दूंगा । झूठ और सत्य का निर्णय कैसे होगा? मैं कल से चोरी, चोरी, लडकी और समंदर की गतिविधियों पर नजर रखूंगा । रतन लाल को भी कहूंगा कि आपने कहे हुए को सिद्ध करें ऐसी बात सिद्ध करनी और वह भी आप है । दस पक्षपाती व्यक्ति के समूह । यदि ऐसा संभव नहीं तो कठिन अवश्य ही है । तो बिना प्रमाण के मैं भी इतने बडे झूठ को मान नहीं सकता । इसके पश्चात से पिताजी, माताजी, जतनलाल और सुमित्रा भावी तुम्हारे प्रत्येक कार्य की देखरेख करते रहे हैं । पिताजी ने तुम्हारी पुस्तकों की तलाशी ली है, तुम्हारी लिखी कॉपियों को पढा है और तुम को रात होते हुए भी देखा है । तीन चार दिन की बात है तो मैं स्कूल गई हुई थी तो मैं बाजार सामान खरीदने के लिए गए हुए थे कि पिताजी और माताजी में कुछ बातें हुई प्रतीत होती है । उसी रात माता जी मेरे सोने के कमरे में आई और मुझसे कहने लगी भावना सुमित्रा के भाई मोहन से विवाह कर लो, इसमें तुम्हारा भी कल्याण होगा । हमारा भी मैंने पूछा कैसे कल्याण होगा? हाँ केवल इसलिए कि वह सुमित्रा का भाई है । देखो भावना रतन लाल की पत्नी का भाई है । कई बार यहाँ आया भी है । उसके विषय में रतनलाल कह भी रहा है । मैं इस संबंध को ठीक समझती हूँ । वरुन तूमा मेरे विवाह की चिंता क्यों लग गयी? अभी से हमारे स्कूल की मुख्याध्यापिका पैंतीस वर्ष से कम नहीं होगी । अभी तो उन्होंने शादी नहीं की है । होना है, अब कहीं करने का विचार कर रही है । मेरी आयु तो अभी चौदह वर्ष की ही हुई है । तुम्हारी मुख्याध्यापिका अवश्य ही किसी निर्धन घराने की होगी । यदि उसके बाप की भी कोई कपडा मिल होती तो उसका कभी का विवाह हो गया होता और अब तक तो उसके घर में पोता खेल रहा होता हूँ । तो क्या धन होने से भी बहुत जल्दी होना चाहिए? होना चाहिए अथवा नहीं? मैं यह बात नहीं कह रही परंतु हो जाता है तेरी हैं सुंदर भी तो घर में है । एक माँ बाप का लडका नस पति बन जाएगा । वह लखपति क्यों बन जाएगा? तो तुम्हारे पिता उससे तुम्हारा विवाह करना चाहते हैं और माँ तुम क्या चाहती हूँ मैं इतनी बडी संपत्ति एक नोकर पेश आदमी वह भी परदेशी के हाथ में जाने नहीं देना चाहते हैं तो माँ पिताजी और तुम मणीलाल को गोद ले लो, पिताजी के लाखों उसको मिल जाएंगे और मैं जो मेरे भाग्यम होगा, लेन होगी तुम्हारे पिता मानते नहीं है अन्यथा यह बात आज से बहुत पहले हो चुकी होती है । तो माँ पिताजी को मना लो, मैं तो अभी विवाद नहीं करूंगी । मेरा इस प्रकार स्पष्ट उत्तर सुनकर माँ मिरासी वहाँ से उठ कर चली गई हूँ ।
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