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परिचय तीन भाग चार रेलवे स्टेशन पर सादा कम मिलता था । इस कारण सुंदर प्राप्त सात बजे वहाँ पहुंच जाता था । बैंगलोर से सवा सात बजे गाडी आती थी और इसमें बहुत भीड भाड होती थी । सुंदर अपनी रिक्शा लिए खडा था । एक औरत स्टेशन से निकली मैं ईसाई ओरतों कैसे कपडे पहने हुई थी । हाथ में एक छोटा सा सूटकेस था । सुंदर ने देखा तो पहचान गया वह मिसेज पालथी एक्शन उसको अपने काम पर लग जाती लगी परंतु दूसरे ही शरण है इस तीन भावनाओं को अपने में से निकाल आगे बडा और बोला मदद रिक्शा चाहिए मदद विशेष पालने चोकर सुंदर की ओर देखा और पहचान की । उसने कहा तुम सुंदर तुम रिक्शा चलाते हो? हाँ मदद आइए छोडो कहाँ चलना इतना है । उसने मिसेज पाल के हाथ से छूट के ले लिया । विशेज पाल को अपने एक दिए विद्यार्थी को इस प्रकार का कार्यकर्ता देख बहुत दुःख हुआ । उसी शरण उसे मिसेज स्मिथ के व्यवहार का स्मरण हुआ या इस आशा से की कदाचित अभी भी है, उसकी सहायता कर सके है । उसके रिक्शे में बैठ गई । सुंदर ने सूटकेस रिक्शा के होल्ड पर रख लिया और स्वयं लपक कर साइकिल की गद्दी पर बैठ पूछने लगा कहाँ चलो ऍम स्कूल के बोर्डिंग हाउस में तो आप यहाँ भी बढाती है । हाँ, मेरा यहाँ तबादला हो गया । उसको अभी यहाँ पे तीन महीने ही हुए हैं । यहाँ तुम कब से हो? मुझे यहाँ दो वर्ष से अधिक हो गए हैं । पहले कहाँ थे मुंबई में एक सेट के नौकरी करता था । विशेष बाल सुंदर के भागने के पश्चात की घटनाओं का स्मरण करने लगी । सुंदर समझ गया था कि कहाँ जाना है इससे रिक्शा दौडाता हुआ वहाँ जा पहुंचा । स्कूल के पीछे वहाँ की अध्यापिका हूँ के लिए क्वार्टर बने थे । जब शिक्षा बहुत ही तो एक लो कर क्वार्टर में से निकला और सूटकेस भीतर ले गया । मिसेज पालने भाडा देने के लिए अपना पर्स निकाला तो सुंदर ने हाथ जोडकर कहा मदद मुझे अभी आपका बहुत ऋण सुन गाना है । कहिए रोज घुमाने के लिए आ जाया करो । देखो सवेरे के समय पैसा लेने से इनकार किया जाए तो दिन भर मंदी रहेगी । इतना है मिसेज बोलने । पर्स में से पचास नए पैसे निकले परन्तु सुंदर ने भी नहीं लिए । उसने गुड्डे मदर कहा और जाने के लिए रिक्शा को वाई तो मिसेज पालने फब्बारा, सुंदर थैरो भीतर आ जाओ, तुमसे बातें करनी है सुंदर एक्शन तक विचार करता रहा । उसके पश्चात रिक्शा एक और खडीकर मिस कॉल के पीछे पीछे उसके ड्राइंगरूम में जा पहुंचा । मिसेज बॉल एक कुर्सी पर बैठ गई और उसको सामने बैठा पूछने लगी रोज कितना कमा लेते हो जब से आपने रिक्शा बनवाई है सात आठ रुपया निति मिल जाते हैं । मैं प्राप्त सात बजे से मत ध्यान । एक बजे तक काम करता हूँ । पश्चात बहुजन कर विश्राम करता हूँ । साइकल प्राइज चार बजे से रात के आठ बजे तक स्वाध्याय करता हूँ । फिर रात भोजन का आधा घंटा टहलता हूँ । तदंतर दस बजे सो जाता हूँ । रात तक चार बजे उठता हूँ । स्नानादि से निवृत्त हो पूजा अगर मैं साढे पांच बजे अवकाश पा जाता हूँ । एक घंटा पढकर दूध भी ठीक सात बजे काम पर पहुंच जाता हूँ । मैसेज बाल सुंदर के मुख से सात आठ रुपये रोज की आय की बात सुन विचार कर रही थी कि इतने रुपये रोज का काम है, उसको किस स्थान पर दिलवा सकती है जिससे की उसका ये रिक्शा चलाने का काम छूट जाएगा । उसमें सुन्दर से पूछा अब तुम कितना पड गए हो? मैं अंग्रेजी बहुत भलीभांति, पढ लिख और समझ सकता हूँ । दसवीं श्रेणी तक का गणित कर लेता हूँ । हिस्ट्री ज्योग्रफी भी बहुत स्टडी है । इसके अतिरिक्त चंदन लिटरेचर बहुत पडा है । कोई परीक्षा होते नहीं की क्या नहीं इसके लिए अवसर ही नहीं मिला । तुम को नौकरी नहीं मिल सकती । मेरा विचार है कि तुम किसी स्कूल कॉलेज में भर्ती हो जाओ । यहाँ रिक्शा चलाने का काम कुछ अच्छा नहीं है । गुजारे के लिए मैं प्रबंध कर दूंगी । धन्यवाद मदद जब मैं मुंबई से आया था तो नौकरी के लिए मैंने बहुत यतन किया था । दो महीने की भाग दौड के पश्चात मेरी समझ में आया कि नहीं तो मैं नौकरी करने की योग्यता रखता हूँ और न ही इस दुनिया को मुझ जैसे व्यक्ति को लोकर रखने का सौभाग्य प्राप्त हो सकता है । तो मैंने कोई मजदूरी का काम करने का निर्णय कर लिया । यहाँ का सुगमता से मिल गया और फिर मैं इसमें बहुत सीमा तक स्वतंत्र हूँ । मैं छह घंटे से अधिक काम नहीं करता हूँ । छह समय मैं अपनी मानसिक उन्नति में लगा हूँ और अब दो वर्ष के उपरांत मैं इस परिणाम पर पहुंचा हूँ की मुझे नौकरी की आवश्यकता नहीं है । तो क्या जीवन परीक्षा ही चलाते रहोगे? नहीं मदद मैंने अपने काम की योजना बना ली है । मैं लेखक बनने की तैयारी कर रहा हूँ, जो तो मैं देख ही लेता हूँ । किन्तु प्रकाशक मेरे कार्य की ओर ध्यान देकर मेरी डिग्रियों को देखते हैं । वो भी मेरे पास है नहीं । इस कारण मैं सेव में ही प्रकाशक बनने का विचार कर रहा हूँ । किस विषय पर लिखते हो मैंने उस तक भारतीय मिमांसा शास्त्र नाम से लिखी थी । पुस्तक मैंने आठ दस प्रकाश को दिखाई है । प्रायः मेरे नाम के आगे उपाधि न देख बिना पढे ही वह पांडुलिपि वापस कर दी गई । मैं एक प्रोफेसर साहब के बच्चों को निपटे ही स्कूल ले जाता हूँ और छुट्टी होने पर उनको वापस ले आता हूँ । उनको मैंने अपनी पुस्तक दिखाई थी । उन्होंने कुछ पन्ने पढकर कहा था, बहुत सुंदर लिखा है, सुन्दर परन्तु है । जनसाधारण के उपयोग की नहीं है । विद्वानों के पास उस लेखक की पुस्तके पडने का समय ही का है जिन पर किसी यूनिवर्सिटी की मुद्रा नहीं लगी हो जाता है । मैंने गोल्ड तत्वों के विषय पर नहीं लिख कर जनसाधारण के लिए और उनके समझने योग्य भाषा में उनके ही मतलब की बातें लिखनी आरंभ कर दी है और था । अब मैं उपन्यास लिखने का अभ्यास कर रहा हूँ । इसके छपवाने में भी बडी कठिनाई जो विद्वानों के लिए लिखी पुस्तक के सब करवाने में सम्मुख आई थी । उपन्यासों के प्रकाशक भी पूछते हैं कोन कोन उपन्यास पहले सपा है । जब मैं बताता हूँ कि पहला ये है इसे छपवाने आए तो वे कह देते हैं हमारे पास बीसीओ पहले ही रखे हैं । आप किसी अन्य प्रकाशक के पास ले जाइए । इस कारण मैंने विचार क्या है कि एक दो पन्यास पहले से हम ही छापों, इसके लिए रूपया कहाँ से लाओगे? उसका प्रबंध कर रहा हूँ । इस समय मेरे पास दो सहस्त्र से अधिक रुपये है । कुछ और इकट्ठा करना होगा तो फिर सपवाल होगा और यदि पुस्तक नहीं बिकी दो ऐसी संभावना तो नहीं है । इस पर भी कुछ गांव तक तो तपस्या करनी ही पडेगी । विशेष बॉल समझ गई कि सुन्दर उसकी सहायता की आवश्यकता की परिधि से निकल चुका है । वह तो डेढ सौ रुपए मासिक की नौकरी करती थी । उसने विचार किया था कि पचास साठ के चपरासी की नौकरी बस सुंदर को दिलवा देगी । हुआ यदि वह पढना चाहे तो तीस रुपया का उसको स्टाईफंड दिलवा देगी । वह मन में विचार करती थी कि ये है महान विडंबना है कि फिलोसॉफी पर लिखने वाला रिक्शा चलाता है और एक प्रोफेसर के बराबर दवाई कर लेता है । मिसेज बाल सुंदर के भीतर और बाहर की भिन्नता को समझने का प्रयत्न कर रही थी कि सुंदर में पूछ लिया मिस्टर बॉल कैसे हैं? वह यहाँ साथ नहीं आए । क्या इस पर मिसेज बोल चौखूटी? वह भीतर भीतर सुंदर का मुख देखने लगी । वास्तव में वह विचार कर रही थी । सुंदर को बताए अथवा नहीं । कुछ विचार करवाया । बोली वेम उसको छोड गए । तलाक हो गया । नहीं हम कैसे? लोगों में यह नहीं होता । सिमसन को दम जानते ही हो । वही जिसने जोड बोलकर तुमको बैंक लगाए थे, वह मिस्टर पोल से म्यूजिक सीखने लगी थी । फिर दोनों में संबंध हो गया । सिमसन बहुत अच्छा गाती है । अब वे दोनों भारत के टूर पर गए हुए हैं । वह गांधी है और मिस्टर पर उसके साथ बजाते हैं । सुना है उनका ये टूर कामयाब हो रहा है । मुझसे पिछले चार वर्ष से बोले नहीं है और नहीं मेरे साथ रहते हैं । बहुत ही दुखद घटना रहेंगे । मैं समझती हूँ कि मैं अब सुखी और कोई बेबी नहीं है । मदद इस परसे मिसेज बॉल की आंखे डबडबाई सुंदर नहीं है । देखा उसे अपने प्रश्न पर पश्चाताप हो रहा था । उसने का छमा करे मदद उसको विदित नहीं था कि मैं यह पूछ कर आपको दुख पहुंचा रहा हूँ । विशेष बोलने अपने बैग में से रूमाल निकालकर हाँ बॉस ली और उठकर बोली अच्छा कभी कभी मिलते रहा करो । रात को मेरे खाने का समय साढे आठ बजे होता है । तुम्हारा सदैव उस समय स्वागत है हूँ ।
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