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रहस्मय टापू - 06 in  |  Audio book and podcasts

रहस्मय टापू - 06

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प्रस्तुत उपन्यास "रहस्यमय टापू" अंग्रेज़ी के प्रख्यात लेखक रॉबर्ट लुईस स्टीवेंसन के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी उपन्यास "ट्रेजर आइलैंड" का हिंदी रूपांतरण है। उपन्यास का नायक जिम जिस प्रकार समुद्र के बीच खजाने की खोज में निकलता है वो इसे और रोमांचक बना देता है। कहानी में जिम एक निर्जन टापू पर खूंखार डाकुओं का सामना करता है और कदम कदम पर कई कठिनाइयों का सामना भी करता है। इस बालक के कारनामों को सुन कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। सुनें रमेश नैयर द्वारा रूपांतरित ये पुस्तक हिंदी में आपके अपने Kuku FM पर। सुनें जो मन चाहे।
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हूँ । मजिस्ट्रेट का घर दूर था, इसलिए वहाँ पहुंचने में काफी समय लग गया था । घर के सामने अंधेरा था । पूछताछ करने पर पता चला कि डॉक्टर साहब गांव के जमींदार क्या बोझ पर गए हुए हैं । जमींदार की हवेली वहाँ से ज्यादा दूर नहीं थी । कुछ मिनटों में हम लोग वहाँ पहुंच गए थे । दरबान द्वारा ने अपना संदेश डॉक्टर तक पहुंचाया । जमींदार का एक नौकर हमें एक बडे से कमरे में ले गया । कमरा अच्छी तरह से सजा हुआ था । वर्ष पर गिनती कालीन बिछा हुआ था । फर्नीचर भी अच्छी किस्म की किसी लकडी से बना हुआ था । बहुत सुन्दर था । समझदार की लाॅरी भी बहुत शानदार । दो दीवारों से लगी । अलमारियों में पुस्तकों की कतारें लगी हुई नहीं लगता था जमीदार को कुछ तक उसे प्रेम है । जमीदा और डॉक्टर साहब हमने सामने बैठे पारी बरी से कब उड उडा रहे थे । संविधान का व्यक्तित्व वो मिला था । छह फुट से भी ऊंचा हूँ । चौडी छाती और भरा हुआ बदल मेरे साथ है । पुलिस अफसर का जमींदार ने बैठे बैठे स्वागत किया और इशारे से अपने पास बुला लिया । डॉक्टर सामने मेरी और देखकर मुस्कुराते हुए कहा हूँ, कैसे हो जी आओ बैठो मेरे पास । जमींदार ने पुलिस अफसर से पूछा कहीं कैसे आना हुआ? पुलिस अफसर में संक्षेप में सारी बात बता दी हैं । दोनों उनकी बातें कितनी ध्यान से सुन रहे थे कि हुक्का पीना भी पूरी गए । जब पुलिस अफसर ने बताया कि मेरी माँ सुरक्षित है तो डॉक्टर और जमींदार दोनों बहुत प्रसन्न हुआ । उन्होंने पुलिस अवसर को अंधे सरदार को मार गिराने के लिए धन्यवाद दिया । जमींदार ने शाबासी देते हुए का यह तो बहुत अच्छा हुआ कि आपने समुद्री डाकुओं को खदेड दिया । वांदा तो जहरीला साथ था । सांप का सर कुचल देना ही ठीक रहता है । ये लडका जिम तो बहुत बहादुर हैं । डॉक्टर ने पूछा समुद्री डाकू किस चीज की तलाश में आए थे? पुलिस अफसर मेरी और देखकर मुस्कुराए । उसके संकेत को मैं समझ गया । मैंने अपनी जेब से पैकेट निकालकर डॉक्टर की और बढा दिया । डॉक्टर ने चुपचाप उसे अपने कूट के जेब में रख दिया । जमींदार ने पुलिस अफसर की ओर देखते हुए कहा, देर हो रही है आप चलिए, जिनको यही रहने दीजिए । मैं रात को खाना यहीं पर खा लेगा । पुलिस अफसर अपने घोडे पर बैठकर रवाना हो गया । डॉक्टर में जमींदार की और देखते हुए कहा आप क्या किया जाए? जमींदार नहीं, एक नजर मुझ पर डालते हुए कहा जिनकी पूरी सहायता करना चाहिए । डॉक्टर कुछ देर सोच में पड गए । फिर वो जमींदार से कहने लगे आपने फुलवाडा को के बारे में सुना है? हाँ सुना है । कहते हैं वो बहुत भारतम उसका जिस साल जालिम समुद्री डाकू अभी तक पैदा नहीं हुआ । चारों और उसका आतंक फैला था । लोग उसके नाम से कहते थे मुझे लगता है उस में लूटमार करके बहुत बडा ज्यादा इकट्ठा कर रखा था । समझदार ने कहा शायद फुलवा के खजाने का नक्शा मेरी जेब में है । यदि जिम को आपत्ति ना हो तो मैं उस पैकेट को खोल लूँ । ये कहते कहते डॉक्टर ने जेब से वाॅलेट निकालकर टेबल पर रख दिया । डॉक्टर उड गए और एक किनारे पर रखा अपना बैग लिया । बैंक में से किसी निकालकर उन्होंने पैकेट को किनारे से करता है । पैकेट से उस तक और एक सीलबंद कागज निकला । डॉक्टर में पुस्तक को उठाते हुए कहा सबसे पहले तो हम इस पुस्तक को देखेंगे । उन्होंने पुस्तक खोलकर उसके पन्ने पर लिखने शुरू कर दिए । पुस्तक के प्रारंभिक पृष्ठों पर कुछ लिखा हुआ था । बीच बीच में कुछ संकेत और प्रतीक बने हुए थे । शान शुद्ध निशान स्केचिंग बने हुए थे । कुछ देर तक पुस्तक को देखने के बाद डॉक्टर में निराशा के साथ कहा मेरे पल्ले कुछ नहीं पढा, इसका सिर्फ पैर ही समझ नहीं आता । जमीन सामने लगभग झगडते हुए डॉक्टर सकता हूँ । सब कुछ तो दिन की रोशनी की तरह साफ दिखाई पड रहा है । ये जो क्रॉस के निशान हैं ये बताते हैं कि कहाँ कहाँ पर जहाज डुबाए गए या किन किन ठिकानों को लूटा गया । हार्ड डाकू का वही खाता है जो संख्या लिखी गयी है । वह बताती है कि कि तबाह बाल लूटा गया है । अब समझ में आया इसलिए संख्या लगातार बढती दिखाई दे रही है । अच्छा अब सीलबंद लिफाफे को खोला जाए । देखें इसमें क्या निकलता है । कागज को कई जगह से सील किया गया था । डॉक्टर में बडी सावधानी के साथ एक एक सील को तोडना शुरू किया । उतनी ही सावधानी के साथ नक्शे को खुलकर टेबल पर फैलाया गया । लक्ष्य में छोटे छोटे ऍम पहाडियों और अन्य सारी बातें की पूरी जानकारी दी गई थी । नक्शे में एक टापू तक पहुंचने का मार्ग भी दिया गया था । उस टाइप की लंबाई, चौडाई और ऊंचाई की जानकारी भी उसमें थी । नक्शे के आधार पर वहाँ पानी के जहाज द्वारा पहुंचा जा सकता था । टापू लगभग नौ मील लंबा और पांचवीं छोडा था तो उसके बीचों बीच एक पहाडी थी । वहाँ लाल सही से कुछ निशान बने हुए थे जिसके नीचे लिखा था अधिकांश गसामा यहीं पर है । आप के पास जहाज के लंगर डालने के लिए दो स्थान दिखाए गए थे । नक्शे के पीछे हस्तलिपि में लिखा था, ऊंचा पेड पहाडी दिशा का संकेत, वीरान टापू दस तो सब कुछ मेरी समझ में नहीं आया था और उसे पढकर डॉक्टरों जमीदार खुशी से झूम । जमीदार ने कहा डॉक्टर साहब, तुम तत्काल अपनी प्रेक्टिस छोड सकते हो । हम कभी खजाने की खोज के लिए कुछ करेंगे तो जहाज के डॉक्टर होगे । मैं अपने कुछ आदमियों को साथ ले लूंगा । जिम भी हमारे साथ रहेगा । इस मौसम को देखकर लगता है की हवा का रुख भी हमारे अनुकूल रहेगा । जमीदार साहब मैं आपके साथ चलने के लिए तैयार जिम भी साथ रहेगा । तुम्हारे आदमी भी ठीक है पर मुझे सबसे ज्यादा खतरा तुम्हारी और से लगता है । किसी तो मैं अपनी जुबान पर काबू नहीं है । दूसरी बात ये है कि उन समुद्री डाकुओं को भी पता लग गया है कि खजाने का नक्शा हमारे पास है । वे लोग बहुत खतरनाक है । वे बडे दुःसाहसी भी हैं । खजाने पर कब्जा करने के लिए वो कुछ भी कर सकते हैं । किसी की हत्या करना तो उनके बयान का खेल है । इसलिए हमें पूरी तैयारी से जाना होगा और बहुत होशियार भी रहना होगा । सबसे पहले ये तय करना होगा एक हजार के बारे में हम एक भी शब्द नहीं कहेंगे । कभी भूल से भी किसी की जवान पर खजाने का और उसके नक्शे का नाम नहीं आएगा । ठीक है डॉक्टर इस मामले में मैं आज से कमरे की तरह मौत रहूँ । जमीदार ने कहा ।

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प्रस्तुत उपन्यास "रहस्यमय टापू" अंग्रेज़ी के प्रख्यात लेखक रॉबर्ट लुईस स्टीवेंसन के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी उपन्यास "ट्रेजर आइलैंड" का हिंदी रूपांतरण है। उपन्यास का नायक जिम जिस प्रकार समुद्र के बीच खजाने की खोज में निकलता है वो इसे और रोमांचक बना देता है। कहानी में जिम एक निर्जन टापू पर खूंखार डाकुओं का सामना करता है और कदम कदम पर कई कठिनाइयों का सामना भी करता है। इस बालक के कारनामों को सुन कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। सुनें रमेश नैयर द्वारा रूपांतरित ये पुस्तक हिंदी में आपके अपने Kuku FM पर। सुनें जो मन चाहे।
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