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चांदीराम जैसे ही आंखों से हो जाए हुआ चारों और पहली नजर रखने वाले कप्तान ने देखा कि कोई भी व्यक्ति अपने मोर्चे पर मुझे नहीं था । कप्तान अचानक गुस्से से फट पडा । अब तक किसी ने भी कप्तान को किस प्रकार खुद होते हुए नहीं देखा था । कप्तान ने एक एक करके सभी को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाही बरतने के लिए लगता । यहाँ तक कि जमीदार को भी नहीं बख्शा । डॉक्टर से भी टक्कर ली । सबके चेहरे कुछ और शव से लाल हो गए हैं । कप्तान ने हर एक को अपना अपना मोर्चा पूरी मुस्तैदी के साथ संभालते हुए निर्देश देते हुए कहा, बिहार रखी है, चांदीराम की नियत खराब है । मैंने जो ठीक उस वक्त की थी जब लोहा गरम था । मुझे पूरा विश्वास है कि एक घंटे के अंदर ही अंदर चांदीराम हम पर धावा बोल देगा । मुझे यह भी विश्वास है कि हमने पूरी सूझबूझ के साथ काम लिया तो विजय हमारे ही होगी । हमारे ऊपर खेले का कवच है । इसका लाभ हमको मिलेगा । फिर कप्तान उठकर जिले के भीतर हर हिस्से का निरीक्षण करने लगा । पूर्व और पश्चिम में उसे दो छिद्र नजर आए । चारों दिशाओं में कप्तान ने बडी तत्परता के साथ मोर्चेबंदी कराई । लकडी के लखनऊ को जुटाकर पांच स्थानों पर बैठने के ठिकाने बनाए गए । बीचोबीच हैककर मारने वाले चाहूँ ढेर लगा दिया गया । कप्तान ने जिनको खाना परोसने का आदेश देने के साथ ही कहा कि सबको थोडी थोडी ब्रांडी दी जाए ताकि लोग ठंड का सामना करने के लिए तैयार रहे । डॉक्टर जिम्मेदार और अन्य लोगों को बंदूके संभालने के लिए कह दिया गया । उनमें गोला बारूद भरते रहने की जिम्मेदारी जिम और कप्तान ले ले ली क्योंकि ये दोनों अच्छे निशानेबाज नहीं थे । सूरज पहाडियों और पक्षों कि वोट से जैसे ही ऊपर उठा चारों ओर उजाला फैल गया । थोडी देर में रही दुखने लगी । लोगों ने अपनी जैकेट और कोट उतारकर एक और रख दिए । कमीज की आस्तीन ए ऊपर चढा ली गई । सारे लोग बडी एकाग्रता के साथ अपने अपने मोर्चे पर बैठे हुए थे । इसी तरह एक घंटा बीत गया । हर पल बाहर से हमला होने की आशंका बनी हुई थी पर अब तक कुछ नहीं हुआ था । कप्तान टाॅपर गुस्से से बाहर की और देखने लगा । कुछ क्षणों के बाद भीतर से गोली दागी गई जिसकी अनुगूंज पहाडियों और पेडों से टकराकर चारों और फैल गई । दूसरी ओर से एक साथ कई गोलियां चली जो खेले की लकडी की दीवारों में दस कर रहे गई लेकिन कोई भी उनको भेद नहीं पाई । कप्तान बाहर की ओर से चलाई जा रही गोलियों का अंदाज लगा रहा था । उसने कहा असली खतरा उत्तर की और सही । चांदीराम की कोशिश यही होगी कि किसी भी तरह से उसके लोग की लेकिन चारदीवारी में दाखिल हो जाए । फिर जहाँ कहीं भी कमजोरी नजर आए उसको पूरी ताकत से भेज करके ले के अभी तक कुछ जाए । अभी कप्तान के बाद खत्म हुई थी कि एक साथ बहुत सारे समुद्री डाकू उत्तर की दिशा की और से किले की चारदीवारी पलांदे लगे । उनको संरक्षण देने के लिए जंगल की ओर से एक साथ अनेक गोलियाँ खेले । पर्पस नहीं लगी । एक बुरी दरवाजे से होती हुई डॉक्टर की बंदूक के हफ्ते पर आकर लगी और टूटकर नीचे गिर पडी । समुद्री डाकू बंदरों की तरह चारदीवारी कूदकर पार कर रहे थे । जमींदार और अन्य साथियों ने सात कर निशाने लगाए और कुछ क्षणों में ही तीन डाकू जमीन पर लहूलुहान होकर लूटते दिखाई दिए । उनमें से एक आदमी को शायद चोट ज्यादा नहीं लगी थी । वह दहशत से ही धरती पर गिर गया था क्योंकि थोडी देर बाद था और चारदीवारी फलाण कर जंगल में गायब हो गया । फिर भी चार पांच लोग के लेके आहाते में प्रवेश कर चुके थे और सात आठ अन्य लोग बाहर से गोलीबारी कर रहे थे । साथ ही लग रहा था कि हर एक के पास एक से ज्यादा बंदूके नहीं चार डाकू दौड करके ले की और बडे एक व्यक्ति ने किले के भीतर से मोर्चा संभालने एक नाविक पर कसकर प्रहार किया जिससे वह मूर्छित होकर गिर पडा । एक अन्य व्यक्ति दरवाजे को पलान था, हुआ हाथ में चाकू थामते हुए डॉक्टर की और आपका जिले की भीतरी सुरक्षा चरमराती हुई नजर आई । सभी लोग सत्र के निशाने पर आ गए थे । किले के भीतर दुनियाँ भर गया था । लोगों की चीख पुकार और गोलियों की आवाजों से कोहराम मच गया था । तभी कप्तान की कडकती हुई आवाज सुनाई दी । जवानों बाहर निकला हूँ और इनसे खुले में भीड जाओ जिनने ढंग से एक चाकू उठाया लेकिन इस बीच किसी ने एक अच्छा आपको जिम पर फेंका जो उसके घुटने को छीलता हुआ निकल गया । जिम चाकू थामकर बाहर की और पूरा एक डाकू खर्चा था । मैं डॉक्टर के पीछे दौड रहा था । उसने डॉक्टर पर हमला किया और जमीन पर गिर पडा हूँ । ठीक उसी समय एक डाकू जिम पर पूरा कप्तान की आवाज गूंजी, नौजवानों की ले को घेर हो । कप्तान की आवाज सुनते ही जिम किले की दीवार की और थोडा और उसने पाया कि लम्बा चौडा डाकू ठीक उसके सामने खडा है तो आपको जोर से जी खा और चमचमाते चाकू के साथ उसका हाथ हवा में उठा । जिनके पास बचाव का कोई रास्ता नहीं था वो पूरा जोर लगाकर एक और चला और ढलान की और लुढक गया । इस बीच कप्तान और उसके साथियों ने डाकुओं पर ताबडतोड हमले शुरू कर दिए थे । कप्तान के तीन साथ ही जमीन पर पडे हुए थे । चांदीराम के भी तीन लोग मारे जा चुके थे । डॉक्टर अब तक उठकर खडा हो चुका था । डॉक्टर की आवाज सुनाई दी जो खेले के भीतर है वो दुश्मनों पर गोलियां चलाए और जो बाहर है वो अपनी सुरक्षा के लिए लेट जायेगी । लेकिन डॉक्टर के बाद हंसू नहीं रहेगी क्योंकि किसी ने भी गोली नहीं चलाई । डाकुओं के पैर पूरी तरह उखड चुके थे और वे चारदीवारी फलांग कर भाग रहे थे । तीन चार सेकंड नहीं मैदान खाली हो गया । सुरक्षित बच गए । डाकू जंगल में गायब हो चुके थे । चांदीराम के चार आदमियों की लाशें वहाँ तक के भीतर पडी थी और एक लाख चारदीवारी के बाहर ठंडी हो चुकी थी । डॉक्टर जिम और एक अन्य व्यक्ति सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के लिए पूरी ताकत के साथ दौडेगा । उन्हें अंदेशा था कि जो डाकू बच गए हैं, वे फिर एकजुट होकर किसी भी क्षण उन्होंने दावा बोल सकते हैं । किले के भीतर अब तक दुआ काफी हद तक साफ हो चुका था । खेले के भीतर हंसराज और जयराम नाम के दो नाविक पुरुष पर रखते वंचित पडेंगे । जयराम के सिर के आरपार गोली निकल गई थी । कप्तान भी जख्मी हो चुका था । जमीदार ने उसे कम रखा था । कप्तान ने जिम्मेदार से पूछा, क्या वे सारे लोग बाहर निकले हैं? डॉक्टर जवाब दिया जितने बहुत सकते थे, भाग गए पर उन में से पांच तो कहीं नहीं भाग पाएंगे । कप्तान के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान उभरी और वह कहने लगा अब हम चार लोगों के मुकाबले बदलाव लोग हैं । जी, जब यहाँ आए थे हम लोग साथ और नहीं तेज । शाम को पता चला कि जमीदार की गोली से घायल और आपको मारा गया और इसी तरह अब डाकुओं की संख्या रह गई थी । मात्र आज फिर भी चार के मुकाबले आठ
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