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लाल जोडे बाली दुल्हन भाग चार जवान खुली तो देखा कि मेरे आस पास भैया और उनके बाकी साथी मौजूद थे । मेरे बगल में राजेश लेटा हुआ था । शायद उसे अभी तक होश नहीं आया था । क्या हुआ तो मैं रात को लोगों को ऐसा क्या हुआ की चीख मारकर पर खुश हो गए थे । राजेश को तो अभी तक भी होश नहीं आया है । बताओ फिर हुआ क्या था? मेरे होश में आते ही सभी ने सवालों की झडी लगानी शुरू कर दी थी । मैंने घडी में वक्त देखा तो सुबह के करीब आठ बज कर बीस मिनट हो रहे हैं । कुछ भी नहीं है । ऐसा कुछ भी नहीं देखा । ऍसे जवाब देने की कोशिश की । यदि ऐसा कुछ भी नहीं था तो रात के दो बजे जीतने के बाद बेहोश हुए । मैंने सोचा की क्या पता इन लोगों को मेरी बात पर विश्वास होगा की नहीं । ये लोग कहीं फिर मेरा मजाक ना बना गए । राजेश को तो मैं सबूत कल रात ही दे चुका था लेकिन इन लोगों को मैं विश्वास में नहीं ला सकता था । मैं भी यही सोच रहा था कि राजेश के शरीर में कुछ हलचल कि वोट कर बैठ गया । उसके आगे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो पिछले कुछ दिनों से सोया ही नहीं था । क्या कोई भयानक सपना देख कर अचानक उठ गया । उसमें ही मेरी तरफ देखा और मुझे देखते उसके क्या आश्चर्य से फैलती ही चली गई । उसे मेरी मौजूदगी से ज्यादा अपने होश में आने पर ताजुब था, जिसने राजेश के जस्ट उनको पकडकर उसके कमर के पीछे तकिये को लगाकर बैठाने का प्रयास किया । उसको छोटे ही उसने अपने हाथों को पीछे कर लिया । राजेश के दल आठ पर हाथ रखते हुए बोला, इसका तो आपकी भट्टी की तरह तप रहा है । शायद इस बुखार है । सुरेश दौड कर रसोई घर की तरफ गया और कटोरे में ठंडा पानी लाकर रुमाल से ललाट पर रखने लगा । वहां मौजूद सभी हमें अचरज भरी निगाहों से देख रहे हैं । दोपहर तक राजेश का बुखार भी कुछ काम को चला था । भैया और उनके बाकी के दोस्तों ने पूछा बताओ आखिर कल रात तो मैं क्या चीज है? ऐसा क्या हुआ जिसके कारण तुम दोनों ही भयभीत हो गए? मैंने उन्हें बेहद धीमी आवाज में कहा मेरी बातों को आप लोग यकीन नहीं मानी लेकिन कल हम दोनों ने एक भटकती आत्मा को देखा जबकि दुल्हन के पास भी नहीं बच्चों जैसी बातें कर रहे हैं । ये सब बंद का बयान होता है । वो तो कुछ नहीं होता है । तो पढे लिखे हो कर लो जैसे बातें कैसे कर सकते हो । मुझे तुमसे या उम्मीद नहीं । कभी कभी आंखों को धोखा भी होता है जिससे हम सच्चाई मान बैठते हैं । बिल्कुल से ही कहाँ । वही आप की कभी कभी आंखों को धोखा हो सकता है । लेकिन मैं पिछले दो तीन रातों से उस अदृश्य शक्ति का अहसास कर रहा था । मैंने इस बार एक ही सांस में ये सब कह दिया मैं क्या बोल रहे हैं? क्या था पिछले दो तीन दिनों से तुम्हें आत्मा की मौजूदगी का अहसास? क्या इस बार बारी राजेश की थी । वो इतना सुनते ही तपाक से बोल पडा, ये बिल्कुल सच कह रहा है । पहले मैंने भी इस की बातों का विश्वास नहीं किया लेकिन जब कल साक्षात मैंने उस लाल जोडे वाली दुल्हन की आत्मा को देखा तो छोटे वाले दुल्हन कहाँ देखा? तुमने उसे ऍसे सवाल किया । ज्यादा मैं परसों रात को लगभग दो बजे के करीब इस घर के पीछे मिला था । मैं तो स्वास्थ्य पायल की आवाज का पीछा कर रहा था । वो लगातार इधर से उधर तो कभी उधर से इधर जा रहे थे जिसके वजह से मेरी नींद में खलल आ गई थी । मैंने उसी वक्त निश्चय कर लिया था कि मैं अब देखकर होंगा बनाकर है क्या? लेकिन जैसे ही मैं उस के करीब पहुंचने वाला था आप एन वक्त पटना जाने कहाँ से घूमते हुए आएगा उस तरह और मेरे तो उस तक पहुंचने से पहले आप कुछ कर लेगा । हम मिले तो गया था लेकिन मैंने हाथ को अपने पास में पाकर खोजने निकल पडा था । ऐसे ही बाहर आया तो मेरे घर के पिछवाडे में जाते हुए देखा तो मैं भी तुम्हारे पीछे चला था । भैया की इन बातों से मेरी बातों को बल मिल गया था । शायद आज मुझे ठीक से समझने को तैयार थे । मैंने मौके का फायदा उठाते हुए कहा यादव कल सुबह भी आप लोगों ने मेरा उस छोटे से बच्चे से डर जाने को मजाक में ले लिया था मगर वास्तविकता पर आप में से किसी ने भी ध्यान नहीं थी । बात दरअसल ये थी कि इस बच्चे के साथ बिस्तर के नीचे वही लाल जोडे वाली तो थी जो बच्चे से खेलने का प्रयास कर रहे थे । चलो मान लिया कि तुम्हारी बात में सच्चाई लेकिन तुम इतने दावे के साथ कैसे कह सकते हैं कि वो लाल जोडे वाली दुल्हन, वहाँ उसके साथ क्योंकि हम लोगों ने तो वहाँ उस बच्चे लोगों के सेवा किसी और को देखा ही नहीं था । भैया मेरी बातों में अब रुचि ले चुके थे । गौर से मेरी बातों को समझ रहे हैं । देखा तो मैंने भी नहीं था उस औरत को वहाँ । लेकिन मैंने ध्यान से देखा तो ये पता लगा कि उस बच्चे को रह रहकर गुदगुदी करके फंसाने की कोशिश कर रहा था । जब उसे गुदगुदी होती है । वो अपने हाथों से किसी को रोकने का प्रयास कर रहा था, जैसे सामने उसके बाद भी कोई हो । उन्होंने एक ही सांस में ये सारी बात कहती जैसे मुझे ये ऍम बातों को सुनने के बाद दिनेशपुर लेकिन तुम्हें कैसे पता कि वो जो भी बंदा या बंदी लोगों के साथ थी तो लाल जोडे वाली कोई दुलहन ही थी । उसकी बातों को सुनते ही जैसे ही मैंने जवाब देना चाहा तभी राजेश बोल पडा, मैं और अंशु आपको मोबाइल पर साउथ इंडियन मूवी देख रहे थे । देखते देखते मुझे इसका एहसास नहीं हुआ कि मुझे अपनी नाटक जब मेरी नींद टूटी तो उस वक्त घडी में दो बजे का वक्त हो रहा था और मुझे अंशुल ने उठाया । उठते ही जब मेरी नजर पाँच ऊपर बडी तो उसके चेहरे गए तो थोडे हुए थे कि किसी घायल किशोर की बात कर रहा था और खिडकी से किसी लाल जोडे वाली भारत को जाते हुए देखा है । ऐसा का हूँ शुरू शुरू में तो मुझे उसकी बातों पर कोई विश्वास नहीं हुआ लेकिन थोडी देर में मैंने उस पायल की चाँद चलने की आवाज फिर से आनी शुरु हो गई तो मैंने सुनी आवाज थोडी देर बाद तो बंद हो गयी । लगभग कुछ सेकंड के इंतजार के बाद पायल की आवाज आनी से शुरू हो गई थी । इस बार पायल की आवाज से ऐसा लग रहा था मानव बिल्कुल ही नहीं पाँच से आ रही हूँ । मैं अंशुल टकटकी लगाकर खिडकी की तरफ देख रहे हैं । पायल की चाँद चाँद की आवाज जैसे जैसे करीब सुनाई देती जा रही थी वैसे ही हमारे दिलों की धडकनों तेज होते हुए आसानी से महसूस किया जा सकता है जाना क्योंकि पर एक लाल जोडे में सजी हुई और अनदेखी किसे देखकर ऐसा लगा जैसे उसने आज सोलह श्रृंगार किया हूँ । उसके इस तरह से अचानक सामने आने से मन में खौफ था । लेकिन उसके पलाह की खूबसूरती को देखते ही वोटर कपूर हो गया । उसके बाल कर चुकी हुई थी । उसका गुलाब की पंखुडी जैसे होता । न जाने कितने छिपाए बैठे थे । इसके नाक में सोने के बुलाते, उसकी सुंदरता को और पवन को निखार रहा था । उसके माथे और कुमकुम के निशान चांद सितारों की तरह छेद में ला रहे थे । उसकी सुंदरता ने हमारा मन मोह लिया था । हम अपनी सारी सुधबुध खोकर बस उसकी सुंदरता में डूब गए थे । अचानक उसने अपनी खोपडी उठाई और हमारी तरफ देखा । उसमें जैसे अपना चेहरा उठाया तो फिर इंतजार उसके होठों पर गई । उन फोटो से खून हो रहा था । आंखों की पुतलियां बिलकुल ही हो गई थी । जैसे ना जाने कितने वक्त से खुली की खुली रह गई । उसका मोहिनी रूप देखते ही देखते बदलने लगा था । उसकी आंखें सौ हलाल हो चुकी थी और उन आंखों से हमें ही निहारे जा रही थी । जैसे उसके उस रूप के हम भी कुछ सोच बाहर हूँ । उसने अपना हाथ सामने हम लोगों की तरफ उठाया और अपनी बडी पडी ना होने वाली उन को इकट्ठा करके पंजाब को बंद करने की कोशिश की । माॅस् हाथ से हमारी कर्नल को पकडना चाहती हूँ । अगले पल देखते देखते उसकी खूब पीछे हो गए । लेकिन उसका धडका अगला हिस्सा उसी जगह पर जस का तस था । ये देखते हैं हमारी एक साथ ठीक है निकल पडी है । उसके बाद जब होश आया खुद को आप लोगों के बीच पाया है । उन सभी को विश्वास नहीं हो रहा था कि जो पाते मैंने उन्हें बताएँ । किस हद तक सच लेकिन जब राजेश ने भी मेरा इसका दर्जा दिया । इस इस घटना के पीछे चश्मदीद गवाह होती है तो सभी उस बात को मानने को छोड के । हालांकि गुड ब्रेड के किस्सों में अक्सर विश्वास नहीं होता हैं । जिनके साथ कोई घटना घटित हुए बाकियों के लिए तो वो मात्र कहानी के सवाल कुछ नहीं रहता । हम सभी ने मिलकर ये नहीं क्या क्या है ये कमरा छोडकर कहीं दूसरी जगह चले जायेंगे । हम सभी शाम को कमरा ढूंढने चले गए । शाम को उसी गांव में शिव मंदिर के पास ही एक खाली कमरा मिल गया था । हम लोगों ने एडवांस देकर कल सुबह ही शिफ्ट करने की बात करके वापस अपने कमरे में आ गए थे । खाना खाकर हम लोगों ने ये निर्णय लिया कि आज रात आगे वाले कमरे में सभी एक साथ हुई है और आज पूरी बिजली का बाल चलाकर ही होंगे । फटाफट अंदर वाला बिस्तर भी वही लगा दिया । तभी एक साथ पहली बार सुन रहे थे । हालांकि ये है अवसर पहला जरूर था लेकिन डर को दूर करने का ये सबसे कारगर तरीका था । अचानक रात को मैंने फिलहाल जोडे वाली दुल्हन को अपने पास देखा था तो वहाँ खडी हुई मुझे ही नहीं कर रही थी । हडबडाकर खडा हुआ । मैंने किसी तरह हिम्मत बटोरते हुए कहा कौन है तो और ऍम अंदर क्या कर रही है? इतना बोल रही तेज आवाज आई हो । थप्पड इतना सोच से लगा कि उस कमरे में जितने भी सोचे थे, सभी उठ कर बैठ गए । उसने चाटा मारने के बाद कहा अजय पत्ती क्यों चलाई? मुझे यहाँ पढने में दिक्कत होती है क्या? कहते ही वो कमरे से बाहर चली गई । सभी ने दातों तले उंगली दबा ली । ये देख कर के बलाल छोटे वाली दुल्हन को बाहर जाने के लिए दरवाजा खोलने की जरूरत नहीं पडेगी । बहुत दरवाजे के आरपार निकल गई थी । उसके बाहर जाते हैं । कमरे में बिजली कपल हो गया हितशत्रु पे हम सभी की नींद उड चुकी थी । मेरे गाल पर पांच उंगलियों के निशान को साफ देखा जा सकता था । सभी ने कैसे पैसे सुबह होने का इंतजार किया । सूर्य रहे होते ही हम सभी सबसे पहले पडोस में ही लोगों के घर गए । हमें एक साथ देखकर वो लोग बिल्कुल भी नहीं कर रहा है । उन्हें देख कर ऐसा लगा कि जैसे उन्हें सब मालूम हो । लोगों के बाबा जिनका नाम पंकज बोले था था उन्होंने हमें बैठाया और शांति से हमारी प्रथा सुनी । सुनने के बाद उन्होंने कहा देखिए आप लोग खुशकिस्मत है कि किसी के साथ कुछ भी नहीं हुआ । वो तो तुम लोग हो जो पिछले चार महीने से इस कमरे में रह रहे हो । थाने था इस कमरे में । पिछले सात सालों से कोई भी व्यक्ति तो महीने से ज्यादा नहीं टिक पाया है जिसकी आप क्या कह रहे हैं परेठा जी फिर इस करना होने वाली घटनाओं के पीछे माजरा क्या है भैया ने उनसे घर के छुपे राज को जाना चाहिए । ये बात सात साल पहले की है । इस घर में पडा ही खुशहाल परिवार रहता था । उनके बेटी थी जिनका नाम शांति चौहान था । वो लडकी पलाह खूबसूरत होने के साथ पढाई लिखाई में भी असफल । जब उसकी उम्र शादी की हुई तो उसके लिए एक से एक बडे घर से रिश्ते आने लगे । उसके शादी ऋषिकेश में एक आदमी होते सबसे तय हुई है । शादी वाले दिन उस एक दुखद समाचार ने पूरे परिवार की जिंदगी उजाडकर रखते हैं । ऋषिकेश से पारा चंदावत के लिए आ रही थी । चंपावत है । उनतीस किलोमीटर पहले एक तीव्र मोड पर दूल्हे की गाडी खाई में गिर गए । उन्हें की मौत हो गई । उसकी लाश आज तक किसी को नहीं मिले क्योंकि वो नदी में बहती हुई पता नहीं कितनी दूर चली गई थी । जब ये बात दुल्हन को पता चली तो ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकते और उसने कमरे को बंद करके अपने ऊपर मिट्टी के तेल को छिडककर आग लगा ली । उसका परिवार इस तक में से ऊपर नहीं बारह इसलिए उन लोगों ने यहाँ कर सस्ते दामों में बेचकर जहाँ से कहीं दूर चले गए । उनके जाने के बाद यहाँ उस अभागन को देखना आम बात हो गई थी । यहाँ जितने भी लोग किराये पर आए उन को हमेशा रात को एक बजे के बाद इस तरह क्या अजीब घटनाएं दिखाई देने लगी । यहाँ कोई भी दो महीने से ज्यादा नहीं टिक पाया और पिछले सात सालों से अधिकतर इस घर में ताला ही लटका मिलता था । क्या उस लडकी जिसका नाम शांति है उसके आत्मा की शांति के लिए कुछ किया नहीं जा सकता जिससे उस को मुक्ति मिल रहे हैं । ऍम बडी गंभीर मुद्रा बनाते हुए ये प्रश्न पूछा था बिल्कुल किया जा सकता है । लेकिन बात ये है कि करेगा कौन? उसके माँ बाप ही नहीं और लोगों में इतनी हिम्मत नहीं तो उस काम को करने के लिए सामने आए पैसे भी कहते हैं कि इंसान के भाग्य में जितनी उम्र लिखी है उसे काट कर के जाना पडता है । कभी किसी के असामयिक मौत हो भी जाए तो सक्रिय होने में बैठकर उतने साल पूरे करने पडते हैं । हम लोगों ने पुनेठा जी को धन्यवाद किया और उनसे विदाई लेंगे । शाम डालने से पहले हम लोगों ने कमाना शिफ्ट कर दिया । उस दिन के बाद कभी उस पुराने बहुत हाथ घर की तरफ खुलकर भी रुख नहीं किया । मैं भी तो दिन और रखने के बाद वापस दिल्ली आ गया । मुझे घर अगर इस बात का एहसास हुआ के अपना घर अपना ही होता है जहाँ सुकून पहुंॅची जा सकती है । बिना किसी शिकायत
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