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आप सुन रहे हैं धूप ऍम सुनी जो मन चाहे किताब लाॅबी इस किताब के लेखक है तपन घोष हूँ । दुनिया भर के व्यापारी क्षेत्रों में लॉर्ड्स बैंक बहुत प्रसिद्ध है । दुनिया के लगभग सभी बडे शहरों में इसकी शाखाएं हैं । इसका बम्बई कार्यालय ध्यान भी रोड पर हैं । ये बम्बई का एक घनी आबादी वाला क्षेत्र है । डस्टर के तीन दरवाजों में से एक बडा दरवाजा हार नव रोड पर और बाकी दो आउट्रम रोड पर खुलते हैं । बैंक के काम और ईमानदारी की वजह से इसकी काफी साख है । काम का भी काफी जोर रहता है । खासकर सुबह अप्रैल उन्नीस सौ इक्यावन की । दूसरे हफ्ते में बडे सुंदर और कीमती वस्त्र पहने दो व्यक्ति बैंक के आते में चक्कर लगा रहे थे । एक ककुद् दरमियान था । उम्र कोई चालीस पचास से लगती थी । वो काफी सुर्खियों ऍम उसकी नजर ग्यारह थे । दूसरा लगभग तीस वर्ष का कुछ कुछ भारी सुजॅय था । संसदीय तौर पर देखने में वो दोनों अच्छे खासे व्यापारी जान पड देते हैं । दरअसल वो उन्होंने ये देखने आए थे कि बैंक का कारोबार किसी तरीके से चलता है । उन्होंने पता लगा लिया कि जब बैंक में जरूरत से ज्यादा रुपये इकट्ठे हो जाते हैं तो उसे रिजर्व बैंक भेज दिया जाता है । इस बैंक के नियमानुसार रिजर्व बैंक को रुपया भेजने से एक दिन पहले फिर खजांची और उसके सहायक के सौ सौ रुपये के सौ सौ नोटों की गड्डियाँ बना लेते थे और ऊपर तथा नीचे के वोटों पर हस्ताक्षर कर की मुहर लगा देते थे । इन सब के बाद जस्टिस केडिया को एक गुत्थी में पिरोदिया जाता था । जेटली रुपये रिजर्व बैंक भेजा जाता था । उस रोज डॉक्टर कि कर्मचारियों के साथ पुलिस की सशस्त्र टुकडे भी होती थी । बैंक की ये कर्मचारी रूपये के साथ जाते थे । दो सहायक खजांची, एक यूरोपियन ऑफिसर और एक चित्र से सब गुत्थियों को एक चमडे के थैले में बंद करके चपरासी की कमर में बांध दिया जाता था । इसके बाद स्टेशन रोड पर यानी लाउड्स बैंक के पिछले दरवाजे के सामने वाले टैक्सी स्टैंड से एक टैक्सी बुलाई जाती थी । लेकिन इससे पहले एक सशस्त्र सिपाही पिछले दरवाजे के सामने तैनात कर दिया जाता था । वो बंदूक तानकर वहाँ खडा होता तो चपरासी दरवाजे से बाहर निकल था । उसके पीछे बाकी लोग चौकस होकर चलते हैं और फिर जब टैक्सी में बैठ के रिजर्व बैंक के लिए रवाना हो जाते हैं । कमाल की चित्र ही और अपने व्यवहार से उन दोनों ने इस बारे में पूरा ब्योरा मालूम कर लिया था । इसके बाद उन्होंने बेशन रोड का अच्छी तरह से नहीं किया । बैंक के ठीक एक तरफ ऍम खुला आहत बडे मौके पर था कोई भी वहाँ जब तक चाहे खडा रहे, उस पर किसी को रत्ती भर भी शक ना होगा । सब देख कर उन तुमने योजना तैयार करके उसे अमल में लाने के लिए उन्होंने दूसरे शहर में आपने तीन और साथ ही बुला लिए और ठीक मौके का इंतजार करने लगे । बैंक को बैंक ऑफ ईरान से एक भारी रकम मिलने वाली है । ये भी पता लगा लिया कि बीस अप्रैल को बारह लाख रुपये रिजर्व बैंक में जमा कराए जाएंगे । बस फिर क्या था उन्नीस अप्रैल की रात को पांचो साथी बम्बई के एक आलीशान होटल में इकट्ठा हो गए और अगली सुबह का इंतजार करने लगे । सुबह हुई दिन और बैंक का सशस्त्र चौकीदार बालगोपाल कदम ट्यूशन रोड पर बैंक के पिछले दरवाजे पर बंदूक तानकर खडा हो गया । आगे हुई तो उसने टैक्सी के लिए आवाज दें टैक्सी आई । इसका नंबर बीएमटी वन टू नाइंटी उससे टैक्सी का ड्राइवर था । ऍम बैंक का दरवाजा खुला । अंग्रेज अफसर ऍम दूसरा है । खजांची सरकारी डॉक्टर तथा चपरासी राम मथुरा चपरासी की कमर में एक बडा थैला जंजीर से बंधा हुआ था । उसमें बारह लाख रुपये की नोट थे । टैक्सी का मुॅह सिनेमा की ओर था । सबसे पहले मिस्टर फॅमिली और फिर पीछे की सीट पर जा बैठे हैं । सरकारी जाकर ड्राइवर के साथ वाली सीट पर बैठ गया । राम मथुरा टैक्सी में बैठने की वाला था डॉक्टर टैक्सी कि वोट में दरवाजे पर आतंकी इस बात का इंतजार कर रहा था कि राम मथुरा टैक्सी में बैठे हैं । एक दूसरे ऍम टैक्सी के पासी फिर पास पर बैठा छुट्टी मना रहा था । मेजर किसी नाम के एक साहब बेशन रोड पर चले आ रहे थे और अब तो बात के नुक्कड तक पहुंच गए हैं । लेकिन किसी का ध्यान इस ओर नहीं किया कि दो व्यक्ति है । उसी फुटपाथ पर टैक्सी के बिल्कुल पीछे खडे इस सारी कार्यवाही को बडी हसरत भरी निगाहों से देख रहे थे । सामने के फुटपाथ पर तीन और व्यक्ति सुंदर कपडे पहने टैक्सी पर नजर जमाए हुए थे । उन्हें देख कर कोई भी यह कल्पना नहीं कर सकता था की ये लोग ॅ के साथ हैं । ऍफ उन दोनों व्यक्तियों में से एक बिजली की तरह टैक्सी कि तरफ लपका । उसने टैक्सी का दरवाजा खोला । अंदर चुका और पिस्तौल से दो फायर किए । एक गोली ड्राइवर करोडो जिसके गर्दन के नीचे लगी और वो केबल लुढक है । गोली चलाने वाला व्यक्ति घूम कर दूसरी तरफ ड्राइवर के साथ जाता था । गोली की आवाज सुनकर मेजर केसी फुटपाथ के नुक्कड पर ही चुके हैं । दूसरे टैक्सी ड्राइवर सर वर का कुछ और चार हाथ पर जा गिरा । बैंक की टेलीफोन ऑपरेटर में सुविधा और एक क्लब थिरकी की तरफ लपके । बैंक के सहायक मैनेजर मिस्टर खूमसिंह लपक कर खिडकी की बाहर देखने लगे । गोली चलाने वाली के दूसरे साथी में ड्राइवर का शनी टैक्सी से महान निकालकर उसकी निकलेंगे । बाद में शिनाख्त के वक्त पता चला कि इसका नाम रूबी दार था और ये पहले फॅस दिल्ली का बस ड्राइवर था । सामने वाले फुटपाथ पर खडे तीनों व्यक्तियों में से एक में दो फायर किए और उसके दो साथी आगे बढ कर टैक्सी के पीछे छिप हैं । इन दिनों के पास भीतरी वालो वर्थ है । पहले तो सरकारी समझा कि धमाका टायर के फटने का है । टैरो को देखने के लिए वो बाहर आया था और उस पर दो फायर किए गए लेकिन वहाँ खाली गए और वह ऍम रोड की तरह बात का ऍम भी टैक्सी से बाहर आये । पहले तो वो पीछे की ओर है और जब टैक्सी को घेरा पाया तो बेशन रोड और आउट टर्न बोर्ड के तो रहा है की तरफ बाकी उसी समय एक कार उधर से गुजर रहे थे । पर मिस्टर लॉन्ग के चिल्लाने पर भी वो नहीं देखी । सामने की फुटबॉल से गोली चलाने वाला मेटर टैक्सी के पास आया । पिछला दरवाजा खोला और बैठ गया । दूसरे डाकू टैक्सी के पिछले दरवाजे के पास है और वहाँ उसने डॉक्टर पर फायर किया । डॉक्टर का बायां हाथ जख्मी हो गया । कदम ने डॉक्टर को खतरे में देख कर अपना डंडा संभालना चाहते कि एक डाकू ने उसके दायें आप पर गोली चलाने सर मलखान ड्राइवर ने का दोस्त की तरफ जाने की कोशिश की तो एक डाॅॅ दिखाकर रोक दिया । कितनी में एक जगह तूने राम मधुर रह पर भी गोली चला दें । वो बेहोश हो गया । डाॅ उसकी कमर से थैला खींच लिया और उसे घसीटकर बार फिर दिया । पांच । डाकुओं की टैक्सी में बैठे ही डाॅॅ ऍम उस समय भीषण रोड पर ही खडे चिल्ला चिल्लाकर लोगों को इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं । रोजगार के चलते देखकर उन्होंने किनारे खडे एक मोटरसाइकिल को अपनी पूरी ताकत से धकेलकर सिर्फ के बीचोंबीच खडा कर दिया । लेकिन रोहीदास से कुशल ड्राइवर था वो बचकर निकल गया । देखते देखते टैक्सी आंखों से कुछ लोग ये सडक खेल पंद्रह मिनट में खत्म हो गया था । इन पंद्रह मिनटों में एक व्यक्ति मारा गया था । तीन बुरी तरह घायल हुए थे, बारह लाख रुपये लूट गए थे और डाकू बाग नहीं लेते हैं । फॅालोइंग ने एक और कुछ बैंक कर्मचारियों के साथ लेकर टैक्सी को ढूंढने की कोशिश की पर देखा उन्होंने ऍम एक घंटे केंद्र बडे बडे पुलिस अफसर घटनास्थल पर पहुंच गए । बॅालीवुड के सारे इलाके पर पुलिस का घेरा डाल दिया गया । जांच शुरू हो गए । स्थानीय और सीमा के सारे पुलिस वालों को हिदायत दी गई की टैक्सी नंबर ऍम की तलाश में है । लेकिन अप्रैल को भारत के सभी समाचारपत्रों में इस सनसनीखेज जाके की खबर छपे बम्बई कि होम मिनिस्ट्री चौकन्नी हो गई । अभी वह घटनास्थल का नक्शा तैयार कर ही रहे थे कि उन्हें सूचना दी गई की टैक्सी नंबर बनी क्यों नहीं मिल गयी वो दोपहर में कोई डेढ बजे कश्मीर होटल के कुछ दूर खानी पडी थी । डॅाट दूर खाने देखा कि उस पर भी गोलियों के निशान थे । एक इंजन के करीब दूसरा पिछले दरवाजे की बात कर रहा हूँ । मुस्लिम कोई सुराग नहीं छोडना चाहते थे । पर टैक्सी की तरफ जमीन पर स्पेक्टर खा को पैरों में गहरे निशान दिखाई पडे । जाहिर था कि टैक्सी में बैठने वाले सभी लोग बाई तरफ से ही उतरे थे और इतनी जल्दी में थे कि उन्होंने रिपुं के निशान तक नहीं मिटाएं । ये सब मिशन उस दिशा की ओर जा रहे थे जिस पर कोई चालीस कर्ज पर ॅ था । एक्स होटल की मैंने राॅकी पूरी तरह से सहायता की । उसने बताया कि उसी दिन दोपहर में बारह बजे दो मुसाफिर उसके होटल का हिसाब चुकता करके चले गए । रजिस्टर में इनके नाम मिले थे रोहिदास । राधेलाल और सीताराम दोनों एक ही कमरे में ठहरे थे । रजिस्टर के अनुसार रोजेदार शादीलाल दिल्ली से और सीताराम इलाहाबाद से आया था । मैनेजर ने ये भी बताया कि तीन और व्यक्ति भी इन दोनों से मिलने आए थे । भी इनके गहरे दूर तो मालूम होते हैं । उसे इन तीनों में टीम के नाम आदि के बारे में कुछ मालूम नहीं था लेकिन वो एक अन्य व्यक्ति का नाम जानता था जो कि रुतबेदार से मिलने के लिए दो तीन बार आया था । उसके नाम लाल चलता है । वही अप्रैल के पहले हफ्ते में इन लोगों को होटल में लाया था । मैंने के कहने के अनुसार लालचंद इन लोगों से मिलने के लिए आखिरी बार चौदह अप्रैल को आया था । उसी दिन दोपहर के बाद वो इन सब के साथ बाहर भी गया था । गुटर मैनेजर को ये मालूम नहीं था कि तुम दस और उसके साथ ही पुलिस अप्रैल को रात को कितने बजे लौटे क्योंकि वो ऍम मुझे घर चला गया था । दूसरे दिन यानी बीस अप्रैल को वो लोग सुबह आठ बजे के बाद होटल से चले गए थे । दोपहर के समय जब उन्होंने होटल का हिसाब चुकता क्या दूर जल्दी में दिखाई पडते रहे और उनके पास टीम के दो बडे बडे संदूक थे । उनकी कमरे का निरीक्षण करने के बाद स्पेक्टर खान को होटल के समान के अलावा कुछ और नहीं दिखाई । बडा अपराधी काफी चतुर मालूम होते थे । इंस्पेक्टर खान की नजरें घूमते घूमते अचानक खिडकी के नीचे फर्श पर पटक । वो तेजी से क्योंकि की तरफ गए और घुटनों के बल झुककर काफी दिन तक उस चीज का निरीक्षण करते हैं । फिर उन्होंने उससे कुछ वेट कर एक लिफाफे में डाला और जेब में रखे हैं । कुटल से जाने से पहले इंस्पेक्टर खाने मैनेजर को हिदायत दी कि लालजन जब भी आए फोरन इंस्पेक्टर को सूचना दी जाएगी । होटल से निकल काॅफी के पास है । उन्होंने उस जगह से चुटकी भरते दिखाई है जहाँ पैरों के निशान हैं । इस रेट का मिला उन्होंने जेमेल लिफाफे वाली से किया तो उन्हें विश्वास हो गया कि टैक्सी में बैठने वाले लोग ही होटल के कमरे में गए थे । दोनों स्थानों की भी तो एक जैसी थी । इंस्पेक्टर खा का ख्याल था कि डाक रोहीदास और उसके साथियों ने ही डाला है । बम्बई के सभी स्टेशनों को हिदायत दी जा चुकी थी कि बम्बई से बाहर जाने वाले सभी लोगों पर नजर रखी जाए और जिस पर भी शक हो उससे पूछताछ इंस्पेक्टर खाने जाके के और भी दस और सीताराम के होली के बारे में समाचार पत्रों में भी खबर शगुफ्ता दी थी और जनता से अपील की थी कि वो पुलिस की भरसक सहायता करें । बम्बई की पुलिस भी व्यस्त थी । उसने सभी बदनाम अंडो पर छापेमारी और सभी बदनाम अपराधियों की देश की पर सब देखा । पुलिस का एक जासूस दिल्ली और एक इलाहाबाद भेज दिया गया ताकि वो वहाँ रविदास सीताराम के बारे में जानकारी प्राप्त करें । दो तीन दिन बाद अचानक इंस्पेक्टर खाकर भाग्य चमका और ऍम उनसे मिल गया है । उन्होंने बताया कि बीस अप्रैल की रात को वो विक्टोरिया टर्मिनल से आपका जाने वाली मुंबई मेल के एक फॅस के डब्बे में सवार हुए थे । इससे डब्बे में एक और व्यक्ति बैठा था । उसके पास तीन के सिर्फ दो बडे बडे बसित हैं, बेचैन था । इसमें मिस्टर गट्टे का था इसलिए आकर्षित किया था कि उसके पास ट्रेनिंग तो थे पर बिस्तरबंद नहीं था । गाडी छोटे से कुछ मिनट पहले एक अन्य व्यक्ति कमरे में आया और वो दोनों एक दूसरे से इस तरह मिले की उनकी सारी घबराहट बिल्कुल दूर हो गई । मिस्टर डॉक्टर ने बताया कि राष्ट्रीय भर इन दोनों ने एक दूसरे को डूबी दास और अनोखे लाल के नामों से बुखार कर बातचीत की और वे इलाहाबाद स्टेशन पर गाडी से उतरे थे । मिस्टर गाते जब मुंबई या कडाके की खबर पडी तो फौरन पुलिस को सूचना देने पुलिस स्टेशन आ गए हैं । मई के पहले हफ्ते में फॅमिली या बाद पहुंचे और वहाँ की पुलिस । उन्हें पता चला कि अनोखीलाल पुराना अपराधी है और पहले भी बैंकों में ताकि डालकर कोई दो लाख रुपए लूट चुका है । कुछ दिन बाद इंस्पेक्टर खा के नेतृत्व में एक पुलिस दल ने इलाहाबाद के किसी देहाती इलाके में बिना और लिंग दिए एक बार आप पर छापा मारकर ॅ और अनोखे लाल को गिरफ्तार कर रहे हैं । बाद में जब भी नहीं हुई तो पता चला की अनोखी ही सीताराम के झूठे नाम से मुंबई आया था । पुलिस की जिला पर अनोखीलाल के बहुत बार गए उसके बयान के फलस्वरूप पंद्रह मई को इंस्पेक्टर खाने से इटावा के भागो वासी गांव में लेकर अनोखेलाल ने बालीराम को बुलवा भेजा । बालीराम ने अनोखीलाल के कहने पर्सन दूध पिला दिया जिसमें तीन पिस्तौल और दो डब्बे करते हैं । इसके बाद अनोखेलाल एक और घर में गया । अपनी पत्नी कमला को बुलाकर उसने लोहे का एक ट्रंक निकलवाया, जिसमें नोटों की छह छुट्टियाँ थी । इस तरह छह लाख सैंतालीस हजार चार सौ रुपये तो वसूल हो गए लेकिन बाकी रुपये अपराधियों ने खर्च कर दिए थे । एक अगस्त तक इस दल के दो डाकू हर नारायण, नानक चंद और रामकृष्णन कुछ ठन लाल पकडे गए थे । पांच छोटा को बाकी लाल देवी सिंह अभी ला बता था तीन अगस्त को मीटर्स जेल में ही मर गया । तीनों अपराधियों को ग्रेटर मुंबई के रिसन जज के सामने पेश किया गया था । जूली ने एक मत से फैसला किया कि उन पर लगाए गए आरोप सही हैं । अनोखेलाल और उसके साथियों की अपील बाद में आई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी रद्द कर दी और इस प्रकार भारत के इस सनसनीखेज जाके पर बता अच्छे पडा हूँ ।
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