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बार बार चैप्टर आज शाम कॉफी पीने चलते हैं । राहुल ने अस्पताल में शुचि को रोककर कहा उसने बना नहीं किया लेकिन अजीब सा चेहरा बनाया । लडकियाँ इसी तरह से इनकार करती है । अरे मान भी जाओ तो नमक से वादा किया था । फिर भी तुमने डिनर कैंसिल कर दिया । अब कम से कम कॉफी पीने चलो पता नहीं । मुझे नहीं लगता कि मैं आज शाम को अस्पताल से बाहर जा सकती हूँ । मुझे सर्जरी करनी है । अच्छा आज नहीं तो इस विकेट चले संडे को संडे उसने चौक कर देखा । संडे का नाम भर लेने से वह हैरान हो गई । जैसे राहुल ने उसे जिंदगी में दोबारा कभी नहीं नहाने के लिए कहा हूँ । हाँ, संडे तय हुआ । राहुल ने खुशी से कहा माफ करना मैं कहीं बाहर जा रही हूँ । उसने कहा वो कहीं बाहर राहुल ने उसे दोहराया और उदास हो गया । क्या मैं तुम से पूछ सकता हूँ कि तुम कहाँ और किसके साथ जा रही हो? राहुल ने इस चंचल स्वर्ग पूछा । जितना हो सके उतना मजा किया देखने की कोशिश करते हुए ताकि उसे बुरा ना लगे । कुछ खास नहीं । सिर्फ एक पुराने दोस्त के साथ वो घबरा गई जैसे कि वह कुछ छिपाने की कोशिश कर रही हो । अगर ये बात खास होती तो वैसे नहीं घबराती । जैसे कोई सोलह साल की लडकी अपने माता पिता से अपने प्रेम प्रसंग को छुपा रही हो । पिछले रविवार को भी तुम ने मना कर दिया था क्योंकि तुम व्यस्त थी । वो चुप रही । राहुल ने आगे कुछ नहीं पूछा क्योंकि सूची और सहज हो रही थी । वो राहुल की पत्ती नहीं थी कि उसे सबकुछ पता थी । कम से कम अभी तक तो नहीं । जरूर तुम्हें दिन में कहीं जाना होगा । क्या हम शाम को मिल सकते हैं । शुचिः चुप रही । राहुल ने उसकी चुप्पी को उसकी सहमती के रूप में लिया और कहा ठीक है तो शाम को सात बजे मिलते हैं । उसके सिर हिलाया और वहाँ से चली गई । राहुल जानने के लिए उत्सुक था की वह हर रविवार को बिना किसी को बताए कहाँ जाती है । उसने इस रविवार को सूची पर नजर रखने का फैसला किया । राहुल के दिमाग में बहुत सारे विचार चल रहे थे । वह प्रेमी हो सकता है जिसे वह हफ्ते में एक बार मिलती है । फिर उसने अपना विचार बर्खास्त कर दिया क्योंकि ये ऐसा प्रेम सम्बन्ध है जहाँ लडकी हफ्ते में महज एक बार लडके से मिलती है और पूरे हफ्ते दोनों फोन पर भी बात नहीं करते हैं । क्या हो अगर वह पहले से शादीशुदा हूँ और अपने पति को छुपा रही है या कोई अगर उसे किसी चीज के लिए ब्लैक मिल कर रहा हूँ तब क्या होगा? राहुल दूर से उसके घर पर नजर बनाए था । अपने पापा के कार में बैठकर पापा की कार इसीलिए ले गया था क्योंकि शुचि राहुल के कार्य को दूर से ही आसानी से पहचान सकती थी । एक निजी जासूस की तरह राहुल एक दूरबीन के साथ तैयार था । वो उसके घर से बाहर जाने का इंतजार कर रहा था जिससे वो उसका पीछा कर सके । अंकल क्या आप भी उसे पसंद करते हैं? पडोस के एक दस साल के लडके ने राहुल को सूची के घर पर जासूसी करते हुए देख लिया, तुम किस बारे में बात कर रहें बेटा राहुल इक लडकी पर नजर रखते हुए पकडे जाने से घबरा गया । आप भी कोई मरीज होंगे जिसका उसने इलाज किया । मुझे भी उस पर क्रश है । बच्चे ने कहा और उसके घर की और एक लाइन किस किया । सिद्धार्थ के साथ इस बच्चे से भी मेरा मुकाबला है । राहुल ने दिमाग के बाद बैठा ली तुम चॉकलेट खाना चाहोगे । राहुल ने उसे सौ रुपये का नोट देने की कोशिश की । हाँ, मुझे चॉकलेट पसंद है मगर मैं इन पैसों से सिर्फ फॅमिली खरीद सकता हूँ । राहुल ने से लुभाने के लिए पांच सौ रुपये का नोट दिखाया । उसके तुरंत मेरे हाथ से छीन लिया । आपने पांच सौ चॉकलेट खरीद सकता हूँ । बच्चे ने कहा, राहुल ने जो पैसा उसे दिया था उस की जेब खर्च के पैसों से बहुत ज्यादा था । शायद इसीलिए उसने झट से नहीं लिया और वहाँ से चला गया । भ्रष्टाचार कभी कभी मदद भी करता है । उसके घर के सामने दो घंटे के लंबे इंतजार के बाद राहुल को कडी मेहनत का फल मिला । राहुल ने उसे स्कूटी पर अपने घर से बाहर निकलते हुए देखा । वो एक हेलमेट और धूप से बचने के लिए पूरी आस्तीन का एक शर्ट पहनी थी । उसने पीछा करना शुरू कर दिया । रविवार की रांस का पता लगाने का उसका मिशन शुरू हुआ । उसने एक लडकी का पीछा करने के किसी भी अपमान से बचने के लिए उससे एक सुरक्षित दूरी बनाए रखी । उसका इरादा सूची को परेशान करने का नहीं था । वह सिर्फ ये जानना चाहता था कि कहीं सूची किसी मुसीबत में तो नहीं है । लगभग पांच से छह किलोमीटर उस दर्दनाक सडक पर चलने के बाद शुचि ने बाई मोड लिया और राहुल की नजरों से ओझल हो गई । राहुल कोई दूरी बनाए रखनी थी और दूर से उस पर नजर रखना कठिन था । राहुल ने अपनी कार उस गली के पास खडी कर दी । उसने यकीन था कि वह वही कहीं किसी सोसाइटी इमारत में दाखिल हुई होगी । उसकी स्कूटी को पास के हर पार्किंग में ढूंढने की कोशिश कर रहा था । वो सूची की तलाश में पैदल चल रहा था । गली के कोने पर कुछ कुछ हो रहे थे । एक उत्तर आलस करता हुआ जाता और धीरे धीरे चलते हुए एक बिजली के खंबे के पास गया । उसने अपना पिछला बाया ताकि उठाया और पोल को गीला कर दिया । मैं कुत्ते को क्यों देख रहा हूँ? राहुल ने सोचा तभी उसी बोल से चिपके पीले रंग के पैम्पलेट ने उसका ध्यान आकर्षित किया । उसे पढने के बाद राहुल ने राहत की सांस ली और उसे पता चल गया की सूची हर हफ्ते क्या करती है । उस पर लिखा था मुफ्त चिकित्सा जांच । हर रविवार, गरीब और जरूरतमंदों के लिए मेरा दिल मुझे उस घर की और खींचता वाली गया वंचित और जरूरतमंद लोगों को अपनी बारी के लिए उत्सुकता से इंतजार करते । एक लंबी कतार में देख करके मैं हैरान रह गया । वो ऐसे लोग थे जिन्हें इलाज की आवश्यकता थी लेकिन वह बडे अस्पताल जाने का खर्चा नहीं उठा सकते थे । जो व्यक्ति उचित भोजन भी प्राप्त नहीं कर सकता था वह बना दवाओं का खर्च कैसे उठाएगा और सरकारी अस्पताल तो लोकल ट्रेन के समान है जहाँ बहुत ज्यादा भीड होती है । राहुल डॉक्टर से मिलने के लिए कतार में लग गया । जो ये शानदार सेवा कर रहा था उस कमरे के बाहर एक वृद्ध महिला एक रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम कर रही थी । निजी अस्पतालों में रिसेप्शनिस्ट की तुलना में उनकी नौकरी आसान थी क्योंकि यहाँ कोई भी उसे जल्दी नंबर लगाने के लिए रिश्वत नहीं दे रहा था । कतार में हर कोई राहुल को घूर रहा था ताकि कहाँ कोई नीली आंखों वाला सुंदर, नवजवान वंचित रोगियों की कतार में खडा मिलता है । जब राहुल की बारी आई तो छोटे लेकिन स्वच्छ कमरे में दाखिल हुआ । उसने देखा वहाँ सूची रोगियों की जांच के लिए डॉक्टर के रूप में मौजूद थी । उससे वहाँ मिलना राहुल के लिए कोई बडा आश्चर्य नहीं था । लेकिन शुचि के लिए जरूर था । उसने अपने सपने में भी राहुल को वहाँ देखने की उम्मीद नहीं की थी । राहुल दुनिया क्या कर रहे हो? सोचने देखते पूछा सबसे पहले तुम मुझे बताओ, तुम यहाँ क्या कर रही हूँ? उसने कुछ नहीं कहा तो आपने पाल के झुका दी । तो ये है तुम्हारा संडे का राज समाजसेवा वो भी बिना किसी को बताए राहुल हम शाम को बात कर सकते हैं जब हम सीसीडी में मिलेंगे । मेरे पास मरीजों की बहुत लंबी कतारें मुझे उनका इलाज करने दो । राहुल गर्व और अपने चेहरे पर एक मुस्कान के साथ वहाँ से चला गया । वो पहले से कहीं ज्यादा बेहतर और हल्का महसूस कर रहा था । वो अपने दिमाग से बीमार था । जो सूची पेशक किया और शशि ने भी राहुल के दिमाग का मुफ्त में इलाज कर दिया । जैसे वो औरों का कर रही थी । राहुल की जिज्ञासा के कारण उसने शुचि का अद्भुत रूप देखा । ऍम गोरेगांव मुंबई के कांच के दरवाजे पर पुल लिखा था । फिर भी राहुल ने धक्का देकर खोलने की कोशिश की । प्यार में लोगों के साथ ऐसा ही होता है । दुनिया बिलकुल अलग जगह बन जाती है । जगह भी वही है । मैं भी वही हूँ । नया क्या है । इसका करके दिल पूछता है ये दुनिया क्या है? राहुल ने उस चीज को बाद में पढा खुद पर हसाओ और फिर धीरे से दरवाजा खींचा । शुचि उसके इंतजार में अंदर बैठी थी । कुछ लडकियाँ मल्टीटास्किंग करके भी समय पर पहुंच सकती है । राहुल अपने मन में उन सवालों को दोहरा रहा था जो पूछना चाहता था । लेकिन उसके प्यारे मासूम चेहरे नहीं उसे सब कुछ भुला दिया । शुचिः ने नीली डेनिम के साथ एक साधारण सफेद गोल गर्दन वाली टीशर्ट पहनी थी फिर भी बहुत सुन्दर लग रही थी । अब साधारण कपडों में भी सुंदर देख सकते हैं । अगर आप की आकृति अच्छी हूँ क्या मैं बैठ सकता हूँ मैडम? राहुल ने चंचलता से कहा क्यों नहीं जहाँ तुम चाहते हो वहां बैठ हो । उसने जवाब दिया क्या मैं आप के साथ बैठो? अगर आप पुराना माने तो मैं किसी का इंतजार कर रही हूँ । राहुल ने अपने लिए कुर्सी खींची । मुझे नहीं लगता कि वह समय पर आएगा और आपको ऐसा क्यों लगता है? क्योंकि वह मुर्क है । वो हमेशा देर से आता है । ऐसे में राहुल हो तो क्या तो मुझे नहीं जानते हैं । काफी मशहूर हूँ । उसने कहा आज जो मैंने देखा उसके बाद मुझे लगता है कि मैं तो बिल्कुल नहीं जानता । राहुल ने उसे काना मारा । वो कुछ देर चुप रही और उसने अपनी बल्कि झुका दी । राहुल ने अपना सामान्य ऍम ऑर्डर किया । ये पहले रोमेंटिक थी लेके सुबह के प्रकरण के बाद ये एक निश्चित मुद्दे के साथ आधिकारिक बैठक में बदल गई । राहुल उसे बिना पूछे सामाजिक सेवा के बारे में पूरी बात समझाने की उम्मीद कर रहा था लेकिन उसने ऐसा बर्ताव किया जैसे कुछ हुआ ही न हो । कुछ पल के इंतजार के बाद राहुल ने ये कहते हुए पहल की, आज सुबह बचपन से ही में हमेशा जरूरतमंद लोगों की सेवा करना चाहती थी । उस ने अपनी चुप्पी तोडी । अगर तो मदद करना चाहती हो तो तो उन्होंने कुछ पैसे दे सकती हो । हमें हफ्ते में सिर्फ एक दिन की छुट्टी मिलती है । अगर हम उस दिन भी काम करेंगे तो अपना निजी काम कब करेंगे? क्या पैसे देना काफी होता है? राहुल वह एक पल चुप चाप बैठी रही । मैं डॉक्टर हूँ क्या लोगों का इलाज कराना मेरी नैतिक जिम्मेदारी नहीं है । अगर मैं ऐसा नहीं करेंगे तो और कौन करेगा । और केवल मेरी मदद भी काफी नहीं है । पूरे दिन काम करती हूँ । फिर भी मैं वहाँ आने वाले सभी मरीजों की जांच नहीं कर पाती । ऐसी सेवा करने वाले डॉक्टर बहुत कम है । मेरी चाहिए की अगर देश के सभी डॉक्टर्स इस तरीके से सोचे तो कोई भी इलाज के अभाव में नहीं मरेगा । ये कहते हुए इसमें राहुल की तरफ देखा कि जैसे वो राहुल को अपने साथ जुडने के लिए कह रही हूँ उसकी कातिलाना आखिर अगर राहुल को लोगों का खून करने को कहते तो भी हो तैयार है । फिर उसने तो जान बचाने की दरखास्त की थी । मैं भी तुम्हारे साथ सेवा करने को तैयार हूँ । लेकिन क्या तो नहीं लगता कि तुम कुछ ज्यादा सोच रही हूँ । राहुल ने बाद बदलने के लिए कहा राहुल की बात सुनकर कि वह मार्मिक हो गई । उसने बिना नजरे मिलाए एक और स्थिर स्वर में कहा जब मैं छह साल की थी एक रात मेरे पापा की तबियत बिगड गई । माने सरकारी अस्पताल के डॉक्टर को फोन किया लेकिन उन्होंने अपना फोन बंद कर दिया । अस्पताल खुलने के लिए सुबह तक इंतजार करना पडा । मेरे पापा को बेचेनी झेल नहीं सके और महज मलेरिया की वजह से उनकी मौत हो गई । अगर डॉक्टर उस रात जाग जाता और मेरे पापा का इलाज करता तो वहाँ जिंदा होते हैं । छुट्टी के आंसू पहुंचने के लिए राहुल ने टेबल पर रखा टिशु पेपर उसकी तरफ पढाया । यही कारण है कि मेरी माने मुझे डॉक्टर बनाया और मैंने उनसे वादा किया था । मैं किसी साधारण बीमारी के कारण किसी को भी मरने नहीं होंगी जैसे कि मेरे पापा मारे थे । मुझे जानकर बहुत अफसोस हुआ । शुचि तुम सही हो । समाजसेवा डॉक्टर की जिम्मेदारी है और अब से तुम अकेली नहीं हो । मैं भी तुम्हारे साथ काम करूंगा । राहुल ने कहते हुए उसके हाथ पकड लीजिए और इसी बहाने में तुम्हारे साथ ज्यादा वक्त बिता सकूंगा । राहुल ने सोचा बहुत बहुत शुक्रिया मेरे लिए बहुत मायने रखता है । शुचि ने कहा, उसने राहुल को अपना हाथ पकडे रहने दिया । अगर तुम्हें ने काम कर रही हो तो तुम इसे सभी से छिपा हो रही हूँ । मुझे नहीं पता मुझे किसी से साझा करने का कभी मन नहीं हुआ । वैसे तुमने मुझे वहाँ कैसे ढूंढ लिया । मैं तुम्हारे घर से तुम्हारा पीछा कर रहा था । राहुल से ये नहीं कह सकता था । मैं पडोस में था तो मैं उस गली में मोड लेते । विधेयक इसीलिए मैंने दोबारा पीछा किया । राहुल ने कहा तो मुझे लगा कि तो मेरे घर से मेरा पीछा कर रहे थे । उसने कहा, और आप हमारी खबरदार रहे लडकियाँ दिखावा करती है कि उन्हें कुछ नहीं पता लेकिन उन्हें हमेशा सब कुछ पता होता है तो मैं कैसे छुपाना नहीं चाहिए तो मैं अपना एनजीओ रजिस्टर करना चाहिए और उसका नाम फैलाने की कोशिश करनी चाहिए । मुझे किसी बडे नाम या प्रसिद्धि की जरूरत नहीं हैं । मैं से अपनी खुशी के लिए करती हूँ । मैं लोगों की कृतज्ञता से देखभाल करना चाहती हूँ । मैं प्रसिद्धि के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ । अगर तुम अपने विचार को प्रचारित करोगी तो दूसरे डॉक्टर भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित होंगे । बडे पैमाने पर सोच हूँ, एक क्रांति के बारे में सोचो । राहुल ने उसे प्रेरित किया । हाँ, मैंने कभी इस तरीके से नहीं सोचा था । उसने कहा और मेरी और अचरज से देखा तो मुझे बताओ । मैं अपने एनजीओ को कैसे रजिस्टर कर सकती हूँ और इसे कैसे प्रसिद्ध कर सकती हूँ । वो बहुत उत्साहित थी इसके लिए तो मैं किसी वकील से मिलना होगा । क्या तुम किसी को जानती हूँ? हाँ, मुझे लगता है कि मैं वकील को जानती हूँ । उसने कहा क्या तुम कुछ और ऑर्डर करना चाहोगी? राहुल ने जाने से पहले शिष्टाचार के नाते उससे पूछा उस ने मना किया और वो दोनों वहां से चल दिए । राहुल ने इस बार कैसी का दरवाजा सही ढंग से खोला । राहुल घर पहुंचा । आपने बैंक से अपनी डायरी निकाली, उसमें लिखना शुरू किया । वो अपनी माँ के साथ कुछ साझा करना चाहता था । माँ अब विश्वास नहीं करेगी कि मैंने आज क्या देखा । आपको वो लडकी आती है जिसके बारे में मैंने आपको बताया था । आज मैंने उसका पीछा किया । सिर्फ इसीलिए क्योंकि मैं ये देखने के लिए उत्सुक था की वह हर रविवार को कहा चाहती है । मुझे लगा कि उसका किसी ऐसे व्यक्ति के साथ चक्रवात कर चल रहा है जिसकी लायक नहीं है । लेकिन वहाँ मैं गलत था । वो लडकी किसी पर इसे कम नहीं है । आप हमेशा मुझे से खाते थे, दूसरों के लिए नहीं दिया तो क्या जिया आज मुझे इसके मायने समझ जाए । आज में आखिर में एक लडकी से मिला जो सच में आपके शब्दों को जी रही है । मैं बहुत खुश हुआ
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