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सभ्यता की ओर: चतुर्थ परिच्छेद भाग 6 in Hindi

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201 Listens
AuthorNitin
सभ्यता की ओर Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त Voiceover Artist : Ramesh Mudgal
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चतुर्थ परिच्छेद भाग छह ऍम देखा था की एक गौरवर्ण युवक ट्राय नीति मिसेस बॉल के पास आता है । उसे कुछ संदेह होने लगा कि वह कहीं इस अध्यापिका से गणेश संबंध नहीं रखता हूँ । इस संदेह के कारण वह जहाँ स्कूल की अध्यापिका के बदलाव होने से स्कूल की बदनामी से चिंतित हुआ वहाँ उसे अपने मन की इच्छापूर्ति का मार्गी दिखाई देने लगा । मैं एक दिन साइकल चाय के समय मिसेज बॉल के क्वार्टर में जा पहुंचा । मिसेज बॉल अपनी मेज पर चाय तैयार कर चाय के बर्तन लगा रही हैं । उसने मैनेजर को देखा तो उठकर बाहर आ गई और उनका िवादन कर पूछने लगी डॉक्टर चाय पिएंगे हाँ, इसीलिए तो आया हूँ क्या? आज छोकरा नहीं आया कौन छोकरा लम्बा लम्बा गोरा गोरा जो पहले रिक्शा चलाया करता था और आप हमारा गिरती करता है । इस समय दोनों भीतर बैठक में पहुंच गए । ऍम अलमारी में से एक प्याला निकाला और डॉक्टर के सामने रख उसमें चाय बनाने लगी । डॉक्टर फ्रैंकलिन ने अपनी बात जारी रखी । उसने कहा मैं यह समझ कर आया था कि वह यहाँ आया होगा और मैं उसको नौकरों से पिटवाकर यहाँ से निकलवा दूंगा । किस लिए डॉक्टर उसमें क्या क्या है उसने तो मैं भ्रष्ट कर दिया है । उसके तुम्हारे यहाँ आने से स्कूल के बन नाम हो जाने का है । ये आपको किसने कहा है है बात बिल्कुल गलत है । वह मुझे अपनी माँ मानता है, अल्मोडा में मुझसे पडता रहा है । यह तो सब बोलते कहती ही है । अपने लवर को भाई बाप बेटा बनाते ही रहती है । देखो वासंती उस आवारा लडके के यहाँ आने से भारी बदनामी हो रही है । मैं आवारा नहीं है । डॉक्टर मैं समझती हूँ कि वह आपसे अधिक पढा लिखा और योग्य लडका है । क्या परीक्षा पास की है उसने तो परीक्षा विद्वता का मापदंड है क्या उसने कोई परीक्षा पास नहीं कि परन्तु ॅ चले और कैंसर पर टिप्पणियां लिखता रहता है । डॉक्टर हस पडा बस कर बोला तो मुझे इस प्रकार ठग नहीं सकती । देखो मेरा एक प्रस्ताव है । डॉक्टर ने सामने बनी चाय के प्याले को उठाकर एक उसकी लगाई और कुछ साहस करो का मैं जब से इस स्कूल का मैनेजर बन कर आया हूँ, मेरा किसी से संबंध नहीं बना । यदि तो मुझे छोकरे से संबंध रखना चाहती हो तो तो मैं मुझे प्रसन्न करना चाहिए । आखिर वह क्या है और तुम्हारे लिए क्या कर सकता है । मैं तो तुम्हारी इतनी तरक्की कर सकता हूँ कि दो वर्ष में ही तो मैं यहाँ की हैडमिस्ट्रैस बन सकती हूँ । तब तुम्हारा वेतन ऑन सौ रुपया महीना हो जाएगा और तुम यहाँ की मुख्य अध्यापिका होने से सहस्त्रों कि आय कर सकता हूँ और यदि मैं आप के प्रस्ताव को ऐसी कार्य करो तो तो मैं तुम्हारे विरोध फॅमिली का मुकदमा बना तो तुम को न केवल स्कूल से निकलवा दूंगा । वरुण तो मैं ॅ करवा दूंगा जिस से तो मैं घर की रहोगी और मैं घट की पर आप मुझ पर इतना अन्याय क्यों करेंगे? मैं तो बिलकुल बेकसूर । मैं अपने धर्म पर विश्वास रखती हूँ और यही कारण है कि मैं अपने पति के अतिरिक्त अन्य किसी के साथ संबंध बनाना नहीं जाती है तो वह लडका तुम्हारा पति नहीं है । नहीं डॉक्टर, मेरा विद्यार्थी और बेटे । सवाल है तो झूठ बोलती तो मुझ पर चार सीट लगाकर मिशन की फॅमिली कमेटी के सामने मेरा मुकदमा कर दो । देखो वासंती डी मैं तुम से प्रेम करता हूँ । मैं तुम्हारी बहुत तरक्की कर सकता हूँ । यदि एक बार मैंने आरोप लगाकर शिकायत भेज दी तो यहाँ की रहने वाली सब अध्यापिकाएं मेरे कथन की साक्षी देंगे । इससे मैं चाहता हूँ कि तुम सायका मेरे क्वार्टर पर आ जाना । तुम्हारे लिए बहुत बढिया डेंजर तैयार रहेगा । डॉक्टर इतनी जल्दी नहीं । मुझे कुछ दिन विचार करने के लिए दो । मेरा मन नहीं चाहता की आपका प्रस्ताव मालूम परंतु बात मैं मानने का जो परिणाम होने वाला है वो भी मैं समझ रही हूँ । इस कारण मैं दैनिक विचार करना चाहती हूँ । इस पर डॉक्टर को समझ आ गया कि वह मान जाएगी । इस कारण उससे पूछ लिया निश्चित तारीख बता दूँ जब तो मुझ पर कृपा करोगी । अभी में वजन नहीं देती और मैं विचार करने के लिए समय चाहती हूँ । मैं आपको चार पांच दिन में अपने मन की अवस्था बता सकूँ । मैं यह सत्य कहती हूँ कि मेरे मन में उस लडके, समंदर के लिए उत्तर की भावना ही है । इस पर भी मैं जानती हूँ की आप जैसा बडा व्यक्ति कहीं मेरे विरुद्ध हो जाएगा तो मेरी क्या व्यवस्था हो सकेगी । इससे मेरा यह निवेदन है कि आप मुझे विचार करने का समय दीजिए । अच्छी बात है । आज शनिवार है । आगामी शनिवार को तो मैं अपने घर डिनर पर नियंत्रण देता हूँ । उस समय हम दोनों अकेले ही होंगे । मैं आशा करता हूँ की तुम मुझे निराश नहीं करोगे । इसके उपरांत डॉक्टर अपनी योग्यता और सामर्थ्य की प्रशंसा करता रहा हूँ । एक घंटा बस मैं वहां बैठ चला गया । उसके जाने के उपरांत मिसेज बॉल उठी । उसने अपने चौकीदार को घर का ध्यान रखने के लिए कहा और स्वयं सुन्दर से मिलने उसके मकान पर जाउं । वह घर पर नहीं था । दुकान और मकान दोनों बंद थे । उसने एक पडोसी से पता किया तो पता चला कि उसका मकान और दुकान बंद पडे । चार दिन से ऊपर हो चुके हैं परन्तु उसने पूछा उसने मकान खाली तो नहीं कर दिया । नहीं दुकान में माल भरा है और उसके घर में उसका सवाल रखा है । वासंती ने समझा कि वह पुस्तकों की बिक्री करने गया है । पता है वह नीति ही उसके घर पर आकर उसे देखने लगी । बुधवार के दिन सुंदर उसे स्वयं मिलने आया । उसे देखकर उसकी जान में जान आ गई ।

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सभ्यता की ओर Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त Voiceover Artist : Ramesh Mudgal
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